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Utkarsh Ramsnehi Gurukul

टेलीग्राम चैनल का लोगो utkarshgurukul — Utkarsh Ramsnehi Gurukul U
टेलीग्राम चैनल का लोगो utkarshgurukul — Utkarsh Ramsnehi Gurukul
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श्रेणियाँ: समाचार
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नवीनतम संदेश 18

2023-03-08 04:45:04
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-टीम उत्कर्ष
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2023-03-07 08:51:47 https://youtube.com/shorts/rWg8Y-FSj3Q?feature=share
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2023-03-07 04:45:05
इस होली करें कामयाबी की मजबूत शुरुआत उत्कर्ष के साथ

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होली की हार्दिक शुभकामनाएँ।
-टीम उत्कर्ष
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2023-03-06 04:45:02
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2023-03-05 17:32:49 LIVE NOW
Holi Big Announcement


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2023-03-03 10:00:01
विश्व वन्यजीव दिवस
प्रतिवर्ष 3 मार्च को विश्वभर में ‘विश्व वन्यजीव दिवस’ मनाया जाता है।
यह दिवस वन्‍यजीवों के संरक्षण के महत्त्व के बारे में जागरूकता के प्रसार हेतु मनाया जाता है।
20 दिसंबर, 2013 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 3 मार्च को विश्व वन्य जीव दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया था।
संयुक्त राष्ट्र ने अपने रेज़ोल्यूशन में घोषणा की थी कि विश्व वन्यजीव दिवस आम लोगों को विश्व के बदलते स्वरूप तथा मानव गतिविधियों के कारण वनस्पतियों एवं जीवों पर उत्पन्न हो रहे खतरों के बारे में जागरूक करने के प्रति समर्पित होगा।
3 मार्च, 1973 को ही वन्यजीवों और वनस्पतियों की लुप्तप्रायः प्रजातियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर कन्वेंशन (CITES) को अंगीकृत किया गया था।
वर्ष 2023 के लिए विश्व वन्यजीव दिवस की थीम है- ‘'वन्यजीव संरक्षण के लिए भागीदारी' है।
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2023-03-02 08:40:00 सरोजिनी नायडू

'श्रम करते हैं हम
कि समुद्र हो तुम्हारी जागृति का क्षण
हो चुका जागरण
अब देखो, निकला दिन कितना उज्ज्वल।'

सरोजिनी नायडू का जन्म 13 फरवरी, 1879 को आंध्र प्रदेश के हैदराबाद में हुआ था।
भारत कोकिला’ के नाम से प्रसिद्ध सरोजिनी नायडू ने अपनी हाई स्कूल की परीक्षा पास की और अपनी शिक्षा जारी रखने के लिए किंग्स कॉलेज लंदन और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के गिर्टन कॉलेज में दाखिला लिया।
सरोजिनी नायडू ने 19 साल की उम्र में जातिगत परंपरा की अवहेलना करते हुए पंडित गोविंद राजुलू नायडू से विवाह किया।
स्कूल में रहते हुए ही उन्होंने फारसी नाटक महेर मुनीर लिखा और हैदराबाद के निज़ाम ने भी इसकी प्रशंसा की थी।
उनका पहला कविता संग्रह ‘द गोल्डन थ्रेसहोल्ड’ वर्ष 1905 में जारी हुआ था।
वर्ष 1905 में बंगाल के विभाजन के बाद सरोजिनी नायडू भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल हो गईं।
उन्होंने वर्ष 1915 से वर्ष 1918 के बीच भारत में कई यात्राएँ की ;राष्ट्रवाद और सामाजिक कल्याण के लिए चर्चा की तथा लोगों को प्रेरित किया।
भारत में फैले प्लेग महामारी के दौरान लोगों की सेवा करने के लिए भारत सरकार ने केसर-ए-हिंद की उपाधि दी थी जिसे उन्होंने जलियाँवाला बाग हत्याकांड के बाद वापस कर दिया था।
सरोजिनी नायडू भारत में हिंदू-मुसलमान एकता की प्रबल समर्थक थीं और उन्हें उनकी कविताओं के लिए ‘भारत की बुलबुल’ (Nightingale of India) कहा जाता है।
वर्ष 1920 में सरोजिनी नायडू महात्मा गाँधी द्वारा स्थापित सत्याग्रह आंदोलन में शामिल हुईं।
उन्हें वर्ष 1930 के नमक मार्च में कई अन्य प्रसिद्ध नेताओं और स्वतंत्रता सेनानियों के साथ भाग लेने के लिए हिरासत में लिया गया था।
भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान गिरफ्तार हुए प्रमुख नेताओं में वो भी शामिल थीं। उन्हें पुणे के आगा खाँ महल में रखा गया था। 10 महीने के बाद जेल से वे रिहा हुईं तथा फिर से राजनीति में सक्रिय हुईं।
सरोजिनी नायडू प्रारंभ से आज़ादी के संघर्ष में सक्रिय रहीं थीं। उन्होंने धरसाना नमक सत्याग्रह के दौरान गाँधीजी व सभी अन्य नेताओं की गिरफ्तारी के बाद सत्याग्राहियों का नेतृत्व किया था।
3 दिसंबर, 1940 को विनोबा भावे के नेतृत्व में हुए, व्यक्तिगत सत्याग्रह में हिस्सा लेने के कारण पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया लेकिन स्वास्थ्य कारणों से उन्हें शीघ्र ही जेल से रिहा कर दिया गया।
स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद उन्हें उत्तर प्रदेश का राज्यपाल नियुक्त किया गया तथा 2 मार्च, 1949 तक वे इस पद पर बनी रहीं एवं अपने कार्यकाल के दौरान ही उनकी मृत्यु हो गई।
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2023-03-02 08:40:00
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2023-02-28 14:39:05 उत्कर्ष की विभिन्न कैटेगरी के चैनल्स से जुड़ने हेतु नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें।
Sr. No. Channel Name Channel Link
1 Utkarsh Classes- https://t.me/utkarshclasses
2 Current Affairs By Utkarsh Classes- https://t.me/CurrentAffairsUtkarsh
3 Utkarsh Defence Academy- https://t.me/UtkarshDefenceAcademy
4 UTKARSH ONLINE SCHOOL- https://t.me/UtkarshOnlineSchool
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8 Haryana Utkarsh- https://t.me/HaryanaUtkarsh
9 Utkarsh Law Classes- https://t.me/utkarshlawclasses
10 सर्वांगीण उत्कर्ष @ Utkarsh App- https://t.me/SarvangeenUtkarsh
11 UTKARSH NEET-JEE ONLINE CLASSES- https://t.me/neetjeeutkarsh
12 UTKARSH IAS-PCS- https://t.me/utkarshiaspcs
13 UTKARSH COMMERCE CLASSES- https://t.me/UtkarshCommerceClasses
14 Utkarsh Nursing Classes- https://t.me/UtkarshNursingClasses
15 UTKARSH in ENGLISH- https://t.me/UTKARSH_in_ENGLISH
16 Utkarsh SSC Classes- https://t.me/SSCUtkarsh
17 CLAT Utkarsh Classes- https://t.me/clatutkarshclasses
18 Utkarsh Ramsnehi Gurukul- https://t.me/utkarshgurukul
19 Agriculture Utkarsh- https://t.me/agricultureutkarsh
20 CUET Common University Entrance Test- https://t.me/UtkarshCUET
21 Utkarsh Engineers Classes- https://t.me/UtkarshEngineersClasses
22 Rajasthan Current Affairs By Utkarsh Classes- https://t.me/RajCurrentAffairsByUtkarsh
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2023-02-28 08:23:50 डॉ. राजेंद्र प्रसाद
डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद का जन्म 3 दिसंबर,1884 को सिवान जिले (बिहार) के जीरादेई नामक गाँव में हुआ था।
उनके पिता का नाम महादेव सहाय तथा माता का नाम कमलेश्वरी देवी था।
12वर्ष की आयु में उनका विवाह राजवंशी देवी से हुआ था।
इन्होंने छपरा जिले से मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण की तथा आगे की पढ़ाई के लिए कोलकाता के प्रेसिडेंसी कॉलेज में प्रवेश लिया।
वर्ष 1905 के बंगाल विभाजन का प्रभाव डॉ. राजेंद्र प्रसाद पर भी पड़ा तथा उन्होंने स्वदेशी वस्तुओं के समर्थन में विदेशी वस्तुओं को जला दिया।
इसके साथ ही इन्होंने वर्ष 1906 के कांग्रेस अधिवेशन में एक स्वयंसेवक के रूप में भाग लेते हुए बाल गंगाधर तिलक, दादाभाई नौरोजी और गोपाल कृष्ण गोखले का भाषण सुना जिसमें वह गोपाल कृष्ण गोखले के विचारों से काफी प्रभावित हुए।
मुजफ्फरनगर में कुछ समय तक अध्यापन कार्य करने के बाद 1909 में डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद ने कानून की परीक्षा उत्तीर्ण करते हुए वकालत को अपना पेशा बनाया।
वर्ष 1915 में डॉ. राजेंद्र प्रसाद की मुलाकात महात्मा गाँधी से हुई जिसके उपरांत प्रसाद उनके व्यक्तित्व से काफी प्रभावित हुए।
वर्ष 1917 में महात्मा गाँधी के द्वारा बिहार के चंपारण में नील की खेती करने वाले किसानों को ब्रिटिश शोषण से मुक्ति दिलाने के लिए चलाए गए 'चंपारण सत्याग्रह' में डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने अपनी सक्रिय भूमिका निभाईतथा चंपारण सत्याग्रह के घटनाक्रमों की स्मृति में डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद ने ‘चंपारण में महात्मा गांधी’ शीर्षक से एक पुस्तक लिखी।
मुंबई में आयोजित हुए वर्ष 1934 के कांग्रेस अधिवेशन की अध्यक्षता डॉ राजेंद्र प्रसाद द्वारा की गई।
वर्ष 1942 में आयोजित हुए भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान डॉ राजेंद्र प्रसाद कांग्रेस कार्यकारिणी के सदस्य थे। भारत छोड़ो आंदोलन के प्रस्ताव पास होते ही तमाम कांग्रेसी नेताओं के साथ डॉ राजेंद्र प्रसाद को गिरफ्तार कर लिया गया एवं इन्हें अहमदनगर की जेल में बंद कर दिया गया।
जेल में रहते हुए डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने 'इंडिया डिवाइडेड' नामक पुस्तक लिखी जो तात्कालिक भारतीय राजनीतिक स्थिति का वर्णन करती है।
वर्ष 1946 में गठित हुई अंतरिम सरकार में डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद को खाद्य मंत्री की जिम्मेदारी सौंपी गई।
डॉ. राजेंद्र प्रसाद भारतीय संविधान के लिए गठित संविधान सभा के स्थाई अध्यक्ष थे।
स्वतंत्रता के उपरांत जब 26 जनवरी,1950 को भारत का संविधान लागू हुआ तो भारत के प्रथम राष्ट्रपति बनने का गौरव डॉ राजेंद्र प्रसाद को प्राप्त हुआतथा5 वर्ष के सफल कार्यकाल को पूरा करने के बाद पुनः डॉ राजेंद्र प्रसाद को राष्ट्रपति पद के द्वितीय कार्यकाल के लिए चुना गया।
राष्ट्रपति पद से सेवानिवृत्त होने के बाद राजेंद्र बाबू पटना के ‘सदाकत आश्रम’ में जाकर रहने लगे थे।
डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद को वर्ष 1962 में भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से अलंकृत किया गया।
28 फरवरी, 1963 को डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद का देहावसान हो गया।
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