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Sahaj Kriyayog Sadhna Adhyatmik Trust

टेलीग्राम चैनल का लोगो rajyogipk — Sahaj Kriyayog Sadhna Adhyatmik Trust S
टेलीग्राम चैनल का लोगो rajyogipk — Sahaj Kriyayog Sadhna Adhyatmik Trust
चैनल का पता: @rajyogipk
श्रेणियाँ: धर्म
भाषा: हिंदी
देश: भारत
ग्राहकों: 5.22K
चैनल से विवरण

This channel is parallel branch of Adbhut Rajsik Sadhnayen Youtube channel where we will provide you Gupt sadhna's & Dhyaan Gupt mantras..
Direct Message Shreem Dewanshu - @DOccult
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Dewanshu@CM4

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नवीनतम संदेश 50

2021-07-14 07:19:39 हूरा जिन्नात

यह उनके लिए है जो जिन्नात से कुछ प्राप्त करना चाहते हैं जैसे, सुंदर समान, गुप्त समान, या कुछ या कोई अमूल्य वस्तु ज्ञान । जैसे लोगोँ का समझना है कि कोई यक्षिणी अगके सोना दे के जाती है तो यह जान लें कि वह यक्षिणी पारा + तांबा + गंध को जोड़ बताती है जिससे आप 100 रुपये के समान से 50,000 का सोना बना सकें यह एक काल्पनिक कैलकुलेशन है ।

लेकिन यह जिन्नात समान लाके देता है अगिया बताल की तरह ।

यह साधना जुलाई माह के पेड ग्रूप में डाली गयी है । जो भी साधक एक निश्चित कम समय में शक्तिशाली शक्ति प्राप्त करना चाहते हैं उन्हें यह साधना अवश्य करनी चाहिए ।

इस साधना में दिन एवं माला दोनों ही कम है । इसलिए आपको समस्या नहीं होगी ।

जुलाई माह के पेड ग्रूप में जुड़ने हेतु @Sahajst


यह साधना पूर्व में परीक्षित है , इनके साधक का अनुभव ज़रूर देखें



650 viewsAkshay Sharma, 04:19
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2021-07-14 05:20:03 शुभ सूचना -

संस्था द्वारा प्रत्येक सुबह लाईव रक्तसंचार का सेशन Sahastrar Sadhna Kendra YouTube चैनल के माध्यम से किया जा रहा है l आप सभी निशुल्क रूप से जुड़ के सीख सकते हैं ।








इसके माध्यम से आप शारीरिक एवं मानसिक कष्ट से मुक्ति प्राप्त करेंगे एवं क्रियायोग तथा साधना में एक लंबे समय तक बिना किसी शारीरिक व्यवधान के बैठ पाएंगे l

संस्था आप सभी का इस सेशन में प्रत्येक दिन स्वागत करती है l

आप दिए लिंक पर क्लिक पर जुड़ सकते हैं l
762 viewsMayank, edited  02:20
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2021-07-12 18:28:39 श्रीम परम्परा नामांकन -

श्रीम परंपरा की जानकारी हेतु सर्वप्रथम यह पोस्ट पढ़ें -

१. https://t.me/rajyogipk/5211
२. https://t.me/rajyogipk/5263

इनके माध्यम से इस परंपरा की पूर्ण जानकारी आपको प्राप्त हो सकेगी

श्रीम् परम्परा -

परम्परा = परंपरा = परं + परा = पर + म + पर + अ

जिस प्रकार से हूं इस बीज का उच्चारण हूम् होता है बिंदु डरा निरंतर होने वाली प्रक्रिया को दर्शया जाता है , म द्वारा प्रकृति में पुनः उत्पत्ति को दर्शया जाता है जैसे बीज से पौधा पौधे से फूल फल और पुनः फल के बीज से वृक्ष अर्थात एक बीज में वह सभी गुण है जो वृक्ष में हैं, प को सामान्य अर्थ में प्राप्ति से दर्शाते हैं जैसे पाना, र को इन्द्रियों की शक्ति से दर्शाया जाता है , अ को त्रिदेव की शक्ति जो की उत्पत्ति रचना रचियता और परिवर्तान्शीला से सम्बंधित है. पूर्ण अर्थ है समस्त इन्द्रियों की शक्ति पर निर्यंत्रण कर पाना जिसके साथ त्रिदेव की शक्ति की भी प्राप्ति निहित है.

यदि यह समझ नही आता है इसे दूसरी प्रकार से समझते हैं - परम से निराकार परब्रह्म को दर्शया जाता है जो इस श्रृष्टि के रचियता है वही प्रदान हैं परा को पंक्ति से दर्शाते हैं जिसे आवली से भी दर्शया जाता है - इस पंक्ति को दंड रूप में दर्शया जाता है की इसी दंड से परब्रह्म में यह काया परिवर्तित हो जाती है जैसे वृक्ष बीज में और बीज वृक्ष में.

परम्परा में जुड़ना ही गुरु शिष्य के समबन्ध को स्थापित करना है.

इसमें जुड़ने की लिए नाना प्रकार की परीक्षाएं आपको देनी होंगी जिनमे सफल होना आवश्यक है किसी भी एक परीक्षा में सफल होने पर आप इस परंपरा का भाग नही बन सकेंगे. सफलता में अनेक वर्ष भी लग सकते हैं और यदि आप सभी परीक्षा में सफल जल्द होते गये तो १ वर्ष में भी पूर्ण कर सकते हैं इस परम्परा में जुड़ने के बाद आपकी योगिक एवं तन्रिक सिक्षा दीक्षा शुरू की जाएगी जो की आप मेरे अधीन रह के प्राप्त करेंगे.

इस परम्परा में दीक्षित शिष्य आर्थिक मानसिक आत्मिक अध्यात्मिक रूप से सुख एवं संपन्न रहेंगे यह निश्चित है की उनके आने वाली पुश्ते भी कभी किसी प्रकार की कमी महसूस नाही करेंगी.

इस पवन परम्परा हेतु नामांकन आप आज से २४ जुलाई तक करवा सकते हैं. नामांकन हेतु निम्नलिखित जानकारी आपको प्रदान करनी होगी उसके कुछ समय बाद ही प्रथम परीक्षा होगी.

नामांकन हेतु जानकारी -

आपका नाम
आपके पिता का नाम
माता का नाम
भाई एवं बहिन के नाम
निवास स्थान
जन्म दिनांक
समय
जन्म स्थान
आपका चित्र
आपका कोई गवर्मेंट आइडेंटिटी प्रूफ
(पासपोर्ट को वरीयता)
आपका कार्य क्षेत्र (पूर्ण जानकारी)
आपके जीवन में वर्तमान समस्याएं


परंपरा हेतु नामांकन उपर दिए गये दोनों लिंक को पढने के बाद ही करवाएं क्यूंकि परीक्षा काल में सिर्फ और सिर्फ परीक्षा ही होगी अन्य कोई जानकारी साधना आदि नही.

संपर्क सूत्र - @doccult

श्रीम
1.0K viewsDewanshu, 15:28
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2021-07-12 07:52:43 कुंडली विश्लेषण एवं हस्तरेखा प्रशिक्षण

संस्था द्वारा लम्बे समय से कुंडली और हस्तरेखा द्वारा व्यक्तियों के जीवन में हो रही और आने वाली समस्याओं और उनके उपाय के बारे में बताया जा रहा है । साथ ही साथ उनसे सम्बंधित विभिन्न उपाय भी बताए जाते हैं जैसे की

१) तंत्र धारण
२) साधना सुझाव
३) दान
४) पाठ
५) रत्न धारण

इत्यादि । जिससे व्यक्ति अपने सहजता अनुसार जो जो उपाय हो सकें वह कर सके ।
आप दोनों ही सेवाओं में स्वयं से सम्बंधित 3 प्रश्न पूछ सकते हैं , जिनके उत्तर आपको प्राप्त होंगे ।

अभी कुछ समय पूर्व आप सभी के समक्ष एक साधक का अनुभव डाला गया था जिसमें उनको हस्तरेखा द्वारा यह पहले ही सूचित कर दिया गया था की उनके जेल जाने के और मानहानि का केस होने के पूर्ण सम्भावनाएँ हैं परंतु उन्होंने नहीं मान के कोई उपाय नहीं किए और बाद में यह सब यातनाएँ भुगतनी पड़ी ।

जो साधक अभी साधना क्षेत्र से जुड़े हैं और जाना चाहते हैं की किस प्रकार की साधनाएँ उनके लिए फलदायी रहेंगी , अगर महाविद्या साधना करनी है तो कौन सी करें , कौन से ग्रहों के उपाय करने चाहिए जिससे साधना सफलता मिले

इन सभी प्रश्नों हेतु आप कुंडली विश्लेषण अथवा हस्तरेखा प्रशिक्षण अवश्य करवाएँ इससे आपको प्रथम साधना में ही सफलता के योग बहुत बढ़ जाएँगे ।

कुंडली विश्लेषण और हस्तरेखा प्रशिक्षण का शुल्क मात्र 1280/- है ।

कुंडली विश्लेषण - प्राप्ति -

https://t.me/rajyogipk/4653
(11 साधक पूर्ण हो चुके हैं)

हस्तरेखा परीक्षण - https://t.me/rajyogipk/2860
(नवीन शुल्क लागू)

इससे सम्बंधित पूर्ण प्रक्रिया एवं जानकारी हेतु आप @Sahajst पर मनीष जी से सम्पर्क कर सकते हैं ।
291 viewsAkshay Sharma, edited  04:52
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2021-07-12 05:21:00



शुभ सूचना -

संस्था द्वारा प्रत्येक सुबह लाईव रक्तसंचार का सेशन Sahastrar Sadhna Kendra YouTube चैनल के माध्यम से किया जा रहा है l आप सभी निशुल्क रूप से जुड़ के सीख सकते हैं ।

इसके माध्यम से आप शारीरिक एवं मानसिक कष्ट से मुक्ति प्राप्त करेंगे एवं क्रियायोग तथा साधना में एक लंबे समय तक बिना किसी शारीरिक व्यवधान के बैठ पाएंगे l

संस्था आप सभी का इस सेशन में प्रत्येक दिन स्वागत करती है l

आप दिए लिंक पर क्लिक पर जुड़ सकते हैं l
517 viewsMayank, 02:21
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2021-07-11 17:33:45 अत्यंत विशेष जानकारी - घर का निर्माण कैसे करें ?


घर में जो विभिन्न प्रकार की नकारतमकताओं का सामना सभी को करना पड़ता है ऐसा ना हो और घर का निर्माण कैसे हो इसकी पूर्ण जानकारी श्रीम देवांशु जी द्वारा लाइव दी जा रही है । तुरंत जुड़ें






881 viewsAkshay Sharma, edited  14:33
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2021-07-11 11:12:29 जो भी साधक आज रवि पुष्य से साधना प्रारम्भ कर रहे हैं , वह पूर्ण गुप्तता से साधना करें और इस विषय में अब संस्था में किसी से कोई भी प्रश्न ना करें
1.0K viewsAkshay Sharma, 08:12
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2021-07-10 12:03:32 १. नकारात्मकता से मुक्ति
२. नाना प्रकार की अप्रकिर्तिक बाधा से मुक्ति
३. भय से मुक्ति
४. मानसिक असंतुलता से मुक्ति
५. शारीरक संशय से मुक्ति
६. डरावने स्वप्न , आदि से मुक्ति
७. नज़र दोष आदि से बचाव

इसे गिना नही जा सकता है जितने भी समाश्या जो शरीर से सम्बंधित है उनमे मुक्ति मिल जाती है.

१ साधक को इसके माध्यम से मैग्रन में भी आराम मिला एक साधक को लम्बे समय से शरीरिक समस्या थी उन्हें लगभग १ सप्ताह के सेवन से 35 प्रतिशत राहत है अभी तक जिन्होंने भी इसका सेवन किया है उन्हें लाभ प्राप्त हुए ही हुए हैं.

अतः यदि आप भी किसी भी प्रकार से उपरी बाधा अथवा किसी अन्य अप्राकृतिक चीज़ से ग्रसित हैं इसका सेवन अवश्य करें.

इसका शुल्क २१०० से ३७०० के बीच है निर्भर करता है संशय किस प्रकार की है इसका निर्माण माह में १ ही बार किया जाता है इसलिए आप अग्रिम धनराशी जमा करके अपनी समस्या बता दें.

संस्था में धनराशि जमा करने के निम्नलिखित माध्यम हैं

Paytm - 08377077139

Account -

Name - Sahaj Kriyayog Sadhna Adhyatmik Trust
Account number - 38017006730
State Bank Of India
IFSC - SBIN0016167
MICR - 226002088
Branch - Southcity, Lucknow

UPI - sahajky@upi

इसके अलावा संस्था किसी अन्य माध्यम से धनराशि स्वीकार नही करती है अतः यदि आप इसके अलावा कहीं धनराशि जमा करते हैं उसके लिए आप स्वयं जिम्मेदार होंगे।

संपर्क सूत्र - मनीष जी - @sahajst

श्रीम
1.3K viewsDewanshu, 09:03
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2021-07-10 12:03:32 सिद्ध मद्य

इसके प्रभाव को हम क्रियायोग एवं तंत्र दोनों ही अनुसार से समझेंगे जिससे साधकों को ज्यादा बेहतर समझ आएगा

मानव शरीर में नाना प्रकार की वायु , कोष एवं नाडी चक्र होते हैं जो जन्म से स्वत एक निश्चित स्थति में होते हैं जिससे मनुष्य एक सामान्य जीवन जीता है लेकिन इनमे थोडा सा भी फेर बदल साधक के जीवन में कौतुहल ला सका है जिसमे व्यक्ति शारीरिक , मानसिक, आत्मिक समस्या से झूझता है अतः यह समझ आवश्यक है की सिर्फ भौतिक ही नही आन्तरिक उर्जा शरीर भी संतुलित रहें. जो भी शोध आज के समय में होते हैं वह उनपे ही हैं जो हौतिक रूप से उपस्थित हैं इसी कारण से शारीरिक आन्तरिक उर्जा का स्त्रोत सूक्ष्म एवं कारण शरीर पर सिर्फ अध्यातिक दृष्टि से ही शोध किया गया है जिसके सम्पूर्ण फल प्राप्त हुए हैं मुक्ति एवं मोक्ष के सन्दर्भ में अतः साधक योग के माध्यम से स्वयं के पूर्ण आन्तरिक भौतिक शरीर को स्वस्थ रख सकते हैं लेकिन ऐसा करने में असमर्थ होने के कारण साधक नाना प्रकार की समाश्या से ग्रसित होते हैं जिन्हें खान पान अथवा दवा से ठीक होने में अत्यधिक समय लग सकता है.

भौतिक शरीर में समस्या जब भी होगी उसी के साथ आन्तरिक उर्जा शरीर में भी बदलाव होंगे अथवा जब अंतर्क उर्जा शरीर में बदलाव होंगे वह भौतिक शरीर में दिखेगा इसलिए जब भी व्यक्ति किसी प्रकार की अप्रकिर्तिक समस्या होती है उसमे नाना प्रकार की उर्जा की आवश्यता होती है उसे ठीक करने हेतु जिसमे रस गंध सपर्श आदि सभी सम्मिलित है. शरीर में मुख्या ५ वायु जो शरीर को पूर्ण रूप से स्वस्थ रखने हेतु जिम्मेदार है साथ में कफ, वाट, पित्त जो की मूल ५ तत्त्व का ही स्वरुप है. जैसे जल एवं भूमि मिल के कफ , जल और अग्नि मिलके पित्त और आकश और वायु मिलके वात निर्मित होते हैं.

समस्या तब होती है जब इनमे से कुछ भी असंतुलित हो जाये उसमे व्यक्ति को यह समझ नही आता है की वह क्या कर रहा है शरीर में ५ मुख्या वायु में उदान वायु शरीर के कंठ से उपरी भाग में होती है जो की मश्तिष्क का नियंत्रण रखती है . इसी के कारण शरीर का भार रहता है जब व्यक्ति का देहांत होता है उस समय इसी के आभाव में शरीर भारी हो जाता है इसमें बदलाव होने पर व्यक्ति नाना प्रकार के मानसिक कष्ट का सामना करता है जिसमे वह

एक काल्पनिक जीवन जीना लगता है , अनर्गल बाते करता है, भय में जीवन जीने लगता है , जब यह वायु असंतुलित होती है उसी के साथ व्यान वायु भी होती है जिसमे त्वचा खराब होने लगती है और साधक सपर्श की शक्ति खोने लगता है धीरे धीरे मंपेशियाँ आदि कमज़ोर होने लगती है.

ऐसी स्थिति में साधक को आन्तरिक उर्जा के विकास की आवश्यकता है जिसे वह योग के माध्यम से अथवा रस स्पर्च गंध के माध्यम से प्राप्त करता है जिससे वह इस असतुन्लन से शीघ्र बहार निकल सके.

यह रस ही सिद्ध मद्य है.


तंत्र अनुसार -

साधक अपने जीवन में नाना प्रकार के स्थान एवं व्यक्ति के प्रभाव में आते हैं जिसमे साधक सम्पूर्ण समर्पण करते हैं जिस समय वह मूत्र त्याग करते हैं अथवा सम्भोग करते है उनका शरीर स्वयं सुरक्षा में कम रहता है जिस कारण से कसी भी अतृप्तता प्रभाव में आसानी से आ जाता है यह सिर्फ इन्ही दो समय पर नही होता है अन्य हर समय साधक का शरीर नाना प्रकार की प्रकृति में प्रभावित क्रियायों का सामना करता रहता है जिसमे यदि वह आन्तरिक रूप से शक्तिशाली है तो उन्हें पार कर लेता है अन्यथा प्रभाव में आ जाता है जिसे सामान्य शब्द में नकारात्मकता कहते हैं.

अपने अधिकतर सुना होगा की किसी को भूत अथवा प्रेत ने पकड लिया जब वह किसी जगह पेशाप कर रहा था उसका मूल कारण स्वयं को स्वच्छंद छोड़ना है जिसकी वजह से प्रभाव में आने की संभावनाएं बढ़ जाती है इसीलिए व्यक्ति को सम्भोग एवं इससे सम्बंधित क्रिया को निर्धारित स्थान पर ही करना चाहिए

चन्द्र जल एवं मन का कारक होते हैं, सूर्या द्वारा भूमि पर जीवन होता है यह तो हर व्यक्ति समझता है इसीलिए तंत्र में हठ योग की इतनी मत्वता है यदि साधक इसका अभ्यास करता है तो कोई भी नकारात्क शक्ति उसके समीप भी नही आ सकती है साथ ही साथ वह इनपे नियंत्रण भी कर लेता है लेकिन साधक अपने निजी जीवन में इतने व्यस्त है की उनके पास समय नही है इसलिए इनके असंतुलन अथवा यह नाडी असंतुलन ही शरीरिक समाश्या उत्पन्न करता है जिसमे कुछ चक्र प्रभावित हो जाते हैं

इनको पूर्ण रूप से संतुलित और प्रभावशाली बनाने हेतु ही सिद्ध मद्य है जिससे साधक के अंदर प्रकृति से समस्त उर्जा को ग्रहण करने की शक्ति बढती है और उसके नाडी और शरीर में उर्जा विकास होता है.


यह मूल स्वरुप है इसे समझने का अब समझते हैं इन्हें प्राप्त होने वाले लाभ के विषय में -
यह सिर्फ सेवन करने वाले के शरीर पर कार्य करता है - सेवन विधि जल में इसे मिला कर पिए
1.2K viewsDewanshu, 09:03
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2021-07-10 07:45:06 गंभीरता की कमी

यह देखा जा रहा है की साधक यहाँ डाली हुई महत्वपूर्ण जानकारियाँ चाहे वह किसी सेवा से सम्बंधित हो या किसी साधना से सम्बंधित , सही से नहीं पढ़ रहे हैं । क्यूँकि साधक प्रश्न वही कर रहे हैं जिनसे सम्बंधित समस्त जानकारी हाल ही में चैनल में डाली हुई है ।

जैसे साधना में पहनने वाले वस्त्र , दीपक , कैसे माला जपनी है इत्यादि - इसके लिए साधना से सम्बंधित 3 videos बार बार डाले हुए हैं ताकि आप सभी को सुविधा रहे ।

साधना में मांसाहार कर सकते हैं या नहीं , वीर्य स्खलन होता है तो क्या करें - इनसे सम्बंधित समस्त जानकारी कुछ ही समय पूर्व चैनल में डाली हुई है ।

संस्था में विभाजित विभागों के बारे में भी बार बार बताया जाता है ।

यह अन्य कुछ नहीं गम्भीरता की कमी ही है । यहाँ जो भी पोस्ट लिखी जाती हैं , videos डाले जाते हैं वह बहुत समय लेकर , श्रम करके बनाए जाते हैं । उनमें लेखक पूर्ण प्रयास करता है की समस्त जानकारी आपको प्राप्त हो सके और आपको किसी भी प्रकार की कोई असुविधा ना हो , तो कृपया उसका सम्मान करें और सभी पोस्ट्स अच्छे से पढ़ें ।
1.2K viewsAkshay Sharma, 04:45
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