*परमात्मा प्रेम-रूप है इसलिए उससे मिलाप का सहज साधन भी प्रेम ह | अध्यात्म(ब्रह्मज्ञान)
*परमात्मा प्रेम-रूप है इसलिए उससे मिलाप का सहज साधन भी प्रेम ही है पर आज इन्सान उस एक मालिक से प्रेम करने के बजाय संसार के अनेक पदार्थों के मोह में बुरी तरह फंस गया है इस अनेकता का प्यार ही जीव को परमात्मा से दुर रखने का मूल कारण है जब-तक हमारे हृदय में परमात्मा का सच्चा और पक्का प्रेम जाग्रत नहीं होता तब-तक हम संसार के पदार्थों के मोह से मुक्त नहीं हो सकते इसलिए ही संत बार-बार हृदय में प्रभु का सच्चा प्रेम पैदा करने का उपदेश देते हैं........*
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