2021-06-09 09:17:14
सूर्य ग्रहण विशेष अप्सरा तिलोत्तमा साधना
यह साधना अप्सरा तिलोत्तमा की एक दिवसीय साधना है जिसमें अप्सरा के प्रत्यक्ष दर्शन तो सम्भव नहीं हैं परंतु अन्य सभी लाभ इससे प्राप्त होते हैं । अगर साधक का अपने शरीर , आज्ञा चक्र इत्यादि पर नियंत्रण है तो प्रत्यक्ष दर्शन भी कुछ समय बाद सम्भव हो सकते हैं , अन्य अप्सरा साधना की तरह लम्बा इंतेज़ार नहीं करना पड़ेगा ।
लेकिन हाँ यह इस साधना में अवश्य देखा गया है कि अप्सरा तिलोत्तमा अपने साथ होने का अनुभव साधक को साधनाकाल में अवश्य ही दिला देती हैं ।
१) इस साधना से साधक की बीमारियों में उसे आराम मिलता है
२) वह जिस भी क्षेत्र में कार्यरत है उस कार्य में शीघ्र सफलता प्राप्त करता है
३) कोई भी परेशानी से वो जूझ रहा हो , उसमें उसे अवश्य ही समाधान मिलता है ।
४) यदि कोई व्यक्ति काला के क्षेत्र में प्रगति करना चाहता है या अभी खुद काला के क्षेत्र में हैं , उसे यह साधना शीघ्र अति शीघ्र करनी चाहिए वह व्यक्ति सभी को पीछा छोड़ के सर्वोत्तम तरक़्क़ी प्राप्त करेगा ।
५) अभिनेता, अभिनेत्री , गायक , नृत्य कलाकार इन क्षेत्र से सम्बंधित लोगों को अवश्य ही यह साधना करनी चाहिए ।
साधना के नियम अन्य साधनाओं जैसे ही हैं ।
आसन - लाल
दिशा - पूर्व
तेल - अरंडी
दीपक - मिट्टी का
माला - उँगलियों पर जाप करें
माला संख्या - 21
ब्रह्मचर्य - आवश्यक
मंत्र ( यह मंत्र सभी राशियों के लिए है ):
यूम यूम श्रीम तिलोत्तमाए शः शः शः हूम फटइस साधना में दीक्षा का अत्यंत महत्व है । क्यूँकि जाप आप उँगलियों की मदद से कर रहे हैं तो दीक्षा का महत्व और भी अधिक हो जाता है । जिस समय आप जाप कर रहे हों उस समय मंत्र की ऊर्जा शरीर में होना आवश्यक है ।
इस विशेष दीक्षा में ग्रहण काल में जाप करने हेतु सुरक्षा भी प्रदान की जाती है ताकि ग्रहणकाल में जब शरीर साधनमय हो तो कोई भी अनावश्यक तत्व साधक की तरफ़ आकर्षित ना हो ।
मंत्र जप के बाद आसन से ना उठें, वहाँ बैठ कर यथासंभव अवधी तक ध्यान अवश्य करें ।
साधना के दिवस मांस एवं मदिरा का सेवन ना करें ।
दीक्षा शुल्क : 1500/-
सम्पर्क सूत्र : @sahajst
5 viewsAkshay Sharma, 06:17