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Utkarsh Ramsnehi Gurukul

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2023-04-19 07:19:59
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2023-04-19 07:15:58 विश्व यकृत दिवस
यकृत (लीवर) के महत्त्व और उससे संबंधित रोगों के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए प्रतिवर्ष 19 अप्रैल को विश्व यकृत दिवस का आयोजन किया जाता है।
इस स्वास्थ्य जागरूकता दिवस पर आयोजित गतिविधियों को विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय और स्थानीय शासी समूहों के संघों के साथ आयोजित किया जाता है।
विश्व यकृत दिवस लोगों को गंभीरता, शीघ्र पहचान और यकृत रोगों की रोकथाम के बारे में शिक्षित करने से संबंधित गतिविधियों पर केंद्रित है।
मानव शरीर में दूसरा सबसे बड़ा और सबसे महत्त्वपूर्ण अंग होने के कारण यकृत कई कार्य करता है जिसमें चयापचय, पाचन, प्रतिरक्षा, विषाक्त पदार्थों का निस्पंदन और विटामिन, खनिज, ग्लूकोज आदि का भंडारण शामिल है, लेकिन इन तक सीमित नहीं है।
स्व-उपचार की अनूठी विशेषता, जहाँ यह 60 से 70% तक क्षतिग्रस्त होने के बाद पुन: विकसित या पुन: उत्पन्न हो सकता है, यकृत में किसी भी असामान्यता से गंभीर स्वास्थ्य जटिलताएँ हो सकती हैं।
वर्ष 2023 के लिए विश्व लीवर दिवस की थीम ‘सतर्क रहें, नियमित लीवर चेक-अप करें, फैटी लीवर किसी को भी प्रभावित कर सकता है’ है।
थीम नियमित लीवर चेक-अप के अभ्यास पर जोर देने पर केंद्रित है।
भारत में हाल के अध्ययनों से पता चला है कि 75% गैर-मादक वसायुक्त यकृत रोग (NAFLD; जिगर की बीमारी उन रोगियों में होती है जो बहुत कम या कोई शराब नहीं पीते हैं) कम बॉडी मास इंडेक्स (<25 किग्रा. / मी.2) वाले रोगियों में देखा जाता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, भारत में यकृत की बीमारियाँ मृत्यु का 10वाँ सबसे बड़ा कारण है।
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2023-04-19 07:14:59
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2023-04-18 07:46:57 विश्व विरासत दिवस
● प्रतिवर्ष 18 अप्रैल को सांस्कृतिक-ऐतिहासिक स्थलों और धरोहरों के संरक्षण हेतु जागरूकता पैदा करने के लिए ‘अंतर्राष्ट्रीय स्मारक एवं स्थल दिवस’ (International Day for Monuments and Sites) अथवा ‘विश्व धरोहर दिवस’ (World Heritage Day) का आयोजन किया जाता है।
● इस दिवस का उद्देश्य विभिन्न समुदायों के बीच सांस्कृतिक-ऐतिहासिक विरासत के बारे में जागरूकता पैदा करना है।
● स्मारकों और स्थलों के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस/विश्व विरासत दिवस 18 अप्रैल, 2023 को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के विभिन्न सर्किलों/संग्रहालयों/शाखा कार्यालयों द्वारा मनाया जा रहा है।
● वर्ष 2023 के लिए विश्व धरोहर दिवस की थीम 'विरासत परिवर्तन' (HERITAGE CHANGES) है।
● इंटरनेशनल काउंसिल ऑन मॉन्यूमेंट्स एंड साइट्स (ICOMOS) ने वर्ष 1982 में ‘विश्व धरोहर दिवस’ की स्थापना की थी और वर्ष 1983 में इसे ‘संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन' (UNESCO) की मंज़ूरी प्राप्त हुई थी।
● विश्व धरोहर/विरासत स्थल का आशय एक ऐसे स्थान से है, जिसे यूनेस्को द्वारा उसके विशिष्ट सांस्कृतिक अथवा भौतिक महत्त्व के कारण सूचीबद्ध किया गया है।
● विश्व धरोहर स्थलों की सूची को ‘विश्व धरोहर कार्यक्रम’ द्वारा तैयार किया जाता है, यूनेस्को की ‘विश्व धरोहर समिति’ द्वारा इस कार्यक्रम को प्रशासित किया जाता है।
● यह सूची यूनेस्को द्वारा वर्ष 1972 में अपनाई गई ‘विश्व सांस्कृतिक और प्राकृतिक धरोहरों के संरक्षण से संबंधित कन्वेंशन’ नामक एक अंतर्राष्ट्रीय संधि में सन्निहित है।
● अप्रैल 2023 तक, 167 देशों में कुल 1,157 विश्व धरोहर स्थल (900 सांस्कृतिक, 218 प्राकृतिक और 39 मिश्रित गुण) मौजूद हैं; सबसे अधिक साइटों वाले देश इटली (58), चीन (56), जर्मनी (51), फ्रांस (49), स्पेन (49), भारत (40), मैक्सिको (35), यूनाइटेड किंगडम (33) और रूस (30) हैं।
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2023-04-18 07:46:57
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2023-04-18 07:46:57 अल्बर्ट आइंस्टीन
● अल्बर्ट आइंस्टीन का जन्म 14 मार्च, 1879 को जर्मनी के यहूदी परिवार में हुआ।
● उनके पिता हरमन आइंस्टीन एक इंजीनियर और सेल्समेन थे, जबकि उनकी माता का नाम पोलिन आइंस्टीन था।
● 1880 ई. में उनका परिवार म्यूनिख शहर चला गया।
● 1895 ई. में आइंस्टीन ने 16 साल की उम्र में स्विस फ़ेडरल पॉलिटेक्निक, ज्यूरिख की एंट्रेंस परीक्षा दी, जो बाद में Edigenossische Technische Hochschule (ETH) के नाम से जानी जाती थी।
● भौतिकी और गणित के विषय को छोड़कर बाकी दूसरे विषयों में वे पर्याप्त मार्क्स पाने में असफल हुए और अंत में पॉलिटेक्निक के प्रधानाध्यापक की सलाह पर आर्गोवियन कैनटोनल स्कूल, आरु, स्विट्ज़रलैंड चले गए।
● प्रकाश की क्वांटम थ्योरी – आइंस्टीन की प्रकाश की क्वांटम थ्योरी में उन्होंने ऊर्जा की छोटी थैली की रचना की जिसे ‘फोटोन’ कहा जाता है। उनकी इस थ्योरी में उन्होंने कुछ धातुओं से इलेक्ट्रॉन्स के उत्सर्जन को समझाया। उन्होंने फोटो इलेक्ट्रिक इफ़ेक्ट की रचना की।
● ब्रोव्नियन मूवमेंट – यह अल्बर्ट आइंस्टीन की सबसे बड़ी खोज थी, जहाँ उन्होंने परमाणु के निलंबन में जिगज़ैग मूवमेंट का अवलोकन किया, जो कि अणु और परमाणुओं के अस्तित्व के प्रमाण में सहायक है।
● स्पेशल थ्योरी ऑफ़ रिलेटिविटी – अल्बर्ट आइंस्टीन की इस थ्योरी में समय और गति के सम्बन्ध को समझाया है। ब्रह्माण्ड में प्रकाश की गति को निरंतर और प्रकृति के नियम के अनुसार बताया है।
● वर्ष 1905 में 26 वर्ष की आयु में उन्होंने सापेक्षिकता का सिद्धांत प्रतिपादित किया तथा इस विषय पर उन्होंने केवल चार लेख लिखे तथा आइंस्टीन को अपनी इसी खोज के लिए विश्व प्रसिद्ध नोबेल पुरस्कार मिला।
● अल्बर्ट आइंस्टीन का निधन 18 अप्रैल, 1955 को ब्रिटेन में हुआ था।
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2023-04-18 07:46:57
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2023-04-18 07:46:57 तात्या टोपे
● रामचंद्र पांडुरंग के नाम से विख्यात तात्या टोपे का जन्म वर्ष 1814 में महाराष्ट्र के नासिक जिले में हुआ था।
● उनके पिता, पांडुरंग राव, मराठा पेशवा बाजी राव द्वितीय के दरबार में एक रईस थे।
● टोपे पेशवा के दत्तक पुत्र नाना साहब से परिचित हो गए और दोनों घनिष्ठ मित्र बन गए।
● वे अंग्रेजों के खिलाफ 1857 ई. के विद्रोह में भी सहयोगी थे।
● तात्या टोपे ने उपनाम 'टोपे' अपनाया जिसका अर्थ है - कमांडिंग ऑफिसर।
● लड़ने के कौशल में कोई औपचारिक प्रशिक्षण नहीं होने के बावजूद, टोपे एक शानदार सेनानी और गुरिल्ला युद्ध की कला में निपुण थे।
● 1857 ई. के विद्रोह में तात्या टोपे, झांसी से रानी लक्ष्मीबाई, बरेली से खान बहादुर खान, बिहार के जगदीशपुर से कुँवर सिंह ने, लखनऊ से बेगम हज़रत महल, इलाहाबाद से लियाक़त अली, फतेहपुर से अज़ीमुल्लाह खान और फैज़ाबाद से मौलवी अहमदुल्लाह ने क्रांति का नेतृत्व किया।
● उन्होंने कानपुर और फिर ग्वालियर में विद्रोह में सक्रिय भूमिका निभाई,
● उन्होंने 1857 ई. में उल्लेखनीय कुशलता से कानपुर पर अधिकार कर लिया था, हालाँकि, कानपुर की दूसरी लड़ाई में अंग्रेजों ने टोपे को पीछे हटने के लिए मजबूर कर दिया।
● कालांतर में वे ग्वालियर में विद्रोहियों से मिलने गए।
● कुछ समय के लिए नरवर के राजा मानसिंह के साथ रहे लेकिन राजा के ग्वालियर के शासक के साथ खराब संबंध थे और अंग्रेज इसका फायदा उठाने में सक्षम थे।
● मानसिंह ने धोखा दिया और इसके कारण टोपे को पारोन के वन क्षेत्र से गिरफ्तार किया गया।
● अंग्रेजों ने उन्हें शिवपुरी की एक अदालत में पेश किया।
● तात्या टोपे 1857 ई. के विद्रोह के अग्रणी नेताओं में से एक थे जिनकी वीरता और साहस आज भी भारतीयों को प्रेरित करते हैं।
● 1857 ई. के विद्रोह के विद्रोही नायक तात्या टोपे को अंग्रेजों ने 18 अप्रैल, 1859 को फाँसी दे दी।
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2023-04-18 07:46:57
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2023-04-17 08:46:59
विश्व हीमोफ़ीलिया दिवस
• प्रतिवर्ष 17 अप्रैल को सम्पूर्ण विश्व में ‘विश्व हीमोफ़ीलिया दिवस’ का आयोजन किया जाता है।
• ‘हीमोफ़ीलिया’ के प्रति जागरूकता लाने के लिए वर्ष 1989 से इस दिवस की शुरुआत की गई तथा इसी वर्ष से ‘वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ हीमोफ़ीलिया’ (WFH) के संस्थापक फ्रैंक श्नाबेल के जन्म दिवस 17 अप्रैल के दिन ‘विश्व हीमोफ़ीलिया दिवस’ मनाया जाता है।
• वर्ष 2023 के लिए इस दिवस की थीम “सभी के लिए पहुँच : देखभाल के वैश्विक मानक के रूप में रक्तस्राव की रोकथाम” है।
• हीमोफ़ीलिया रोग का पता सर्वप्रथम उस वक्त लगा, जब ब्रिटेन की महारानी विक्टोरिया के वंशज एक के बाद एक इस बीमारी की चपेट में आने लगे। शाही परिवार के कई सदस्यों के हीमोफ़ीलिया से पीड़ित होने के कारण ही इसे ‘शाही बीमारी’ कहा जाने लगा था।
• इस रोग से पीड़ित मनुष्यों में रुधिर का स्कंदन (Clotting) बनाने वाले कारक का अभाव होता है। इसके फलस्वरूप ऐसे मनुष्य को यदि एक छोटा घाव भी हो जाता है तो उससे लगातार रुधिर बहता जाता है और अंत में उसकी मृत्यु हो जाती है।
• शरीर पर कोई जख्म होने पर खून का 5-7 मिनट तक बहना और अधिक देरी तक बन्द न होना उसे हीमोफ़ीलिया कहा जाता है।
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