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स्वयं निर्माण योजना

टेलीग्राम चैनल का लोगो yny24 — स्वयं निर्माण योजना
टेलीग्राम चैनल का लोगो yny24 — स्वयं निर्माण योजना
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नवीनतम संदेश 10

2022-06-12 04:17:54 *छोड़ दीजिए*
एक दो बार समझाने से यदि कोई नही समझ रहा है तो उस्को समझाना,

*छोड़ दीजिए*
बच्चे बड़े होने पर वो ख़ुद के निर्णय लेने लगे तो उनके पीछे लगना,

*छोड़ दीजिए।*
गिने चुने लोगों से अपने विचार मिलते हैं, यदि एक दो से नहीं जुड़ते तो उन्हें,

*छोड़ दीजिए।*
एक उम्र के बाद कोई आपको न पूछे या कोई पीठ पीछे आपके बारे में गलत कह रहा है तो दिल पर लेना,

*छोड़ दीजिए।*
अपने हाथ कुछ नहीं, ये अनुभव आने पर भविष्य की चिंता करना,

*छोड़ दीजिए।*
यदि इच्छा और क्षमता में बहुत फर्क पड़ रहा है तो खुद से अपेक्षा करना,

*छोड़ दीजिए।*
हर किसी का पद, कद, मद, सब अलग है इसलिए तुलना करना,

*छोड़ दीजिए।*
बढ़ती उम्र में जीवन का आनंद लीजिए, रोज जमा खर्च की चिंता करना,

*छोड़ दीजिए।*
उम्मीदें होंगी तो सदमे भी बहुत होंगे, यदि सुकून से रहना है तो उम्मीदें करना,
https://chat.whatsapp.com/GYULmQcRNqa4n6jy9AF6hb
* छोड दीजिए। *
मित्र अगर आपकी या आपके साथी की चुगली करें या दुर्व्यवहार करें, तो ऐसे मित्र के पीछे न लगे, उन्हें

*छोड़ दीजिए*
269 viewsRajendra Maheshwari, 01:17
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2022-06-12 04:17:32 *संतोषी सर्वदा सुखी...*
~ ऋषि चिंतन
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230 viewsRajendra Maheshwari, edited  01:17
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2022-06-11 17:03:23 कुछ भी ध्यान बन सकता है

"अचानक रुकना "

स्टाॅप मेडिटेशन -

तुम कहीं भी इसका प्रयोग कर सकते हो। तुम स्नान कर रहे हो; अचानक अपने को कहो: स्टॉप! अगर एक क्षण के लिए भी यह एकाएक रुकना घटित हो जाए तो तुम अपने भीतर कुछ भिन्न बात घटित होते पाओगे। तब तुम अपने केंद्र पर फेंक दिए जाओगे। और तब सब कुछ ठहर जाएगा। तुम्हारा शरीर तो पूरी तरह रुकेगा ही, तुम्हारा मन भी गति करना बंद कर देगा।

जब स्टॉप कहो तो उस समय श्वास भी मत लो। सब कुछ रुक जाना चाहिए--श्वास भी, शरीर की गति भी। एक क्षण के लिए भी इस रुकने में स्थित हो जाओ तो तुम पाओगे कि राकेट की गति से अपने केंद्र में अचानक प्रवेश कर गए हो। इसकी एक झलक भी चमत्कारी है, क्रांतिकारी है। यह झलक तुम्हें बदल देगी। फिर धीरे-धीरे इस केंद्र की और भी झलकें तुम्हें मिलेंगी। इसलिए निष्क्रियता का अभ्यास नहीं करना है। विधि का उपयोग आकस्मिकता में है, अनपेक्षित होने में है।

उदाहरण के लिए, तुम पानी पीने जा रहे हो। तुमने गिलास को हाथ में लिया है--वहीं एकाएक रुक जाओ। हाथ वहीं है, पीने की इच्छा भी वहीं है, प्यास भी वहीं है--लेकिन तुम बिलकुल रुक जाओ। गिलास बाहर है, प्यास भीतर है; हाथों में गिलास है; गिलास पर आंखें हैं; अचानक ठहर जाओ। न श्वास, न गति--मानो तुम मर गए। तब वही वृत्ति, वही प्यास ऊर्जा को मुक्त कर देगी, और वह मुक्त ऊर्जा तुम्हें तुम्हारे केंद्र पर पहुंचा देगी। क्यों? क्योंकि वृत्ति सदा बाहर जाती है। स्मरण रहे, वृत्ति का मतलब ही है बाहर जाती हुई ऊर्जा। एक और बात खयाल में रख लो कि ऊर्जा सदा गतिमान रहती है। या तो वह बाहर जाती है या भीतर आती है; ऊर्जा कभी ठहराव में नहीं होती है।

तीन बातें स्मरण रखो। एक, प्रयोग तभी करो जब वृत्ति वास्तविक हो। दो, रुकने के संबंध में विचार मत करो, बस रुक जाओ। तीन, प्रतीक्षा करो। जब तुम ठहर गए तो श्वास न चले, कोई गति न हो--बस प्रतीक्षा करो कि क्या होता है। https://chat.whatsapp.com/I8HmoKsjK7BIJkIgiBJAbV
जब मैं कहता हूं कि ठहर जाओ तो उसका मतलब है पूरी तरह, समग्ररूपेण ठहर जाओ। कुछ भी गति न हो--मानो कि सारा जगत ठहर गया है; कोई गति नहीं है; केवल तुम हो। उस केवल अस्तित्व में अचानक केंद्र का विस्फोट होता है।
ओशो
ध्यान योग
289 viewsRajendra Maheshwari, 14:03
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2022-06-11 04:16:29 *ईर्ष्या की आग में मत जलिए*
~ ऋषि चिंतन
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323 viewsRajendra Maheshwari, edited  01:16
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2022-06-11 04:14:08 *खुशवंत सिंह* के लिखे ज़िंदगी के दस सूत्र ।
इन दसों सूत्रों को पढ़ने के बाद पता चला कि सचमुच खुशहाल ज़िंदगी और शानदार मौत के लिए ये सूत्र बहुत ज़रूरी हैं।

1. *अच्छा स्वास्थ्य* - अगर आप पूरी तरह स्वस्थ नहीं हैं, तो आप कभी खुश नहीं रह सकते। बीमारी छोटी हो या बड़ी, ये आपकी खुशियां छीन लेती हैं।

2. *ठीक ठाक बैंक बैलेंस* - अच्छी ज़िंदगी जीने के लिए 55 साल तक काम करना चाहिए और बहुत अमीर होना ज़रूरी नहीं। पर इतना पैसा बैंक में हो कि आप आप जब चाहे बाहर खाना खा पाएं, सिनेमा देख पाएं, समंदर और पहाड़ घूमने जा पाएं, तो आप खुश रह सकते हैं। उधारी में जीना आदमी को खुद की निगाहों में गिरा देता है।

3. *अपना मकान* - मकान चाहे छोटा हो या बड़ा, वो आपका अपना होना चाहिए। अगर उसमें छोटा सा बगीचा हो तो आपकी ज़िंदगी बेहद खुशहाल हो सकती है।

4. *समझदार जीवन साथी* - जिनकी ज़िंदगी में समझदार जीवन साथी होते हैं, जो एक-दूसरे को ठीक से समझते हैं, उनकी ज़िंदगी बेहद खुशहाल होती है, वर्ना ज़िंदगी में सबकुछ धरा का धरा रह जाता है, सारी खुशियां काफूर हो जाती हैं। हर वक्त कुढ़ते रहने से बेहतर है अपना अलग रास्ता चुन लेना।

5. *दूसरों की उपलब्धियों से न जलना* - कोई आपसे आगे निकल जाए, किसी के पास आपसे ज़्यादा पैसा हो जाए, तो उससे जले नहीं। दूसरों से खुद की तुलना करने से आपकी खुशियां खत्म होने लगती हैं।

6. *गप से बचना* - लोगों को गपशप के ज़रिए अपने पर हावी मत होने दीजिए। जब तक आप उनसे छुटकारा पाएंगे, आप बहुत थक चुके होंगे और दूसरों की चुगली-निंदा से आपके दिमाग में कहीं न कहीं ज़हर भर चुका होगा।

7. *अच्छी आदत* - कोई न कोई ऐसी हॉबी विकसित करें, जिसे करने में आपको मज़ा आता हो, मसलन गार्डेनिंग, पढ़ना, लिखना। फालतू बातों में समय बर्बाद करना ज़िंदगी के साथ किया जाने वाला सबसे बड़ा अपराध है। कुछ न कुछ ऐसा करना चाहिए, जिससे आपको खुशी मिले और उसे आप अपनी आदत में शुमार करके नियमित रूप से करें।

8. *ध्यान* - रोज सुबह कम से कम दस मिनट ध्यान करना चाहिए। ये दस मिनट आपको अपने ऊपर खर्च करने चाहिए। इसी तरह शाम को भी कुछ वक्त अपने साथ गुजारें। इस तरह आप खुद को जान पाएंगे।

9. *क्रोध से बचना* - कभी अपना गुस्सा ज़ाहिर न करें। जब कभी आपको लगे कि आपका दोस्त आपके साथ तल्ख हो रहा है, तो आप उस वक्त उससे दूर हो जाएं, बजाय इसके कि वहीं उसका हिसाब-किताब करने पर आमदा हो जाएं।
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10. *अंतिम समय* - जब यमराज दस्तक दें, तो बिना किसी दुख, शोक या अफसोस के साथ उनके साथ निकल पड़ना चाहिए अंतिम यात्रा पर, खुशी-खुशी। शोक, मोह के बंधन से मुक्त हो कर जो यहां से निकलता है, उसी का जीवन सफल होता है।

*मुझे नहीं पता कि खुशवंत सिंह ने पीएचडी की थी या नहीं। पर इन्हें पढ़ने के बाद मुझे लगने लगा है कि ज़िंदगी के डॉक्टर भी होते हैं। ऐसे डॉक्टर ज़िंदगी बेहतर बनाने का फॉर्मूला देते हैं । ये ज़िंदगी के डॉक्टर की ओर से ज़िंदगी जीने के लिए दिए गए नुस्खे है।*
317 viewsRajendra Maheshwari, 01:14
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2022-06-10 17:36:16 *अतीत और भविष्य से मुक्ति...*
~ओशो
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310 viewsRajendra Maheshwari, edited  14:36
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2022-06-10 17:35:26 *सुबह उठते ही करें ये छोटा-सा काम, 103 बीमारियाँ रहेंगी आपसे दूर...*
~ राजीव दीक्षित
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296 viewsRajendra Maheshwari, edited  14:35
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2022-06-10 17:35:15 नींद लाने का सहज उपाय - भाग - 3

शांत बैठे हुए भाव करें कि आप असीम हैं, कि जहां तक जगत का विस्तार है वहां तक आप भी फैले हुए हैं।

अपने को विस्तृत अनुभव करें, उस विस्तार में सब समा लें - सूरज आपके भीतर उगता है, तारे आपके भीतर घूमते हैं, वृक्ष उगते हैं, संसार बनते हैं और और मिट जाते हैं। और चेतना की उस विस्तीर्ण स्थिति का गहरा आनंद लें। और वह आपका ध्यान बन जाएगा। तो जब भी आपके पास समय हो और आप कुछ और नहीं कर रहे हों, तो शांत बैठ जाएं और विस्तार को अनुभव करें।

सब सीमाएं गिरा दें। सीमाओं के बाहर छलांग लगा दें। शुरू में कुछ दिन यह पागलपन जैसा लगेगा, क्योंकि हम सीमाओं के बहुत आदी हो गये हैं। असल में कहीं कोई सीमाएं नहीं है। सब सीमाएं मन की ही सीमाएं हैं। क्योंकि हम विश्वास करते हैं कि सीमा है, इसलिए वह है।
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इस सागर जैसे विस्तार को जितनी बार अनुभव कर सकें, करें। और शीघ्र ही आप उसके साथ लयबद्ध हो जाएंगे। फिर तो बस जरा सा भाव और वह मौजूद है। हर रात जब आप सोने जाएं तो उस विस्तृत चेतना के साथ नींद में प्रवेश करें। ऐसे भाव के साथ सोएं जैसे कि चांद - तारे आपके भीतर घूम रहे हों, आपके भीतर संसार बन रहा हो, विलीन हो रहा हो। ब्रम्हांड के रूप में सोने जाएं। सुबह ज्यों ही आपको खयाल आए कि नींद जा चुकी है, फिर से उस विस्तार का स्मरण करें और ब्रम्हांड की तरह बिस्तर से उठें। और दिन में भी जितनी बार आप उसका स्मरण कर सकें, करें।
ओशो
यैस ओशो, मासिक, मई 2013
291 viewsRajendra Maheshwari, 14:35
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2022-06-10 03:14:18 संवारिए अपने परिवार को एक नई सोच के साथ
"अम्मा मैं सुषमा और डॉली के साथ मॉल जा रहा हूं तुम घर का ख्याल रखना

" ठीक है बेटा. तुम जाओ वैसे भी मेरे पैर में दर्द हो रहा है मैं मॉल में नही जाना चाहती तुम लोग जाओ

" दादी आपको भी मॉल चलना पड़ेगा" 10 साल की पोती डॉली बोली ...

" तुम्हारी दादी मॉल में सीढियां नही चढ़ सकती उन्हें escalator चढ़ना भी नही आता. और क्यूंकि वहां कोई मंदिर नही है इसलिए दादी का मॉल जाने में कोई interest नही है वो सिर्फ मंदिर जाने में interested रहती हैं" बहू सुषमा अपनी बेटी डॉली से बोली।

इस बात से दादी सहमत हो गई पर उनकी पोती डॉली जिद पर अड़ गई की वो भी मॉल नही जाएगी अगर दादी नही चली, यद्यपि दादी कह चुकी थीं कि वो मॉल जाने में interested नही है।

अंत मे 10 साल की पोती के सामने दादी की नही चली और वो भी साथ जाने को तैयार हो गई, जिस पर पोती डॉली बहुत खुश हो गई

पिता ने सबको तैयार हों जाने को कहा। इससे पहले की मम्मी पापा तैयार होते सबसे बुजुर्ग दादी और सबसे छोटी लड़की तैयार हो गए।

पोती दादी को बालकनी में ले गई और पोती ने एक फिट की दूरी से दो लकीर चाक से बना दी

पोती ने दादी से कहा कि ये एक गेम है और आपको एक पक्षी की acting करनी है

आपको एक पैर इन दो लाइन्स के बीच मे रखना है और दूसरा पैर 3 ऊंच ऊपर उठाना है

ये क्या है बेटी?, दादी ने पूछा, ये bird game है मैं आपको सिखाती हूं

जब तक पापा कार लाये तब तक दादी पोती ने काफी देर ये गेम खेला

वो मॉल पहुंचे और जैसे ही वो escalator के पास पहुंचे, मम्मी पापा परेशान हो गए कि दादी कैसे escalator में चलेंगी।

पर मम्मी पापा आश्चर्यचकित रह गए जब उन्होंने देखा कि दादी आराम से escalator में सीढ़ियां चढ़ रही थी और बल्कि पोती दादी escalator में बार बार ऊपर नीचे जाकर खूब मज़े ले रहे थे (दरअसल पोती ने दादी से कह दिया था कि यहां पर दादी को वोही Bird Game खेलना है दादी ने अपना दायां पैर उठाना है और एक चलती हुई सीढी पर रखना है और फिर बायां पैर 3 इंच उठाकर चलती हुई अगली सीढ़ी पर रखना है)

इस तरह दादी आसानी से escalator पर चढ़ पा रही थी और दादी पोती खूब बार escalator में ऊपर नीचे जाकर मज़े भी ले रही थीं

उसके बाद वो पिक्चर हॉल गए जहां अंदर ठंडा था तो पोती ने चेहरे पर एक शरारतपूर्ण मुस्कान के साथ अपने बैग से एक शाल निकालकर दादी को उढ़ा दिया की वो पहले से तैयारी के साथ आई थी

Movie के बाद सब रेस्टारेंट में खाना खाने गए. बेटे ने अपनी माँ (डॉली की दादी) से पूछा कि आपके लिए कौन सी डिश order करनी है

पर डॉली ने पापा के हाथ से menu झपटकर जबरन अपनी दादी के हाथ मे दे दिया कि आपको पढ़ना आता है आप ही पढ़ कर डिसाइड कीजिये कि क्या खाना ऑर्डर करना है दादी ने मुस्कुराते हुए आइटम की फाइनल किये की क्या ऑर्डर करना है

खाने के बाद दादी और पोती ने विडिओ गेम्स खेले जो घर मे वो पहले ही खेलते थे

घर के लिए निकलने के पहले दादी वॉशरूम गई तो उनकी अनुपस्थिति का फायदा उठा कर पापा ने बेटी से पूछ लिया कि तुम्हे दादी के बारे में इतना कैसे पता है जो बेटा होते हुए मुझे पता नही है?

तपाक से जवाब आया कि पापा जब आप छोटे से थे तो आपको घर मे नही छोड़ते थे और आपको घर से बाहर ले जाने के पहले आपकी मां कितनी तैयारी करती थीं? दूध की बोतलें, diapers, आपके कपड़े, खाने पीने का समान??

आप क्यों सोचते हैं कि आपकी मां को सिर्फ मंदिर जाने में रुचि है उनकी भी वोही साधारण इच्छाएं होती हैं कि मॉल में जाएं सबके साथ खूब मज़ा करे खाएं पियें, पर बुजुर्गों को लगता है कि वो साथ जाकर आपके मज़े को किरकिरा करेंगे, इसलिए वो खुद पीछे हट जाते हैं और अपने दिल की बात ज़ुबा पर नही ला पाते।
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पिता का मुंह खुला का खुला रह गया हालांकि वो खुश थे कि उनकी 10 साल की बिटिया ने उन्हें कितना नया और सुंदर पाठ पढ़ाया।
359 viewsRajendra Maheshwari, 00:14
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2022-06-10 03:14:13 *हम कितनी ही सेवा क्यों ना करें...*
~ ऋषि चिंतन
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317 viewsRajendra Maheshwari, edited  00:14
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