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स्वयं निर्माण योजना

टेलीग्राम चैनल का लोगो yny24 — स्वयं निर्माण योजना
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नवीनतम संदेश 8

2022-06-15 11:12:47 अशोक जी अपनी पत्नी के साथ अपनी रिटायर्ड जिंदगी बहुत हँसी खुशी गुजा़र रहे थे।

उनके तीनों बेटे अलग अलग शहरों में अपने अपने परिवारों के साथ उनसे अलग रहते थे।

लेकिन अशोक जी नें नियम बना रखा था....
#दीपावली पर तीनों बेटे सपरिवार उनके पास आते थे.
वो एक सप्ताह कैसे मस्ती में बीत जाता था...
किसी को कुछ पता ही नही चलता था।

कैसे क्या हुआ...
उनकी #खुशियों को जैसे #नज़र ही लग गई।
अचानक शीला जी को #दिल का दौरा पड़ा ...
एक झटके में उनकी सारी #खुशियाँ बिखर गईं।

तीनों बेटे दुखद समाचार पाकर दौड़े आए।
उनके सब क्रिया कर्म के बाद सब शाम को एकत्रित हो गए।

बड़ी बहू ने बात उठाई,"बाबूजी, अब आप यहाँ अकेले कैसे रह पाऐंगे , आप हमारे साथ चलिऐ।"

"नही बहू, अभी यही रहने दो।
यहाँ अपनापन लगता है। बच्चों की गृहस्थी में...।"
कहते कहते वो चुप से हो गए।

बड़ा बेटा कुछ बोलने को हुआ ,
पर उन्होंने हाथ के इशारे से उसे चुप कर दिया।

"बच्चों, अब तुम लोगों की माँ हम सबको छोड़ कर
हमेशा के लिए जा चुकी हैं। उनकी कुछ चीजें हैं ,
वो तुम लोग आपस में बांट लो।
हमसे अब उनकी साजसम्हाल नही हो पाएगी।"

ये कहते हुए अशोक जी अलमारी से कुछ निकाल कर लाए।

मखमल के थैले में बहुत सुंदर चाँदी का #श्रंगारदान था। एक बहुत सुंदर सोने के पट्टे वाली पुरानी हाथ की घड़ी थी...।

सब के सब एक साथ इतनी खूबसूरत चीजों पर लपक से पड़े।

छोटा बेटा जोश में बोला,"अरे ये घड़ी तो अम्मा सरिता को देना चाहती थी।"

अशोक जी धीरे से बोले," और सब तो मैं तुम लोगों को बराबर से दे ही चुका हूँ। इन दो चीजों से उन्हें बहुत लगाव था। बेहद चाव से कभी कभी निकाल कर देखती थीं लेकिन अब कैसे उनकी दो चीजों को तुम तीनों में बांटू ?"

सब एक दूसरे का मुँह देखने लगे।

तभी मंझला बेटा बड़े संकोच से बोला,"ये श्रंगारदान वो अक़्सर मीरा को देने की बात करती थी।"

पर समस्या तो बनी ही थी।
अब अशोक जी अपने मन में सोच रहे थे...
बड़ी बहू को क्या दूँ ??

उनके मन के भाव को शायद बड़ी बहू ने पढ़ लिए,
" बाबू जी, आप शायद मेरे विषय में सोच रहे हैं।
आप श्रंगारदान मीरा को और हाथ वाली घड़ी सरिता को दे दीजिए... अम्मा भी तो यही चाहती थी।"

"पर नन्दिनी, तुझे क्या दूँ...
समझ में नही आ रहा ?? "अशोक जी बोल पड़े ।

"आपके पास एक और अनमोल चीज़ है
और वो अम्मा जी हमेशा से मुझे ही देना चाहती थीं।"

सबके मुँह हैरानी से खुले के खुले रह गए।
https://chat.whatsapp.com/BEEbPd5cBCq25QeDUuOxMh
दोनों बहुऐं तो बहुत हैरान परेशान हो गईं...
अब कौन सा बेशकीमती पिटारा खुलेगा ??

सब की हैरानी और परेशानी को भाँप कर बड़ी बहू मुस्कुराते हुए बोली," वो सबसे अनमोल तो आप स्वयं हैं बाबूजी.पिछली बार अम्माजी ने मुझसे कह दिया था,
" मेरे बाद बाबूजी की देखरेख तेरे जिम्मे ।
बस अब आप उनकी इच्छा का पालन करें और
हमारे साथ चलें इसी वक़्त वो भी बिना देर किए ।

ये सुनकर अशोक जी की आँखें नम हो गई
और वहाँ मौजूद कुछ की आँखें नीची........!!
121 viewsRajendra Maheshwari, 08:12
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2022-06-15 11:12:10 *आज से ही थूकना बंद नहीं तो पछताओगे...*
~स्वर्गीय श्री राजीव दिक्षित
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110 viewsRajendra Maheshwari, edited  08:12
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2022-06-15 03:32:56 Purushottam Bidada

दिल को छू देने वाला एक किस्सा#
" टिकट कहाँ है ? " -- टी सी ने बर्थ के नीचे छिपी लगभग तेरह - चौदह साल की लडकी से पूछा ।"
नहीं है साहब।
"काँपती हुई हाथ जोड़े लडकी बोली।
"तो गाड़ी से उतरो।" टी सी ने कहा ।
इसका टिकट मैं दे रहीं हूँ ।............पीछे से ऊषा भट्टाचार्य की आवाज आई जो पेशे से प्रोफेसर थी ।
"तुम्हें कहाँ जाना है ?" लड़की से पूछा" पता नहीं मैम ! "" तब मेरे साथ चल बैंगलोर तक ! "" तुम्हारा नाम क्या है ? "" चित्रा ! "बैंगलोर पहुँच कर ऊषाजी ने चित्रा को अपनी एक पहचान के स्वंयसेवी संस्थान को सौंप दिया । और अच्छे स्कूल में एडमीशन करवा दिया। जल्द ही ऊषा जी का ट्रांसफर दिल्ली होने की वजह से चित्रा से कभी-कभार फोन पर बात हो जाया करती थी ।करीब बीस साल बाद ऊषाजी को एक लेक्चर के लिए सेन फ्रांसिस्को (अमरीका) बुलाया गया । लेक्चर के बाद जब वह होटल का बिल देने रिसेप्सन पर गई तो पता चला पीछे खड़े एक खूबसूरत दंपत्ति ने बिल भर दिया था ।"तुमने मेरा बिल क्यों भरा ? ? ""
#मैम, यह बम्बई से बैंगलोर तक के रेल टिकट के सामने कुछ नहीं है ।
""अरे चित्रा ! ! ? ? ? . . . .*
*( चित्रा कोई और नहीं इंफोसिस फाउंडेशन की चेयरमैन सुधा मुर्ति थी, एवं इंफोसिस के संस्थापक श्री नारायण मूर्ति जी की पत्नी थी।)*
यह उन्ही की लिखी पुस्तक "द डे आई स्टाॅप्ड ड्रिंकिंग " से लिया गया कुछ अंश )
https://chat.whatsapp.com/HEmzkYubV5NIZip6r1sj5g
देखा आपने!............कभी आपके द्वारा भी की गई *सहायता* किसी की जिन्दगी बदल सकती है। आप सदा *प्रसन्न* रहें, *निरोग* रहें परमपिता परमेश्वर, हमें जरूरतमन्द की *सहायता करने की समर्थता* प्रदान करें ।।
194 viewsRajendra Maheshwari, 00:32
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2022-06-15 03:32:54 *प्रगति के पथ पर बढ़ते ही जाइये...*
~ ऋषि चिंतन
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174 viewsRajendra Maheshwari, edited  00:32
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2022-06-14 18:20:17
विश्व रक्तदाता दिवस पर सभी रक्त दाताओं को हार्दिक बधाइयां और शुभकामनाएं रक्तदान दिखने में एक बहुत छोटा सा कार्य है लेकिन रक्तदान जैसा महान कार्य और कोई नहीं सीधे-सीधे जीवन दान का कार्य रक्त दाताओं द्वारा किया जाता है आप सदैव प्रसन्न स्वस्थ और खुश रहो यही मंगलकामनाएं...
239 viewsRajendra Maheshwari, 15:20
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2022-06-14 18:16:50 *चाय और कॉफी जहर भी है और अमृत भी:जानिए कैसे...*
~स्वर्गीय श्री राजीव दिक्षित
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227 viewsRajendra Maheshwari, edited  15:16
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2022-06-14 18:16:33 *बड़ा लक्ष्य छोटे कदमों के साथ कैसे पाएं...*
~ओशो
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211 viewsRajendra Maheshwari, edited  15:16
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2022-06-14 18:16:22 नींद लाने का सहज उपाय - भाग - 4

"प्रतिक्रमण"

जागते हुए नींद में प्रवेश करवाने वाली विधि।

रात में जब तुम सोने लगो, गहरी नींद में उतरने लगो तो पूरे दिन के अपने जीवन को याद करो। इस याद की दिशा उलटी होगी, यानी उसे सुबह से न शुरू कर वहां से शुरू करो जहां तुम हो। अभी तुम बिस्तर में पड़े हो तो बिस्तर में लेटने से शुरू कर पीछे लोटों। और इस प्रकार कदम-कदम पीछे चलकर सुबह की उस पहली घटना पर पहु्ंचो जब तुम नींद से जागे थे अतीत स्मरण के इस क्रम में सतत याद रखो कि पूरी घटना से तुम पृथक हो, अछूते हो।

उदाहरण के लिए, पिछले पहर तुम्हारा किसी ने अपमान किया था; तुम अपने रूप को अपमानित होते देखो, लेकिन द्रष्टा बने रहो। तुम्हें उस घटना में फिर नहीं उलझना है, फिर क्रोध नहीं करना है। अगर तुमने क्रोध किया तो तादात्म्य पैदा हो गया। तब ध्यान का बिंदु तुम्हारे हाथ से छूट गया।इसलिए क्रोध मत करो। वह अभी तुम्हें अपमानित नहीं कर रहा है। वह तुम्हारे पिछले पहर के रूप को अपमानित कर रहा है। वह रूप अब नहीं है। तुम तो एक बहती नदी की तरह हो जिसमें तुम्हारे रूप भी बह रहे है। बचपन में तुम्हारा एक रूप था, अब वह नहीं रहा। वह जा चुका। नदी की भांति तुम निरंतर बदलते जा रहे हो।रात में ध्यान करते हुए जब दिन की घटनाओं को उलटे क्रम में, प्रतिक्रम में याद करो तो ध्यान रहे कि तुम साक्षी हो, कर्ता नहीं। क्रोध मत करो। वैसे ही जब तुम्हारी कोई प्रशंसा करे तो आह्लादित मत होओ। फिल्म की तरह उसे भी उदासीन होकर देखो।प्रतिक्रमण बहुत उपयोगी है, खासकर उनके लिए जिन्हें अनिद्रा की तकलीफ हो। अगर तुम्हें ठीक से नींद नहीं आती है। अनिद्रा का रोग है।
https://chat.whatsapp.com/GGa25DLriYVLuORWwkhv6N
तो यह प्रयोग तुम्हें बहुत सहयोगी होगा। क्यों? क्योंकि यह मन को खोलने का, निर्ग्रंथ करने का उपाय है।"
ओशो
तंत्र -सूत्र
216 viewsRajendra Maheshwari, 15:16
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2022-06-14 07:11:02 Audio from Rajendra Maheshwari
128 viewsRajendra Maheshwari, 04:11
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2022-06-14 07:10:26 .. बहुत कुछ पाना है तो थोडा़ कुछ देना भी है....

एक बार एक व्यक्ति रेगिस्तान में कहीं भटक गया..

उसके पास खाने-पीने की जो थोड़ी बहुत चीजें थीं, वो जल्द ही ख़त्म हो गयीं थीं..

पिछले दो दिनों से वह पानी की एक-एक बूंद के लिए तरस रहा था..

वह मन ही मन जान चुका था कि अगले कुछ घण्टों में अगर उसे कहीं से पानी नहीं मिला तो उसकी मौत निश्चित है..

पर कहीं न कहीं उसे ईश्वर पर यकीन था कि कुछ चमत्कार होगा और उसे पानी मिल जाएगा..

तभी उसे एक झोँपड़ी दिखाई दी..

उसे अपनी आँखों पर यकीन नहीं हुआ..

पहले भी वह मृगतृष्णा और भ्रम के कारण धोखा खा चुका था..

पर बेचारे के पास यकीन करने के अलावा कोई चारा भी तो न था..

आखिर यह उसकी आखिरी उम्मीद जो थी..

वह अपनी बची खुची ताकत से झोँपडी की तरफ चलने लगा..

जैसे-जैसे वह करीब पहुँचता, उसकी उम्मीद बढती जाती और इस बार भाग्य भी उसके साथ था..

सचमुच वहाँ एक झोँपड़ी थी..

पर यह क्य..?

झोँपडी तो वीरान पड़ी थी..

मानो सालों से कोई वहाँ भटका न हो..

फिर भी पानी की उम्मीद में वह व्यक्ति झोँपड़ी के अन्दर घुसा..

अन्दर का नजारा देख उसे अपनी आँखों पर यकीन नहीं हुआ..

वहाँ एक हैण्ड पम्प लगा था..

वह व्यक्ति एक नयी उर्जा से भर गया..

पानी की एक-एक बूंद के लिए तरसता वह तेजी से हैण्ड पम्प को चलाने लगा..

लेकिन हैण्ड पम्प तो कब का सूख चुका था..

वह व्यक्ति निराश हो गया, उसे लगा कि अब उसे मरने से कोई नहीं बचा सकता..

वह निढाल होकर वहीं गिर पड़ा..

तभी उसे झोँपड़ी की छत से बंधी पानी से भरी एक बोतल दिखाई दी..

वह किसी तरह उसकी तरफ लपका और उसे खोलकर पीने ही वाला था कि...

तभी उसे बोतल से चिपका एक कागज़ दिखा उस पर लिखा था -

"इस पानी का प्रयोग हैण्ड पम्प चलाने के लिए करो और वापिस बोतल भरकर रखना ना भूलना ?"

यह एक अजीब सी स्थिति थी..

उस व्यक्ति को समझ नहीं आ रहा था कि वह पानी पीये या उसे हैण्ड पम्प में डालकर चालू करे..

उसके मन में तमाम सवाल उठने लगे,

अगर पानी डालने पर भी पम्प नहीं चला तो..

अगर यहाँ लिखी बात झूठी हुई..

और क्या पता जमीन के नीचे का पानी भी सूख चुका हो तो..

लेकिन क्या पता पम्प चल ही पड़े,

क्या पता यहाँ लिखी बात सच हो,

वह समझ नहीं पा रहा था कि क्या करे..?

फिर कुछ सोचने के बाद उसने बोतल खोली और कांपते हाथों से पानी पम्प में डालने लगा..

पानी डालकर उसने भगवान से प्रार्थना की और पम्प चलाने लगा..

एक, दो, तीन और हैण्ड पम्प से ठण्डा-ठण्डा पानी निकलने लगा..

वह पानी किसी अमृत से कम नहीं था..

उस व्यक्ति ने जी भरकर पानी पिया, उसकी जान में जान आ गयी..

दिमाग काम करने लगा..

उसने बोतल में फिर से पानी भर दिया और उसे छत से बांध दिया..

जब वो ऐसा कर रहा था, तभी उसे अपने सामने एक और शीशे की बोतल दिखी..

खोला तो उसमें एक पेंसिल और एक नक्शा पड़ा हुआ था, जिसमें रेगिस्तान से निकलने का रास्ता था..

उस व्यक्ति ने रास्ता याद कर लिया और नक़्शे वाली बोतल को वापस वहीँ रख दिया..

इसके बाद उसने अपनी बोतलों में (जो पहले से ही उसके पास थीं) पानी भरकर वहाँ से जाने लगा..

कुछ आगे बढ़कर उसने एक बार पीछे मुड़कर देखा..

फिर कुछ सोचकर वापिस उस झोँपडी में गया,

और पानी से भरी बोतल पर चिपके कागज़ को उतारकर उस पर कुछ लिखने लगा..

उसने लिखा - "मेरा यकीन करिए यह हैण्ड पम्प काम करता है"

यह कहानी सम्पूर्ण जीवन के बारे में है..

यह हमें सिखाती है कि बुरी से बुरी स्थिति में भी अपनी उम्मीद नहीं छोडनी चाहिए..

और इस कहानी से यह भी शिक्षा मिलती है कि कुछ बहुत बड़ा पाने से पहले हमें अपनी ओर से भी कुछ देना होता है..

जैसे उस व्यक्ति ने नल चलाने के लिए मौजूद पूरा पानी उसमें डाल दिया..

देखा जाए तो इस कहानी में पानी जीवन में मौजूद महत्वपूर्ण चीजों को दर्शाता है..

कुछ ऐसी चीजें हैं जिनकी हमारी नजरों में विशेष कीमत है..
https://chat.whatsapp.com/HmpxJEm5cGfFJdWCELthef
यह जो कुछ भी है, उसे पाने के लिए पहले हमें अपनी तरफ से उसे कर्म रुपी हैण्ड पम्प में डालना होता है और फिर बदले में आप अपने योगदान से कहीं अधिक मात्रा में उसे वापिस पाते हैं...

136 viewsRajendra Maheshwari, 04:10
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