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शमशान - एक निर्जन स्थान जहां जीवन की महत्वता कम हो जाती है और | Sahaj Kriyayog Sadhna Adhyatmik Trust

शमशान - एक निर्जन स्थान जहां जीवन की महत्वता कम हो जाती है और व्यक्ति के स्थूल शरीर के पंच तत्व , यहीं विलीन हो जाते हैं ।
धरती , जल, वायु, आकाश , अग्नि । प्रकृति अपना दिया हुआ सब अपने यही ले लेती है व्यक्ति जिस प्रकार से जन्म लेता है जितना वो प्रकृति का उपयोग करता है प्रकृति पूर्ण रूप से सब वापस ले लेती है ।

इस कारण से ही अधिकतर शमशान जल के समीप होते हैं जिससे हर तत्व अपना अपना गुण वापस प्राप्त कर ले।

फिर भी शव से प्रेम क्यों ? व्यक्ति अपने जीवन के उन घटनाओं से शव के साथ जोड़ता है जो व्यक्ति के सूक्ष्म और स्थूल दोनों शरीर दोनों से उसे प्राप्त हुई , साथ ही साथ भावनाएं जोड़ के उसे अपने अनुसार अपने प्रेम भाव को जल रूपी नेत्र अश्रु के रूप से व्यक्त कर देता है । यह रोदन उसके सहस्त्रार के माध्यम से इतनी तीव्र गति से निकलता है कि मृत व्यक्ति के सूक्ष्म शरीर को अंततः पूर्ण रूप से वह ध्वनि प्रताड़ित करती है अतः मृत्यो प्रांरत कभी किसी के साथ ऐसा न करें।

क्या मोक्ष सम्भव ? यदि मृत शैया पर व्यक्ति विचार हीन है वह मोक्ष की प्राप्ति करेगा ही करेगा यह मेरा उस हर व्यक्ति को वचन है जो इसकी प्राप्ति के लिए जुड़ा है । अब इसके ऊपर अधिकः चर्चा भविष्य में ।


कुछ स्वर्ग नर्क है ?

जी नही , जिस प्रकार से हर एक शुभ अशुभ को समझाने के लिए दांत कथाएं बनाई गई है उसी प्रकार से ये सबसे बड़ी दन्त कथा है जिज़मे स्वर्ग और नर्क है । पुनर्जन्म एक अलग सिद्धांत है ।
मरने के बाद व्यक्ति का शरीर मात्र 3 तत्व में उपस्थित रहेगा वो क्या ही खायेगा , कहाँ ही तला जाएगा ।

यदि ऐसा कुछ है ही नही फिर ईश्वर की भक्ति क्यों !

जिस प्रकार से कोशिकाओं में ऊर्जा रहती है और मृत्यु के समय यह शरीर मे एक जगह एकत्रित होके शरीर का त्याग करती है , ऐसे समय पर उस ऊर्जा के लिए शरीर उसी प्रकार है जिस प्रकार मल निकलने के बाद शरीर के लिए मल। लेकिन यह मल आसानी से बिना पीड़ा के निकले इसके लिए हम अधिकः पानी पीते है उसी प्रकार से मंत्रों के जाप से सूक्ष्म शरीर आसानी से स्थूल शरीर त्यागता है । इसे अधिकः न समझे क्योंकि इससे आपके मन मे अपने ही शरीर के लिए द्वेष पैदा हो जाएगा ।