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महत्वपूर्ण सूचना : रतिप्रिया यक्षिणी व्यक्तिगत मार्गदर्शन का | Sahaj Kriyayog Sadhna Adhyatmik Trust

महत्वपूर्ण सूचना :

रतिप्रिया यक्षिणी व्यक्तिगत मार्गदर्शन का चैनल बनाया जा चुका है जो भी साधक यह साधना करना चाहते हैं वह @sahajst पर मनीष जी से दीक्षा आदि हेतु बात कर सकते हैं और यह साधना शुभ मुहूर्त अनुसार शुरू कर सकते हैं ।



रतिप्रिय यक्षिणी परिचय

रति का अर्थ है तृप्ति , रतिप्रिय अर्थात जिसे तृप्ति प्रिय है । यह यक्षिणी अपने साधक से अपनी कामनाओं को पूरा करवा के उसके बदले उसकी इक्षा को पूरी करती है । इसकी एक मात्र इक्षा है शारीरिक शुख की प्राप्ति यह आपमे साधक के साथ साथ उसके जितने भी मित्र आदि है सबको समान सुख देने में सक्षम है लेकिन उसे यह यकीन होना चाइए की वह उसके विषय मे गुप्तता साधक के समान बनाये रखेंगे ।

इसकी उत्पत्ति को अत्यधिक वर्ष नही हुए हैं , कुछ 2200 साल पूर्व ही यह उत्पत्त हुई है जिसके कारण से इसमे वह सभी इक्षाएँ शेष हैं जो एक कामुकता प्रधान माहिला में होनी चाइए ।

क्योंकि यह साधना अत्यधिक शक्तिशाली स्वयं से है इसमे ध्यान की ज़रूरत नही है , यह भोगविलासिनी के समान तुरंत प्रत्यक्ष होती है ।

यह किस प्रकार के कार्य करती है अपने साधक के लिए -

● कामुक इक्षाओं की पूर्ति ।

● शारीरिक बीमारी से बचाव अथवा जो बीमारी है उसे दूर करती है जिससे साधक इसे सुखी रख सके।

● यह अपने साधक को किसी भी प्रकार का कष्ठ नही देती है । हमेशा उसका ख्याल रखती है प्रियसी के भांति ।

● यह अपने साधक को सबके समक्ष सर्वाधिक सुंदर दिखाने में रुचि रखती है तो यह उसकी आकर्षण शक्ति के साथ साथ उसके चमड़ी आदि को बहुत सुंदर बना देती है ।

● साधक की वह इक्षाएँ पूर्ण ज़रूर करती है जितनी उसे आवश्यकता है , लेकिन ऊट पटांग मांगो को नही मानती है । जैसे यदि आपको कार की ज़रूरत है तो यह आपको वह देगी लेकिन अब रॉयल्स रॉयस की जिद्द करेंगे तो नही देगी ।

● आपको अपनी सभी इक्षाएँ पूर्ण करवाने के लिए इसे सन्तुष्ट करना आवश्यक है ।

● हमेशा अपने साधक के किये ततपर रहना इसकी आदत है । यह दिखने में सुंदर होने के साथ साथ कूटबुद्धि कि भी मालकिन है , आपके किसी भी प्रकार के बिज़नेस को बढ़ा सकती है ।

● अपने साधक को परेशानी एवं टेंशन मुक्त रखना इसकी आदत है जिससे उसको कामुकता बनी रहे।

अनेक बाते हैं जो यह करती है बाकी साधक स्वयं से करके जान लें इसके विषय मे । यह मेरे एक मित्र के द्वारा परीक्षित थी लेकिन उसे ज्यादा ही कामुकता थी तो उसने अन्य साधना कर ली जिसके बाद उसने फिर से इसकी साधना की थी और आज के समय मे मुझे पता नही है कि इसका और उसका साथ है या नही कारण वह मेरा मित्र बहुत लंबे समय से मेरे संपर्क में नही है ।।