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Sahaj Kriyayog Sadhna Adhyatmik Trust

टेलीग्राम चैनल का लोगो rajyogipk — Sahaj Kriyayog Sadhna Adhyatmik Trust S
टेलीग्राम चैनल का लोगो rajyogipk — Sahaj Kriyayog Sadhna Adhyatmik Trust
चैनल का पता: @rajyogipk
श्रेणियाँ: धर्म
भाषा: हिंदी
देश: भारत
ग्राहकों: 5.22K
चैनल से विवरण

This channel is parallel branch of Adbhut Rajsik Sadhnayen Youtube channel where we will provide you Gupt sadhna's & Dhyaan Gupt mantras..
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Dewanshu@CM4

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2021-07-24 16:15:26 महत्वपूर्ण सूचना :

रतिप्रिया यक्षिणी व्यक्तिगत मार्गदर्शन का चैनल बनाया जा चुका है जो भी साधक यह साधना करना चाहते हैं वह @sahajst पर मनीष जी से दीक्षा आदि हेतु बात कर सकते हैं और यह साधना शुभ मुहूर्त अनुसार शुरू कर सकते हैं ।



रतिप्रिय यक्षिणी परिचय

रति का अर्थ है तृप्ति , रतिप्रिय अर्थात जिसे तृप्ति प्रिय है । यह यक्षिणी अपने साधक से अपनी कामनाओं को पूरा करवा के उसके बदले उसकी इक्षा को पूरी करती है । इसकी एक मात्र इक्षा है शारीरिक शुख की प्राप्ति यह आपमे साधक के साथ साथ उसके जितने भी मित्र आदि है सबको समान सुख देने में सक्षम है लेकिन उसे यह यकीन होना चाइए की वह उसके विषय मे गुप्तता साधक के समान बनाये रखेंगे ।

इसकी उत्पत्ति को अत्यधिक वर्ष नही हुए हैं , कुछ 2200 साल पूर्व ही यह उत्पत्त हुई है जिसके कारण से इसमे वह सभी इक्षाएँ शेष हैं जो एक कामुकता प्रधान माहिला में होनी चाइए ।

क्योंकि यह साधना अत्यधिक शक्तिशाली स्वयं से है इसमे ध्यान की ज़रूरत नही है , यह भोगविलासिनी के समान तुरंत प्रत्यक्ष होती है ।

यह किस प्रकार के कार्य करती है अपने साधक के लिए -

● कामुक इक्षाओं की पूर्ति ।

● शारीरिक बीमारी से बचाव अथवा जो बीमारी है उसे दूर करती है जिससे साधक इसे सुखी रख सके।

● यह अपने साधक को किसी भी प्रकार का कष्ठ नही देती है । हमेशा उसका ख्याल रखती है प्रियसी के भांति ।

● यह अपने साधक को सबके समक्ष सर्वाधिक सुंदर दिखाने में रुचि रखती है तो यह उसकी आकर्षण शक्ति के साथ साथ उसके चमड़ी आदि को बहुत सुंदर बना देती है ।

● साधक की वह इक्षाएँ पूर्ण ज़रूर करती है जितनी उसे आवश्यकता है , लेकिन ऊट पटांग मांगो को नही मानती है । जैसे यदि आपको कार की ज़रूरत है तो यह आपको वह देगी लेकिन अब रॉयल्स रॉयस की जिद्द करेंगे तो नही देगी ।

● आपको अपनी सभी इक्षाएँ पूर्ण करवाने के लिए इसे सन्तुष्ट करना आवश्यक है ।

● हमेशा अपने साधक के किये ततपर रहना इसकी आदत है । यह दिखने में सुंदर होने के साथ साथ कूटबुद्धि कि भी मालकिन है , आपके किसी भी प्रकार के बिज़नेस को बढ़ा सकती है ।

● अपने साधक को परेशानी एवं टेंशन मुक्त रखना इसकी आदत है जिससे उसको कामुकता बनी रहे।

अनेक बाते हैं जो यह करती है बाकी साधक स्वयं से करके जान लें इसके विषय मे । यह मेरे एक मित्र के द्वारा परीक्षित थी लेकिन उसे ज्यादा ही कामुकता थी तो उसने अन्य साधना कर ली जिसके बाद उसने फिर से इसकी साधना की थी और आज के समय मे मुझे पता नही है कि इसका और उसका साथ है या नही कारण वह मेरा मित्र बहुत लंबे समय से मेरे संपर्क में नही है ।।
1.5K viewsAkshay Sharma, 13:15
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2021-07-24 06:59:06
1.5K viewsDewanshu, 03:59
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2021-07-23 18:59:31
शीघ्र ही आप सभी को यह जानने को मिलेगा किस समय 49 प्राण वायु तिथि अनुसार संचालित होती हैं एक सामान्य व्यक्ति में।
547 viewsDewanshu, edited  15:59
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2021-07-23 06:25:11
गुरु पूर्णिमा क्रियायोग स्वरूप - वीडियो के माध्यम से ।



250 viewsAkshay Sharma, 03:25
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2021-07-22 09:08:40 सफल रतिप्रिया यक्षिणी साधना का अनुभव


gurudev saadar charan sparsh evan pranaam gurudev main aapaka bahut bahut dhanyavaad karana chaahata hoon main bahut saalon se tantr ke saadhana mein laga hua tha lekin aaj tak mujhe ek bhee saadhana mein saphalata nahin mil pa rahee thee jisaka mujhe pata nahin tha aisa kyon ho raha hai mere saath ya tum mujh mein koee kamee hai ya to kaheen aur yah cheejen hotee hee nahin hai mainne to yah maan liya tha kuchh din pahale tak phir mainne dheere dheere aap ke veediyo dekhane shuroo kie yutoob par aapake lojik mujhe bahut jyaada achchhe lagane lage jisakee vajah se mainne aapase sampark kiya tha teleegraam mein navambar ya aktoobar maheene mein usake baad mainne aapake pet grup par jvain kiya dheere-dheere javaab ke saaree prashnottaree padee to mujhe aapakee bataee gaee baaten bahut lojikal lagane lagee.

mainne aapake pet grup mein ek saadhana ratipriya yakshinee kee jo ki main aisee kaee saadhanaen pahale bhee koshish kar chuka tha lekin vah jeevan mein saphalata nahin mil pa rahee thee to mainne ya antim baar ek saadhana karane ka man bana liya aur is saadhana ko mainne mainne kiya aur mujhe bahut khushee ho rahee hai bataate hue ki meree saadhana pooree ho chukee hai aur jo jo cheejen aapane bataee thee vah saaree cheejen mere saath ho rahee hain aur mujhe jitane sukh mujhe milane chaahie har prakaar ka khushee aur sukh mere ko yah de rahee hai gurudev mere ko bahut jyaada apana anubhav likhana nahin aata hai isalie mere ko jitana samajh mein aa raha hai main utana likh kar aapako bhej raha hoon main apana poora anubhav poora 19 din ka to nahin likh paoonga lekin saadhana ke shuroo mein hee mujhe bahut saare anubhav hone lage the to mujhe lagane laga tha ki yah saadhana ab meree saphal hogee hee hogee aur jisakee vajah se main pooree mehanat ke saath pooree lagan ke saath isako karata gaya aur jaisa jaisa aapane bataaya tha bilkul vaisa vaisa hee

mujhe mahasoos hone laga aur antim din aaj main pooree tareeke se sukhee hoon khush hoon. gurudev main bas itana kahana chaahata hoon isake alaava kuchh bhee kahana mujhe nahin lagata ki theek hoga saadhak saare sab samajhate hain aur jaanate hain ki is saadhana ke baare mein aap bole hain bahut baar kee bataana nahin chaahie isalie isase jyaada main kuchh aur nahin likhoonga pranaam gurudev apanee krpa banae rakhana aur main apana kaam dhandhe mein jitana bhee kama loonga usaka kuchh deta rahoonga
1.0K viewsAkshay Sharma, 06:08
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2021-07-22 09:07:16 रतिप्रिया यक्षिणी अनुभव - 2

Sadhna ki 4 th day me raat me jab sooya tha to ek sawli colour ki lady aayi aur mera blanket jo mere sarir per tha use kheej ker hata di aur poora room khoosbu se bhar gayi thi wo aurat mera dil ke pass apni hath rakhi thi. Tab mera nind khool gaya us waqt bhi mera blanket khoosboo se mahak raha tha.. Ye sirf 4 th day hi hue

Mera bed pe wo khoosboo next day bhi aati thi. Mai apni room me akela hi soota hu. Mere alawa koi busra mere room me kabhi nahi aata.
968 viewsAkshay Sharma, 06:07
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2021-07-22 08:50:02 रतिप्रिया यक्षिणी अनुभव


आदरणीय देवांशू जी, सादर नमस्कार
आपकी आज्ञा अनुसार यहां मैं मेरी रतिप्रिया यक्षिणी साधना अनुभव शेयर कर रहा हूं, श्रीमान जी आपने साधनाओं के सामान्य निर्देशों में भी कहा है कि साधना और उसके अनुभव किसी को बताने नहीं चाहिए, लेकिन अब आपकी ही आज्ञा हुई है
श्रीमान जी वैसे तो आप मेरी इस साधना के विषय में जानते ही हैं, आपके निर्देशानुसार मैंने अमावस्या के रात्रि 10 बजे से साधना आरम्भ कि थी और पूरे 19 दिन तक एक ही नियत समय पर साधना करता रहा, शुरू के 2 दिन तो कुछ नहीं था लेकिन तीसरे दिन साधना कक्ष में अचानक तेज प्रकाश का अनुभव ही जैसे किसी ने लाइट ऑन कर दी हो क्योंकि साधना समय में कक्ष में कोई प्रकाश नहीं किया जाता है तो पूर्णतः अंधेरे में ही साधना करता था जैसे ही प्रकाश का अनुभव हुआ वैसे ही कुछ समय के लिए अचानक शरीर में भीषण गर्मी का अहसास हुआ, मुझे डर भी लगा मन हुआ आंखे खोल के देख लूं की हुआ क्या है, लेकिन आपने कहा है कि माला पूरी होने से पहले आखें नहीं खोलनी हैं तो मैं मंत्र जप करता रहा, माला पूरी होने से कोई 1 मिनट पहले सब नॉर्मल हो गया। फिर अगले दिन कुछ नहीं हुआ, 5 वें दिन 1 माला आराम से हो गई दूसरी माला आरम्भ ही कि थी कि लगा कक्ष के बाहर कोई महिला घूम रही है उसकी पायल की आवाज एक लय में साफ सुनाई दे रही थी, जबकि according to my condition us समय में जहां साधना करता हूं, पूरे फ्लोर पे किसी महिला की उपस्थिति के कोई चांस नहीं है, फिर भी मैंने साधना पूरी कर बाहर आके देखा तो कोई भी नहीं था। मैंने अगले दिन घर में पूछा भी था कि क्या कोई 11 बजे के आसपास उपर आया था तो सबने मना कर दिया। उसके बाद करीब एक हफ्ते तक कुछ नहीं हुआ फिर उसके 13वें या 14वें दिन (थोड़ा टाइम हो गया है साधना किए हुए तो दिन मुझे एग्जैक्ट याद नहीं है) 2 माला में कर चुका था और तीसरी माला भी लगभग आधी हो चुकी थी कि अचानक कमरे में चमेली के फूलों की खुशबू आने लगी ऐसा लगा जैसे कोई लाखों फूल चारों ओर बिखर गए हों, और फिर यही सिलसिला चलता रहा। मेरी 19 दिवसीय साधना पूरी हो गई लेकिन कुछ गलतियों के कारण मुझे प्रत्यक्षीकरण नहीं हुआ।
वैसे dewanshu जी के अनुसार साधना में ध्यान आवश्यक नहीं है लेकिन इन्होंने मना भी नहीं किया था तो 5 से 10 मिनट का ध्यान मैं करता था साधना पूरी किए 1 महीने से अधिक हो गया है, लेकिन मैं उसी समय के आसपास, ध्यान अभी करता ही हूं और मुझे कभी कभी दिन में एक से अधिक बार ऐसा लगता है कि कोई मेरे साथ है या आसपास है जो मुझे दिख नहीं रहा क्योंकि वहीं खुशबू मुझे अभी भी आती है और इसी लिए मैंने साधना के इतने समय बाद भी रतिप्रिया का ध्यान करना बंद नहीं किया
इति श्री
1.0K viewsAkshay Sharma, 05:50
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2021-07-21 10:47:32 रतिप्रिया यक्षिणी मार्गदर्शन

जैसा कि आप सभी जानते हैं कि पिछले कुछ समय से कुछ चुनी हुई साधनाओं का व्यक्तिगत चैनल बनाया जा रहा है जिसमें उस साधना से सम्बंधित सभी जानकारी पूरे विस्तार के साथ समझायी जाती है ।

साथ ही साथ समय आने पर कुछ विशेष निर्देश , नियम भी बताए जाते हैं ।

इस क्षृंखला में अब तक जिन साधनाओं के चैनल बनाए गए हैं वह हैं

१) शकुनि साधना
२) गौरांगी यक्षिणी
३) गुप्त नवरात्रि दुर्गा साधना
४) धन पिशाच पिशाचीनी

जिसमें धन पिशाच पिशाचीनी को छोड़कर सभी चैनल में जानकारियाँ डाली जा चुकी हैं और आगे आने वाले समय पर आवश्यकता अनुसार जानकारी डाली जाएँगी ।

धन पिशाच पिशाचीनी का चैनल उचित समय से सक्रिय किया जाएगा ।

इसी तरह रतिप्रिया यक्षिणी का भी एक अलग विशेष चैनल बनाया जा रहा है जिसमें इनसे सम्बंधित पूर्ण जानकारी वहाँ पर प्रकाशित की जाएँगी ।

जो भी साधक लम्बे समय से यह साधना करना चाह रहे थे , वह इसमें अवश्य जुड़ें ।

नोट : इसमें सिर्फ़ साधना कर रहे साधकों को जोड़ा जाएगा , इस चैनल का कोई भी अतिरिक्त शुल्क नहीं है ।

किसी भी प्रकार की जानकारी हेतु सम्पर्क सूत्र : मनीष जी @Sahajst
1.3K viewsAkshay Sharma, 07:47
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2021-07-20 08:41:06 शमशान - एक निर्जन स्थान जहां जीवन की महत्वता कम हो जाती है और व्यक्ति के स्थूल शरीर के पंच तत्व , यहीं विलीन हो जाते हैं ।
धरती , जल, वायु, आकाश , अग्नि । प्रकृति अपना दिया हुआ सब अपने यही ले लेती है व्यक्ति जिस प्रकार से जन्म लेता है जितना वो प्रकृति का उपयोग करता है प्रकृति पूर्ण रूप से सब वापस ले लेती है ।

इस कारण से ही अधिकतर शमशान जल के समीप होते हैं जिससे हर तत्व अपना अपना गुण वापस प्राप्त कर ले।

फिर भी शव से प्रेम क्यों ? व्यक्ति अपने जीवन के उन घटनाओं से शव के साथ जोड़ता है जो व्यक्ति के सूक्ष्म और स्थूल दोनों शरीर दोनों से उसे प्राप्त हुई , साथ ही साथ भावनाएं जोड़ के उसे अपने अनुसार अपने प्रेम भाव को जल रूपी नेत्र अश्रु के रूप से व्यक्त कर देता है । यह रोदन उसके सहस्त्रार के माध्यम से इतनी तीव्र गति से निकलता है कि मृत व्यक्ति के सूक्ष्म शरीर को अंततः पूर्ण रूप से वह ध्वनि प्रताड़ित करती है अतः मृत्यो प्रांरत कभी किसी के साथ ऐसा न करें।

क्या मोक्ष सम्भव ? यदि मृत शैया पर व्यक्ति विचार हीन है वह मोक्ष की प्राप्ति करेगा ही करेगा यह मेरा उस हर व्यक्ति को वचन है जो इसकी प्राप्ति के लिए जुड़ा है । अब इसके ऊपर अधिकः चर्चा भविष्य में ।


कुछ स्वर्ग नर्क है ?

जी नही , जिस प्रकार से हर एक शुभ अशुभ को समझाने के लिए दांत कथाएं बनाई गई है उसी प्रकार से ये सबसे बड़ी दन्त कथा है जिज़मे स्वर्ग और नर्क है । पुनर्जन्म एक अलग सिद्धांत है ।
मरने के बाद व्यक्ति का शरीर मात्र 3 तत्व में उपस्थित रहेगा वो क्या ही खायेगा , कहाँ ही तला जाएगा ।

यदि ऐसा कुछ है ही नही फिर ईश्वर की भक्ति क्यों !

जिस प्रकार से कोशिकाओं में ऊर्जा रहती है और मृत्यु के समय यह शरीर मे एक जगह एकत्रित होके शरीर का त्याग करती है , ऐसे समय पर उस ऊर्जा के लिए शरीर उसी प्रकार है जिस प्रकार मल निकलने के बाद शरीर के लिए मल। लेकिन यह मल आसानी से बिना पीड़ा के निकले इसके लिए हम अधिकः पानी पीते है उसी प्रकार से मंत्रों के जाप से सूक्ष्म शरीर आसानी से स्थूल शरीर त्यागता है । इसे अधिकः न समझे क्योंकि इससे आपके मन मे अपने ही शरीर के लिए द्वेष पैदा हो जाएगा ।
683 viewsAkshay Sharma, 05:41
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