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Utkarsh Ramsnehi Gurukul

टेलीग्राम चैनल का लोगो utkarshgurukul — Utkarsh Ramsnehi Gurukul U
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भाषा: हिंदी
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नवीनतम संदेश 13

2023-04-01 07:00:33 उत्कल दिवस
● प्रतिवर्ष 1 अप्रैल को ओडिशा में उत्कल दिवस अथवा ओडिशा दिवस का आयोजन किया जाता है।
● ओडिशा 1 अप्रैल, 1936 को अस्तित्व में आया था।
● वर्ष 1947 में स्वतंत्रता के पश्चात् ओडिशा तथा आस-पास की रियासतों ने नवगठित भारत सरकार को अपनी सत्ता सौंप दी थी।
● राज्य को एक अलग ब्रिटिश भारत प्रांत के रूप में स्थापित किया गया था और उसी की याद में तथा राज्य के सभी नागरिकों के बीच एकता की भावना को बढ़ावा देने के लिए इस दिवस का आयोजन किया जाता है।
● प्राचीन भारत में उड़ीसा (ओडिशा) कलिंग साम्राज्य का हिस्सा था, 261 ईसा पूर्व में अशोक द्वारा इसे जीत लिया गया, जिसके पश्चात् लगभग एक सदी तक यहाँ मौर्य वंश का शासन रहा।
● 7वीं से 13वीं शताब्दी तक ‘कलिंग स्कूल ऑफ आर्किटेक्चर’ का विकास हुआ।
● इस अवधि के सबसे महत्त्वपूर्ण स्मारक भुवनेश्वर और पुरी में और उसके आसपास देखे जा सकते हैं।
 मुक्तेश्वर मंदिर कलिंग की वास्तुकला का बेहतरीन नमूना है। भुवनेश्वर का लिंगराज मंदिर, पुरी का जगन्नाथ मंदिर, विश्व प्रसिद्ध विश्व धरोहरों में सबसे ऊपर, कोणार्क का सूर्य मंदिर, मंदिर वास्तुकला और मूर्तिकला का प्रतीक है।
● कोणार्क मंदिर के निर्माण में राज्य के 12 वर्षों के राजस्व का उपयोग किया गया जिसकी तुलना शक्तिशाली मुग़ल साम्राज्य से की जा सकती है, जिसने विश्व प्रसिद्ध ताजमहल के निर्माण के लिए 12 वर्षों के अपने संसाधनों का भी उपयोग किया था।
● उत्कल गौरव मधुसूदन दास आधुनिक ओडिशा के निर्माता थे।
● उल्लेखनीय है कि ओडिशा, भारत का ऐसा तीसरा राज्य है जहाँ आदिवासियों की जनसंख्या अधिक है।
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2023-04-01 07:00:33
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2023-03-31 06:50:00 शीला दीक्षित
शीला दीक्षित का जन्म 31 मार्च, 1938 को पंजाब के कपूरथला में हुआ था।
इनकी प्रारम्भिक शिक्षा दिल्ली के कॉन्वेंट ऑफ़ जीसस एंड मैरी स्कूल से हुई तथा कालांतर में स्नातक मिरांडा हाउस कॉलेज से हुई।
संसद सदस्य के कार्यकाल के दौरान इन्होंने लोक सभा की एस्टीमेट्स समिति के साथ कार्य किया।
शीला दीक्षित वर्ष 1984 से वर्ष 1989 तक कन्नौज संसदीय क्षेत्र से लोकसभा सदस्य रही।
शीला दीक्षित लगातार तीन बार दिल्ली की मुख्यमंत्री बनी।
उन्होंने वर्ष 1984 से वर्ष 1989 तक महिलाओं की स्थिति पर संयुक्त राष्ट्र आयोग में भारत का प्रतिनिधित्व किया।
दिल्ली की मुख्यमंत्री के रूप में वर्ष 2008 में उन्हें देश की सर्वश्रेष्ठ मुख्यमंत्री चुना गया।
एनडीटीवी की ओर से उन्हें 2009 का 'पोलिटिशियन ऑफ दी ईयर' चुना गया।
उन्हें वर्ष 2010 में भारत-ईरान सोसाइटी द्वारा ‘दारा शिकोह पुरस्कार’ तथा वर्ष 2013 में उत्कृष्ट सार्वजनिक सेवा के लिए ऑल लेडीज लीग द्वारा ‘दिल्ली वीमेन ऑफ द डिकेट अचीवर्स’ पुरस्कार प्रदान किया गया था।
दीक्षित 11 मार्च, 2014 से 4 सितंबर, 2014 तक केरल की राज्यपाल रहीं।
सिटीजन दिल्लीः माई टाइम्स, माई लाइफ (Citizen Delhi: My Times, My Life) उनके द्वारा लिखी गई आत्मकथा है, जिसमें उन्होंने अपने जीवन के कुछ अहम पहलुओं के बारे में लिखा है।
शीला दीक्षित का 20 जुलाई, 2019 को निधन हो गया।
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2023-03-31 06:50:00
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2023-03-30 07:47:01 मनोहर श्याम जोशी
हिंदी प्रसिद्ध पत्रकार और टेलीविज़न धारावाहिक लेखक मनोहर श्याम जोशी का जन्म 9 अगस्त, 1933 को कुमाऊँ में हुआ।
जोशी ने लखनऊ विश्वविद्यालय से विज्ञान स्नातक किया।
इन्होंने ‘दिनमान’ पत्रिका में सहायक संपादक और साप्ताहिक हिंदुस्तान में संपादक के रूप में भी कार्य किया।
इन्होंने वर्ष 1984 में भारतीय दूरदर्शन के प्रथम धारावाहिक ‘हम लोग’ के लिए कथा-पटकथा लेखन शुरू करने के बाद से मृत्युपर्यंत स्वतंत्र लेखन किया।
इनकी प्रमुख रचनाओं में ‘कुरु कुरु स्वाहा’, ‘कसप’, ‘हरिया हरक्यूलीज़ की हैरानी’, ‘हमज़ाद’, ‘क्याप’ (कहानी संग्रह); ‘एक दुर्लभ व्यक्तित्व’, ‘कैसे किस्सागो’, ‘मंदिर घाट की पौड़ियाँ’, ‘ट-टा प्रोफ़ेसर षष्ठी वल्लभ पंत’, ‘नेताजी कहिन’, ‘इस देश का यारों क्या कहना’ (व्यंग्य-संग्रह); ‘बातों-बातों में’, ‘इक्कीसवीं सदी’ (साक्षात्कार - लेख - संग्रह); ‘लखनऊ मेरा लखनऊ’, ‘पश्चिमी जर्मनी पर एक उड़ती नज़र’ (संस्मरण-संग्रह); ‘हम लोग’, ‘बुनियाद’, ‘र्मुंगेरी लाल के हसीन सपने’ (टेलीविज़न धारावाहिक) इत्यादि शामिल हैं।
उनकी रचना ‘क्याप’ के लिए उन्हें वर्ष 2005 के ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया।
प्रसिद्ध साहित्यकार, उपन्यासकार, व्यंग्यकार, पत्रकार, दूरदर्शन धारावाहिक लेखक, जनवादी-विचारक, फ़िल्म पट-कथा लेखक, उच्च कोटि के संपादक एवं कुशल प्रवक्ता मनोहर श्याम जोशी का निधन 30 मार्च, 2006 को नई दिल्ली में हुआ।
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2023-03-30 07:47:01
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2023-03-30 07:45:06 राजस्थान का राज्य पक्षी गोडावण, राज्य पशु चिंकारा/ऊँट, राज्य वृक्ष खेजड़ी, राज्य पुष्प रोहिड़ा, राज्य खेल बास्केटबॉल, राज्य नृत्य घूमर, राज्य गीत केसरिया बालम एवं राज्य मिठाई घेवर है।
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2023-03-30 07:45:06 राजस्थान दिवस
1800 ई. में राजस्थान के भू-भागों पर राजपूत राजाओं की सत्ता के कारण सर्वप्रथम 'राजपूताना' शब्द का प्रयोग जॉर्ज थॉमस द्वारा किया गया।
1818 ई. में अंग्रेजों ने अजमेर पर आधिपत्य स्थापित करके समस्त रियासतों को दो वर्गों- रियासत तथा ठिकानों में विभाजित किया।
कर्नल टॉड ने 1829 ई. में अपने प्रसिद्ध यात्रा वृत्तान्त ‘एनाल्स एण्ड एन्टीक्विटीज ऑफ राजस्थान’ में इस भू-भाग का नाम राजस्थान बताया जो राजाओं के राज्य का प्रतीक था।
भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम, 1947 के 8वें अनुच्छेद में देशी रियासतों को आत्म निर्णय का अधिकार दिया गया था।
रियासतों के एकीकरण के लिए 5 जुलाई, 1947 को रियासत सचिवालय की स्थापना की गई थी। इसके अध्यक्ष सरदार वल्लभ भाई पटेल व सचिव वी.पी. मेनन थे।
रियासती सचिव द्वारा रियासतों के सामने स्वतंत्र रहने के लिए दो शर्ते रखी गई। प्रथम, जनसंख्या 10 लाख से अधिक एवं दूसरा, वार्षिक आय 1 करोड़ से अधिक होनी चाहिए।
तत्कालीन समय में इन शर्तों को पूरा करने वाली राजस्थान में केवल 4 रियासतें जयपुर, जोधपुर, उदयपुर एवं बीकानेर थी।
राजपूताना के नरेशों ने तत्कालीन केन्द्रीय गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल की चतुराई एवं दूरदर्शिता से भारत संघ में मिलना स्वीकार किया।
तत्कालीन राजपूताना की 19 रियासतों एवं तीन चीफशिप (ठिकानों) वाले क्षेत्रों को विभिन्न चरणों में एकीकृत कर 30 मार्च, 1949 को राजस्थान का गठन किया गया तथा एकीकरण की सम्पूर्ण प्रक्रिया सात चरणों में सम्पन्न हुई।
राजस्थान एकीकरण की प्रक्रिया सन् 1948 से आरंभ होकर सन् 1956 तक सात चरणों में सम्पन्न हुई।
प्रथम चरणः मत्स्य संघ की स्थापना
अलवर, भरतपुर, धौलपुर तथा करौली रियासतों के एकीकरण से 18 मार्च, 1948 को मत्स्य संघ की स्थापना हुई, जिसका उद्घाटन तत्कालीन केन्द्रीय खनिज एवं विद्युत मंत्री श्री नरहरि विष्णु गाडगिल ने किया।
इसकी राजधानी अलवर बनाई गई तथा राजप्रमुख धौलपुर महाराजा श्री उदयभानसिंह बनाए गए।
द्वितीय चरण: पूर्व राजस्थान का निर्माण
द्वितीय चरण में 25 मार्च, 1948 को कोटा, बूँदी, झालावाड, टोंक, किशनगढ़, प्रतापगढ़, डूँगरपुर, बाँसवाड़ा एवं शाहपुरा रियासतों एवं कुशलगढ़ ठिकाने को मिलाकर पूर्व राजस्थान का निर्माण किया गया।
कोटा को इसकी राजधानी तथा महाराव श्री भीमसिंह द्वितीय को राजप्रमुख बनाया गया। इसका उद्घाटन तत्कालीन केन्द्रीय खनिज एवं विद्युत मंत्री श्री नरहरि विष्णु गाडगिल ने किया।
तृतीय चरण: संयुक्त राजस्थान
राजस्थान के तीसरे चरण में पूर्व राजस्थान के साथ उदयपुर रियासत को मिलाकर 18 अप्रैल, 1948 को नया नाम संयुक्त राजस्थान रखा गया, जिसकी राजधानी उदयपुर थी तथा मेवाड़ महाराणा भूपालसिंह को राजप्रमुख और कोटा के महाराव भीमसिंह द्वितीय को उपराजप्रमुख बनाया गया।
माणिक्यलाल वर्मा के नेतृत्व में इसके मंत्रिमंडल का गठन हुआ। इसका उद्घाटन 18 अप्रैल, 1948 को ही उदयपुर में भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने किया था।
चतुर्थ चरण: वृहत् राजस्थान
राजस्थान की एकीकरण प्रक्रिया के चौथे चरण में 14 जनवरी, 1949 को उदयपुर में सरदार वल्लभ भाई पटेल ने जयपुर, बीकानेर, जोधपुर, जैसलमेर रियासतों और लावा ठिकाने को वृहद् राजस्थान में सैद्धांतिक रूप से सम्मिलित होने की घोषणा की।
बीकानेर रियासत ने सर्वप्रथम भारत में विलय किया। इस निर्णय को मूर्त रूप देने के लिए 30 मार्च, 1949 को जयपुर में आयोजित एक समारोह में वृहत राजस्थान का उद्घाटन किया। इसकी राजधानी जयपुर थी तथा उदयपुर के महाराणा भूपालसिंह को महाराज प्रमुख, जयपुर के महाराजा मानसिंह को राजप्रमुख तथा कोटा के महाराव भीमसिंह द्वितीय को उपराज प्रमुख बनाया गया।
पंचम चरणः संयुक्त वृहद् राजस्थान
15 मई, 1949 को मत्स्य संघ का वृहद् राजस्थान में विलय कर देने से संयुक्त वृहद् राजस्थान का निर्माण हुआ। नीमराणा को भी इसमें शामिल कर लिया गया।
षष्टम चरण: राजस्थान
सिरोही रियासत के एक हिस्से आबू - देलवाड़ा को लेकर विवाद के कारण आबू देलवाडा तहसील को बंबई और शेष रियासत 26 जनवरी, 1950 को संयुक्त वृहद् राजस्थान में विलय हो जाने पर इसका नाम 'राजस्थान' कर दिया गया।
सप्तम चरण: राजस्थान
राज्य पुनर्गठन आयोग 1955 की सिफारिशों के आधार पर 1 नवम्बर, 1956 को राज्य पुनर्गठन अधिनियम लागू हो जाने से अजमेर-मेरवाड़ा, आबू तहसील को राजस्थान में मिलाया गया।
इसके तहत मध्यप्रदेश में शामिल हो चुके सुनेल टप्पा क्षेत्र को राजस्थान के झालावाड़ जिले में मिलाया गया और झालावाड़ जिले का सिरोंज को मध्यप्रदेश को दे दिया गया।
इस प्रकार राजस्थान के एकीकरण में कुल 8 वर्ष 7 माह 14 दिन या 3144 दिन लगे।
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2023-03-30 07:02:59
मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम के जन्मोत्सव के पावन पर्व रामनवमी की आप सभी को उत्कर्ष परिवार की ओर से हार्दिक शुभकामनाएँ।
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