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नवीनतम संदेश 10
2022-04-18 10:20:48
You were not here few decades ago.
You are not going to be here few decades later.
You're just a tiny blip in the history of the universe.
Do what you want.
401 views07:20
2022-04-17 18:23:52
राम का घर छोड़ना एक षड्यंत्रों में घिरे राजकुमार की करुण कथा है और
कृष्ण का घर छोड़ना गूढ़ कूटनीति।
राम जो आदर्शों को निभाते हुए कष्ट सहते हैं,
कृष्ण षड्यंत्रों के हाथ नहीं आते, बल्कि स्थापित आदर्शों को चुनौती देते हुए एक नई परिपाटी को जन्म देते हैं।
श्रीराम से श्री कृष्ण हो जाना एक सतत प्रक्रिया है....
राम को मारिचि भ्रमित कर सकता है,
लेकिन कृष्ण को पूतना की ममता भी नहीं उलझा सकती।
राम अपने भाई को मूर्छित देखकर ही बेसुध बिलख पड़ते हैं, लेकिन कृष्ण अभिमन्यु को दांव पर लगाने से भी नहीं हिचकते
राम राजा हैं, कृष्ण राजनीति...
राम रण हैं, कृष्ण रणनीति...
राम मानवीय मूल्यों के लिए लड़ते हैं,
कृष्ण मानवता के लिए...
हर मनुष्य की यात्रा राम से ही शुरू होती है और
समय उसे कृष्ण बनाता है।
व्यक्ति का कृष्ण होना भी उतना ही जरूरी है,
जितना राम होना..।
लेकिन राम से प्रारंभ हुई यह यात्रा तब तक अधूरी है,
जब तक इस यात्रा का समापन कृष्ण पर न हो।
445 views15:23
2022-04-14 19:55:21
प्रारब्ध (पिछले कर्म) और पुरुषार्थ दो भेड़ों की तरह आपस में लड़ते हैं। उनमें से जो शक्तिशाली होगा वही जीतेगा।
जैसे युवक द्वारा बालक जीत लिया जाता है, उसी प्रकार वर्तमान के सद्प्रयास पिछले कर्मों को जीत जाते हैं। जैसे किसानों द्वारा सालभर कमाई गई खेती को बदल एक दिन में समाप्त कर डालता है, यह बादलों का पौरुष है, उसी प्रकार अधिक प्रयत्न करने वाला ही जीतता है।
संतों की संगति का फल है उनके जैसे स्वभाव की प्राप्ति, और शास्त्रों के अभ्यास का फल है उनके अर्थ का ज्ञान, बुद्धि से शास्त्र-अभ्यास के सही गुण प्राप्त होते हैं तथा शास्त्र-अभ्यास से बुद्धि भी कुशाग्र होती है।
जिसके लिए मनुष्य सर्वाधिक प्रयास करता है, उसी में वह विजयी होता है। अतः व्यक्ति को पुरुषार्थ का आश्रय लेकर शास्त्रों के अभ्यास एवं सही संगति से बुद्धि को पावन बनाकर जगतरुपी समुद्र से अपना उद्धार करना चाहिए।
जिन कर्मों से आनंद की प्राप्ति और दुःख का निवारण होता है, उन कार्यों में यत्नपूर्वक सदा लगे रहने को विद्वान 'परम पुरुषार्थ' कहते हैं।
562 views16:55
2022-04-14 06:42:43
*वैराग्य संसार से नहीं,*
*अपनी हरकतों से होता है।*
566 views03:42
2022-04-14 06:42:26
*वो जिस ने आँख अता की है देखने के लिए*
*उसी को छोड़ के सब कुछ दिखाई देता है*
536 views03:42
2022-04-14 06:41:53
*परमात्मा प्रेम-रूप है इसलिए उससे मिलाप का सहज साधन भी प्रेम ही है पर आज इन्सान उस एक मालिक से प्रेम करने के बजाय संसार के अनेक पदार्थों के मोह में बुरी तरह फंस गया है इस अनेकता का प्यार ही जीव को परमात्मा से दुर रखने का मूल कारण है जब-तक हमारे हृदय में परमात्मा का सच्चा और पक्का प्रेम जाग्रत नहीं होता तब-तक हम संसार के पदार्थों के मोह से मुक्त नहीं हो सकते इसलिए ही संत बार-बार हृदय में प्रभु का सच्चा प्रेम पैदा करने का उपदेश देते हैं........*
533 views03:41
2022-04-11 14:44:40
सब कुछ बदल जाएगा,
आपका संसार बदल जाएगा,
जिस दिन जीवन में
जो कुछ मौजूद है
उसके विषय में आप
पूछना शुरू कर देंगे कि
इसमें राम कहाँ है?
ये मुझे राम कि ओर ले जा रहा है
या नरक कि ओर ले जा रहा है?
इसको रख करके
जीवन का बोझ बढ़ेगा,
कम होगा?
689 views11:44
2022-04-11 11:56:45
*नाम राम को अंक है, सब साधन है सून।*
*अंक गए कुछ हाथ नहिं, अंक रहे दस गून।*
590 views08:56
2022-04-11 08:17:58
*कहाँ कमर सीधी करे, कहाँ ठिकाना पाय*
*तेरा घर जो छोड़ दे, दर-दर ठोकर खाय*
602 viewsedited 05:17
2022-04-09 08:11:22
719 views05:11