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हिंदी मंच - सकारात्मक भाव

टेलीग्राम चैनल का लोगो hindi_manch — हिंदी मंच - सकारात्मक भाव
टेलीग्राम चैनल का लोगो hindi_manch — हिंदी मंच - सकारात्मक भाव
चैनल का पता: @hindi_manch
श्रेणियाँ: शिक्षा
भाषा: हिंदी
ग्राहकों: 1.90K
चैनल से विवरण

अगर आप रोजमर्रा की भागम भाग ज़िन्दगी से परेशान हो और आसान उपाय की खोज में हो,
तो हम आपकी दिमाग की थकान का एकदम सटीक इलाज करेंगे,
जी हां हमारे पोस्ट आपको कभी थकान महसूस नहीं होने देंगे, और जीवन में सफल होने के लिए कारगर साबित होंगे।

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नवीनतम संदेश 119

2021-05-01 05:11:44
173 views02:11
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2021-04-30 20:14:51 8 साल का एक बच्चा 1 रूपये का सिक्का मुट्ठी में लेकर एक दुकान पर जाकर पूछने लगा,
--क्या आपकी दुकान में ईश्वर मिलेंगे?

दुकानदार ने यह बात सुनकर सिक्का नीचे फेंक दिया और बच्चे को निकाल दिया।

बच्चा पास की दुकान में जाकर 1 रूपये का सिक्का लेकर चुपचाप खड़ा रहा!

-- ए लड़के.. 1 रूपये में तुम क्या चाहते हो?
-- मुझे ईश्वर चाहिए। आपकी दुकान में है?

दूसरे दुकानदार ने भी भगा दिया।

लेकिन, उस अबोध बालक ने हार नहीं मानी। एक दुकान से दूसरी दुकान, दूसरी से तीसरी, ऐसा करते करते कुल चालीस दुकानों के चक्कर काटने के बाद एक बूढ़े दुकानदार के पास पहुंचा। उस बूढ़े दुकानदार ने पूछा,

-- तुम ईश्वर को क्यों खरीदना चाहते हो? क्या करोगे ईश्वर लेकर?

पहली बार एक दुकानदार के मुंह से यह प्रश्न सुनकर बच्चे के चेहरे पर आशा की किरणें लहराईं ৷ लगता है इसी दुकान पर ही ईश्वर मिलेंगे !
बच्चे ने बड़े उत्साह से उत्तर दिया,

----इस दुनिया में मां के अलावा मेरा और कोई नहीं है। मेरी मां दिनभर काम करके मेरे लिए खाना लाती है। मेरी मां अब अस्पताल में हैं। अगर मेरी मां मर गई तो मुझे कौन खिलाएगा ? डाक्टर ने कहा है कि अब सिर्फ ईश्वर ही तुम्हारी मां को बचा सकते हैं। क्या आपकी दुकान में ईश्वर मिलेंगे?

-- हां, मिलेंगे...! कितने पैसे हैं तुम्हारे पास?

-- सिर्फ एक रूपए।

-- कोई दिक्कत नहीं है। एक रूपए में ही ईश्वर मिल सकते हैं।

दुकानदार बच्चे के हाथ से एक रूपए लेकर उसने पाया कि एक रूपए में एक गिलास पानी के अलावा बेचने के लिए और कुछ भी नहीं है। इसलिए उस बच्चे को फिल्टर से एक गिलास पानी भरकर दिया और कहा, यह पानी पिलाने से ही तुम्हारी मां ठीक हो जाएगी।

अगले दिन कुछ मेडिकल स्पेशलिस्ट उस अस्पताल में गए। बच्चे की मां का आप्रेशन हुआ और बहुत जल्दी ही वह स्वस्थ हो उठीं।

डिस्चार्ज के कागज़ पर अस्पताल का बिल देखकर उस महिला के होश उड़ गए। डॉक्टर ने उन्हें आश्वासन देकर कहा, "टेंशन की कोई बात नहीं है। एक वृद्ध सज्जन ने आपके सारे बिल चुका दिए हैं। साथ में एक चिट्ठी भी दी है"।

महिला चिट्ठी खोलकर पढ़ने लगी, उसमें लिखा था-
"मुझे धन्यवाद देने की कोई आवश्यकता नहीं है। आपको तो स्वयं ईश्वर ने ही बचाया है ... मैं तो सिर्फ एक ज़रिया हूं। यदि आप धन्यवाद देना ही चाहती हैं तो अपने अबोध बच्चे को दीजिए जो सिर्फ एक रूपए लेकर नासमझों की तरह ईश्वर को ढूंढने निकल पड़ा। उसके मन में यह दृढ़ विश्वास था कि एकमात्र ईश्वर ही आपको बचा सकते है। विश्वास इसी को ही कहते हैं। ईश्वर को ढूंढने के लिए करोड़ों रुपए दान करने की ज़रूरत नहीं होती, यदि मन में अटूट विश्वास हो तो वे एक रूपए में भी मिल सकते हैं।"
207 views17:14
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2021-04-30 20:05:51 ख़ाली हो जाने का अर्थ
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ख़ाली होने का अर्थ
वो चाय की प्याली भी हो सकता है
जिसमें चुस्कियाँ कम
मस्तियाँ ज़्यादा हों

ख़ाली वो नहीं
जो भरा हुआ नहीं
बल्कि वो तो सबसे ज़्यादा भरा है
प्यार से, अपनेपन से,
ख़ुलूस से
अजी वो तो पूरी तरह
बचा है विचारों के जुलूस से

ख़ाली होने का यह भी
मतलब होता है कि
आपको दूजे का सुख-दुःख
भिगोता है

ख़ाली इन्सान सबसे
ज़्यादा सफ़ल होता है
क्योंकि उसमें औरों को
सुनने का बल होता है

सफ़लता का मतलब है कि
पराये भी आपको
अपनों में
शुमार करते हैं
दिल से आपको प्यार करते हैं

अरे हाँ,
दिल को सबसे ज़्यादा ख़ाली रखना
भर कर स्नेह की प्याली रखना
दिल नहीं कोई मामूली गागर है
यह तो गहरा सागर है
सम्भाल के रखना इस सागर में
रिश्तों के मोती
एहसासों की सीपियाँ
भावों की लहरें

रिश्तों को दरकार है ख़ाली जगह
मत भरना इसे शिकवों और
व्यर्थ की अपेक्षा से
और उपेक्षा से
इतनी जगह ख़ाली हो रिश्तों में
कि प्रेम की बयार आ जा सके
साँस ले पाएं रिश्ते

अपना समय देना
दुनिया के लिए भी
लेकिन ख़ाली समय रखना
उनके लिए भी
जिनके लिए तुम दुनिया हो

पूछना तो सही
एक बार खुद से
कि सब कुछ बनाने-संभालने वाला
ख़ुदा ख़ुद कैसे ख़ाली रह लेता होगा

फ़िर जो उत्तर मिलेगा
वह तुम्हें ख़ाली कर देगा
अनचाहे विचारों से
अनचीन्ही भावनाओं से
अविद्या से और अभिलाषाओं से

ये ख़ालीपन !
मोक्ष इससे अलग नहीं।

- डॉ. सुरेश नायक
191 views17:05
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2021-04-30 14:42:21 *नमन महाप्राण*
(मानवता व इंसानियत की मिसाल बने इस देवदूत इंसान महाप्राण नारायण जी को सादर समर्पित मेरी यह कविता। इसे काव्यरुप लघु कथा ही समझे।आइए पढ़े व विचार करें)
ऽ पतंजलि मिश्र
*पावन सी इक कथा, कविता में बताते हैं।*
*इंसानियत है जिंदा जो उसको सुनाते हैं।।*

थी उम्र थोडी ज्यादा, बला का ढेर रखा था।
सांसे कम बची थी ,कोई उलटफेर रखा था।
सामने से बिलखती मां का रूदन सुना
शायद मन में इंसानियत ने घेर रखा था।।

बच जाएं पति उसका, परिवार चल सके।
मैं जी चुका हूं शायद वो आगे निकल सके।
मानवता की इससे बडी मिशाल क्या कहूॅ,
जो अब नहीं जागे शायद पिघल सके।।

उसके लिए तो मानो वरदान हो गए।
आसूॅ को देखकर करूणानिधान हो गए।
बेटी को मनाकर साहस से यू बोले,
अनाथ न हो बच्चे पल में महान हो गए।।
मैं जी चुका हू, चलों मानवता को बचा ले,
देकर के सांसे अपनी वो भगवान हो गए।।

न पहचान थी न तो रिश्ता था कोई।
दिव्यआत्मा हृदय में बसता था कोई।
जीवन लगा के दांव घर को चले गए,
उसके लिए मानो फरिश्ता था कोई।।

बहुतो ने लहू, अंग महज दान दे दिया।
कर्ण जैसा दानी कुंडल कवच दान दे दिया।
मानवता के खातिर बन के देवदूत वो,
इंसानियत बचाने जिंदगी सहज दान दे दिया।।

था इक तमाचा आज की कलाबजारी पर।
कौडियों के दाम बिक रहे हजारी पर।
आपदा के अवसर में लूट मचाने वालो,
अब तो महज मदद बनो इस महामारी पर।।

कलम सिसक रही थी लिख भावुक कहानी को।
उस बूढे प्राण समक्ष झुकी कइयों जवानी को।
देकर यहीं सीख धन्य धरा से चले गये
इंसानियत का पाठ और आखों के पानी को।।
*नर से हुए नारायण ही पूज्य कहाते।*

*पावन सी इक कथा कविता में बताते है।*
*इंसानियत है जिंदा जो उसको सुनाते है।*
रचना-पतंजलि मिश्र, गरियाबंद,
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2021-04-30 14:41:36
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2021-04-30 14:40:47
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2021-04-30 14:40:14
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2021-04-30 11:34:23
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2021-04-30 05:41:16
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2021-04-30 05:26:05
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