2021-06-28 18:25:07
श्रीम परंपरा - गुरु पूर्णिमा २०२१
२४ जुलाई २०२० में सहस्त्रार साधना केंद्र एसोसिएशन की स्थापना की गयी और यह अत्यंत हर्ष की बात है की गुरु पूर्णिमा एवं संस्था स्थापना दिवस एक ही दिन इस वर्ष में पड़ रहे हैं.
कुछ समय पूर्व संस्था द्वारा सभी साधकों को इस पोस्ट के माध्यम से श्रीम परम्परा के विषय में सूचित किया गया है – पूर्ण जानकारी हेतु आप इस लिंक पर क्लिक करके जानकारी प्राप्त कर सकते हैं -
https://t.me/rajyogipk/5211
५ वर्ष के उपरान्त संस्था में श्रीम परम्परा के माध्यम से कुछ साधकों को गुरु शिष्य की पावन परंपरा में जुड़ने का सुअवसर प्राप्त होगा. परम्परा में जुड़ने हेतु कुछ आवश्यक नियम हैं जिनका पालन करना आवश्यक है साथ ही साथ कुछ निर्धारित व्यवस्थाएं हैं
श्रीम परंपरा में जुड़ने हेतु – (साधक हेतु)
इस परंपरा का सबसे बड़ा नियम गुप्पता है इसमें यदि जुड़ें का सौभाग्य प्राप्त होता है समस्त परीक्षा में सफलता के पश्च्यात और आप दीक्षा ग्रहण करते हैं आप अपने गुरु के विषय में अथवा अपने साधना क्रिया के विषय में कभी किसी से चर्चा नहीं करेंगे.
१. साधक को संस्था से जुड़े हुए कम से कम
१ वर्ष से अधिक होना आवश्यक है
२. साधक ने किसी भी १ शिविर में भाग लिया हुआ हो अथवा व्यक्तिगत भेंट की हो अथवा उनका मुझसे प्रेम स्थापित हो
३. साधक का स्थिर बैठने का अभ्यास
नुय्नतम ३० मिनट का होना आवश्यक है
४.
गुरु उर्जा यन्त्र – अपने निवास स्थान का एक भाग देना आवश्यक है – गुरु उर्जा यन्त्र की स्थापना संस्था द्वारा आपके निवास स्थान पर करवाई जाएगी – इस यन्त्र को पूर्ण उर्जावान किया जायेगा उसके बाद आपके स्थान पर स्थापना होगी जिससे लगभग ६ माह तक आपको उर्जा की प्राप्ति होगी जब आप इसके समक्ष बैठेंगे और धीरे धीरे मंत्र जप के साथ आप और यन्त्र की उर्जा संतुलित हो जाएगी जिससे यह यन्त्र आजीवन उर्जावान रहेगा. जिस स्थान पर इसकी स्थापना होगी उस पूरे क्षेत्र में नकारात्कता का प्रवेश कभी नहीं होगा संतुलित एवं शांत जीवन आधार होगा.
६.
गुरु उर्जा कंठा – यह माता धूमावती का विशेष उर्जा यन्त्र होगा जिसे साधक अपने गले में धारण करेंगे जिससे यन्त्र से प्राप्त उर्जा हर क्षण आपके शरीर में प्रवाहित होती रहे और आप जीवन में सफलता की और बढ़ते जाएँ
७.
गुरु उर्जा माला – इसके माध्यम से आप महागुरुओं के विशेष सिद्ध मंत्र का जप करेंगे साथ ही साथ आप को प्रत्येक दिवस १ माला गुरु उर्जा मंत्र का भी जप करना होगा – यन्त्र जिस प्रकार उर्जावान होके आपके स्थान पर स्थापित होंगे लेकिन आपके नियमित मंत्र जप से वह अपनी उर्जा में वृद्धि करेंगे और जब आपको आवश्यकता होगी वह अपनी उर्जा कंठा के माध्यम से आपको प्रदान करेंगे अन्यथा आप स्वयं से कुछ ही स्वयं में यन्त्र के सामान उर्जावान हो जायेंगे.
८.
गुरु उर्जा दीक्षा – इस गुरु पूर्णिमा के पवन अवसर पर चयनित साधक विशेष आयोजित कार्यक्रम में गुरु दीक्षा की प्राप्ति करेंगे और श्रीम परंपरा में निर्धारित वचनों का पालन करेंगे जो की सिर्फ गुरु और शिष्य के मध्य आजीवन सुरक्षित रहेंगे न आप इसके विषय में किसी को बता सकेंगे न ही वचनों को तोड़ सकेंगे. परंपरा में दीक्षित साधकों एवं आश्रम के मध्य भी नियम स्थापित होंगे.
१०.
श्रीम परंपरा एवं शिष्य – इस परंपरा में जुड़े हुए शिष्य आजीवन मेरे मार्गदर्शन में वह अनेक गुप्त विद्याएँ व्यक्तिगत रूप से ग्रहण करेंगे जो की आज तक किसी को भी प्रदान नहीं की गयी हैं. शिष्य सीधे मुझसे संपर्क स्थापित करेंगे और अपनी पूर्ण जीवन की घटनाएँ मुझसे जुडी रहेंगी.
गुरु शिष्य में हमेशा गुरु के उपर शिष्य के कर्म का भार होता है इसलिए इस परंपरा में उन्हें ही जोड़ा जायेगा जिनपे मुझे पूर्ण विश्वास है की वह इस लायक हैं सिर्फ उपरलिखित नियम में योग्य होने से परंपरा में जुड़ने का अवसर नहीं मिल सकता है.
श्रीम परम्परा होगी और यह माता धूमावती के आधीन होगी और उन्हीं का आधिपत्य इस पर स्थापित रहेगा इस परम्परा में गलती करने वाला शिष्य सीधे ही नाश की प्राप्ति करेगा और उसका नाश मेरे अधीन होगा यह शत प्रतिशत सत्य है – शक्ति चर्चा अथवा प्रदर्शन मेरे ध्येय नहीं है लेकिन परम्परा में नियम निर्धारित हैं और उन नियमो से थोड़ी सी भी दूरी सर्वनाश का आगमन होगा.
एक मार्गदर्शक के तौर पर मैं सिर्फ दर्शक के भांति आपकी समस्त गलतियाँ भूल सकता हूँ नज़रंदाज़ कर सकता हूँ लेकिन गुरु के तौर पर कभी नहीं न ही आपको मुझसे इतनी सौम्य भाषा की प्राप्ति होगी न ही प्रेम की एक पथ पर चलना असंभव के सामान है अतः इस परंपरा में जुड़ने से पूर्व अनेक परीक्षाएं होंगी जब आप उसमे सफल होंगे तभी इस पवन परम्परा का भाग बनेंगे और एक बाद इसका भाग बनने के बाद आपका जीवन मेरे अधीन होगा और आपकी मृत्यु पर भी मेरा अधिकार होगा.
श्रीम देवांशु
सेवक माता धूमावती - (धाम )
472 viewsDewanshu, 15:25