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Posham Pa ― a Hindi literary website

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टेलीग्राम चैनल का लोगो poshampaorg — Posham Pa ― a Hindi literary website
चैनल का पता: @poshampaorg
श्रेणियाँ: साहित्य , कला
भाषा: हिंदी
ग्राहकों: 450
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A Hindi literary website — poshampa.org.
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नवीनतम संदेश 10

2021-05-28 08:30:00 "तुम्हें दफ़नाकर जाने वाले
नहीं जानते आत्मा के अस्तित्व को
बस मानते हैं
ताकि वो जी सकें अपना जीवन, तुम्हारे बाद
तुमसे बेहतर, तुमसे ज़्यादा
कर सकें प्रेम, तुम्हारे बाद
तुमसे बेहतर, तुमसे ज़्यादा
या हत्याएँ, तुम्हारे बाद
तुमसे बेहतर, तुमसे ज़्यादा!"

https://poshampa.org/tumhare-baad-gaurav-tripathi-kavita/
150 views05:30
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2021-05-28 06:29:59 #सालगिरह | प्रयाग शुक्ल

"कुछ है आलिंगन में
जो यों दिखता नहीं
अपने भी पार चला जाता पर।"

https://poshampa.org/aalingan-prayag-shukla-kavita/
146 views03:29
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2021-05-27 16:30:02 “और विनम्रता तो रही ही नहीं। कुछ सिखाओ तो सीखेंगे नहीं। कुछ बताओ तो बिना समझे-बूझे अकड़ने लगेंगे। आज के साहित्यिक, साहित्यिक नहीं—लठैत हैं, लठैत।”

https://poshampa.org/do-aadmi-purane-shrilal-shukla/
55 views13:30
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2021-05-27 14:30:04 घरौंदे पर बदन के फूलना क्या
किराए पर तू इसमें रह रहा है!

https://poshampa.org/jo-utra-phir-na-ubhra-shamsur-rahman-faruqi-ghazal/
67 views11:30
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2021-05-27 12:39:58 "जिसकी सुबह शुरू होती झाड़ू-पोंछे से
सब्ज़ी छौंकते या आटा गूँथते क्या उसे ख़याल आ सकता है
कि हिन्दी साहित्य की लेखिकाओं ने क्या लिखा है?
काफ़्का के दुःख क्या हैं?"

https://poshampa.org/poems-by-yashasvi-pathak/
22 views09:39
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2021-05-27 10:30:01 "समय एक ऐसी कड़ी है जो मुझे तुमसे अलग करती है लेकिन तुम मेरी चेतना में सिद्ध हो। तुम्हें देखा और मान लिया। इसके लिए और कोई प्रमाण नहीं चाहिए।"

https://poshampa.org/vipashyana-adarsh-bhushan/
42 views07:30
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2021-05-27 08:30:01 "नदी ही के पानी और मिट्टी से तो अनाज के ढेर लग जाते थे, फिर वे नदियों को क्यों न ‘माता’ और ‘पिता’ कहते। लेकिन आदमियों की आदत है कि असली सबब को भूल जाते हैं। वे बिना सोचे-समझे लकीर पीटते चले जाते हैं। हमें याद रखना चाहिए कि नील और गंगा की बड़ाई सिर्फ़ इसलिए है कि उनसे आदमियों को अनाज और पानी मिलता है।"

https://poshampa.org/the-early-civilizations-a-letter-from-nehru-to-indira-gandhi/
62 views05:30
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2021-05-26 08:29:57 "तालामई इस बात का ध्यान रखती है कि वह चीख़े या झिझके भी नहीं। वह नियम जानती है। उसे कुछ नहीं करना है, सिर्फ़ अपने पैर फैलाने हैं और चुपचाप लेटना है। वह जानती है कि सब कुछ आदमी के द्वारा ही किया जाता है।"

https://poshampa.org/pravas-ka-maheena-hansda-sowvendra-shekhar-story-from-adivasi-nahi-nachenge/
85 views05:29
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2021-05-26 06:29:57 आख़िर यह किनके हाथों सौंप दिया है ईश्वर
तुमने अपना बड़ा कारोबार?
अपना कारख़ाना बन्द करके
किस घोंसले में जा छिपे हो भगवान?

https://poshampa.org/dushchakra-mein-srashta-a-poem-by-viren-dangwal/
87 views03:29
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2021-05-25 16:29:59 जाते-जाते छूटता रहेगा पीछे
जाते-जाते बचा रहेगा आगे
जाते-जाते कुछ भी नहीं बचेगा जब
तब सब कुछ पीछे बचा रहेगा...

https://poshampa.org/jate-jate-hi-milenge-log-udhar-ke/
35 views13:29
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