नींद लाने का सहज उपाय - भाग - 3 शांत बैठे हुए भाव करें कि आप | स्वयं निर्माण योजना
नींद लाने का सहज उपाय - भाग - 3
शांत बैठे हुए भाव करें कि आप असीम हैं, कि जहां तक जगत का विस्तार है वहां तक आप भी फैले हुए हैं।
अपने को विस्तृत अनुभव करें, उस विस्तार में सब समा लें - सूरज आपके भीतर उगता है, तारे आपके भीतर घूमते हैं, वृक्ष उगते हैं, संसार बनते हैं और और मिट जाते हैं। और चेतना की उस विस्तीर्ण स्थिति का गहरा आनंद लें। और वह आपका ध्यान बन जाएगा। तो जब भी आपके पास समय हो और आप कुछ और नहीं कर रहे हों, तो शांत बैठ जाएं और विस्तार को अनुभव करें।
सब सीमाएं गिरा दें। सीमाओं के बाहर छलांग लगा दें। शुरू में कुछ दिन यह पागलपन जैसा लगेगा, क्योंकि हम सीमाओं के बहुत आदी हो गये हैं। असल में कहीं कोई सीमाएं नहीं है। सब सीमाएं मन की ही सीमाएं हैं। क्योंकि हम विश्वास करते हैं कि सीमा है, इसलिए वह है।
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इस सागर जैसे विस्तार को जितनी बार अनुभव कर सकें, करें। और शीघ्र ही आप उसके साथ लयबद्ध हो जाएंगे। फिर तो बस जरा सा भाव और वह मौजूद है। हर रात जब आप सोने जाएं तो उस विस्तृत चेतना के साथ नींद में प्रवेश करें। ऐसे भाव के साथ सोएं जैसे कि चांद - तारे आपके भीतर घूम रहे हों, आपके भीतर संसार बन रहा हो, विलीन हो रहा हो। ब्रम्हांड के रूप में सोने जाएं। सुबह ज्यों ही आपको खयाल आए कि नींद जा चुकी है, फिर से उस विस्तार का स्मरण करें और ब्रम्हांड की तरह बिस्तर से उठें। और दिन में भी जितनी बार आप उसका स्मरण कर सकें, करें।
ओशो
यैस ओशो, मासिक, मई 2013