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Posham Pa ― a Hindi literary website

टेलीग्राम चैनल का लोगो poshampaorg — Posham Pa ― a Hindi literary website P
टेलीग्राम चैनल का लोगो poshampaorg — Posham Pa ― a Hindi literary website
चैनल का पता: @poshampaorg
श्रेणियाँ: साहित्य , कला
भाषा: हिंदी
ग्राहकों: 450
चैनल से विवरण

A Hindi literary website — poshampa.org.
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नवीनतम संदेश 19

2021-05-09 13:29:53 तुम्हारा मौन, चिन्तन
स्वामित्वपूर्ण बड़प्पन का भाव
एक आड़ है,
मुझे कचोटने लगे हैं
अपने विचार
यह जानकर कि
मैं उपेक्षित हूँ।

https://poshampa.org/anuttarit-prashn-sushila-takbhore-kavita/
117 views10:29
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2021-05-09 09:50:53 कुछ तो हो!
कोई पत्ता तो कहीं डोले!
कोई तो बात होनी चाहिए ज़िन्दगी में अब!
बोलने में समझने जैसी कोई बात
चलने में पहुँचने जैसी
करने में कुछ हो जाने जैसी तरंग!

https://poshampa.org/kuchh-toh-a-poem-by-anamika/
124 views06:50
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2021-05-08 17:29:55 जिन पलों में हित साधकों के हित साधने का ज़रिया बनी रही
ठीक उन्ही पलों में कर सकती थी सृजन
मन के भीतर और बाहर के आह्लाद से
या
बेफ़िक्री की एक लम्बी नींद
को बुला सकती थी आँखों में…

https://poshampa.org/bharosa-shalini-singh-kavita/
144 views14:29
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2021-05-08 15:29:55 यह मेरी कहानी नहीं है
फिर भी मैं इसमें हूँ
दूसरे नामों से जानी जाती हुई!

https://poshampa.org/mahtem-shiferraw-poem-dust-and-bones/
135 views12:29
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2021-05-08 13:29:54 छूता किसी को
तो हाथों में अनिश्‍चय न होता
न होता तनाव
अपने दुःखों से दूसरों को लादे बिना
धीरे-धीरे पिघलता हुआ
उसकी आँच में धीरे-धीरे बदलता...

https://poshampa.org/ho-sakta-tha-naveen-sagar/
132 views10:29
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2021-05-08 11:29:54 “अगर देह का मूल्य लगाकर उसे छुआ जा सकता है तो क्या उसमें रहने वाले हृदय को जानकर उससे प्रेम नहीं किया जा सकता?”

https://poshampa.org/algoze-ki-dhun-par-divya-vijay-a-comment-by-devesh-path-sariya/
136 views08:29
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2021-05-08 09:32:54 आपके मानने या न मानने से
सच को कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता।

https://poshampa.org/sach-paash-kavita/
131 views06:32
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2021-05-07 15:29:56 कितनी सुन्दर चीज़ें पाने को पड़ी हैं इस दुनिया में
कितनी सुन्दर बातें कहने को अब भी बाक़ी हैं!

https://poshampa.org/sundar-baatein-savita-singh-kavita/
149 views12:29
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2021-05-07 13:22:56 दिन-भर
फिरकनी-सी खटती
माँ
हमारे सपनों के लिए
कितनी चिन्तित है!

https://poshampa.org/maa-kehti-hai-a-poem-by-rajesh-joshi/
159 views10:22
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2021-05-06 15:30:00 आह निकल मुख से जाती है,
मानव की ही तो छाती है,
लाज नहीं मुझको देवों में यदि मैं दुर्बल कहलाता हूँ
ऐसे मैं मन बहलाता हूँ!

https://poshampa.org/aise-main-man-behlata-hoon-a-poem-by-harivanshrai-bachchan/
178 views12:30
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