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Posham Pa ― a Hindi literary website

टेलीग्राम चैनल का लोगो poshampaorg — Posham Pa ― a Hindi literary website P
टेलीग्राम चैनल का लोगो poshampaorg — Posham Pa ― a Hindi literary website
चैनल का पता: @poshampaorg
श्रेणियाँ: साहित्य , कला
भाषा: हिंदी
ग्राहकों: 450
चैनल से विवरण

A Hindi literary website — poshampa.org.
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नवीनतम संदेश 17

2021-05-13 06:30:02 संस्कृति और धर्म जश्न मनाते हैं
जब सिसकता है आदमी!

https://poshampa.org/koi-khatra-nahi-a-poem-by-omprakash-valmiki/
19 views03:30
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2021-05-12 17:30:00 कुछ और भी यादें बचपन की
कुछ अपने घर के आँगन की
सब बतला दो फिर सो जाओ
और अपने हाथ को मेरे हाथ में रहने दो...

https://poshampa.org/ab-so-jao-a-nazm-by-fahmida-riaz/
60 views14:30
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2021-05-12 15:30:00 बिन लड़े कुछ भी यहाँ मिलता नहीं, ये जानकर
अब लड़ाई लड़ रहे हैं लोग मेरे गाँव के।

https://poshampa.org/le-mashaalein-chal-pade-hain-balli-singh-cheema-ghazal/
71 views12:30
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2021-05-12 13:30:00 चुका भी हूँ मैं नहीं
कहाँ किया मैनें प्रेम
अभी।

https://poshampa.org/chuka-bhi-hoon-main-nahi-shamsher-bahadur-singh/
72 views10:30
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2021-05-12 11:30:00 "शायद हम एक-दूसरे से बिना कोई शर्त इसलिए प्रेम नहीं कर पाते क्योंकि हमें लगता है कि हमारे पास अभी समय है या फिर हम समय के साथ सीख जाएँगे।"

https://poshampa.org/franz-kafka-letters-to-milena-jesenska/
86 views08:30
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2021-05-12 09:48:00 कोई नहीं जानता कि
किनता समय और बचा है
प्रतीक्षा करने का
कि प्रेम आएगा एक पैकेट में डाक से,
कि थोड़ी देर और बाक़ी है
कटहल का अचार खाने लायक़ होने में,
कि पृथ्वी को फिर एक बार
हरा होने और आकाश को फिर दयालु और
उसे फिर विगलित होने में
अभी थोड़ा-सा समय और है।

https://poshampa.org/kitne-din-aur-bache-hain-a-poem-by-ashok-vajpeyi/
97 views06:48
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2021-05-12 07:00:02 एक दिन बड़ी होना
सब जगह घूमना तू
हमारी इच्छाओं को मज़बूत जूतों की तरह पहने
प्रेम करना निर्बाध
नीचे झाँककर सूर्य को उगते हुए देखना।

https://poshampa.org/samta-ke-liye-a-poem-by-viren-dangwal/
105 views04:00
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2021-05-11 18:30:03 जब कोई नहीं करता
तब नगर के बीच से गुज़रता हुआ
मुर्दा
यह प्रश्न कर हस्तक्षेप करता है—
मनुष्य क्यों मरता है?

https://poshampa.org/hastakshep-a-poem-by-shrikant-verma/
56 views15:30
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2021-05-11 16:30:02 तिक्त मन से चाहती हूँ
चूक गये सपनों को सहेजना
पर देहरी से बंधे क़दम रुक जाते हैं
हर बार
चौखट के इस पार!

https://poshampa.org/subah-shalini-singh-kavita/
71 views13:30
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2021-05-11 14:30:01 वायु तुम आना, धीरे-धीरे नहीं
सम्पूर्ण वेग से आना, सपरिवार आना
पर मेरे पास अंत में आना
पहले वहाँ जाना जहाँ
तुम्हें विवेक लेकर जाए!

https://poshampa.org/solace-in-may-rohit-thakur-a-poem-in-hindi/
76 views11:30
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