गुरूजी नमस्ते | गुरूजी जो प्रचलित मन्त्र है जैसे ************* | Sahaj Kriyayog Sadhna Adhyatmik Trust
गुरूजी नमस्ते | गुरूजी जो प्रचलित मन्त्र है जैसे ************* , क्या यह अभी भी प्रभावशाली हैं? और जब इन्हें इतने सारे लोग जाप करते हैं तो क्या होता है ?
उत्तर - मंत्र शक्ति विस्तार
एक प्रचलित कथा है - महर्षि द्वारा एक साधक को 1 मंत्र दिया गया जिसके माध्यम से जब भी वह उस मंत्र का जाप करता था तो भगवान विष्णु स्वयं प्रकट होक उसके प्रश्नों के उत्तर देते थे धीरे धीरे उसे वह मंत्र अन्य लोगों को भी बता दिया उस समय माध्यम था मुख से बताने का कुछ समय तक जितनो ने उस मंत्र का जप किया भगवान विष्णु आते और उनके प्रश्नों का उत्तर देते एक समय मे वह मंत्र इतना अधिकः फैल गया की भगवान किसी के पास ना जाते क्योंकि उस मंत्र की ध्वनि समाप्त हो गयी अत्यधिक प्रयोग से। मंत्र ऊर्जा के स्त्रोत एवं ध्वनि का समूह है जिसका जितना अधिकः लोगों द्वारा जप किया जाएगा उसकी उतनी अधिकः ध्वनि उत्पन्न होंगी और उसके वेग में कमी आने की सम्भवनायें है जैसा अपने कथा में पढ़ा।
ऐसा क्यों होता है उसे यदि आपको 100 लोग बुला रहे हैं अब आप किसकी आवाज़ सुन पाएंगे ! जिसकी स्पष्ट होगी अथवा जिसकी तेज़ होगी इसी प्रकार के जब एक ही ध्वनि एक साथ अत्यधिक उपयोग होती है उसमें शक्ति का भी प्रभाव उसी के प्रति अधिकः रहता है जिसने अधिकः नियम पालन किये हैं उनका आकर्षण उसके प्रति पहले होता है।
एक मार्गदर्शक हमेशा यह चाहता है उसका अनुयाई आगे बढ़े इसीलिए यह निर्णय अब लेना आवश्यक हो गया है।
संस्था के लंबे समय के शोध एवं अनुभव से यह प्राप्त हुआ है कि साधक मंत्र साधना अथवा साधना को फारवर्ड आदि अत्यधिक करते हैं अधिकः मंत्र के विस्तार के कारण धीरे धीरे उसकी ध्वनि की शक्ति में कमी आ जाती है यह सिर्फ राजसिक मंत्र साधना में होने की संभावनाएं हैं।
अतः किसी भी साधना का मंत्र 1 घंटे के लिए सार्वजनिक रहेगा जिससे इक्षित साधक उसे अपने पास लिख कर रख लें उसके बाद पोस्ट से मंत्र हटा दिया जाएगा।
निशुल्क रूप से शक्ति की मंत्र प्राप्ति बिना दीक्षा फलित नही होती है इस कारण से कई बार जो साधक फारवर्ड पोस्ट अथवा सिर्फ जप बिना किसी आग्रह के करते हैं वह शत प्रतिशत असफल होने की संभावना में रहते हैं लेकिन मंत्र का व्यापार उचित नही है साधक अपनी क्षमता अनुसार अथवा ऊनी आर्थिक स्थिति अनुसार जो इक्षा दान देके ही मंत्र ग्रहण करें जिससे मंत्र की प्रधनता बनी रहे।
जिन साधकों को 1 घंटे के अंदर प्राप्त होता है वह भी कुछ अनुदान अवश्य करें इससे आपका ही लाभ है और संस्था की भी मदद हो जाएगी राशि छोटी बड़ी नही होती लेकिन आपका पुण्य आवयश्यक है। 1 घण्टे के बाद आप अपनी इक्षा अनुसार कुछ भी धनराशि जमा करके मंत्र प्राप्त करें जो भी आपकी इक्षा हो संस्था की तरफ से कोई धनराशि निर्धारित नही है।
ऐसा न करने पर आप पाप के भाग बनेंगे और यदि आपको लगता है कि आप पोस्ट फारवर्ड आदि करके किसी का भला कर रहे हैं तो यह समझें नुकसान आपका ही है क्योंकि अनुयायी मंत्र आपके माध्यम से प्राप्त हुआ है उसका भोग भी आप ही भोगेंगे अतः सचेत रहें।
आज से पूर्व इतना गूढ़ जानकारी देने को आवश्यकता नही पड़ी लेकिन अब यह आवश्यक है की आपको गंभीर पाप के विषय मे जानकारी मिल सके अन्यथा आप इस जीवन के बंधन में और आने वाले जन्मों के भी बंधित ही रह जाएंगे।
आपका पुण्य ही सभी मुक्ति का स्त्रोत है अतः उसे पूरा करें।
संस्था द्वारा हो रहे हवन में अपना नामांकन करवा के लाभ प्राप्त करें।
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