2022-08-21 05:52:12
#कृष्णा_BeautifullyBlack
“उफ्फ… कितनी तेज़ बारिश है, कहीं रुक जाइए न,” बारिश से बचने की कोशिश में, स्कूटी पर पीछे बैठी मेरी पत्नी ने मुझसे चिपकते हुए कहा।
“रुके तो कालदोष न हो जाए कहीं! देखो भगवान भला करेंगे। हम एक नेक काम करने जा रहे हैं, अब हम वहाँ पहुँच कर ही रुकेंगे, चिंता न करो सब ठीक हो जाएगा,” मैंने एक हाथ से उसका हाथ सहलाते हुए सांत्वना देने की कोशिश की।
विवाह के वर्षों बाद भी हमारी कोई संतान न थी। आज के दौर में हर कोई आइवीएफ (IVF) की सलाह दे रहा था। लेकिन बहुत सोच-विचार के बाद हम दोनों ने तय किया कि हम एक बच्चा गोद लेंगे। अनाथाश्रम में रजिस्ट्रेशन के साथ ही हमने लिखवाया था डेढ़-दो वर्षीय जो भी बच्चा आएगा, लड़की या लड़का, हम उसे गोद ले लेंगे। आज जन्माष्टमी के दिन फोन आया था, और हम वहीं जा रहे थे।
जब हम अनाथाश्रम पहुँचे, वहाँ जलभराव हो रहा था। स्थिति विकट लग रही थी, लेकिन मैं सुरक्षित निकाल ले गया और एक साफ स्थान पर स्कूटी रोक दी। आज जैसी तेज वर्षा मैंने कभी न झेली थी।
हम अंदर गये और औपचारिकताएं पूरी कीं, तब एक नन्हा सा बालक हमारे सामने लाया गया। वह अपनी मासूम आँखों से टुकुर-टुकुर देख रहा था। संचालिका ने बताया कि कोई उसे कल रात ही छोड़ गया था।
“देखिए जी, इसके गले में बंधे ताबीज़ से तो यह किसी अन्य धर्म का प्रतीत होता है,” पत्नी उलझन में पड़ गयी।
“इस ताबीज का कोई अर्थ नहीं है, बच्चे तो पानी जैसे होते हैं। वैसे ही बन जाते हैं, जैसी इनकी परवरिश होती है, संचालिका ने ताबीज़ उतार दिया।
मेरी पत्नी ने प्रश्न लिये मेरी ओर देखा। मैंने उसकी आँखों में देखा और मुस्कुरा कर उसे आश्वस्त करना चाहा, लेकिन उसने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे उठाया। संचालिका की आँखों में मैंने उलझन देखी।
मैं बस मुस्कुरा रहा था, और मेरी पत्नी मुझे पूरी शक्ति से बाहर खींच रही थी।
“देखिए मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है। बच्चे का रंग, उफ्फ… कितना काला है यह, और ऊपर से धर्म भी अलग,” उसकी आँखों में मुझे उम्मीद की लौ बुझती सी लगी।
“सुनो प्राणेश्वरी, बच्चे भगवान का रूप होते हैं। और काला-गोरा क्या? कितना काला था मैं, तुम्हारे प्यार ने गोरा कर दिया। और सबसे बड़ी बात!”
“वह क्या?”
“आज दिन क्या है? बोलो? शुभ-दिन है न, जन्माष्टमी!” उसकी काली-काली आँखों से टपके मोटे-मोटे आँसू मैंने पौंछे।
“मेरा कृष्णा!” अचानक से उसके दिल में ज़हाँ भर का प्यार उमड़ आया और मुझे वहीँ छोड़ कर वह कार्यालय के भीतर भागी।
मैंने देखा, बारिश थम गयी थी।
—Dr Ashokalra
Meerut
─❀⊰╯ join @hindi_manch @anand_bhav
╨──────────────────━❥
556 views02:52