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'नदी ही के पानी और मिट्टी से तो अनाज के ढेर लग जाते थे, फिर वे | Posham Pa ― a Hindi literary website

"नदी ही के पानी और मिट्टी से तो अनाज के ढेर लग जाते थे, फिर वे नदियों को क्यों न ‘माता’ और ‘पिता’ कहते। लेकिन आदमियों की आदत है कि असली सबब को भूल जाते हैं। वे बिना सोचे-समझे लकीर पीटते चले जाते हैं। हमें याद रखना चाहिए कि नील और गंगा की बड़ाई सिर्फ़ इसलिए है कि उनसे आदमियों को अनाज और पानी मिलता है।"

https://poshampa.org/the-early-civilizations-a-letter-from-nehru-to-indira-gandhi/