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स्वयं निर्माण योजना

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2022-08-31 18:38:51 #बुद्ध के जीवन में उल्लेख है। शायद काल्पनिक ही कथा होगी, लेकिन बहुत मधुर है। बुद्ध का निर्वाण हुआ, वे मोक्ष के द्वार पर पहुंच गए, द्वारपाल ने द्वार खोल दिए, लेकिन बुद्ध पीठ करके द्वार की तरफ खड़े हो गए। द्वारपाल ने पूछा, आप पीठ करते हैं मोक्ष की तरफ?

बुद्ध ने कहा, मेरे पीछे बहुत लोग हैं, जब तक वे भी मोक्ष में प्रविष्ट नहीं हो जाते, तब तक मैं अकेला मोक्ष में प्रविष्ट हो जाऊं? इतना कठोर, इतना क्रूर, इतना हिंसक मैं नहीं हूं। मैं रुकूंगा, प्रतीक्षा करूंगा, बहुत लोग हैं। मेरा शांत मन तो यही कहता है कि मैं अंतिम आदमी ही होऊंगा मोक्ष में प्रवेश करने वाला, पहले सारे लोग प्रविष्ट हो जाएं।

बड़ी मीठी कथा है। वह कथा कहती है, बुद्ध अब भी मोक्ष के द्वार पर ही रुके हैं, ताकि सारे लोग मोक्ष में प्रविष्ट हो जाएं। वे अंतिम ही प्रविष्ट होना चाहते हैं।

जिस हृदय में ऐसा भाव उठा हो, उसे मोक्ष उपलब्ध ही हो गया, उसे किसी मोक्ष में प्रविष्ट होने की कोई जरूरत नहीं है। उसके लिए सब मोक्ष फीके हो गए, वह मोक्ष में पहुंच ही गया, जिसके हृदय में ऐसा करुणा का भाव उठा हो। शांत केवल वे ही हो पाते हैं, जिनके जीवन में चारों तरफ शांति पहुंचाने की प्रबल प्रेरणा काम करने लगती है।

यह भी मेरे खयाल में आता है कि जो मित्र इस दिशा में उत्सुक हुए हैं वे केवल अपने में ही उत्सुक न हों, और सबमें भी उत्सुक हो जाएं। उनकी यह उत्सुकता दूसरों के लिए हितकर होगी ही; न भी हुई तो भी उनके स्वयं के लिए बहुत अर्थपूर्ण होगी, बहुत-बहुत गहरे शांति में और आनंद में उन्हें प्रविष्ट करने में सहयोगी होगी। क्योंकि अशांति का एक कारण है: स्वयं में केंद्रित हो जाना। और जो इस केंद्र को बिखेर देता है वह शांत होने की दिशा में गतिशील हो जाता है।
ओशो; अनन्त की पुकार

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75 viewsRajendra Maheshwari, 15:38
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2022-08-30 11:08:52 खुश रहने के लिए क्या करें आइए जानते हैं...

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236 viewsRajendra Maheshwari, 08:08
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2022-08-30 02:30:32 एक दिन (संध्या के समय) सरयू के तट पर.....तीनों भाइयों संग टहलते श्री राम से भरत भैया ने कहा , "एक बात पूछूँ" ? भईया !!

माता कैकेई ने आपको वनवास दिलाने के लिए मँथरा के साथ मिल कर जो 'षड्यंत्र' किया था , क्या वह राजद्रोह नहीं था ?

उनके 'षड्यंत्र' के कारण....एक ओर राज्य के भावी महाराज और महारानी को (14) चौदह वर्ष का वनवास झेलना पड़ा....तो दूसरी ओर पिता महाराज की दु:खद मृत्यु हुई ।

ऐसे 'षड्यंत्र' के लिए सामान्य नियमों के अनुसार तो मृत्युदण्ड दिया जाता है , फिर आपने माता कैकेई को दण्ड क्यों नहीं दिया ?

राम मुस्कुराए…....बोले, "जानते हो भरत !! किसी कुल में एक चरित्रवान और धर्मपरायण पुत्र जन्म ले ले , तो उसका जीवन उसके असँख्य पीढ़ी के पितरों के अपराधों का प्रायश्चित कर देता है । जिस "माँ"ने तुम जैसे - महात्मा को जन्म दिया हो , उसे दण्ड कैसे दिया जा सकता है ...भरत ।"

भरत सन्तुष्ट नहीं हुए और कहा ,

"यह तो मोह है भईया ; और "राजा का दण्डविधान" मोह से मुक्त होता है । कृपया एक राजा की तरह उत्तर दीजिये कि आपने माता को दण्ड क्यों नहीं दिया ?

.......समझिए कि आपसे यह प्रश्न आपका अनुज नहीं , अयोध्या का एक सामान्य नागरिक कर रहा है ।

राम गम्भीर हो गए......कुछ क्षण के मौन के बाद कहा ,

"अपने सगे-सम्बन्धियों के किसी अपराध पर कोई दण्ड न देना ही इस सृष्टि का 'कठोरतम दण्ड' है भरत ।”

माता कैकेई ने अपनी एक भूल का बड़ा ही - कठोर दण्ड भोगा है । वनवास के (14) चौदह वर्षों में हम - चारों भाई अपने - अपने स्थान से परिस्थितियों से लड़ते रहे हैं ;पर माता कैकेई हर क्षण मृत्यु दंड भोगती रही हैं।

अपनी एक भूल के कारण उन्होंने अपना पति खोया , अपने चार - बेटे खोए , अपना समस्त सुख - सम्मान खोया, फिर भी वे उस "अपराध - बोध" से कभी मुक्त न हो सकीं ।

वनवास समाप्त हो गया....... तो परिवार के शेष - सदस्य प्रसन्न और सुखी हो गए ; पर वे कभी प्रसन्न न हो सकीं । कोई 'राजा' किसी "स्त्री" को इससे कठोर - दण्ड क्या दे सकता है ?

मैं तो सदैव यह सोचकर दुखी हो जाता हूँ कि "मेरे कारण अनायास ही मेरी माँ को इतना कठोर - दण्ड भोगना पड़ा ।"

राम के नेत्रों में जल उतर आया था , और भरत - आदि भाई मौन हो गए थे ।

राम ने फिर कहा.."और उनकी भूल को अपराध समझना ही क्यों भरत !!

यदि मेरा वनवास न हुआ होता, तो संसार 'भरत' और 'लक्ष्मण' जैसे भाइयों के अतुल्य भ्रातृ - प्रेम को कैसे देख पाता?

मैंने तो केवल अपने माता-पिता की आज्ञा का पालन मात्र किया था , पर तुम - दोनों ने तो मेरे - स्नेह में (14) चौदह वर्ष का "वनवास" भोगा । "वनवास" न होता तो यह संसार सीखता कैसे कि *भाइयों का सम्बन्ध होता कैसा है?" भरत के प्रश्न मौन हो गए थे । वे अनायास ही बड़े भाई से लिपट गए!!

राम कोई नारा नहीं हैं ।

राम एक आचरण हैं ,

एक चरित्र हैं ,

एक जीवन "जीने की शैली" हैं ।

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272 viewsRajendra Maheshwari, 23:30
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2022-08-30 02:30:31 *आत्मसुधार का सरल पथ सेवा...*
~ ऋषि चिंतन
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232 viewsRajendra Maheshwari, edited  23:30
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2022-08-29 18:42:32 गुजरात का एक ऐसा रेस्टोरेंट जहां आप के पहुंचने से पहले आपके बिल का भुगतान हो चुका होता है...

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271 viewsRajendra Maheshwari, 15:42
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2022-08-29 12:37:47 *डिप्रेशन और हाई बीपी रुद्राक्ष का पानी पीकर करें ठीक...*
~ नित्यानंदम श्री
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299 viewsRajendra Maheshwari, edited  09:37
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2022-08-29 12:36:36 सर्वाइकल गर्दन का दर्द अनुभूत एक्यूप्रेशर पॉइंट...

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276 viewsRajendra Maheshwari, 09:36
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2022-08-29 02:23:15 *उत्कृष्ठ जीवन की आवश्यकता...*
~ ऋषि चिंतन
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306 viewsRajendra Maheshwari, edited  23:23
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2022-08-29 02:22:21 * आज की कहानी *

* पुराना कुआं *

दो छोटे लड़के घर से कुछ दूर खेल रहे थे। खेलने में वे इतने मस्त थे कि उन्हें पता ही नहीं चला कि वे भागते-भागते कब एक सुनसान जगह पहुँच गए। उस जगह एक पुराना कुआं था , और उनमे से एक लड़का गलती से उस कुवें में जा गिरा।

“बचाओ-बचाओ”, वो चीखने लगा।

दूसरा लड़का एकदम से डर गया और मदद के लिए चिल्लाने लगा , पर उस सुनसान जगह कहाँ कोई मदद को आने वाला था। फिर लड़के ने देखा कि कुंएं के करीब ही एक पुरानी बाल्टी और रस्सी पड़ी हुई है , उसने तेजी दिखाते हुए तुरंत रस्सी का एक सिरा वहां गड़े एक पत्थर से बाँधा और दूसरा सिरा नीचे कुएं में फेंक दिया। कुएं में गिरे लड़के ने रस्सी पकड़ ली, अब वह अपनी पूरी ताकत से उसे बाहर खींचे लगा, अथक प्रयास के बाद वे उसे ऊपर तक खींच लाया और उसकी जान बचा ली।

जब गांव में जाकर उन्होने यह बात बताई तो किसी ने भी उन पर यकीन नही किया। एक आदमी बोला-तुम एक बाल्टी पानी तो निकाल नही सकते, इस बच्चे को कैैसे बाहर खींच सकते हो; तुम झूठ बोल रहे हो। तभी एक बुजुर्ग बोला-यह सही कह रहा हैं क्योंकि वहां पर इसके पास कोई दूसरा रास्ता नही था , और वहां इसे कोई यह कहने वाला नही था कि ‘तुम ऐसा नही कर सकते हो’।

* शिक्षा *

दोस्तों , जिंदगी में अगर सफलता चाहते हो तो उन लोगो की बात मानना छोड दो जो यह कहते हैं कि तुम इसे नही कर सकते। दुनिया में अधिकतर लोग इसलिए सफल नही हो पाते क्योंकि वे ऐसे लोगो की बातों में आ जाते हैं जो ना तो खुद कामयाब होते हैं और ना इस बात में यकीन करते हैं कि दूसरे कामयाब हो सकते हैं । इसलिए अपने दिल की सुनें ,आप सब कुछ कर सकते हैं जो आप करना चाहते हैं, आपको भगवान ने विशिष्ट शक्तियों के साथ पैदा किया हैं, अतः स्वयं पर संशय करना छोड़ें और सफलता की और बढ़ चले

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309 viewsRajendra Maheshwari, 23:22
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2022-08-28 18:09:29 प्रेम से कोई भोजन बनाएं...

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291 viewsRajendra Maheshwari, 15:09
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