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Sahaj Kriyayog Sadhna Adhyatmik Trust

टेलीग्राम चैनल का लोगो rajyogipk — Sahaj Kriyayog Sadhna Adhyatmik Trust S
टेलीग्राम चैनल का लोगो rajyogipk — Sahaj Kriyayog Sadhna Adhyatmik Trust
चैनल का पता: @rajyogipk
श्रेणियाँ: धर्म
भाषा: हिंदी
देश: भारत
ग्राहकों: 5.22K
चैनल से विवरण

This channel is parallel branch of Adbhut Rajsik Sadhnayen Youtube channel where we will provide you Gupt sadhna's & Dhyaan Gupt mantras..
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Dewanshu@CM4

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नवीनतम संदेश 54

2021-06-26 14:50:28 साधना का feelings



नमस्कार देव जी, साधना शत प्रतिशत सफल होने वाली है, क्या ये feelings सभी सफल साधक को आती है साधना प्रारम्भ से पहले? जिसको की Gut feeling कहते हैं

उत्तर
- फीलिंग्स अथवा आंतरिक आभास यह शरीर का भाग है जो मनुष्य की आंतरिक ऊर्जा के आधार पर कार्य करता है जिस समय ध्वनि स्थापित होगी शक्ति का आगमन होगा उस समय क्या स्थिति रहती है आंतरिक एवं भौतिक वह कुछ इस प्रकार हैं

आंतरिक -

1. शरीर की चैतन्य शक्ति में विस्तार
2. मन मष्तिष्क पर पूर्ण नियंत्रण
3. संवेदना,
4. अनरगल विचार मुक्ति
5. भ्रूमध्य ध्यान केंद्रीकरण
6. गहन चिंतन एवम प्रकृति सत्य दर्शन

भौतिक -

1. कार्य कुशलता
2. वाणी विजेता कुशल वक्ता
3. शक्ति स्पर्श
4. आनंदित
5. आर्थिक संकट मुक्ति
6. शत्रु नाश

जब किसी शक्ति का आगमन साधक की तरफ होगा वह समस्त सुख की प्राप्ति करता है साथ ही साथ प्रत्यक्ष होने से पूर्व शक्ति साधक की अधिकतर इक्षाएँ पूर्ण कर देते हैं जिससे साधक इक्षाहीन एवं लोभ त्याग चुका होता है।

ऊपर लिखित दैवीय शक्ति के गुण है तामसिक में अन्य प्रकार के प्राप्ति होती है।
1.2K viewsDewanshu, 11:50
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2021-06-26 10:34:26
श्रीम धूमावती

इस सत्य को समझने में वर्षों लग सकते हैं।
1.2K viewsDewanshu, edited  07:34
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2021-06-26 08:09:41 सूचना

गौरांगी यक्षिणी का चैनल अगले २ दिनों के अंदर बनाया जाएगा और नामांकन कराए साधकों को उसमें जोड़ा जाएगा ।

कोई भी व्यक्ति अगर यह साधना करना चाहता है तो शीघ्र अति शीघ्र नामांकन करवाए और इस विशेष ग्रूप में निशुल्क जुड़ सकता है ।

@Sahajst
1.2K viewsAkshay Sharma, 05:09
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2021-06-25 11:18:17

गुरूजी नमस्ते | गुरूजी जो प्रचलित मन्त्र है जैसे ************* , क्या यह अभी भी प्रभावशाली हैं? और जब इन्हें इतने सारे लोग जाप करते हैं तो क्या होता है ?


उत्तर
- मंत्र शक्ति विस्तार


एक प्रचलित कथा है - महर्षि द्वारा एक साधक को 1 मंत्र दिया गया जिसके माध्यम से जब भी वह उस मंत्र का जाप करता था तो भगवान विष्णु स्वयं प्रकट होक उसके प्रश्नों के उत्तर देते थे धीरे धीरे उसे वह मंत्र अन्य लोगों को भी बता दिया उस समय माध्यम था मुख से बताने का कुछ समय तक जितनो ने उस मंत्र का जप किया भगवान विष्णु आते और उनके प्रश्नों का उत्तर देते एक समय मे वह मंत्र इतना अधिकः फैल गया की भगवान किसी के पास ना जाते क्योंकि उस मंत्र की ध्वनि समाप्त हो गयी अत्यधिक प्रयोग से। मंत्र ऊर्जा के स्त्रोत एवं ध्वनि का समूह है जिसका जितना अधिकः लोगों द्वारा जप किया जाएगा उसकी उतनी अधिकः ध्वनि उत्पन्न होंगी और उसके वेग में कमी आने की सम्भवनायें है जैसा अपने कथा में पढ़ा।

ऐसा क्यों होता है उसे यदि आपको 100 लोग बुला रहे हैं अब आप किसकी आवाज़ सुन पाएंगे ! जिसकी स्पष्ट होगी अथवा जिसकी तेज़ होगी इसी प्रकार के जब एक ही ध्वनि एक साथ अत्यधिक उपयोग होती है उसमें शक्ति का भी प्रभाव उसी के प्रति अधिकः रहता है जिसने अधिकः नियम पालन किये हैं उनका आकर्षण उसके प्रति पहले होता है।

एक मार्गदर्शक हमेशा यह चाहता है उसका अनुयाई आगे बढ़े इसीलिए यह निर्णय अब लेना आवश्यक हो गया है।

संस्था के लंबे समय के शोध एवं अनुभव से यह प्राप्त हुआ है कि साधक मंत्र साधना अथवा साधना को फारवर्ड आदि अत्यधिक करते हैं अधिकः मंत्र के विस्तार के कारण धीरे धीरे उसकी ध्वनि की शक्ति में कमी आ जाती है यह सिर्फ राजसिक मंत्र साधना में होने की संभावनाएं हैं।

अतः किसी भी साधना का मंत्र 1 घंटे के लिए सार्वजनिक रहेगा जिससे इक्षित साधक उसे अपने पास लिख कर रख लें उसके बाद पोस्ट से मंत्र हटा दिया जाएगा।

निशुल्क रूप से शक्ति की मंत्र प्राप्ति बिना दीक्षा फलित नही होती है इस कारण से कई बार जो साधक फारवर्ड पोस्ट अथवा सिर्फ जप बिना किसी आग्रह के करते हैं वह शत प्रतिशत असफल होने की संभावना में रहते हैं लेकिन मंत्र का व्यापार उचित नही है साधक अपनी क्षमता अनुसार अथवा ऊनी आर्थिक स्थिति अनुसार जो इक्षा दान देके ही मंत्र ग्रहण करें जिससे मंत्र की प्रधनता बनी रहे।

जिन साधकों को 1 घंटे के अंदर प्राप्त होता है वह भी कुछ अनुदान अवश्य करें इससे आपका ही लाभ है और संस्था की भी मदद हो जाएगी राशि छोटी बड़ी नही होती लेकिन आपका पुण्य आवयश्यक है। 1 घण्टे के बाद आप अपनी इक्षा अनुसार कुछ भी धनराशि जमा करके मंत्र प्राप्त करें जो भी आपकी इक्षा हो संस्था की तरफ से कोई धनराशि निर्धारित नही है।

ऐसा न करने पर आप पाप के भाग बनेंगे और यदि आपको लगता है कि आप पोस्ट फारवर्ड आदि करके किसी का भला कर रहे हैं तो यह समझें नुकसान आपका ही है क्योंकि अनुयायी
मंत्र आपके माध्यम से प्राप्त हुआ है उसका भोग भी आप ही भोगेंगे अतः सचेत रहें।

आज से पूर्व इतना गूढ़ जानकारी देने को आवश्यकता नही पड़ी लेकिन अब यह आवश्यक है की आपको गंभीर पाप के विषय मे जानकारी मिल सके अन्यथा आप इस जीवन के बंधन में और आने वाले जन्मों के भी बंधित ही रह जाएंगे।

आपका पुण्य ही सभी मुक्ति का स्त्रोत है अतः उसे पूरा करें।

संस्था द्वारा हो रहे हवन में अपना नामांकन करवा के लाभ प्राप्त करें।
870 viewsDewanshu, 08:18
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2021-06-25 07:00:16 किस दिशा में क्या फल मिलता है माता बगलामुखी साधना का







जय माँ बगलामुखी ।
316 viewsAkshay Sharma, 04:00
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2021-06-24 21:35:36 श्री संत कबीर

दुःख में सुमिरन सब करे सुख में करै न कोय।
जो सुख में सुमिरन करे दुःख काहे को होय ॥


अर्थ - सर्वप्रथम सुख का अर्थ समझना आवश्यक है की सुख किसे कहा गया है .

स — पूर्ण स्वास
उ — उर्धगामी
ख — आकाश

स्वास की वह स्तिति जब उसका विस्तार आकश के सामान हो जाये इसका न आदि है न अंत हो उस स्थिति को प्राप्त करने से सर्वोच्च सुख की प्राप्ति होती है.

दुःख

द - दाता
उ - उर्धगामी
ख - आकाश

सुमिरन का अर्थ प्रार्थना से है ओ की स्वयं की शक्ति को इश्वर की शक्ति समझना और खुद को उनके अंश में सम्मिलित करना है .

यह समझना की इश्वर कोई और है हम कोई और है यही दुःख की परिभाषा है निराकार परब्रह्म ही माया द्वारा चित से चित्ता में परिवर्तित हैं जो मनुष्य है. जिस प्रकार से समुद्र की लहरों में भी सामान सत्य है जो समुद्र में है उसी प्रकार से हममे भी वह सब विद्दमान है जो परब्रह्म में है.

जब मन इस जन्म में नाना प्रकार से भ्रमित होता है भ्रूमध्य पर एकाग्रता एवं क्रिया के अलावा तब वह अपने पूर्व जन्म से सम्बंधित उन सभी कष्ट को प्राप्त करता है जिसका वह शोधन कर सकता है एक मात्र क्रिया के माध्यम से इसी कारन से प्राण शक्ति में उर्जा का संचार कम होने लगता है जिसके कारन मन बुद्धि एवं वाणी तीनो ही असंतुलित होने लगती हैं.

सुख वह अवस्था है जिसमे साधक क्रिया में संलग्न हैं और उन्हें इश्वर से एकाकार है जब तक साधक इस अवस्था में रहते हैं समस्त प्रकार के कष्ट से मुक्त रहते हैं जब साधक स्वयं और इश्वर को अलग अलग समझने लगते हैं उस अवस्था को ही दुःख से दर्शया गया है. यदि साधक इस दुःख की अवस्था से मुक्ति प्राप्त करना चाहते हैं तो क्रिया आवश्यक है जिसके बिना सुख की प्राप्ति संभव नही है. जब साधक एक प्रकार की सुखमय अवस्था का सुमिरन आजीवन करते हैं तो माया का नाश होता है और चित्ता माया के अंत से चित्त में परिवर्तिती हो जाता है जिसे कैवल्य अवस्था की प्राप्ति कहते हैं.


समस्त साधकों को श्री कबीर जयंती की शुभकामनायें

श्रीम देवांशु
सेवक माता धूमावती
24 जुन 2021
625 viewsDewanshu, 18:35
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2021-06-24 21:00:44 अप्सरा से शादी ?



Guru ji me mera sawal ha apsara sadhna se kya labh hotey hain kya woh humari sary manokamna purna karty hain? Jaise dhan aur prem? Shadi?

उत्तर-
उत्तर यह कल्पना करते हुए करते हुए दिया जा रहा है यदि अप्सरा प्रत्यक्ष होती हैं तब-

अप्सरा साधक की वह इक्षा पूर्ण करती हैं जो प्रकृति के आधीन हैं लेकिन उनके वचन कुछ भी हो सकते हैं। यदि आप किसी भी साधना में सफल होते होते हैं रुपये की कमी तो नही होगी आपको लेकिन ऐसा भी नही होगा कि आप व्यर्थ उड़ा सकें आपकी व्यक्तिगत इक्षाएँ पूर्ण हो जाएंगी। प्रेम प्राप्ति अवश्य होगी लेकिन निर्भर करता है कि इसकी गुप्पता आप कितने समय तक रख सकते हैं। विवाह हेतु उनका सबके समक्ष होना आवश्यक है जो होना मुश्किल है लेकिन असंभव नही।
645 viewsDewanshu, 18:00
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2021-06-24 19:38:25 रतिप्रिया यक्षिणी



Q.1 ratipriya yakshini sadhana sidhi me konsa tantra dharan sahayak he iska tantra bhi nirman ho sakta he....

उत्तर - आकर्षण तंत्र धारण करने से लाभ मिलने की संभावनाएं अधिक है.
763 viewsDewanshu, 16:38
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2021-06-24 19:24:51 तंत्र नियम



तंत्र मार्ग मे इतनी सारी तरह के नियम up नियम क्यों है? साथ इतने सारे पंथ मार्ग मे शुभ मार्ग कैसे चुने

उत्त
र - तंत्र मार्ग नही है इस प्रकृति की संरचना का स्त्रोत है जिसके माध्यम से आप प्रकृति की उन रचना के विषय से सम्पर्क स्थापित कर रहे हैं जो की गुप्त है अथवा जिसके विषय में इस नश्वर काया के बाद ही जाना जा सकता है आप अपने जीवन रहते अतृप्त जीवन को जान रहे हैं साथ ही साथ उनके साथ संपर्क भी स्थापित कर रहे हैं जिसके अर्थ है आप काल परिवर्तन कर रहे हैं. जिस प्रकार से किसी भोज पदार्थ को बनाने का एक निश्चित नियम है जिस तरह बनाने से ही वह स्वादिष्ट बनता है लेकिन उसके स्वाद को बढाया जा सकता है अन्य कोई विशिष्ट सामग्री का उपयोग करते हुए उसी प्रकार से तंत्र के नियम निर्धारित हैं उनका पालन आपको करना ही है लेकिन उसके बाद भी यदि आप कुछ अन्य चीज़े जोड़ते हैं उससे लाभ की स्थिति में बढ़ावा होता है. मार्ग कोई भी अंत एक ही है अतः आवश्यकता साधक बनने की है जब तक वह गुण नही आएगा कुछ भी प्राप नही होगा ,
779 viewsDewanshu, edited  16:24
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2021-06-24 19:18:33 एक दिवस ग्रहण अप्सरा साधना



गुरुवर प्रणाम , उम्मीद करता हु आप सभी स्वस्थ एवं सुरक्षित होंगे जी ।
प्रश्नोत्तरी हेतु एक प्रश्न हैं जी ।
जैसे इस सूर्य ग्रहण पर एक दिविसीय अप्सरा साधना करवाई थी जी , क्या आने वाले समय में कोई ऐसा योग होगा जी जब एक दिविसिय साधना/मंत्र जाप कर सके

उत
्तर - विशेष मुहूर्त पर विशेष साधनाएं संस्था द्वारा आपको हमेशा ही प्राप्त होती रहेंगी लेकिन साधक इसके लिए पहले से तैयार रहे इसलिए जो भी आवाह्स्यक सामग्री है उसे पहले से क्रय कर लें क्यूंकि ग्रहण काल में की गयी साधना की सामग्री को विसर्जित कर देना ही उचित है.

आने वाले ग्रहण पर संभव है की एक प्रत्यक्ष साधना करवाई जाये जिसमे आप संस्था द्वारा निर्धारित स्थान पर आके साधना करें.
765 viewsDewanshu, 16:18
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