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नवीनतम संदेश 7
2022-05-12 15:07:45
हम अशुद्ध चेतना हैं
हम अशुद्ध भी हैं और चेतना भी हैं।
तुम ग़लतियाँ करोगे, कई बार करोगे।
जितनी बार ग़लतियाँ करो
उतनी बार सुधार कर लेना।
*जितनी बार गिरो*
*उतनी बार उठ बैठना*
*गिरने पर लाज मत मानना।*
170 views12:07
2022-05-12 15:06:49
*इस जगत में जीवन सदा नहीं रहने वाला है,*
*धन और यौवन भी सदा नहीं रहने वाले हैं,*
*पुत्र और स्त्री भी सदा नहीं रहने वाले हैं।*
*केवल धर्म और कीर्ति ही सदा - सदा के लिए रहते हैं।*
169 views12:06
2022-05-11 19:48:18
जो परम को भुलाकर
संसार की ओर जाएगा
वो संसार में मात्र चोट खाएगा।
जो संसार को भूलकर
परम की ओर जाएगा
वो परम को तो पाएगा ही
संसार को भी पा जाएगा।
240 views16:48
2022-05-10 10:30:02
Good deeds create positive karma, and bad ones create negative karma.
Positive karma will lead to good fortune and a blessed life;
negative karma will lead to misfortune and suffering.
Yet, people are usually not aware of the influence of karma on their life.
Karma is Supreme
286 viewsedited 07:30
2022-05-08 05:32:08
किसी को मकान बनाने में आनन्द आता है तो बनाने दो अगर आपको अपने झोपड़े में प्रसन्नता है तो व्यर्थ में मकान बनाने की दौड़ में क्यों दौड़ रहे हो?
अगर आप अपने वर्तमान से संतुष्ट हो प्रसन्न हो तो दूसरे क्या कर रहे है उनसे तुलना करके खुद को परेशान न करें
क्योंकि कुछ पाने की आपकी यह दौड़ समय लेगी, शक्ति लेगी, जीवन लेगी और जो आप पा लोगे उससे आपको कभी तृप्ति सन्तुष्टि नही मिलेगी, क्योंकि आप जिसके लिए दौड़े हो वह आपकी चाह कभी भी नही थी।
*
आजकल हम दूसरों को देख कर दौड़ रहे हैं दुसरो से तुलना कर रहे हैं इसीलिए तो हम सब मे इतनी अतृप्ति है।* प्रभावित होके देखा देखी में दौड़ने के बाद कुछ न मिले तो तकलीफ होती है और कुछ मिल जाए तो हम पाते है कि पाई हुई वस्तु में कोई सार ही नहीं है!
*
ईश्वर प्राप्ति ही एक संतुष्टि का आधार है! अपने ईष्ट में खोए रहें, उसका ध्यान करें, उसी में समाहित होने का निरंतर प्रयास करते रहें! उसका नाम जपें, जो आत्म संतुष्टि आपको मिलेगी कहीं और नहीं!*
486 views02:32
2022-05-07 18:50:38
*
नीयत साफ और इरादा सही हो तो,
विश्वास कीजिये किसी न किसी रूप में ईश्वर आपकी मदद अवश्य करते है*
451 views15:50
2022-05-07 18:50:05
आध्यात्मिकता मेरी दृष्टि में
आंतरिक सफ़ाई की प्रक्रिया का नाम है
प्रेम होना चाहिए निर्मलता के प्रति।
सफ़ाई पसंद है
गंदगी को मन पर बैठने नहीं देते
यह आध्यात्मिकता है।
442 views15:50
2022-05-07 18:47:46
"गीता इतने घरों में है,
समझता कौन है?
गीता पर इतनों ने बोला है
समझा पाया कौन है?"
*गीता का वास्तविक व*
*वेदान्तसम्मत समझिए*
*जीवन छोटा है, चूकिए मत।*
424 views15:47
2022-05-06 13:56:13
DIFFICULT TIMES
DON'T DEFINE YOU,
THEY REFINE YOU.
422 viewsedited 10:56