Get Mystery Box with random crypto!

अध्यात्म(ब्रह्मज्ञान)

टेलीग्राम चैनल का लोगो adhyatmgyan — अध्यात्म(ब्रह्मज्ञान)
टेलीग्राम चैनल का लोगो adhyatmgyan — अध्यात्म(ब्रह्मज्ञान)
चैनल का पता: @adhyatmgyan
श्रेणियाँ: धर्म
भाषा: हिंदी
ग्राहकों: 1.47K
चैनल से विवरण

Please Share and support us for spreading Spirituality Awareness: Adhyatm BRAHMGYAN, Sanatan Dharm, Sanskriti aur parampara.
https://t.me/adhyatmgyan

Ratings & Reviews

3.50

2 reviews

Reviews can be left only by registered users. All reviews are moderated by admins.

5 stars

1

4 stars

0

3 stars

0

2 stars

1

1 stars

0


नवीनतम संदेश 8

2022-05-06 13:51:58 भरपूर कितनी होती है ज़िन्दगी
बस जानने की देर है
सत-चित-आनंद बसा है सबमें
टटोलने भर की देर है
हर पल को पल में ही जीने की देर है


कर्म-ओ-नसीब, गिले-शिकवे, मुस्कान अडिग चलते रहते
मानो सागर में उठती गिरती लहरों सी हो
बात बस ये समझने की है
के इंसान-रुपी ये प्राणी उस सागर में एक लहर सामान है
पर लहर का कोई अस्तित्व नहीं,
सब नाम-रूप का खेल है

गम और ख़ुशी भी उसी लहर के सामान है,
मानो एक ही सिक्के के दो पहलू के नाम हैं
एक तरफ चढ़ाई, तो दूसरी तरफ ढलान है
गर समझ लिया तो चारो ओर मुस्कान है

फिर क्या दूसरे, क्या तुम और मैं
सब एक हैं, सब एक समान हैं  
बस शरीर-रुपी चादर ओढ़े भेद बढ़ाये जाते हैं
पहचान लिया जो सत्य को
तो स्वर्ग नर्क एक समान है

बस जानने की देर है
पहचानने की देर है
भरपूर कितनी होती है ज़िन्दगी...
403 viewsedited  10:51
ओपन / कमेंट
2022-05-04 05:38:51
109 views02:38
ओपन / कमेंट
2022-05-03 20:01:06 *दुनिया का सबसे अच्छा काम वो है*
जिसमें तुम समाज-सुधार और
आत्म-सुधार एक साथ कर पाओ।

*पर वो काम सबको मिलता नहीं।*

बहुत-बहुत पुण्य होगा तुम्हारे पास
अगर तुम ऐसा कोई काम मिल पाए
जिसमें तुम दुनिया का भी सुधार कर पाओ
और साथ-ही-साथ अपना भी।

*वो आदर्श काम है।*
164 views17:01
ओपन / कमेंट
2022-05-02 20:34:20 दुख उधार का है, आनंद स्वयं का है| आनंदित कोई होना तो अकेले भी हो सकता है दुखी होना चाहे तो दूसरे की जरूरत है |
कोई धोखा दे गया ,किसी ने गाली दी, कोई तुम्हारे मन के अनुकूल ना चला ,सब दुख दूसरे से जुड़े हैं |
और आनंद का दूसरे से कोई संबंध नहीं है |आनंद स्वस्फुर्तहै |
दुख बाहर से आता है
आनंद भीतर से आता है|
49 views17:34
ओपन / कमेंट
2022-05-02 08:02:38 सात मंजिला देह मिली है,
सात चक्रों से सजा मकान ।
क्यों विश्वास नहीं करते हो ,
वृथा गंँवाते मन और प्राण।

मूलाधार स्थान शक्ति का,
कुंँडली मारे लिपटा सांँप ।
ध्यान साधना से फुंँफकारे,
ऊर्जा चढ़ती फिर सिरतान।

छह पंँखुड़ियां का दल पंकज,
स्वाधिष्ठान है चक्र महान।
आत्मविश्वास से भर देता,
जब जगता करता उत्थान।

पीत वर्ण मणिपुर चक्र है ,
जागे दे संपदा अपार ।
कमल है दस पंँखुड़ी वाला ,
जो है जगाता दृढ़ विश्वास।

हृदय चक्र मध्य छाती के,
प्रेम भाव बढाता जाग।
मन भँवरा शांत हो जाता,
प्रकृति से जुड़ जाता भाव।

चक्र विशुद्धि कंठ स्थान,
करे निडर निर्भय यह जान।
आठों सिद्धि नवनिधियाँ,
सात सुरों का उद्गम स्थान ।

मैं कौन हूं ?का उत्तर देता,
है शिव नेत्र कहे पुराण।
कुंडली सहसार सुषुम्ना,
त्रिवेणी संगम सा स्थान।

सहस्त्रार मोक्ष का मार्ग है,
पूर्ण साधना परम विश्राम।
परम मिलन शिव शक्ति का,
परम समाधि मुक्तिधाम।

समय रहते जाग जा बंदे,
समय का घोड़ा बिना लगाम।
अंत समय न पछतायेगा,
सात मंजिला सजा मकान।
179 views05:02
ओपन / कमेंट
2022-05-01 06:15:13 मदद करना सीखिए
फायदे के बगैर.....!
मिलना जुलना सीखिए
मतलब के बगैर.......!
जिन्दगी जीना सीखिए
दिखावे के बगैर.......!
मुस्कुराना सीखिए
सेल्फी के बगैर.....!
. और
*प्रभु पर विश्वास रखिए*
*किसी शंका के बगैर...!*
152 views03:15
ओपन / कमेंट
2022-05-01 06:07:33 चिंतन का मतलब होता है अपने मन की गहराइयों में जाना। उसको कई प्रकार से सोचना। जब आपके मन में बहुत सारे विचार आ रहे और आप निर्णय नहीं कर पा रहे तो आपको आत्मचिंतन करना चाहिए।


*चिंता और चिंतन :-*
चिंता और चिंतन में बहुत अंतर होता है। चिंता हमे खुद से बहुत दूर ले जाता है जबकि चिंतन हमे अपने मन की गहराइयों में उतरने में मदद करता है। जो जीवन में सही फैसले लेने के लिए आपको सही दिशा दिखाता है। जब हम चिंतन करते हैं तो अनेक चीजों को जोड़ते हैं घटाते हैं। और इसी तरह से करते हुए अपने चिंतन को एक दिशा देते हुए चले जाते हैं। *अगर आप सफल होना चाहते है चाहे संसार के कार्य में या भक्ति पथ पे आपको चिंतन करना चाहिए उसपे बार बार अच्छे से विचार करना चाहिए।*
155 views03:07
ओपन / कमेंट
2022-05-01 06:06:57
153 views03:06
ओपन / कमेंट
2022-05-01 05:53:24 "हर दिन नया जन्म
हर रात नई मौत"
156 views02:53
ओपन / कमेंट
2022-04-28 07:44:09 संगत में शुद्ध विचार और

पंगत में शुद्ध आहार

न हो तो छोड़ देने में ही बुद्धिमानी है …
157 viewsedited  04:44
ओपन / कमेंट