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Bhagavad Gita (श्रीमद्भगवद्गीता)

टेलीग्राम चैनल का लोगो bhagwat_geetakrishn — Bhagavad Gita (श्रीमद्भगवद्गीता) B
टेलीग्राम चैनल का लोगो bhagwat_geetakrishn — Bhagavad Gita (श्रीमद्भगवद्गीता)
चैनल का पता: @bhagwat_geetakrishn
श्रेणियाँ: धर्म
भाषा: हिंदी
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Hindu Devotional Channel

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नवीनतम संदेश 7

2022-06-13 00:59:24 यस्मिन् देशे न सम्मानो न वृत्तिर्न च बान्धवाः।
न च विद्यागमोऽप्यस्ति वासस्तत्र न कारयेत्।।

ऐसा देश जहाँ पर कोई सम्मान नहीं हो, जीने के लिए कोई आजीविका नहीं मिले, कोई अपना भाई और बन्धु नहीं रहता हो, जहाँ पर विद्या ग्रहण करने की संभवना नहीं हो, ऐसे स्थान पर रहना नहीं चाहिए।

@bhagwat_geetakrishn
243 viewssudhir Mishra, 21:59
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2022-06-12 11:02:06 बचत का महत्व

शाम का समय था। दो मोमबत्तियाँ जलाकर प्रसिद्ध लेखक जॉन मूर लेखन का कार्य कर रहे थे। उसी समय उनके द्वार पर दस्तक हुई। उन्होंने देखा कि द्वार पर दो महिलायें हैं। वे महिलायें किसी सामाजिक संस्था से संबद्ध थी और उनसे किसी कल्याणकारी कार्य के संबंध में चंदा मांगने आई थीं।

उनसे बात करने के पूर्व जॉन मूर ने दो में से एक मोमबत्ती बुझा दिया। यह देख वे महिलायें सोचने लगी कि यहाँ चंदा नहीं मिलने वाला। जो व्यक्ति हमसे बात करने के पूर्व एक दीपक बुझा रहा है, उसके पास क्या पैसे होंगे? वह क्या चंदा देगा?

जॉन मूर ने उन महिलाओं से उनके आने का उद्देश्य पूछा। महिलाओं ने कुछ हिचकते हुए चंदे की बात उन्हें बताई। जॉन मूरे ने फौरन 100 डॉलर उन्हें दे दिये।

यह देखकर दोनों महिलायें चकित रह गई और उन्होंने कहा, “हमारे आने पर आपने एक दीपक बुझा दिया, तो हमें लगा कि हमें आपसे कोई चंदा नहीं मिलेगा। किंतु आपने 100 डॉलर देकर हमारी सोच बदल दी।”

“आपको यह राशि देने में सक्षम होने का कारण यह बचत की आदत ही है। आपसे बात करते समय एक मोमबत्ती का प्रकाश ही पर्याप्त था, इसलिए दूसरा व्यर्थ करने का कोई प्रयोजन नहीं था। बूंद बूंद से ही घड़ा भरता है। थोड़ी-थोड़ी बचत से ही बड़ी रकम जमा होती है।” जॉन मूर ने उत्तर दिया।

उन महिलाओं को वहाँ चंदा भी मिला और एक अच्छी नसीहत भी। उन्हें बचत का महत्व समझ आ गया था।

@bhagwat_geetakrishn
219 viewssudhir Mishra, 08:02
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2022-06-12 10:19:17 आम का पेड़ :--

नयासर का राजा बड़ा ही न्याय प्रिय था| वह अपनी प्रजा के दुख-दर्द में बराबर काम आता था। प्रजा भी उसका बहुत आदर करती थी| एक दिन राजा गुप्त वेष में अपने राज्य में घूमने निकला तब रास्ते में देखता है कि एक वृद्ध एक छोटा सा पौधा रोप रहा है|

राजा कौतूहलवश उसके पास गया और बोला, ‘‘यह आप किस चीज का पौधा लगा रहे हैं ?’’
वृद्ध ने धीमें स्वर में कहा, ‘‘आम का।’’

राजा ने हिसाब लगाया कि उसके बड़े होने और उस पर फल आने में कितना समय लगेगा। हिसाब लगाकर उसने अचरज से वृद्ध की ओर देखा और कहा, ‘‘सुनो दादा इस पौधै के बड़े होने और उस पर फल आने मे कई साल लग जाएंगे, तब तक तुम क्या जीवित रहोगे?’’
वृद्ध ने राजा की ओर देखा। राजा की आँखों में मायूसी थी। उसे लग रहा था कि वह वृद्ध ऐसा काम कर रहा है, जिसका फल उसे नहीं मिलेगा।

यह देखकर वृद्ध ने कहा, ‘‘आप सोच रहें होंगे कि मैं पागलपन का काम कर रहा हूँ।
जिस चीज से आदमी को फायदा नहीं पहुँचता, उस पर मेहनत करना बेकार है, लेकिन यह भी तो सोचिए कि इस बूढ़े ने दूसरों की मेहनत का कितना फायदा उठाया है ?
दूसरों के लगाए पेड़ों के कितने फल अपनी जिंदगी में खाए हैं ?
क्या उस कर्ज को उतारने के लिए मुझे कुछ नहीं करना चाहिए?
क्या मुझे इस भावना से पेड़ नहीं लगाने चाहिए कि उनके फल दूसरे लोग खा सकें?

जो केवल अपने लाभ के लिए ही काम करता है, वह तो स्वार्थी वृत्ति का मनुष्य होता है।

वृद्ध की यह दलील सुनकर राजा प्रसन्न हो गया , आज उसे भी कुछ बड़ा सीखने को मिला था।

@bhagwat_geetakrishn
219 viewssudhir Mishra, 07:19
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2022-06-12 10:03:17 !! भालू और दो दोस्त !!

दो दोस्त जंगल के रास्ते से जा रहे थे। अचानक उन्हें दूर से एक भालू अपने पास आता हुआ दिखा तो दोनों दोस्त डर गये। पहला दोस्त जो की दुबला पतला था वह तुरंत पास के पेड़ पर चढ़ गया। जबकि दूसरा दोस्त जो मोटा था वह पेड़ पर चढ़ नही सकता था तो उसने अपनी बुद्धि से काम लेते हुए वह तुरंत अपनी सांस को रोकते हुए जमीन पर लेट गया।

और फिर कुछ देर बाद भालू वहां से गुजरा। उस मोटे दोस्त को सुंघा, फिर कुछ समय बाद आगे चला गया। इस प्रकार उस मोटे दोस्त की जान बच गयी।

इसके बाद उसका दोस्त उसके पास आकर पूछता है कि वह भालू तुम्हारे कान में क्या कह रहा था? तो उस दोस्त ने बोला- सच्चा दोस्त वही होता है जो मुसीबत के समय में काम आये।

शिक्षा:-
सच्चा दोस्त वही होता है जो दोस्त अपने दोस्त का साथ मुसीबत के वक्त भी न छोड़े।

@bhagwat_geetakrishn
209 viewssudhir Mishra, 07:03
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2022-06-12 07:15:21 जय गणपति.....

Divide each difficultly into as many parts as is feasible and necessary to resolve it, and watch the whole transform.

प्रत्येक कठिनाई को उतने भाग में बांट दें जितने उसका समाधान करने के लिए संभव एवं आवश्यक हों, और फिर पूरा परिवर्तन देखिए।

@bhagwat_geetakrishn
261 viewssudhir Mishra, 04:15
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2022-06-12 07:11:29 भाग्य....

एक रेस्टोरेंट में कई बार देखा गया कि, एक व्यक्ति आता है और भीड़ का लाभ उठाकर नाश्ता कर चुपके से बिना पैसे, दिए निकल जाता है। एक दिन जब वह खा रहा था तो एक आदमी ने चुपके से दुकान के मालिक को बताया कि यह भाई भीड़ का लाभ उठाएगा और बिना बिल चुकाए निकल जाएगा।

उसकी बात सुनकर रेस्टोरेंट का मालिक मुस्कराते हुए बोला – उसे बिना कुछ कहे जाने दो, हम इसके बारे में बाद में बात करेंगे। हमेशा की तरह भाई ने नाश्ता करके इधर-उधर देखा और भीड़ का लाभ उठाकर चुपचाप चला गया। उसके जाने के बाद, उसने रेस्टोरेंट के मालिक से पूछा कि मुझे बताओ कि आपने उस व्यक्ति को क्यों जाने दिया।

रेस्टोरेंट के मालिक द्वारा दिया गया जवाब – आप अकेले नहीं हो, कई भाइयों ने उसे देखा है और मुझे उसके बारे में बताया है। वह रेस्टोरेंट के सामने बैठता है और जब देखता है कि भीड़ है, तो वह चुपके से खाना खा लेता है। मैंने हमेशा इसे नज़रअंदाज़ किया और कभी उसे रोका नहीं, उसे कभी पकड़ा नहीं और ना ही कभी उसका अपमान करने की कोशिश की.. क्योंकि मुझे लगता है कि मेरी दुकान में भीड़ इस भाई की प्रार्थना की वजह से है,, इसलिए कभी घमंड मत करो की मैं उसे खिला रहा हूं

@bhagwat_geetakrishn
266 viewssudhir Mishra, 04:11
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2022-06-12 04:50:13
जुग सहस्त्र जोजन पर भानू।
लिल्यो ताहि मधुर फ़ल जानू॥

जो सूर्य हजारों योजन की दूरी पर है, जहां तक पहुंचने में हजारों युग लगे, उस सूर्य को आपने मीठा फल समझकर निगल लिया।
289 viewssudhir Mishra, 01:50
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2022-06-12 04:42:17 परस्वानां च हरणं परदाराभिमर्शनम्।
सचह्रदामतिशङ्का च त्रयो दोषाः क्षयावहाः।।

दूसरों के धन का अपहरण, पर स्त्री के साथ संसर्ग और अपने हितैषी मित्रों के प्रति घोर अविश्वास ये तीनों दोष जीवन का नाश करने वाले हैं।
288 viewssudhir Mishra, 01:42
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2022-06-11 17:52:57 शिव पुराण के लिए व्हाट्सएप WhatsApp Broadband ग्रुप बनाया जा रहा है जो सोमवार से शुरू होगा।

इच्छुक व्यक्ति संपर्क कर सकते है

सुधीर मिश्रा
9768011645
40 viewssudhir Mishra, 14:52
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2022-06-10 21:46:00
तुम्हरो मंत्र विभीषण माना।
लंकेश्वर भये सब जग जाना॥

आपके परामर्श को विभीषण ने माना, जिसके फलस्वरूप वे लंका के राजा बने। इस को सारा जग जानता है।
290 viewssudhir Mishra, 18:46
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