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नवीनतम संदेश 2
2022-08-20 12:43:43
631 views09:43
2022-08-17 07:53:09
रोते पैदा हुए थे, रोते जीना नहीं है! यही है परमात्मा की प्राप्ति, और कुछ नहीं है।
815 views04:53
2022-08-16 19:04:35
प्रकृति ने तुम्हें एक ख़ास उपहार दिया है
जो सिर्फ़ मनुष्यों को दिया है,
जानवरों को नहीं दिया।
वो उपहार है बुद्धि का और बोध का,
चेतना की ऊँचाई का, समझदारी का।
तो माँ ने उपहार दे दिए हैं,
पर हम में से ज़्यादातर लोग
इतने नालायक बेटे होते हैं कि
माँ ने जो उपहार दिए हैं
उनका इस्तेमाल हम करते ही नहीं।
783 views16:04
2022-08-16 19:03:23
*इन्द्रियाणि पराण्याहुरिन्द्रियेभ्यः परं मनः।*
*मनसस्तु परा बुद्धिर्यो बुद्धेः परतस्तु सः।।*
(अध्याय ३, श्लोक ४२)
इंद्रियों को स्थूल शरीर से श्रेष्ठ कहते हैं, इंद्रियों की अपेक्षा मन श्रेष्ठतर है, मन से बुद्धि अधिक श्रेष्ठ है, किन्तु जो बुद्धि से परे है, वही आत्मा है।
710 views16:03
2022-08-16 19:03:01
एकै साधे सब सधै, सब साधे सब जाय
रहिमन मूलहिं सींचिबो, फूलै फलै अघाय
रहीम दास
630 views16:03
2022-08-16 19:02:12
रोते पैदा हुए थे,
रोते जीना नहीं है!
यही है परमात्मा की प्राप्ति,
और कुछ नहीं है।
584 views16:02
2022-08-09 12:27:10
कबीरा ते नर अँध है, गुरु को कहते और
हरि रूठे गुरु ठौर है, गुरु रूठे नहीं ठौर
~ कबीरदास
928 viewsedited 09:27
2022-08-09 11:42:09
अध्यात्म का उद्देश्य मृत्यु के बाद
तुम्हें स्वर्ग आदि उपलब्ध कराना नहीं है।
अध्यात्म का उद्देश्य
तुम्हारे इसी जीवन को सार्थक करना है।
मौत के बाद क्या होता है
इससे अध्यात्म का कोई ताल्लुक नहीं है।
जो भी दस-बीस-चालीस साल बचें हों
उनका ज़रा सार्थक इस्तेमाल कर लो।
इसलिए नहीं कि मृत्यु के बाद स्वर्ग मिलेगा,
इसलिए कर लो कि
तुम्हें तो बस यही बीस साल ही जीना है।
881 views08:42
2022-08-05 05:40:40
1.1K views02:40
2022-07-31 14:51:15
*
अध्यात्म का उद्देश्य होता है कि*
*वो आपके मन की अशांति को*
*शांति से जोड़ने वाला पुल बना।* और वो पुल कहीं संसार में,
किसी समुद्र में नहीं होगा,
वो पुल आपके मन के भीतर होगा,
वो पुल आपके भवसागर पर बनेगा।
*
भवसागर हमारे भीतर होता है,*
*उसी के पार जाना है।*
1.2K views11:51