2021-05-17 10:04:27
इस काल मे अत्यंत आवश्यक - देरी न करें भारतीय संस्कृति में नाड़ी शास्त्र , आयुर्वेद एवं ज्योतिष के सम्मिलित स्वरूप से उपचार किया जाता रहा है जिस कारण से
श्री चरक, श्री शुश्रुत, श्री महादेव धन्वन्तरि जी महाराज के ज्ञान को उच्चतम अवस्था प्राप्त हुई है।
समय के साथ साथ मनुष्य की कार्य प्रणाली एवं भोजन अत्यंत दूषित हुआ है जिस कारण से नाना प्रकार की शारीरिक समस्याओं का सामना आप ही नही हम सभी कर रहे हैं जिव्हा पर नियंत्रण न होने के कारण अनावश्यक भोज पदार्थ एवं शरीर को पूर्ण पोषण न मिलने के कारण अन्य शारीरिक समस्याएँ।
इस समय पर संक्रमण के स्तर के विषय मे मेरे द्वारा पिछले वर्ष ही सूचित किया गया था लेकिन लोगों द्वारा उसपे ध्यान नही दिया गया अब होनी टालना आसान नही जहां इतनी अधिकः जनसंख्या है और मनुष्य में आपसी मनमुटाव है नाना प्रकार से धीरे धीरे सुधार की संभावनाएं बनेंगी लेकिन फिर भी सतर्क रहना आवश्यक है।
महर्षि जिन्होंने पूर्ण सम्पुट किया
आयुर्वेद
नाड़ी शास्त्र
शल्य चिक्तिसा का ,
पूर्व काल मे मनुष्य की नाड़ी धमनी आदि के आधार पर नक्षत्र को देखते हुए उपचार किये जाते हैं जिससे समस्याएं पूर्ण रूप से समाप्त होती थीं और पुनः उससे संबंधित समस्या शरीर मे उत्पन्न नही होती थी।
इन सभी के अकाट्य ज्ञान के साथ ज्योतिष का विस्तृत ज्ञान जिसके आधार पर इस काल एवं आने वाले काल मे शरीरिक समस्या की पूर्ण जानकारी, जिससे शरीर के किस अंग पर क्या प्रभाव पड़ रहा है उसके विषय मे पता चलता था और उसी अनुसार शुद्ध एवं सुरक्षित उपचार किया जाता था जिससे मावन जीवन को सुरक्षित रखा जा सके।
अनेक प्रकार से कोशिश की गई सूचना को सुरक्षित रखने की लेकिन प्रायौगिक एवं क्रियात्मक जानकारी के अभाव में सुरक्षा की नही जा सकी लेकिन ज्योतिष पूर्ण रूप से सुरक्षित रही और यहां तक आज के काल मे भी उसका मेडिकल साइंस में उपयोग किया जाता है साथ ही साथ हस्तरेखा विज्ञान का भी उपयोग किया जाता है अनेक डॉक्टर आज के समय मे आध्यात्मिक ज्ञान को रखते हैं और ज्योतिष एवं हस्तरेखा के विज्ञान को भी जिससे वह जीवन को वास्तविक तरह से देख सकें और नवीन जीवन सुरक्षित कर सकें।
संस्था भी आयुर्वेद के गुण रहस्य पर कार्य कर रही है जिसके माध्यम से अनेक औषधि निर्माण की गई है लेकिन अभी भी अनुसंधान की आवश्यकता है जो कि ज़ारी रहेगा लेकिन ज्योतिष एवं हस्तरेखा अभी भी पूर्ण ज्ञान से भरा हुआ है जिसमे सिर्फ अभ्यास को आवश्यकता है अनुसंधान की नही जो कि संस्था में उपलब्ध ज्योतिष विज्ञान विशेषज्ञ एवं हस्तरेखा विशेषज्ञ उपलब्ध हैं अपने जीवन मे घटित हो रहे किसी भी विषय मे आप जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
इस काल मे साधक अपने शरीरक एवं मानसिक शक्ति हेतु जानकारी अवश्य लें यह आवश्यक है साथ ही साथ यदि कोई साधक साधिका संक्रमित हैं वह सलाह अवश्य ले को उन्हें विशेष ध्यान किआ ओर रखना है अथवा किसी विशेष अंग के इलाज हेतु उन्हें टेस्ट आदि करवाने हैं यह जानकारी आपको भयभीत करने हेतु नही दी जा रही है इससे आपको मानसिक शक्ति मिलेगी साथ ही साथ यदि कोई समस्या होगी आप उसका सही समय पर उपचार ले सकेंगे।
यदि किसी को संक्रमित होने का भय भी है वह भी इस सुविधा का लाभ अवश्य लें क्योंकि इससे आप निश्चिन्त हो पाएंगे अन्यथा सतर्क रहेंगे सुरक्षा का विशेष ध्यान आदि।
संस्था में हमेशा शुल्क निर्धारित रहते हैं लेकिन इस काल मे जो भी साधक आने वाले 13 दिनों में अपना विश्लेषण करवाते हैं वह 1000 का शुल्क जमा करके कुंडली अथवा हस्तरेखा विश्लेषण करवा सकते हैं।
सामान्यतः यह शुल्क 1280 रहता है लेकिन संस्था अपनी ओर से जो संभव सहयोग दे सकती है वह आपको प्रदान कर रही है।
नियम कुंडली विशेषण
धनराशि जमा करने के बाद आप
नाम
जन्म दिनांक
जन्म समय
जन्म स्थान
और आपके 3 प्रश्न भेज सकते है
यदि जन्म की सूचना नही है उस स्थिति में आप अपने हाथ की फ़ोटो भेज सकते है और अपने प्रश्न ।
संपर्क सूत्र - @sahajst - मनीष जी
1.3K viewsDewanshu, edited 07:04