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नवीनतम संदेश 5

2022-06-21 13:00:17 आयुर्वेद (Ayurveda) के अनुसार आपकी रसोई आवश्यक पोषक तत्वों का भंडार है. रसोई में ऐसे कई तरह के मसाले होते हैं जिनका इस्तेमाल व्यंजनों में किया जाता है. ये मसाले बाजार में आसानी से मिल जाते हैं. ये मसाले (spices) न केवल खाने के स्वाद को बढ़ाते हैं बल्कि आपके स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद है. ये मसाले वजन कम करने और शरीर को डिटॉक्सीफाई करने में भी आपकी मदद करते हैं. इन मसालों में दालचीनी, जीरा, धनिया और हींग जैसे मसाले शामिल हैं. ये मासले आपके पाचन तंत्र (Digestive System) को भी स्वस्थ रखते हैं. आइए जानें और कौन से मसाले आपकी सेहत के लिए लाभदायक हैं.

अदरक
ये सबसे प्रसिद्ध मसालों में से एक है जो लगभग हर भारतीय रसोई में होता है. ये आयुर्वेदिक उपचार का एक बड़ा हिस्सा है. ये शरीर से टॉक्सिन बाहर निकालने में मदद करता है. ये पेट में पाचन एंजाइमों के स्राव को भी बढ़ाता है. ये पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने में मदद करता है. अदरक को खाने में शामिल करने के अलावा अदरक से बनी चाय का सेवन भी कर सकते हैं. ये सर्दी या साइनस संक्रमण के लिए एक प्राकृतिक उपचार के रूप में काम करती है.

दालचीनी
दालचीनी में एंटीवायरल गुण होते हैं. ये सामान्य सर्दी पैदा करने वाले वायरस से लड़ने में मदद करती है. इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण भी होते हैं जो गले की खराश से राहत दिलाते हैं.

जीरा
जीरा में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण भी होते हैं. ये पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने में मदद करता है. ये गैस की समस्या से राहत दिलाता है.

धनिया
इस मसाले में ठंडक देने के गुण होते हैं. ये पेट में अत्यधिक गर्मी के कारण एसिड रिफ्लक्स से पीड़ित लोगों के लिए बहुत अच्छा है. ये सूजन, पेट फूलना आदि की समस्या से राहत दिलाता है. ये भूख को बढ़ाता है. ये पेट के कीड़ों को मारता है.

हींग
हींग की सुंगध बहुत तेज होती है. ये पाचन में सुधार करने के लिए बहुत उपयोगी मसाला है. इसके सुखदायक गुण पाचन तंत्र को मजबूत करते हैं. हींग सूजन, पेट फूलना, पेट दर्द, ऐंठन और डकार को कम करने में मदद करती है.
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हल्दी
हल्दी का इस्तेमाल अधिकतर व्यंजनों में किया जाता है. आयुर्वेदिक उपचारों में इसका बहुत महत्व है. ये पित्त दोष के लिए अच्छा होती है. ये इम्युनिटी बढ़ाने और लिवर को डिटॉक्सीफाई करने में मदद करती है. ये जोड़ों के दर्द से राहत दिलाने में मदद करती है.

इलाइची
इलाइची का इस्तेमाल मीठे और नमकीन दोनों तरह के व्यंजनों में किया जाता है. इसका इस्तेमाल माउथ फ्रेशनर के रूप में भी किया जाता है. चाय का स्वाद बढ़ाने के लिए इसमें कुछ पीसे हुए सुगंधित इलायची के बीज मिला सकते हैं. आयुर्वेद के अनुसार ये पाचन तंत्र को स्वस्थ रखती है.
230 viewsRajendra Maheshwari, 10:00
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2022-06-21 02:26:54 *अपने आप को पहचानो...*
~ ऋषि चिंतन
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247 viewsRajendra Maheshwari, edited  23:26
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2022-06-21 02:26:30
*योग दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं... *
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योग सिर्फ़ POSE मात्र नही है और ना ही किसी आसन को साधना है। योग को सिर्फ़ flexibility लाने का माध्यम ना समझें।Handstand /Headstand अंत नही है और ना ही leg spilt और ना ही योग सिर्फ़ एक Exercise का रूप भी है।

- ख़ुद को जानना
- ख़ुद को महसूस करना
- अपने आप को देखना
- अपने शरीर की ,अपने Actions की ,अपने विचारों की awareness रखना
- अपने में शांति ढूँढना (बाहर नही )
- ख़ुद को accept करना
- ख़ुद में जवाब ढूँढना
- अपनी साँसों को आते जाते देखना
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कुछ सवालों के जवाब गूगल के पास भी नही होतें है । कुछ ख़ुशियाँ पैसा से भी नही ख़रीदी जा सकती है । कई बार सब कुछ मिल जाने पर भी शांति नही मिलती है ।

इन सब सवालों के एक ही जवाब है
“ख़ुद से” जुड़ना,उसी का नाम योग है ।
241 viewsRajendra Maheshwari, 23:26
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2022-06-20 03:08:23 . प्राथमिकता मुख्य उत्तरदायित्व को दें!

जंगल में एक गर्भवती हिरनी बच्चे को जन्म देने को थी वो एकांत जगह की तलाश में घूम रही थी कि उसे नदी किनारे ऊँची और घनी घास दिखी।उसे वो उपयुक्त स्थान लगा शिशु को जन्म देने के लिये वहां पहुँचते ही उसे प्रसव पीडा शुरू हो गयी।
उसी समय आसमान में घनघोर बादल वर्षा को आतुर हो उठे और बिजली कडकने लगी।

उसने बायें देखा तो एक शिकारी तीर का निशाना उस की तरफ साध रहा था। *घबराकर वह दाहिने मुड़ी तो वहां एक भूखा शेर, झपटने को तैयार बैठा था। सामने सूखी घास आग पकड चुकी थी और पीछे मुड़ी तो नदी में जल बहुत था।

मादा हिरनी क्या करती? वह प्रसव पीडा से व्याकुल थी। अब क्या होगा? क्या हिरनी जीवित बचेगी? क्या वो अपने शावक को जन्म दे पायेगी? क्या शावक जीवित रहेगा?

क्या जंगल की आग सब कुछ जला देगी? क्या मादा हिरनी शिकारी के तीर से बच पायेगी? क्या मादा हिरनी भूखे शेर का भोजन बनेगी?

वो एक तरफ आग से घिरी है और पीछे नदी है। क्या करेगी वो?

हिरनी अपने आप को शून्य में छोड़,अपने प्राथमिक उत्तरदायित्व अपने बच्चे को जन्म देने में लग गयी।

कुदरत का करिश्मा देखिये बिजली चमकी और तीर छोडते हुए , शिकारी की आँखे चौंधिया गयी उसका तीर हिरनी के पास से गुजरते शेर की आँख में जा लगा, शेर दहाडता हुआ इधर उधर भागने लगा और शिकारी शेर को घायल ज़ानकर भाग गया घनघोर बारिश शुरू हो गयी और जंगल की आग बुझ गयी हिरनी ने शावक को जन्म दिया।
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हमारे जीवन में भी कभी कभी कुछ क्षण ऐसे आते है, जब हम चारो तरफ से समस्याओं से घिरे होते हैं और कोई निर्णय नहीं ले पाते तब सब कुछ नियति के हाथों सौंपकर अपने उत्तरदायित्व व प्राथमिकता पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिए। अन्तत: यश- अपयश, हार-जीत, जीवन-मृत्यु का अन्तिम निर्णय ईश्वर करता है। हमें उस पर विश्वास कर उसके निर्णय का सम्मान करना चाहिए।
..........
334 viewsRajendra Maheshwari, 00:08
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2022-06-20 03:08:22 *गृहस्थ में रहकर ही मुक्ति प्राप्त कीजिए...*
~ऋषि चिंतन
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296 viewsRajendra Maheshwari, edited  00:08
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2022-06-19 12:15:16 *नींद क्यों नहीं आती...?*
~ डॉ मुकेश पटेल
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359 viewsRajendra Maheshwari, edited  09:15
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2022-06-19 12:12:21
4 viewsRajendra Maheshwari, 09:12
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2022-06-19 12:05:32 *पीपल*

अकेला ऐसा पौधा जो दिन और रात दोनो समय आक्सीजन देता है

पीपल के ताजा 6-7 पत्ते लेकर 400 ग्राम पानी मे डालकर 100 ग्राम रहने तक उबाले,ठंडा होने पर पिए ब्रर्तन स्टील और एल्युमिनियम का नहीं हो, आपका ह्रदय एक ही दिन में ठीक होना शुरू हो जाएगा

पीपल के पत्तो पर भोजन करे, लीवर ठीक हो जाता है

पीपल के सूखे पत्तों का पाउडर बनाकर आधा चम्मच गुड़ में मिलाकर सुबह दोपहर शाम खायेँ, किंतना भी पुराना दमा ठीक कर देता है

पीपल के ताजा 4-5 पत्ते लेकर पीसकर पानी मे मिलाकर पिलाये,1- 2 बार मे ही पीलिया में आराम देना शुरू कर देता है

पीपल की छाल को गंगाजल में घिसकर घाव में लगाये तुरंत आराम देता है

पीपल की छाल को खांड (चीनी )मिलाकर दिन में 5-6 बार चूसे, कोई भी नशा छूट जाता है

पीपल के पत्तों का काढ़ा पिये, फेफड़ो, दिल ,अमाशय और लीवर के सभी रोग ठीक कर देता है

पीपल के पत्तों का काढ़ा बनाकर पिये, किडनी के रोग ठीक कर देता है व पथरी को तोड़कर बाहर करता है

किंतना भी डिप्रेशन हो, पीपल के पेड़ के नीचे जाकर रोज 30 मिनट बैठिए डिप्रेशन खत्म कर देता है

पीपल की फल और ताजा कोपले लेकर बराबर मात्रा में लेकर पीसकर सुखाकर खांड मिलाकर दिन में 2 बार ले, महिलाओ के गर्भशाय और मासिक समय के सभी रोग ठीक करता है

पीपल का फल और ताजा कोपले लेकर बराबर मात्रा में लेकर पीसकर सुखाकर खांड मिलाकर दिन में 2 बार ले, बच्चो का तुतलाना ठीक कर देता है और दिमाग बहुत तेज करता है

जिन बच्चो में हाइपर एक्टिविटी होती है, जो बच्चे दिनभर रातभर दौड़ते भागते है सोते कम है, पीपल के पेड़ के नीचे बैठाइए सब ठीक कर देता है

किंतना भी पुराना घुटनो का दर्द हो, पीपल के नीचे बैठे 30-45 दिन में सब खत्म हो जाएगा
https://chat.whatsapp.com/KhxOIKPTPw2Gb5q6vKhcNF
शरीर मे कही से भी खून आये, महिलाओ को मासिक समय मे रक्त अधिक आता हो, बाबासीर में रक्त आता हो, दांत निकलवाने पर रक्त आये ,चोट लग जाये, 8-10 पत्ते पीसकर,छानकर पी जाएं, तुंरत रक्त का बहना बंद कर देता है

शरीर मे कही भी सूजन हो, दर्द हो, पीपल के पत्तों को गर्म करके बांध दे, ठीक हो जायेगे
17 viewsRajendra Maheshwari, 09:05
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2022-06-19 02:17:49 *परिष्कृत जीवन प्रत्यक्ष कल्प वृक्ष...*
~ ऋषि चिंतन
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https://chat.whatsapp.com/BEEbPd5cBCq25QeDUuOxMh
153 viewsRajendra Maheshwari, edited  23:17
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2022-06-19 02:17:47 आज की कहानी....*
एक बहुत ही बड़े उद्योगपति का पुत्र कॉलेज में अंतिम वर्ष की परीक्षा की तैयारी में लगा रहता है,
तो उसके पिता उसकी परीक्षा के विषय में पूछते है तो वो जवाब में कहता है कि हो सकता है कॉलेज में अव्वल आऊँ,
अगर मै अव्वल आया तो मुझे वो महंगी वाली कार ला दोगे जो मुझे बहुत पसन्द है..
तो पिता खुश होकर कहते हैं क्यों नहीं अवश्य ला दूंगा.
ये तो उनके लिए आसान था. उनके पास पैसो की कोई कमी नहीं थी।
जब पुत्र ने सुना तो वो दो गुने उत्साह से पढाई में लग गया। रोज कॉलेज आते जाते वो शो रुम में रखी कार को निहारता और मन ही मन कल्पना करता की वह अपनी मनपसंद कार चला रहा है।
दिन बीतते गए और परीक्षा खत्म हुई। परिणाम आया वो कॉलेज में अव्वल आया उसने कॉलेज से ही पिता को फोन लगाकर बताया की वे उसका इनाम कार तैयार रखे मै घर आ रहा हूं।
घर आते आते वो ख्यालो में गाडी को घर के आँगन में खड़ा देख रहा था। जैसे ही घर पंहुचा उसे वहाँ कोई कार नही दिखी.
वो बुझे मन से पिता के कमरे में दाखिल हुआ.
उसे देखते ही पिता ने गले लगाकर बधाई दी और उसके हाथ में कागज में लिपटी एक वस्तु थमाई और कहा लो यह तुम्हारा गिफ्ट।
पुत्र ने बहुत ही अनमने दिल से गिफ्ट हाथ में लिया और अपने कमरे में चला गया। मन ही मन पिता को कोसते हुए उसने कागज खोल कर देखा उसमे सोने के कवर में रामायण दिखी ये देखकर अपने पिता पर बहुत गुस्सा आया..
लेकिन उसने अपने गुस्से को संयमित कर एक चिठ्ठी अपने पिता के नाम लिखी की पिता जी आपने मेरी कार गिफ्ट न देकर ये रामायण दी शायद इसके पीछे आपका कोई अच्छा राज छिपा होगा.. लेकिन मै यह घर छोड़ कर जा रहा हु और तब तक वापस नही आऊंगा जब तक मै बहुत पैसा ना कमा लू।और चिठ्ठी रामायण के साथ पिता के कमरे में रख कर घर छोड कर चला गया।
समय बीतता गया..
पुत्र होशियार था होन हार था जल्दी ही बहुत धनवान बन गया. शादी की और शान से अपना जीवन जीने लगा कभी कभी उसे अपने पिता की याद आ जाती तो उसकी चाहत पर पिता से गिफ्ट ना पाने की खीज हावी हो जाती, वो सोचता माँ के जाने के बाद मेरे सिवा उनका कौन था इतना पैसा रहने के बाद भी मेरी छोटी सी इच्छा भी पूरी नहीं की.
यह सोचकर वो पिता से मिलने से कतराता था।
एक दिन उसे अपने पिता की बहुत याद आने लगी.
उसने सोचा क्या छोटी सी बात को लेकर अपने पिता से नाराज हुआ अच्छा नहीं हुआ.
ये सोचकर उसने पिता को फोन लगाया बहुत दिनों बाद पिता से बात कर रहा हूँ .
ये सोच धड़कते दिल से रिसीवर थामे खड़ा रहा.
तभी सामने से पिता के नौकर ने फ़ोन उठाया और उसे बताया की मालिक तो दस दिन पहले स्वर्ग सिधार गए और अंत तक तुम्हे याद करते रहे और रोते हुए चल बसे.
जाते जाते कह गए की मेरे बेटे का फोन आया तो उसे कहना की आकर अपना व्यवसाय सम्भाल ले.
तुम्हारा कोई पता नही होनेे से तुम्हे सूचना नहीं दे पाये।
यह जानकर पुत्र को गहरा दुःख हुआ और दुखी मन से अपने पिता के घर रवाना हुआ.
https://chat.whatsapp.com/BEEbPd5cBCq25QeDUuOxMh
घर पहुच कर पिता के कमरे जाकर उनकी तस्वीर के सामने रोते हुए रुंधे गले से उसने पिता का दिया हुआ गिफ्ट रामायण को उठाकर माथे पर लगाया और उसे खोलकर देखा.
पहले पन्ने पर पिता द्वारा लिखे वाक्य पढ़ा जिसमे लिखा था "मेरे प्यारे पुत्र, तुम दिन दुनी रात चौगुनी तरक्की करो और साथ ही साथ मै तुम्हे कुछ अच्छे संस्कार दे पाऊं.. ये सोचकर ये रामायण दे रहा हूँ ",
पढ़ते वक्त उस रामायण से एक लिफाफा सरक कर नीचे गिरा जिसमे उसी गाड़ी की चाबी और नगद भुगतान वाला बिल रखा हुआ था।
ये देखकर उस पुत्र को बहुत दुख हुआ और धड़ाम से जमींन पर गिर रोने लगा।
हम हमारा मनचाहा उपहार हमारी पैकिंग में ना पाकर उसे अनजाने में खो देते है।
पिता तो ठीक है.
ईश्वर भी हमें अपार उपहार देते हैं, लेकिन हम अज्ञानी हमारे मन पसन्द पैकिंग में ना देखकर, पा कर भी खो देते है।
*हमें अपने माता पिता के प्रेम से दिये ऐसे अनगिनत उपहारों का प्रेम का सम्मान करना चाहिए और उनका धन्यवाद करना चाहिये।। *
हे नाथ!हे मेरे नाथ!!आप बहुत ही कृपालुं हैं!!!
155 viewsRajendra Maheshwari, 23:17
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