2021-04-17 20:23:01
फेमिली मेन !
आज इसकी आँखे , मेरी झिड़की से नम हो गईं ।
मुझे हो क्या जाता है ऑफिस से घर आते ही ? सब मर्द ऑफिस में काम करते हैं , क्या घर आकर वो भी अपनी पत्नी से ऐसे ही बातें करते हैं ।
बेचारी दिन भर मनाती है कि ऑफिस के काम के बीच मै टिफ़िन तो आराम से खा लूँ , आते समय हर ट्रैफिक सिग्नल ग्रीन मिले ताकि मैं जल्दी घर आ जाऊँ .. और मैं ? घर मे ऐसे घुसता हूँ जैसे लंका विजय कर आ रहा हूँ ! इस उम्र में काम न करूँगा तो कब करूँगा ? ऑफिस के लोग वेकेशन्स पर जाते हैं तो मैं क्यों नही मन पर लेता छुट्टी एप्लाई करने का ?
ऑफीस चलता ही रहेगा कोई बन्द थोड़े ही हो जाएगा ।
बाइक की आवाज़ पता नही कैसे जान जाती है ? मेरे हॉर्न मारने के पहले ही गेट खोल कर .. मुस्कुराती ज़रूर है ।
कभी इसी मुस्कुराहट पर मेरे मुंह से निकलता था .. ' हाय रे सदके जावाँ ! ' पर अब मुझे उसके उलझे बाल पसीना और टेन्स चेहरा ही क्यूँ दिखता है ? क्या सिर्फ बारा साल में मैं इतना बदल गया । दो दो छोटे बच्चो की परवरिश किसी को भी पागल बना सकती है ।
पिंकी तो चार साल की ही है और पिंकू दस साल का । दोनों बच्चों की माँगे अलग जिद अलग , शैतानियां भी अलग ।
बेचारी दिनभर चकरघिन्नी बनी रहती है , कितना कुछ होता होगा मुझे बताने के लिए उसके पास , पर मैं ? सड़ा मुँह लिए अंदर आता हूँ और .. पानी दो चाय बनाओ , चुप हो जाओ कहता धम्म से सोफे में धँस के आईपीएल देखने लगता हूँ !
वो घर मे आते ही आलिंगन चुम्बन वाले दिन कहाँ गये ? बारा वर्षों में मैं हीरो से विलेन कैसे बन गया ? ये तो घर भर की हीरोइन तब भी थी आज भी है ।
घर के सारे बिल्स यही पे करती है , घंटो पिंकी को समझाते बुझाते हुए लाइन में खड़ी रहती है , प्लम्बर से ले कर गैस सिलेंडर तक , कारपेंटर बुलाना हो या इलेक्ट्रिशयन , सब्ज़ी फल , मक्खन दूध ब्रेड सब मार्किट में जा कर लाती है , उपर से कामवाली बाई के नखरे बेवक्त छुट्टियां ।
पड़ौसी , रिश्तेदारी निभाना सुख दुख के व्यवहार , जन्मदिन की बधाईयां , बच्चो के स्कूल , पी एंड टी डे ! किताबें पढ़ाई और .. !
मेरा दम फूलने लगा था लिस्ट गिनते , और ये ..? ये बेचारी यही सब फेस कर रही थी । कितनी बातें होती होंगी मुझे बताने के लिए , मुझसे न कहे तो किससे कहेगी ?
वो भी एक वक्त था जब घर आते ही मैं कोंच कोंच कर इसे पूछता की बता दिन में क्या क्या किया ?
मैंने चारों तरफ देखा कहीं दिख नही रही थी , चाय पानी सामने रखा और पता नही क्या करने चली गयी थी ?
बेडरूम में थी ! मेरे बाइक का इयरली इन्षुरेन्स देना था उसके पेपर्स निकाल रही थी ! मेरी प्राण प्रिया को पता था कि ये बाइक उसकी लाइफ को लेकर आती जाती है ...!
मैंने बैडरूम का दरवाजा बंद किया और कुछ ही देर में ... इसका आँचल मेरी क्षमा वर्षा से भीग चुका था ! ये दुष्ट ख़ुद रोते हुए भी मुझे ही डांट रही थी ' आप रोते हुए मुझे बिल्कुल अच्छे नहीं लगते ' ।
बेवक्त बैडरूम का दरवाज़ा बन्द देख बच्चों का रोना धोना सुन हमारा अपना रोना रहस्यमयी मुस्कुराहट में बदल गया ।
गली के नुक्कड़ वाले मंदिर के फूलवाले के पास मोगरे के गजरे बहुत बढ़िया मिलते हैं ! मुझे पहली रात से ही बेहद पसंद हैं .. इसे भी !
आज से मैं हूँ फेमिली मेन हूँ ! मिलता हूँ .. फुर्सत से ! फेमिली फर्स्ट !
निरंजन धुलेकर ।
301 views17:23