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नवीनतम संदेश 6
2022-06-16 17:25:56कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन। मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि।।
श्रीकृष्ण ने कहा कि हे अर्जुन, कर्म करना तुम्हारा अधिकार है, फल की इच्छा करने का तुम्हारा अधिकार नहीं। कर्म करना और फल की इच्छा न करना, अर्थात फल की इच्छा किए बिना कर्म करना, क्योंकि मेरा काम फल देना है।
राम के दोनों अक्षर मधुर और सुन्दर हैं . मधुर का अर्थ रचना में रस मिलता हुआ और मनोहर कहने का अर्थ है की मन को अपनी और खींचता है . राम राम कहने से मुंह में मिठास पैदा होती है . दोनों अक्षर वर्णमाल की दो आँखें हैं .राम के बिना वर्णमाला भी अंधी है.
2022-06-15 09:34:46
बहुत से लोग पूछ रहे है शिवपुराण का कोई व्हाट्सएप ग्रुप नही बना अभी तक....WhatsApp Broadcast Message का अर्थ है की आपके इनबॉक्स में पर्सनल पर मैसेज जाता है कोई ग्रुप नही होता।
ब्रॉडकास्ट लिस्ट इसलिए बनाया है ताकि आपके खास कर किसी लड़की महिला के नंबर का दुरुपयोग ना हो।
2022-06-15 09:20:00
जन्म उसी का सार्थक है जिसके पैदा होने से पूरा कुल उन्नति को प्राप्त हो, वरना इस नश्वर और परिवर्तनशील संसार में एेसा कौन है जो जन्म लेकर मरता नही.....
जो भोजन अधिक समय का रखा हुआ, स्वादहीन, दुर्गन्धयुक्त, सड़ा हुआ, अन्य के द्वारा झूठा किया हुआ और अपवित्र होता है, वह भोजन तमोगुणी मनुष्यों को प्रिय होता है