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नंदलाल बोस ⬧ नंदलाल बोस का जन्म 3 दिसम्बर, 1882 में बिहार के म | Utkarsh Ramsnehi Gurukul

नंदलाल बोस
⬧ नंदलाल बोस का जन्म 3 दिसम्बर, 1882 में बिहार के मुंगेर जिले के तारापुर में एक मध्यम-वर्गीय परिवार में हुआ था। उनके पिता पूर्णचंद्र बोस उस समय दरभंगा महाराजा की रियासत के मैनेजर थे। 
⬧ उन्होंने वर्ष 1905 से वर्ष 1910 के बीच कलकत्ता गवर्नमेंट कॉलेज ऑफ़ आर्ट में अवनीन्द्रनाथ ठाकुर से कला की शिक्षा ली, इंडियन स्कूल ऑफ़ ओरिएंटल आर्ट में अध्यापन किया और वर्ष 1922 से वर्ष 1951 तक शान्ति निकेतन के कलाभवन के प्रधानाध्यापक रहे।
⬧ एक युवा कलाकार के तौर पर नंदलाल बोस अजंता के भित्ति चित्रों से बहुत प्रभावित हुए थे। वे कलाकारों और लेखकों के उस अंतर्राष्ट्रीय समूह का हिस्सा बन गए जो ‘पारंपरिक भारतीय संस्कृति’ को पुनर्जीवित करना चाहते थे।
⬧ उन्होंने भारत के प्रथम प्रधानमन्त्री पं. जवाहरलाल नेहरू के आमंत्रण पर भारतीय संविधान की मूल प्रति को अपनी चित्रकारी से सजाया। बोस ने भारतीय संविधान की मूल प्रति को कुल 22 चित्रों से सजाया। इन सभी चित्रों को बनाने में कुल चार साल का वक़्त लगा।
⬧ नंदलाल बोस ने राष्ट्रीय पुरस्कारों जैसे - भारत रत्न और पद्म श्री के प्रतीक भी बनाए।
⬧ नई दिल्ली स्थित ‘नेशनल गैलरी ऑफ़ मॉडर्न आर्ट’ में उनकी 7000 कृतियाँ संग्रहीत हैं जिसमें वर्ष 1930 में दांडी यात्रा के दौरान बनाया गया महात्मा गाँधी का लिनोकट और वे सात पोस्टर भी शामिल हैं जिन्हें उन्होंने महात्मा गाँधी के निवेदन पर कांग्रेस के वर्ष 1938 के हरिपुरा अधिवेशन के लिए बनाया था।
⬧ भारत के स्वाधीनता आंदोलन का भी उनकी कला पर बहुत प्रभाव दिखाई पड़ा। उन्होंने कांग्रेस के कई अधिवेशनों के लिए पोस्टर और चित्र बनाए और गाँधीजी का एक लाइफ साइज रेखाचित्र भी बनाया, जो बहुत प्रसिद्ध हुआ। 
⬧ वर्ष 1956 में उन्हें ललित कला अकादमी का फेलो चुना गया। ललित कला अकादमी का फेलो चुने जाने वाले वे दूसरे कलाकार थे।
⬧ वर्ष 1954 में उन्हें पद्म भूषण से नवाज़ा गया। 
⬧ वर्ष 1957 में कलकत्ता विश्वविद्यालय ने उन्हें ‘डी. लिट.’ की उपाधि से सम्मानित किया तथा कलकत्ता के ‘अकादेमी ऑफ़ फाइन आर्ट्स’ ने उन्हें ‘सिल्वर जुबली मैडल’ से सम्मानित किया।
⬧ वर्ष 1965 में एशियाटिक सोसायटी ऑफ़ बंगाल ने उन्हें ‘टैगोर जन्म सदी पदक’ प्रदान किया गया। 
⬧ 16 अप्रैल, 1966 कलकत्ता में उनका देहांत हुआ।