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नवीनतम संदेश 16
2021-05-15 06:29:59
बहुत कुछ दे सकती है कविता
क्योंकि बहुत कुछ हो सकती है कविता
ज़िन्दगी में
अगर हम जगह दें उसे
जैसे फलों को जगह देते हैं पेड़
जैसे तारों को जगह देती है रात!
https://poshampa.org/kavita-ki-zaroorat-a-poem-by-kunwar-narayan/
4 views03:29
2021-05-14 16:29:59
यह कैसी अनहोनी मालिक, यह कैसा संयोग
कैसी-कैसी कुर्सी पर हैं कैसे-कैसे लोग!
https://poshampa.org/kaise-kaise-log-kailash-gautam/
51 views13:29
2021-05-14 14:29:59
चौड़ी सड़क, गली पतली थी
दिन का समय, घनी बदली थी
रामदास उस दिन उदास था
अन्त समय आ गया पास था
उसे बता यह दिया गया था, उसकी हत्या होगी।
https://poshampa.org/ramdas-a-poem-by-raghuvir-sahay/
62 views11:29
2021-05-14 08:58:10
औरतें यहाँ नहीं दिखतीं
वे आटे में पिस गई होंगी
या चटनी में पुदीने की तरह महक रही होंगी
वे तेल की तरह खौल रही होंगी, उनमें
घर की सबसे ज़रूरी सब्ज़ी पक रही होगी।
https://poshampa.org/auratein-yahan-nahi-dikhtin-devi-prasad-mishra/
39 views05:58
2021-05-14 08:56:00
अब लौट आओ
तुमने अपना काम पूरा कर लिया है
अगर कन्धे दुख रहे हों
कोई बात नहीं
यक़ीन करो कन्धों पर
कन्धों के दुखने पर यक़ीन करो...
https://poshampa.org/chattan-ko-todo-wah-sundar-ho-jaegi-a-poem-by-kedarnath-singh/
40 views05:56
2021-05-13 16:30:06
"एक क्षण को उसे लगा कि यह प्रतिबिम्ब किसी और का है। वह स्वयं कैसे इतनी थकी, इतनी टूटी-सी हो सकती है। शीशे के अन्दर से वह अनजान-सी युवती, माया को, जैसे पहचानने की कोशिश कर रही हो, ऐसे देखती रही, जब तक कि माया ने भीगे, असहाय, विवश हाथों से अपने बाल छूते हुए दृष्टि हटा न ली।"
https://poshampa.org/chhutti-ka-din-usha-priyamvada/
68 views13:30
2021-05-13 14:30:02
इस बार उसका बच्चा भी तस्वीर में है
बेटे ने शायद पहली बार पहनी है
जेब में लाल रुमाल वाली कोट
बेटा भद्र पुरुष बन रहा है
वह और उसका पति मुस्कुरा रहे हैं
क्षितिज पर रोशनी है।
https://poshampa.org/uski-aankhein-khuli-rehni-chahiye-thin-devesh-path-sariya/
75 views11:30
2021-05-13 12:29:59
मुझे ही सुनायी नहीं पड़ता है
देश-प्रेम,
जो संकट आते ही
समाचार-पत्रों में डोंडी पिटवाकर
कहलाया जाता है—
बार-बार।
https://poshampa.org/desh-prem-a-poem-by-dushyant-kumar/
77 views09:29
2021-05-13 10:29:59
मुँह फाड़कर हँसती
अकेली औरत
किसी को अच्छी नहीं लगती,
जो खुलकर लुटाने आए थे हमदर्दी
वापस सहेज लेते हैं उसे
कहीं और काम आएगी यह धरोहर!
https://poshampa.org/akeli-aurat-ka-hansna-sudha-arora/
88 views07:29
2021-05-13 08:30:03
सिकन्दर, नैपोलियन, तैमूर
सबको अपने ईश्वर पर
गुमान था
जिस आदमी ने जलाया हिरोशिमा
तबाह किया
उसने भी दुहराया था यही—
रब मेरे साथ है।
https://poshampa.org/roti-aur-rab-kailash-vajpeyi/
85 views05:30