किसी को मकान बनाने में आनन्द आता है तो बनाने दो अगर आपको अपने | अध्यात्म(ब्रह्मज्ञान)
किसी को मकान बनाने में आनन्द आता है तो बनाने दो अगर आपको अपने झोपड़े में प्रसन्नता है तो व्यर्थ में मकान बनाने की दौड़ में क्यों दौड़ रहे हो?
अगर आप अपने वर्तमान से संतुष्ट हो प्रसन्न हो तो दूसरे क्या कर रहे है उनसे तुलना करके खुद को परेशान न करें
क्योंकि कुछ पाने की आपकी यह दौड़ समय लेगी, शक्ति लेगी, जीवन लेगी और जो आप पा लोगे उससे आपको कभी तृप्ति सन्तुष्टि नही मिलेगी, क्योंकि आप जिसके लिए दौड़े हो वह आपकी चाह कभी भी नही थी।
*आजकल हम दूसरों को देख कर दौड़ रहे हैं दुसरो से तुलना कर रहे हैं इसीलिए तो हम सब मे इतनी अतृप्ति है।*
प्रभावित होके देखा देखी में दौड़ने के बाद कुछ न मिले तो तकलीफ होती है और कुछ मिल जाए तो हम पाते है कि पाई हुई वस्तु में कोई सार ही नहीं है! *ईश्वर प्राप्ति ही एक संतुष्टि का आधार है! अपने ईष्ट में खोए रहें, उसका ध्यान करें, उसी में समाहित होने का निरंतर प्रयास करते रहें! उसका नाम जपें, जो आत्म संतुष्टि आपको मिलेगी कहीं और नहीं!*
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