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Utkarsh Ramsnehi Gurukul

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श्रेणियाँ: समाचार
भाषा: हिंदी
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नवीनतम संदेश 9

2023-04-17 08:44:58 डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन
● डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म 5 सितम्बर, 1888 को तिरुतनी ग्राम, तमिलनाडु में हुआ।
● इनके पिता का नाम एस. वीरासमियाह व माता का नाम एस. शिवकाम्मा था।
● डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन एक दर्शन शास्त्री, भारतीय संस्कृति के संवाहक थे।
● इनका जन्मदिवस प्रतिवर्ष 5 सितम्बर को ‘शिक्षक दिवस’ के रूप में मनाया जाता है जिसकी शुरुआत 5 सितम्बर, 1962 से हुई।
● मद्रास के प्रेसीडेंसी कॉलेज से अध्यापन का कार्य शुरू करने वाले राधाकृष्णन आगे चलकर मैसूर विश्वविद्यालय में प्रोफेसर बने तथा कालांतर में देश के कई विश्वविद्यालयों में शिक्षण का कार्य किया।
● इन्हें वर्ष 1938 में ब्रिटिश अकादमी के ‘सभासद’ के रूप में नियुक्त किया गया।
● वर्ष 1939-48 तक बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय (B. H. U.) के कुलपति रहे।
● इन्हें वर्ष 1961 में जर्मन बुक ट्रेड के ‘शांति पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया।
● डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन भारत के प्रथम उपराष्ट्रपति (1952-62) और दूसरे राष्ट्रपति (1962-67) रहे थे।
● इनको साहित्य अकादमी द्वारा उनका सभासद बनने का सम्मान 1968 में दिया गया।
● वर्ष 1954 में इनको भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
● इनकी महत्त्वपूर्ण पुस्तकें – ‘द एथिक्स ऑफ वेदांत’, ‘द फिलासॉफी ऑफ रवीन्द्रनाथ टैगोर’, ‘माई सर्च फॉर ट्रूथ’, ‘द रेन ऑफ कंटेम्पररी फिलासॉफी’ आदि हैं।
● कालांतर में इन्हें संविधान निर्मात्री सभा का सदस्य भी चुना गया था।
● डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के पुत्र एस. गोपाल ने वर्ष 1989 में उनकी जीवनी का प्रकाशन किया।
● डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का 17 अप्रैल, 1975 को चेन्नई में निधन हो गया।
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2023-04-17 08:44:58
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2023-04-17 07:21:35
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2023-04-16 08:07:47 नंदलाल बोस
⬧ नंदलाल बोस का जन्म 3 दिसम्बर, 1882 में बिहार के मुंगेर जिले के तारापुर में एक मध्यम-वर्गीय परिवार में हुआ था। उनके पिता पूर्णचंद्र बोस उस समय दरभंगा महाराजा की रियासत के मैनेजर थे। 
⬧ उन्होंने वर्ष 1905 से वर्ष 1910 के बीच कलकत्ता गवर्नमेंट कॉलेज ऑफ़ आर्ट में अवनीन्द्रनाथ ठाकुर से कला की शिक्षा ली, इंडियन स्कूल ऑफ़ ओरिएंटल आर्ट में अध्यापन किया और वर्ष 1922 से वर्ष 1951 तक शान्ति निकेतन के कलाभवन के प्रधानाध्यापक रहे।
⬧ एक युवा कलाकार के तौर पर नंदलाल बोस अजंता के भित्ति चित्रों से बहुत प्रभावित हुए थे। वे कलाकारों और लेखकों के उस अंतर्राष्ट्रीय समूह का हिस्सा बन गए जो ‘पारंपरिक भारतीय संस्कृति’ को पुनर्जीवित करना चाहते थे।
⬧ उन्होंने भारत के प्रथम प्रधानमन्त्री पं. जवाहरलाल नेहरू के आमंत्रण पर भारतीय संविधान की मूल प्रति को अपनी चित्रकारी से सजाया। बोस ने भारतीय संविधान की मूल प्रति को कुल 22 चित्रों से सजाया। इन सभी चित्रों को बनाने में कुल चार साल का वक़्त लगा।
⬧ नंदलाल बोस ने राष्ट्रीय पुरस्कारों जैसे - भारत रत्न और पद्म श्री के प्रतीक भी बनाए।
⬧ नई दिल्ली स्थित ‘नेशनल गैलरी ऑफ़ मॉडर्न आर्ट’ में उनकी 7000 कृतियाँ संग्रहीत हैं जिसमें वर्ष 1930 में दांडी यात्रा के दौरान बनाया गया महात्मा गाँधी का लिनोकट और वे सात पोस्टर भी शामिल हैं जिन्हें उन्होंने महात्मा गाँधी के निवेदन पर कांग्रेस के वर्ष 1938 के हरिपुरा अधिवेशन के लिए बनाया था।
⬧ भारत के स्वाधीनता आंदोलन का भी उनकी कला पर बहुत प्रभाव दिखाई पड़ा। उन्होंने कांग्रेस के कई अधिवेशनों के लिए पोस्टर और चित्र बनाए और गाँधीजी का एक लाइफ साइज रेखाचित्र भी बनाया, जो बहुत प्रसिद्ध हुआ। 
⬧ वर्ष 1956 में उन्हें ललित कला अकादमी का फेलो चुना गया। ललित कला अकादमी का फेलो चुने जाने वाले वे दूसरे कलाकार थे।
⬧ वर्ष 1954 में उन्हें पद्म भूषण से नवाज़ा गया। 
⬧ वर्ष 1957 में कलकत्ता विश्वविद्यालय ने उन्हें ‘डी. लिट.’ की उपाधि से सम्मानित किया तथा कलकत्ता के ‘अकादेमी ऑफ़ फाइन आर्ट्स’ ने उन्हें ‘सिल्वर जुबली मैडल’ से सम्मानित किया।
⬧ वर्ष 1965 में एशियाटिक सोसायटी ऑफ़ बंगाल ने उन्हें ‘टैगोर जन्म सदी पदक’ प्रदान किया गया। 
⬧ 16 अप्रैल, 1966 कलकत्ता में उनका देहांत हुआ। 
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2023-04-16 08:07:47
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2023-04-16 08:01:42 भारतीय रेल परिवहन दिवस
⬧ भारत में 16 अप्रैल, 1853 को पहली यात्री ट्रेन बोरी बंदर (बॉम्बे) और ठाणे के बीच 34 किमी. की दूरी पर चली थी तथा इसमें 400 लोगों ने सफर किया था।
⬧ भारत के लिए पहला रेलवे प्रस्ताव 1832 ई. में मद्रास में बनाया गया था। 
⬧ भारत की पहली ट्रेन रेड हिल रेलवे के रूप में मिली थी जिसे सड़क निर्माण के लिए ग्रेनाइट के परिवहन के एकमात्र उद्देश्य से बनाया गया था।
⬧ 1845 ई. में गोदावरी नदी पर एक बाँध के निर्माण के लिए पत्थर की आपूर्ति करने के लिए राजमुंदरी के डोलेश्वरम में कपास द्वारा गोदावरी बाँध निर्माण रेलवे का निर्माण किया गया था।
⬧ 1851 ई. में सोलानी एक्वाडक्ट रेलवे रुड़की में प्रोबी कॉटली द्वारा सोलानी नदी पर एक एक्वाडक्ट के लिए निर्माण सामग्री के परिवहन के लिए बनाया गया था।
⬧ भारत की पहली यात्री ट्रेन, ग्रेट इंडियन पेनिनसुला रेलवे द्वारा संचालित और तीन भाप इंजनों - साहिब, सिंध और सुल्तान द्वारा खींची गई - बोरी बंदर (मुंबई) और ठाणे के बीच 1,676 मिमी ब्रॉड गेज ट्रैक पर 14 कैरिज में 400 लोगों के साथ 34 किलोमीटर तक चली।
⬧ फेयरी क्वीन दुनिया का सबसे पुराना कामकाजी भाप इंजन है। यह नई दिल्ली और राजस्थान में अलवर के बीच चल रही है।
⬧ यूनेस्को द्वारा भारतीय रेलवे के चार स्थलों को ‘विश्व धरोहर स्थल’ घोषित किया गया है। वे दार्जिलिंग-हिमालयी रेलवे, नीलगिरि पर्वत, मुंबई सीएसटी और कालका-शिमला रेलवे हैं।
⬧ वर्ष 1951 में भारतीय रेलवे का राष्ट्रीयकरण किया गया तथा भारतीय रेलवे ने वर्ष 1986 में नई दिल्ली में कम्प्यूटरीकृत आरक्षण शुरू किया।
⬧ भारतीय रेलवे दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा नेटवर्क है जो एकल प्रशासन के तहत संचालित होता है और एशिया में सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है।
⬧ वर्ष 1994 में रेल बजट का पहला सीधा प्रसारण हुआ।
⬧ वर्ष 2000 में, ममता बनर्जी रेल मंत्री बनने वाली पहली महिला थीं तथा वह एकमात्र महिला होने का रिकॉर्ड रखती हैं जिन्होंने संसद में दो अलग-अलग सरकारों (यूपीए और एनडीए) के लिए रेल बजट पेश किया।
⬧ भारतीय रेलवे की सबसे लंबी सुरंग पीर पंजाल है जो कश्मीर घाटी को जम्मू में बनिहाल से जोड़ती है।
⬧ वर्ष 1925 में बॉम्बे से कुर्ला के बीच देश की पहली इलेक्ट्रिक ट्रेन चलाई गई।
⬧ वर्ष 1947 में स्वतंत्रता के पश्चात् भारत को एक पुराना रेल नेटवर्क विरासत में मिला और पूर्व में विकसित लगभग 40 प्रतिशत रेल नेटवर्क नवगठित पाकिस्तान के हिस्से में चला गया। ऐसी स्थिति में यह आवश्यकता महसूस की गई कि कुछ लाइनों की मरम्मत की जाए और कुछ नई लाइनें बिछाई जाएँ ताकि जम्मू व उत्तर-पूर्व भारत के कुछ क्षेत्रों को देश के अन्य हिस्सों से जोड़ा जा सके। 
⬧ वर्ष 1952 में तत्कालीन रेल नेटवर्क को ज़ोन (Zone) में बदलने का निर्णय लिया गया और इसी वर्ष कुल 6 ज़ोन अस्तित्व में आए।
⬧ सितंबर, 2003 में प्रशासन को मज़बूत करने के उद्देश्य से ज़ोन की संख्या को बढ़ाकर 12 कर दिया गया जिसके बाद कई अन्य मौकों पर रेलवे ज़ोन्स की संख्या को बढ़ाया गया और वर्तमान में देश में कुल 17 ज़ोन मौजूद हैं।
⬧ वर्ष 2019 में लखनऊ से नई दिल्ली के बीच भारत की पहली प्राइवेट ट्रेन तेजस एक्सप्रेस की शुरुआत हुई, जिसे रेलवे में निजीकरण की दिशा में एक बड़ा कदम माना गया।
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2023-04-16 08:01:42
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2023-04-14 07:14:58 बाबासाहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर
" जब तक आप सामाजिक स्वतंत्रता नहीं हासिल कर लेते, कानून आपको जो भी स्वतंत्रता देता है वो आपके किसी काम की नहीं!"

बाबासाहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल, 1891 को मध्य प्रदेश में हिंदू महार जाति (Hindu Mahar Caste) में हुआ था। उन्हें समाज में हर तरफ से भारी भेदभाव का सामना करना पड़ा क्योंकि महार जाति को उच्च वर्ग द्वारा 'अछूत' के रूप में देखा जाता था।
डॉ. अंबेडकर एक समाज सुधारक, न्यायविद्, अर्थशास्त्री, लेखक, बहुभाषाविद्, विद्वान और विभिन्न धर्मों के विचारक थे।
भारत के पहले कानून मंत्री डॉ. अंबेडकर को 'भारतीय संविधान का जनक' माना जाता है।
डॉ. अंबेडकर संविधान निर्माण की मसौदा (प्रारूप) समिति के अध्यक्ष थे।
डॉ. अंबेडकर ने मार्च, 1927 में उन हिंदुओं के खिलाफ 'महाड़ सत्याग्रह' का नेतृत्व किया जो नगरपालिका बोर्ड के फैसले का विरोध कर रहे थे तथा वर्ष 1926 में 'म्यूनिसिपल बोर्ड ऑफ महाड़' (महाराष्ट्र) ने सभी समुदायों को तालाबों का उपयोग करने से संबंधित आदेश पारित किया।
उन्होंने तीनों गोलमेज सम्मेलनों में भाग लिया।
वर्ष 1932 में डॉ. अंबेडकर ने महात्मा गाँधी के साथ 'पूना समझौते' पर हस्ताक्षर किए, जिससे उन्होंने दलित वर्गों (सांप्रदायिक पंचाट) हेतु पृथक् निर्वाचन मंडल की माँग के विचार को त्याग दिया।
'हिल्टन यंग कमीशन' के समक्ष प्रस्तुत उनके विचारों ने 'भारतीय रिज़र्व बैंक' की नींव रखने का कार्य किया।
वर्ष 1936 में वे विधायक (MLA) के रूप में बॉम्बे विधानसभा के लिए चुने गए।
वर्ष 1942 में उन्हें एक कार्यकारी सदस्य के रूप में वायसराय की कार्यकारी परिषद् में नियुक्त किया गया था।
डॉ. अंबेडकर ने 'हिंदू कोड बिल' पर मतभेद को लेकर वर्ष 1951 में कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया।
वर्ष 1990 में उन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'भारत रत्न' से सम्मानित किया गया था।
डॉ. अंबेडकर ने मूकनायक, बहिष्कृत भारत, समता, जनता (पत्रिकाएँ), जाति प्रथा का विनाश, बुद्ध या कार्ल मार्क्स, अछूत: वे कौन थे और अछूत कैसे बन गए, बुद्ध और उनके धम्म एवं हिंदू महिलाओं का उदय और पतन (पुस्तकें) नामक कृतियों का लेखन एवं सम्पादन किया।
कालांतर में डॉ. अंबेडकर ने बौद्ध धर्म को स्वीकार कर लिया तथा 6 दिसंबर, 1956 (महापरिनिर्वाण दिवस) को उनका निधन हो गया।
केंद्र सरकार ने अंबेडकर सर्किट नामक एक विशेष पर्यटक सर्किट की घोषणा की जिसमें डॉ. भीमराव अंबेडकर से संबंधित पाँच प्रमुख स्थलों को शामिल किया गया है।
सरकार द्वारा घोषित पर्यटन सर्किट के पाँच शहरों में मध्य प्रदेश के महू में अंबेडकर का जन्मस्थान (जन्मभूमि), लंदन में वह स्थान जहाँ वह अपने अध्ययन काल में रहे थे (शिक्षा भूमि), नागपुर में वह स्थान जहाँ उन्होंने बौद्ध धर्म ग्रहण किया (दीक्षा भूमि), दिल्ली में उनके निधन का स्थान (महापरिनिर्वाण भूमि) एवं मुंबई में उनके अंतिम संस्कार का स्थान (चैत्य भूमि) शामिल हैं।
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2023-04-14 07:14:58
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2023-04-14 07:09:59 राहुल सांकृत्यायन
राहुल सांकृत्यायन जी का जन्म 9 अप्रैल, 1893 को उनके ननिहाल पन्दहा ग्राम, ज़िला आजमगढ़ (उत्तर प्रदेश) में हुआ तथा उनका पैतृक गाँव कनैला था।
राहुल सांकृत्यायन के पिता का नाम गोवर्धन पाण्डे और माता का नाम कुलवन्ती था।
उनका मूल नाम केदार पांडेय था।
उनकी शिक्षा काशी, आगरा और लाहौर में हुई।
वर्ष 1930 में उन्होंने श्रीलंका जाकर बौद्ध धर्म ग्रहण कर लिया तथा उनका नाम राहुल सांकृत्यायन हो गया।
राहुल जी पालि, प्राकृत, अपभ्रंश, तिब्बती, चीनी, जापानी, रूसी सहित अनेक भाषाओं के जानकार थे इसलिए उन्हें महापंडित भी कहा जाता था।
राहुल सांकृत्यायन ने उपन्यास, कहानी, आत्मकथा, यात्रावृत्त, जीवनी, आलोचना, शोध आदि अनेक विधाओं में साहित्य-सृजन किया तथा अनेक ग्रंथों का हिंदी में अनुवाद भी किया।
मेरी जीवन यात्रा (छह भाग), दर्शन - दिग्दर्शन, बाइसवीं सदी, वोल्गा से गंगा, भागो नहीं दुनिया को बदलो, दिमागी गुलामी, घुमक्कड़ शास्त्र आदि उनकी प्रमुख कृतियाँ हैं।
महापण्डित राहुल सांकृत्यायन को वर्ष 1958 में 'साहित्य अकादमी पुरस्कार' और वर्ष 1963 भारत सरकार द्वारा 'पद्म भूषण' से सम्मानित किया गया।
साहित्य के अलावा दर्शन, राजनीति, धर्म, इतिहास, विज्ञान आदि विभिन्न विषयों पर राहुल जी द्वारा रचित पुस्तकों की संख्या लगभग 150 है। राहुल जी ने बहुत-सी लुप्तप्राय सामग्री का उद्धार कर अत्यंत महत्त्वपूर्ण कार्य किया है।
वर्ष 1942 के भारत छोड़ो आन्दोलन के पश्चात् जेल से निकलने पर किसान आन्दोलन के उस समय के शीर्ष नेता स्वामी सहजानन्द सरस्वती द्वारा प्रकाशित साप्ताहिक पत्र ‘हुंकार’ का उन्हें सम्पादक बनाया गया।
यात्रावृत्त लेखन में राहुल जी का स्थान अन्यतम है। उन्होंने घुमक्कड़ी का शास्त्र रचा और उससे होने वाले लाभों का विस्तार से वर्णन करते हुए मंज़िल के स्थान पर यात्रा को ही घुमक्कड़ का उद्देश्य बताया।
14 अप्रैल, 1963 को उनका निधन हो गया।
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