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A Hindi literary website — poshampa.org.
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नवीनतम संदेश 7
2021-06-05 12:22:17
"जैसे ही बीते यह शुष्क दौर
अपने कांधे न हटाना मेरी पहुँच से
मैं अपनी दोनों प्यासी हथेलियाँ
सुप्त माथा और सूखी आँखें
रखूँगा उन पर
ज़रा-सी जीवन की नमी के लिए।"
https://poshampa.org/poems-by-alok-kumar-mishra/
56 views09:22
2021-06-05 09:45:59
डगर को हक़ दो—वह, कहीं भी, कहीं भी, किसी
वन, पर्वत, खेत, गली-गाँव-चौहटे जाकर
सौंप दे थकन अपनी
बाँहें अपनी—
नयी डगर के लिए!
https://poshampa.org/haq-do-kedarnath-singh-kavita/
73 views06:45
2021-06-05 06:30:08
"करुणा बिन शब्दों के सारे अनुप्रास झूठे हैं..."
https://poshampa.org/jeewan-ki-baat-om-nagar-kavita/
86 views03:30
2021-06-04 09:39:59
दुनिया में हूँ, दुनिया का तलबगार नहीं हूँ
बाज़ार से गुज़रा हूँ, ख़रीदार नहीं हूँ...
https://poshampa.org/duniya-mein-hoon-akbar-allahabadi-ghazal/
130 views06:39
2021-06-04 06:30:00
"भई, हमने तो उन्हें पूरी स्वतन्त्रता दे रखी है।"
https://poshampa.org/sannata-by-malti-joshi/
131 views03:30
2021-06-03 12:29:58
तुम्हें याद करना ख़ूबसूरत है,
और उम्मीद देता है मुझे,
जैसे सबसे ख़ूबसूरत गीत को सुनना
दुनिया की सबसे मधुर आवाज़ में।
https://poshampa.org/poems-by-nazim-hikmet/
8 views09:29
2021-06-03 10:42:58
हम साइकिल सवार हैं
हमारे भीतर स्कूली बच्चा
और पहिया बनाने वाला आदिम मनुष्य
अब भी हिलोरें मारता है!
#WorldBiCycleDay
https://poshampa.org/cycle-sawaar-devesh-path-sariya/
35 views07:42
2021-06-03 06:29:59
उसका मुँह अपनी औरत की ओर है। औरत बिना उसे देखे-सुने बैठी रहती है। मर्द झपट्टा मारकर लड़के को उठाता है और उस पर चढ़ बैठता है। फिर हँसुए को झण्डे की तरह तानकर औरत को ललकारता है, "कच्चा खा जाऊँगा।"
https://poshampa.org/teen-kaal-katha-kashinath-singh-kahani/
68 views03:29
2021-06-02 09:22:59
स्वतन्त्रता
कितनी प्यारी चीज़ है
मलाई की कटोरी की तरह,
पर उसे घूर रही हैं
बग़ल में बैठी दुश्मन बिल्लियाँ
जिन्हें सिर्फ़
बन्दूक़ें नहीं मार सकतीं।
https://poshampa.org/hum-azad-hain-sharad-billore-kavita/
98 views06:22
2021-06-01 16:30:01
आओ
आज फिर कविता लिखें
कविता में लिखें
प्रीत की रीत
...जो निभ नहीं पायी
या कि निभायी नहीं गई!
कविता में आगे
रोटी लिखें
जो बनायी तो गई
मगर खिलायी नहीं गई!
https://poshampa.org/phir-kavita-likhein-om-purohit-kagad-hindi-poem/
147 views13:30