Get Mystery Box with random crypto!

अध्यात्म(ब्रह्मज्ञान)

टेलीग्राम चैनल का लोगो adhyatmgyan — अध्यात्म(ब्रह्मज्ञान)
टेलीग्राम चैनल का लोगो adhyatmgyan — अध्यात्म(ब्रह्मज्ञान)
चैनल का पता: @adhyatmgyan
श्रेणियाँ: धर्म
भाषा: हिंदी
ग्राहकों: 1.47K
चैनल से विवरण

Please Share and support us for spreading Spirituality Awareness: Adhyatm BRAHMGYAN, Sanatan Dharm, Sanskriti aur parampara.
https://t.me/adhyatmgyan

Ratings & Reviews

3.50

2 reviews

Reviews can be left only by registered users. All reviews are moderated by admins.

5 stars

1

4 stars

0

3 stars

0

2 stars

1

1 stars

0


नवीनतम संदेश

2022-09-01 05:56:35 उपनिषद दहाड़ कर कहते हैं:

नायमात्मा बलहीनेन लभ्यो
~ मुण्डक उपनिषद 3.2.4
बलहीन व्यक्ति के लिए नहीं है आत्मा

ये तो हम जानते ही हैं
दुर्बलों को इंसान सहारा नहीं देता

अब इतना और जान लीजिए कि
दुर्बलों को भगवान भी सहारा नहीं देता

दुर्बलता से बड़ा अपराध दूसरा नहीं
कैसे भी रहो, कमज़ोर मत रहो

जो उपनिषदों के साथ है
वो कभी कमज़ोर नहीं रह सकता
157 views02:56
ओपन / कमेंट
2022-08-30 11:24:05 * मूर्ख कौन *

*एक कुम्हार को मिट्टी खोदते हुए अचानक एक हीरा मिल गया, उसने उसे अपने गधे के गले में बांध दिया...*


एक दिन एक बनिए की नजर गधे के गले में बंधे उस हीरे पर पड़ गई, उसने कुम्हार से उसका मूल्य पूछा...

*कुम्हार ने कहा - सवा सेर गुड़*

बनिए ने कुम्हार को सवा सेर गुड़ देकर वह हीरा खरीद लिया...

बनिए ने भी उस हीरे को एक चमकीला पत्थर समझा था, लेकिन अपनी तराजू की शोभा बढ़ाने के लिए उसकी डंडी से बांध दिया...

एक दिन एक जौहरी की नजर बनिए के उस तराजू पर पड़ गई, उसने बनिए से उसका दाम पूछा...

*बनिए ने कहा - पांच रुपए*

जौहरी कंजूस व लालची था, हीरे का मूल्य केवल पांच रुपए सुन कर समझ गया कि बनिया इस कीमती हीरे को एक साधारण पत्थर का टुकड़ा समझ रहा है...

*वह उससे भाव-ताव करने लगा-पांच नहीं चार रुपए ले लो*

बनिये ने मना कर दिया क्योंकि उसने चार रुपए का सवा सेर गुड़ देकर खरीदा था...

जौहरी ने सोचा कि इतनी जल्दी भी क्या है ? कल आकर फिर कहूंगा यदि नहीं मानेगा तो पांच रुपए देकर खरीद लूंगा...

संयोग से दो घंटे बाद एक दूसरा जौहरी कुछ जरूरी सामान खरीदने उसी बनिए की दुकान पर आया...

तराजू पर बंधे हीरे को देखकर वह चौंक गया, उसने सामान खरीदने के बजाए उस चमकीले पत्थर का दाम पूछ लिया...

बनिए के मुख से पांच रुपए सुनते ही उसने झट जेब से निकालकर उसे पांच रुपये थमाए और हीरा लेकर खुशी-खुशी चल पड़ा...

दूसरे दिन वह पहले वाला जौहरी बनिए के पास आया पांच रुपए थमाते हुए बोला - लाओ भाई दो वह पत्थर...

बनिया बोला - वह तो कल ही एक दूसरा आदमी पांच रुपए में ले गया...

*यह सुनकर जौहरी ठगा सा महसूस करने लगा*

अपना गम कम करने के लिए बनिए से बोला - "अरे मूर्ख..! वह साधारण पत्थर नहीं एक लाख रुपए कीमत का हीरा था"...

बनिया बोला - "मुझसे बड़े मूर्ख तो तुम हो मेरी दृष्टि में तो वह साधारण पत्थर का टुकड़ा था, जिसकी कीमत मैंने चार रुपए मूल्य के सवा सेर गुड़ देकर चुकाई थी, पर तुम जानते हुए भी एक लाख की कीमत का वह पत्थर पांच रुपए में भी नहीं खरीद सके...

दोस्तों - हमारे साथ भी अक्सर ऐसा होता है, हमें हीरे रूपी सच्चे शुभचिन्तक मिलते हैं, लेकिन अज्ञानतावश पहचान नहीं कर पाते और उसकी उपेक्षा कर बैठते हैं, जैसे इस कथा में कुम्हार और बनिए ने की..

कभी पहचान भी लेते हैं, तो अपने अहंकार के चलते तुरन्त स्वीकार नहीं कर पाते और परिणाम पहले जौहरी की तरह हो जाता है और पश्चाताप के अतिरिक्त कुछ हासिल नहीं हो पाता....
106 views08:24
ओपन / कमेंट
2022-08-28 15:01:37 सच्चाई की ख़ातिर, मुक्ति की ख़ातिर,
प्रेम की ख़ातिर,
तुम परेशानियाँ झेल रहे हो,
तो क्या बात है! बहुत बढ़िया!

और स्वार्थ की ख़ातिर, ईर्ष्या की ख़ातिर,
द्वेष की ख़ातिर, लोभ की ख़ातिर,
तुम परेशानियाँ झेल रहे हो, तो धिक्कार है।
241 views12:01
ओपन / कमेंट
2022-08-28 06:29:23
265 views03:29
ओपन / कमेंट
2022-08-26 09:15:34
393 views06:15
ओपन / कमेंट
2022-08-26 08:46:25
392 views05:46
ओपन / कमेंट
2022-08-23 11:51:29
540 views08:51
ओपन / कमेंट
2022-08-23 11:44:21 सच्चाई के साथ चलने के लिए
जो भी कीमत लगती हो दे देना।
क्योंकि अगर नहीं चलोगे,
तो और ज़्यादा बड़ी कीमत देनी पड़ेगी।

तो चलने पर प्रतीत ऐसा होता है कि
बड़ी कीमत दे रहे हैं,
लेकिन जो फल मिलता है,
वो तुम्हारी दी हुई कीमत से
अनंत गुना बड़ा होता है।
493 views08:44
ओपन / कमेंट
2022-08-23 11:43:47 *ख़ुद मझधार में होकर भी,*
*जो औरों का साहिल होता है ।*

*ईश्वर जिम्मेदारी उसी को देता हैं,*
*जो निभाने के क़ाबिल होता है ।*
473 views08:43
ओपन / कमेंट
2022-08-20 12:47:51 तुम्हारी चालाकी ही तुम्हारा बंधन है;
जो सरल है वो स्वतंत्र है।

तुम्हारी चतुराई और तुम्हारी होशियारी,
यही तुम्हारा नरक है।
659 views09:47
ओपन / कमेंट