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नवीनतम संदेश 9
2022-04-25 09:45:44
*राम (ईश्वर) के लिए*
*कौन मरा जा रहा हैं?!*
*मरने की तो बात छोड़ो*
*जी कौन रहा है?!!*
204 views06:45
2022-04-25 08:47:50
चरण मंदिर तक पहुंचाते हैं
और आचरण भगवान तक।
210 views05:47
2022-04-25 08:33:13
*ऐसा नही है कि समय में*
*मुक्ति अपने आप मिल*
*जाएगी*
*नहीं!*
लेकिन समय के साथ
बंधन अपनेआप मिल जायेंगे।
मुक्ति तो श्रमपूर्वक
प्राप्त करनी पड़ती है।
बंधन बैठे बिठाए
मिल जाते हैं।
215 viewsedited 05:33
2022-04-25 08:32:37
Think of your own body, and see that it is strong and healthy; it is the best instrument you have. Think of it as being as strong as adamant, and that with the help of this body you will cross the ocean of life. Freedom is never to be reached by the weak. Throw away all weakness. Tell your body that it is strong, tell your mind that it is strong, and have unbounded faith and hope in yourself.
- SWAMI VIVEKANAND
212 views05:32
2022-04-23 10:07:16
*जितने भी सम्बन्ध हैं सब ऊपर से चिपकाए हुए हैं, भीतर से नहीं हैं।*
*इस जन्म से पहले जो सम्बन्ध थे, वे अब याद भी नहीं हैं। हमारा वास्तविक सम्बन्ध भगवान से है; क्योंकि हम उनके अंश हैं। भगवान के साथ हमारा सम्बन्ध स्वाभाविक है, और संसार के साथ सम्बन्ध चिपकाया हुआ है। भगवान हमारे साथ नित्य रहते हैं, पर संसार का कोई भी सम्बन्ध सदा साथ नहीं रहता। यह बात सबकी समझ में आ जानी चाहिये। *जो सम्बन्ध सदा नहीं रहता, मिट जाता है, वह सम्बन्ध है कहाँ !*
*संसार में जिनसे आपने मोहपूर्वक सम्बन्ध मान रखा है, उनकी सेवा करो और उनसे कुछ मत चाहो। सेवा करने से सम्बन्ध छूट जाता है। यह एकदम पक्की बात है, करके देख लो।*
175 views07:07
2022-04-23 10:06:51
तुमको अगर गणित का कोई सिद्धान्त नहीं आता है या तुम आइंस्टीन को नहीं समझते हो और फिर इन विषयों पर तुम्हारी परीक्षा ली जाए तो तुम्हें उसमें सौ में से शून्य (0/100) मिल जाएँगे।
इससे प्रमाणित कर दिया गया कि तुम अज्ञानी हो।
*
लेकिन तुमको गीता नहीं आती है, उपनिषद नहीं आते इसका प्रमाण ये है कि तुम ज़िंदगी में बार-बार ठोकरें खाओगे, भ्रमित रहोगे और बेवकूफ़ बनते रहोगे और दुखी रहोगे।*
*तो प्रमाण तो यहाँ पर भी है लेकिन ज़िंदगी नहीं हल कर पाए ये मानने के लिए तुम्हें कोई विवश नहीं कर सकता। तुम अपनी ही नज़रों में तुर्रम ख़ाँ बने हुए रह सकते हो।* गणित के पर्चे में तुम ये नहीं कह पाओगे, "मेरे नब्बे प्रतिशत नम्बर आए हैं" क्योंकि वहाँ पर अंक तालिका बता देगी कि तुम्हारी सच्चाई क्या है। *लेकिन ज़िंदगी में आप जो असफल हो रहे हो बार-बार उसका कोई रिपोर्ट कार्ड नहीं बनता, कोई अंकतालिका नहीं बनती, कोई परीक्षाफल घोषित नहीं होता तो आप बेईमानी कर जाते हो।*
*
काश कि ऐसा हो पाता कि हर चार महीने में, हर छह महीने में ज़िंदगी का परीक्षा परिणाम भी घोषित होता!**
अभी तो हालत ऐसी है कि जो सौ में से पाँच पाने वाले भी हैं ज़िंदगी में, वो अपनेआप को पिच्यानवे वाला मानते हैं क्योंकि परीक्षा परिणाम घोषित नहीं हो रहा है।*
171 views07:06
2022-04-22 09:35:18
*
तृप्ति क्षणिक है परंतु प्यास कभी न मिटने वाली तृष्णा है*
*जल और जलना ही अंतहीन सत्य है*
*पंचतत्वो की लीला और संघर्ष है।*
158 views06:35
2022-04-18 18:11:13
394 views15:11
2022-04-18 18:09:40
मोटिवेशन का ऊँचे-से-ऊँचा ग्रंथ आज तक कौन-सा हुआ है?
श्रीमद्भगवद्गीता। अर्जुन के सामने एक स्थिति है और वो भीतर से कमज़ोर अनुभव कर रहा है, उसे कोई उत्साह नहीं आ रहा, तब कृष्ण उसको समझाते हैं - ये असली मोटिवेशन है।
कृष्ण उसको नहीं कहते कि, "चल, जल्दी लड़ जब तक तू जीत न जाए!" इस तरह का कोई श्लोक है क्या गीता में? कृष्ण अर्जुन को क्या याद दिलाते हैं? कृष्ण अर्जुन को धर्म याद दिलाते हैं।
तुम्हें मोटिवेशन की नहीं क्लैरिटी की, स्पष्टता की, ज्ञान की ज़रूरत होती है। गीता तुम्हें क्या देती है? ज्ञान देती है। उत्साह थोड़े ही बढ़ाती है कि वीर तुम बढ़े चलो!
सही लक्ष्य तुम्हारा उत्साहवर्धन करके नहीं पाया जाता, तुम्हारा ज्ञानवर्धन करके पाया जाता है। अर्जुन का एक बार भी उत्साहवर्धन नहीं करते कृष्ण, ज्ञानवर्धन करते हैं।
405 views15:09
2022-04-18 10:43:28
पहले मैं होशियार था,
इसलिए दुनिया बदलने चला था,
आज मैं समझदार हूँ,
इसलिए खुद को बदल रहा हूँ...
396 views07:43