“और विनम्रता तो रही ही नहीं। कुछ सिखाओ तो सीखेंगे नहीं। कुछ बताओ तो बिना समझे-बूझे अकड़ने लगेंगे। आज के साहित्यिक, साहित्यिक नहीं—लठैत हैं, लठैत।” https://poshampa.org/do-aadmi-purane-shrilal-shukla/ 55 views13:30