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विश्व यकृत दिवस यकृत (लीवर) के महत्त्व और उससे संबंधित रोगों | Utkarsh Ramsnehi Gurukul

विश्व यकृत दिवस
यकृत (लीवर) के महत्त्व और उससे संबंधित रोगों के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए प्रतिवर्ष 19 अप्रैल को विश्व यकृत दिवस का आयोजन किया जाता है।
इस स्वास्थ्य जागरूकता दिवस पर आयोजित गतिविधियों को विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय और स्थानीय शासी समूहों के संघों के साथ आयोजित किया जाता है।
विश्व यकृत दिवस लोगों को गंभीरता, शीघ्र पहचान और यकृत रोगों की रोकथाम के बारे में शिक्षित करने से संबंधित गतिविधियों पर केंद्रित है।
मानव शरीर में दूसरा सबसे बड़ा और सबसे महत्त्वपूर्ण अंग होने के कारण यकृत कई कार्य करता है जिसमें चयापचय, पाचन, प्रतिरक्षा, विषाक्त पदार्थों का निस्पंदन और विटामिन, खनिज, ग्लूकोज आदि का भंडारण शामिल है, लेकिन इन तक सीमित नहीं है।
स्व-उपचार की अनूठी विशेषता, जहाँ यह 60 से 70% तक क्षतिग्रस्त होने के बाद पुन: विकसित या पुन: उत्पन्न हो सकता है, यकृत में किसी भी असामान्यता से गंभीर स्वास्थ्य जटिलताएँ हो सकती हैं।
वर्ष 2023 के लिए विश्व लीवर दिवस की थीम ‘सतर्क रहें, नियमित लीवर चेक-अप करें, फैटी लीवर किसी को भी प्रभावित कर सकता है’ है।
थीम नियमित लीवर चेक-अप के अभ्यास पर जोर देने पर केंद्रित है।
भारत में हाल के अध्ययनों से पता चला है कि 75% गैर-मादक वसायुक्त यकृत रोग (NAFLD; जिगर की बीमारी उन रोगियों में होती है जो बहुत कम या कोई शराब नहीं पीते हैं) कम बॉडी मास इंडेक्स (<25 किग्रा. / मी.2) वाले रोगियों में देखा जाता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, भारत में यकृत की बीमारियाँ मृत्यु का 10वाँ सबसे बड़ा कारण है।