Get Mystery Box with random crypto!

हिंदी साहित्य / Hindi Sahitya 🌟

टेलीग्राम चैनल का लोगो ugc_net_hindi_sahitya — हिंदी साहित्य / Hindi Sahitya 🌟
टेलीग्राम चैनल का लोगो ugc_net_hindi_sahitya — हिंदी साहित्य / Hindi Sahitya 🌟
चैनल का पता: @ugc_net_hindi_sahitya
श्रेणियाँ: साहित्य
भाषा: हिंदी
ग्राहकों: 46.10K
चैनल से विवरण

Best Channel On Telegram For the Preparation of #UPSC, #SSC, #Banking, #Railway, #Insurance, #Teaching and All Other Competitive Exams.
Disclaimer - We Don't Own any Materials Posted Here, for Any DMCA Enquiry.
Cont - @Contact4Me_Bot

Ratings & Reviews

4.00

2 reviews

Reviews can be left only by registered users. All reviews are moderated by admins.

5 stars

0

4 stars

2

3 stars

0

2 stars

0

1 stars

0


नवीनतम संदेश 30

2021-08-30 07:28:00 हिन्दी भाषा एवं साहित्य
▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬
✦ आज के लिए प्रश्नोत्तर सीरीज़ : 179
✦ टॉप 5 MCQs प्रश्नोतर
▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬
1. सही वर्तनी का चयन कीजिए?

परविक्षा
परीक्षा
पिरिक्षा
पृरिक्षा

2. 'पंचवटी' कौन-सा समास है?

द्विगु
द्वन्द्व
कर्मधारय
तत्पुरुष

3. 'निरुत्तर' शब्द का शुद्ध सन्धि विच्छेद है?

नि + उत्तर
निः + उत्तर
निर + उत्तर
निः + उतर

4. 'रामचरितमानस' में कितने काण्ड हैं?

(4)
(7)
(5)
(8)

5. निम्नलिखित में से कौन सा एक व्यंग्य लेखक है?

श्यामसुन्दर दास
विद्या निवास
हरिशंकर परसाई
राहुल सांकृत्यायन
हरिशंकर परसाई, हिंदी के प्रसिद्ध लेखक और व्यंग्यकार थे। ये हिंदी के पहले रचनाकार हैं जिन्होंने व्यंग्य को विधा का दर्जा दिलाया और उसे हल्के–फुल्के मनोरंजन की परंपरागत परिधि से उबारकर समाज के व्यापक प्रश्नों से जोड़ा।
▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬
उत्तर : B A B B C
▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬
अपने मित्रों के साथ अवश्य साझा करें।
1.2K views04:28
ओपन / कमेंट
2021-08-29 11:30:03 वस्तुनिष्ठ प्रश्न : SET 17 [ #Top_5_Details ]
UGC NET PART हिंदी व्याकरण एवं उनसे जुड़े तथ्य

6. जो नत हुआ वह मृत हुआ ज्यों वृंत से झरकर कुसुम में कौन सा अलंकार है?
(A) उत्प्रेक्षा अलंकार
(B) यमक अलंकार
(C) श्लेष अलंकार
(D) मानवीकरण अलंकार

Explanation : जो नत हुआ वह मृत हुआ ज्यों वृंत से झरकर कुसुम में उत्प्रेक्षा अलंकार है। उत्प्रेक्षा का शाब्दिक अर्थ है ‘देखने की उत्कट इच्छा’। जिस वाक्य में उपमेय और उपमान भिन्न होने पर भी समानता का भाव उत्पन्न करता है वहां उत्प्रेक्षा अलंकार माना जाता है। जहां रूप गुण आदि समान प्रतीत होने के कारण उपमेय में उपमान की संभावना या कल्पना की जाए और उसे व्यक्त करने के लिए मनु, मानो, जानो, जनु, ज्यों आदि वाचक शब्दों का प्रयोग किया जाए, वहां उत्प्रेक्षा अलंकार माना जाता है।

7. अंबर के तारे मानो मोती अनगन है में कौन सा अलंकार है?
(A) उत्प्रेक्षा अलंकार
(B) यमक अलंकार
(C) श्लेष अलंकार
(D) मानवीकरण अलंकार

Explanation : अंबर के तारे मानो मोती अनगन है में उत्प्रेक्षा अलंकार है। उत्प्रेक्षा का शाब्दिक अर्थ है ‘देखने की उत्कट इच्छा’। जिस वाक्य में उपमेय और उपमान भिन्न होने पर भी समानता का भाव उत्पन्न करता है वहां उत्प्रेक्षा अलंकार माना जाता है। जहां रूप गुण आदि समान प्रतीत होने के कारण उपमेय में उपमान की संभावना या कल्पना की जाए और उसे व्यक्त करने के लिए मनु, मानो, जानो, जनु, ज्यों आदि वाचक शब्दों का प्रयोग किया जाए, वहां उत्प्रेक्षा अलंकार माना जाता है।

8. लहरें व्योम चूमती उठतीं में कौन सा अलंकार है?
(A) अतिशयोक्ति अलंकार
(B) यमक अलंकार
(C) श्लेष अलंकार
(D) मानवीकरण अलंकार

Explanation : लहरें व्योम चूमती उठतीं में अतिशयोक्ति अलंकार है। यहां समुद्र की लहरों को आकाश चूमते हुए कहकर उनकी अतिशय ऊंचाई का उल्लेख अतिशयोक्ति के माध्यम से किया गया है। जहां किसी वस्तु का इतना बढ़ा-चढ़ाकर वर्णन किया जाए कि सामान्य लोक सीमा का उल्लंघन हो जाए वहाँ अतिशयोक्ति अलंकार होता है। यानि जब किसी व्यक्ति या वस्तु का वर्णन करने में लोक समाज की सीमा या मर्यादा टूट जाये उसे अतिश्योक्ति अलंकार कहते हैं।

9. हनुमान की पूंछ में लगन न पाई आग में कौन सा अलंकार है?
(A) अतिशयोक्ति अलंकार
(B) यमक अलंकार
(C) श्लेष अलंकार
(D) मानवीकरण अलंकार

Explanation : हनुमान की पूंछ में लगन न पायी आगि। सगरी लंका जल गई, गये निसाचर भागि। में अतिशयोक्ति अलंकार है। इसमें कहा गया है कि अभी हनुमान की पूंछ में आग लगने से पहले ही पूरी लंका जलकर खाख हो गयी और सभी राक्षस भाग खड़े हुए। ये बात बिलकुल असंभव है। अतः यह अतिशयोक्ति के अंतर्गत आता है। जहां किसी वस्तु का इतना बढ़ा-चढ़ाकर वर्णन किया जाए कि सामान्य लोक सीमा का उल्लंघन हो जाए वहाँ अतिशयोक्ति अलंकार होता है। यानि जब किसी व्यक्ति या वस्तु का वर्णन करने में लोक समाज की सीमा या मर्यादा टूट जाये उसे अतिश्योक्ति अलंकार कहते हैं।....

10. वह शर इधर गांडीव धनुष से भिन्न जैसे ही हुआ में कौन सा अलंकार है?
(A) अतिशयोक्ति अलंकार
(B) यमक अलंकार
(C) श्लेष अलंकार
(D) मानवीकरण अलंकार

Explanation : वह शर इधर गांडीव धनुष से भिन्न जैसे ही हुआ में अतिशयोक्ति अलंकार है। जहां किसी वस्तु का इतना बढ़ा-चढ़ाकर वर्णन किया जाए कि सामान्य लोक सीमा का उल्लंघन हो जाए वहाँ अतिशयोक्ति अलंकार होता है। यानि जब किसी व्यक्ति या वस्तु का वर्णन करने में लोक समाज की सीमा या मर्यादा टूट जाये उसे अतिश्योक्ति अलंकार कहते हैं।
●●●●●»●●●●●»●●●●●»●●●●»●●●●
702 views08:30
ओपन / कमेंट
2021-08-29 09:00:08 हिन्दी भाषा एवं साहित्य
▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬
✦ आज के लिए प्रश्नोत्तर सीरीज़ : 178
✦ टॉप 5 MCQs प्रश्नोतर
▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬
1. व्यवस्थाप्रियता और विद्रोह का विलक्षण संयोग किस प्रयोगवादी कवि में सबसे अधिक मिलता है?

गजानन माधव मुक्तिबोध में
भारतभूषण अग्रवाल में
नेमिचन्द्र जैन में
अज्ञेय में

2. भारतेन्दु कृत 'भारत दुर्दशा' किस साहित्य रूप का हिस्सा है?

कथा साहित्य
नाटक साहित्य
संस्मरण साहित्य
जीवनी साहित्य

3. 'जो अपनी जान खपाते हैं, उनका हक़ उन लोगों से ज़्यादा है, जो केवल रुपया लगाते हैं।' यह कथन 'गोदान' के किस पात्र द्वारा कहा गया है?

मालती
ओंकारनाथ
महतो
खन्ना

4. 'पवित्रता की माप है मलिनता, सुख का आलोचक है दुःख, पुण्य की कसौटी है पाप।' यह कथन 'स्कन्दगुप्त' नाटक के किस पात्र का है?

विजया
देवसेना
भटार्क
प्रपंचबुद्धि

5. 'दोहाकोश' के रचयिता हैं-

लुइपा
जोइन्दु
सरहपा
कण्हपा
▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬
उत्तर : D B C B C
▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬
अपने मित्रों के साथ अवश्य साझा करें।
60 views06:00
ओपन / कमेंट
2021-08-28 13:00:09 वस्तुनिष्ठ प्रश्न : SET 17 [ #Top_5_Details ]
UGC NET PART हिंदी व्याकरण एवं उनसे जुड़े तथ्य

1. पाहुन ज्यों आए हो गांव में शहर के में कौन सा अलंकार है?
(A) यमक अलंकार
(B) उत्प्रेक्षा अलंकार
(C) श्लेष अलंकार
(D) मानवीकरण अलंकार

Explanation : पाहुन ज्यों आए हो गांव में शहर के, मेघ आए बड़े बन ठन के सँवर के में उत्प्रेक्षा अलंकार है। जिस प्रकार मेहमान शहर का गांव में सज संवर कर आता है उसी प्रकार बादल संवर कर आए हैं। उत्प्रेक्षा का शाब्दिक अर्थ है ‘देखने की उत्कट इच्छा’। जिस वाक्य में उपमेय और उपमान भिन्न होने पर भी समानता का भाव उत्पन्न करता है वहां उत्प्रेक्षा अलंकार माना जाता है। जहां रूप गुण आदि समान प्रतीत होने के कारण उपमेय में उपमान की संभावना या कल्पना की जाए और उसे व्यक्त करने के लिए मनु, मानो, जानो, जनु, ज्यों आदि वाचक शब्दों का प्रयोग किया जाए, वहां उत्प्रेक्षा अलंकार माना जाता है।

2. छोड़कर तालाब मेरी झोपड़ी में खिल रहे जलजात में कौन सा अलंकार है?
(A) यमक अलंकार
(B) उत्प्रेक्षा अलंकार
(C) श्लेष अलंकार
(D) मानवीकरण अलंकार

Explanation : छोड़कर तालाब मेरी झोपड़ी में खिल रहे जलजात में उत्प्रेक्षा अलंकार है। इस पंक्ति में झोपड़ी उपमेय में तालाब उपमान का आरोप होने के कारण उत्प्रेक्षा अलंकार है। उत्प्रेक्षा का शाब्दिक अर्थ है ‘देखने की उत्कट इच्छा’। जिस वाक्य में उपमेय और उपमान भिन्न होने पर भी समानता का भाव उत्पन्न करता है वहां उत्प्रेक्षा अलंकार माना जाता है। जहां रूप गुण आदि समान प्रतीत होने के कारण उपमेय में उपमान की संभावना या कल्पना की जाए और उसे व्यक्त करने के लिए मनु, मानो, जानो, जनु, ज्यों आदि वाचक शब्दों का प्रयोग किया जाए, वहां उत्प्रेक्षा अलंकार माना जाता है।

3. सिर फट गया उसका वही मानो अरुण रंग का घड़ा में कौन सा अलंकार है?
(A) यमक अलंकार
(B) उत्प्रेक्षा अलंकार
(C) श्लेष अलंकार
(D) मानवीकरण अलंकार

Explanation : सिर फट गया उसका वही मानो अरुण रंग का घड़ा में उत्प्रेक्षा अलंकार है। उत्प्रेक्षा का शाब्दिक अर्थ है ‘देखने की उत्कट इच्छा’। जिस वाक्य में उपमेय और उपमान भिन्न होने पर भी समानता का भाव उत्पन्न करता है वहां उत्प्रेक्षा अलंकार माना जाता है। जहां रूप गुण आदि समान प्रतीत होने के कारण उपमेय में उपमान की संभावना या कल्पना की जाए और उसे व्यक्त करने के लिए मनु, मानो, जानो, जनु, ज्यों आदि वाचक शब्दों का प्रयोग किया जाए, वहां उत्प्रेक्षा अलंकार माना जाता है।

4. मानहु विधि तन-अच्छ छवि स्वच्छ राखिजे काज में कौन सा अलंकार है?
(A) यमक अलंकार
(B) उत्प्रेक्षा अलंकार
(C) श्लेष अलंकार
(D) मानवीकरण अलंकार

Explanation : मानहु विधि तन-अच्छ छवि स्वच्छ राखिजे काज में उत्प्रेक्षा अलंकार है। उत्प्रेक्षा का शाब्दिक अर्थ है ‘देखने की उत्कट इच्छा’। जिस वाक्य में उपमेय और उपमान भिन्न होने पर भी समानता का भाव उत्पन्न करता है वहां उत्प्रेक्षा अलंकार माना जाता है। जहां रूप गुण आदि समान प्रतीत होने के कारण उपमेय में उपमान की संभावना या कल्पना की जाए और उसे व्यक्त करने के लिए मनु, मानो, जानो, जनु, ज्यों आदि वाचक शब्दों का प्रयोग किया जाए, वहां उत्प्रेक्षा अलंकार माना जाता है।

5. जरा से लाल केसर से कि जैसे धुल गई हो में कौन सा अलंकार है?
(A) यमक अलंकार
(B) उत्प्रेक्षा अलंकार
(C) श्लेष अलंकार
(D) मानवीकरण अलंकार

Explanation : जरा से लाल केसर से कि जैसे धुल गई हो में उत्प्रेक्षा अलंकार है। उत्प्रेक्षा का शाब्दिक अर्थ है ‘देखने की उत्कट इच्छा’। जिस वाक्य में उपमेय और उपमान भिन्न होने पर भी समानता का भाव उत्पन्न करता है वहां उत्प्रेक्षा अलंकार माना जाता है। जहां रूप गुण आदि समान प्रतीत होने के कारण उपमेय में उपमान की संभावना या कल्पना की जाए और उसे व्यक्त करने के लिए मनु, मानो, जानो, जनु, ज्यों आदि वाचक शब्दों का प्रयोग किया जाए, वहां उत्प्रेक्षा अलंकार माना जाता है।
●●●●●»●●●●●»●●●●●»●●●●»●●●●
801 views10:00
ओपन / कमेंट
2021-08-28 09:00:08 हिन्दी भाषा एवं साहित्य
▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬
✦ आज के लिए प्रश्नोत्तर सीरीज़ : 177
✦ टॉप 5 MCQs प्रश्नोतर
▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬
1. 'निशा-निमंत्रण' के रचनाकार कौन हैं?

महादेवी वर्मा
श्यामनारायण पाण्डेय
जयशंकर प्रसाद
हरिवंश राय बच्चन

2. बिहारी किस राजा के दरबारी कवि थे?

बूँदी नरेश महाराज भावसिंह के
जयपुर नरेश जयसिंह के
नागपुर के सूर्यवंशी भोंसला मकरन्द शाह के
चित्रकूट नरेश रुद्रदेव के
आमेर नरेश मिर्ज़ा जयसिंह मुग़ल दरबार का सर्वाधिक प्रभावशाली सामंत था, वह औरंगज़ेब की आँख का काँटा बना हुआ था। जिस समय दक्षिण में शिवाजी के विजय-अभियानों की घूम थी, और उनसे युद्ध करने में अफ़ज़ल ख़ाँ एवं शाइस्ता ख़ाँ की हार हुई थी, तथा राजा यशवंतसिंह को भी सफलता मिली थी; तब औरंगज़ेब ने मिर्ज़ा राजा जयसिंह को शिवाजी को दबाने के लिए भेजा था। इस प्रकार वह एक तीर से दो शिकार करना चाहता था। जयसिंह ने बड़ी बुद्धिमत्ता, वीरता और कूटनीति से शिवाजी को औरंगज़ेब से संधि करने के लिए राजी किया था।

3. 'अतीत के चलचित्र' के रचयिता हैं-

जयशंकर प्रसाद
महादेवी वर्मा
सुमित्रानंदन पंत
सूर्यकांत त्रिपाठी निराला
महादेवी वर्मा, हिन्दी भाषा की प्रख्यात कवयित्री हैं। महादेवी वर्मा की गिनती हिन्दी कविता के छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभ सुमित्रानन्दन पन्त, जयशंकर प्रसाद और सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला के साथ की जाती है।

4. तुलसीदास का वह ग्रंथ कौन-सा है, जिसमें ज्योतिष का वर्णन किया गया है?

दोहावली
गीतावली
रामाज्ञा प्रश्नावली
कवितावली

5. 'रामचरितमानस' में प्रधान रस के रूप में किस रस को मान्यता मिली है?

शांत रस
भक्ति रस
वात्सल्य रस
अद्भुत रस
▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬
उत्तर : D B B C B
▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬
अपने मित्रों के साथ अवश्य साझा करें।
244 views06:00
ओपन / कमेंट
2021-08-27 15:05:34 वस्तुनिष्ठ प्रश्न : SET 16 [ #Top_5_Details ]
UGC NET PART हिंदी व्याकरण एवं उनसे जुड़े तथ्य

11. पुलक प्रकट करती है धरती हरित तृणों की नोकों से में कौन सा अलंकार है?
(A) यमक अलंकार
(B) श्लेष अलंकार
(C) उत्प्रेक्षा अलंकार
(D) मानवीकरण अलंकार

Explanation : पुलक प्रकट करती है धरती हरित तृणों की नोकों से, मानो झूम रहे हों तरु भी मंद पवन के झोंकों से में उत्प्रेक्षा अलंकार है। धरती की खुशहाली उसके हरित भूमि से होती है घास धरती की खुशी को जाहिर करते हैं जैसे वृक्ष झूल कर करते हैं। इसलिए इस पंक्ति में उत्प्रेक्षा अलंकार होगा। उत्प्रेक्षा का शाब्दिक अर्थ है ‘देखने की उत्कट इच्छा’। जिस वाक्य में उपमेय और उपमान भिन्न होने पर भी समानता का भाव उत्पन्न करता है वहां उत्प्रेक्षा अलंकार माना जाता है। जहां रूप गुण आदि समान प्रतीत होने के कारण उपमेय में उपमान की संभावना या कल्पना की जाए और उसे व्यक्त करने के लिए मनु, मानो, जानो, जनु, ज्यों आदि वाचक शब्दों का प्रयोग किया जाए, वहां उत्प्रेक्षा अलंकार माना जाता है।

12. चांद से सुंदर मुख में कौन सा अलंकार है?
(A) यमक अलंकार
(B) श्लेष अलंकार
(C) उत्प्रेक्षा अलंकार
(D) मानवीकरण अलंकार

Explanation : चांद से सुंदर मुख में उत्प्रेक्षा अलंकार है। मुख ऐसा लग रहा है जैसे मानो चंद्रमा हो। मुख तथा चंद्रमा के बीच समानता स्थापित किया गया है। इसलिए यहां उत्प्रेक्षा अलंकार है। उत्प्रेक्षा का शाब्दिक अर्थ है ‘देखने की उत्कट इच्छा’। जिस वाक्य में उपमेय और उपमान भिन्न होने पर भी समानता का भाव उत्पन्न करता है वहां उत्प्रेक्षा अलंकार माना जाता है। जहां रूप गुण आदि समान प्रतीत होने के कारण उपमेय में उपमान की संभावना या कल्पना की जाए और उसे व्यक्त करने के लिए मनु, मानो, जानो, जनु, ज्यों आदि वाचक शब्दों का प्रयोग किया जाए, वहां उत्प्रेक्षा अलंकार माना जाता है।

13. उसका मुखड़ा चंद्रमा के समान सुंदर है में कौन सा अलंकार है?
(A) यमक अलंकार
(B) श्लेष अलंकार
(C) उत्प्रेक्षा अलंकार
(D) मानवीकरण अलंकार

Explanation : उसका मुखड़ा चंद्रमा के समान सुंदर है में उत्प्रेक्षा अलंकार है। यहां मुख (उपमेय) को चंद्रमा (उपमान) मान लिया गया है। इसलिए यहां उत्प्रेक्षा अलंकार है। उत्प्रेक्षा का शाब्दिक अर्थ है ‘देखने की उत्कट इच्छा’। जिस वाक्य में उपमेय और उपमान भिन्न होने पर भी समानता का भाव उत्पन्न करता है वहां उत्प्रेक्षा अलंकार माना जाता है। जहां रूप गुण आदि समान प्रतीत होने के कारण उपमेय में उपमान की संभावना या कल्पना की जाए और उसे व्यक्त करने के लिए मनु, मानो, जानो, जनु, ज्यों आदि वाचक शब्दों का प्रयोग किया जाए, वहां उत्प्रेक्षा अलंकार माना जाता है।

14. मुख मानो चंद्रमा है में कौन सा अलंकार है?
(A) यमक अलंकार
(B) उत्प्रेक्षा अलंकार
(C) श्लेष अलंकार
(D) मानवीकरण अलंकार

Explanation : मुख मानो चंद्रमा है में उत्प्रेक्षा अलंकार है। यहां मुख (उपमेय) को चंद्रमा (उपमान) मान लिया गया है। इसलिए यहां उत्प्रेक्षा अलंकार है। उत्प्रेक्षा का शाब्दिक अर्थ है ‘देखने की उत्कट इच्छा’। जिस वाक्य में उपमेय और उपमान भिन्न होने पर भी समानता का भाव उत्पन्न करता है वहां उत्प्रेक्षा अलंकार माना जाता है। जहां रूप गुण आदि समान प्रतीत होने के कारण उपमेय में उपमान की संभावना या कल्पना की जाए और उसे व्यक्त करने के लिए मनु, मानो, जानो, जनु, ज्यों आदि वाचक शब्दों का प्रयोग किया जाए, वहां उत्प्रेक्षा अलंकार माना जाता है।

15. ले चला साथ मैं तुझे कनक ज्यों भिक्षुक लेकर स्वर्ण झनक में कौन सा अलंकार है?
(A) यमक अलंकार
(B) उत्प्रेक्षा अलंकार
(C) श्लेष अलंकार
(D) मानवीकरण अलंकार

Explanation : ले चला साथ मैं तुझे कनक ज्यों भिक्षुक लेकर स्वर्ण झनक में उत्प्रेक्षा अलंकार है। यहां धतूरे से दूर रहने की बात कही गई है, जिस प्रकार भिक्षुक स्वर्ण की झनक से दूर रहता है। उत्प्रेक्षा का शाब्दिक अर्थ है ‘देखने की उत्कट इच्छा’। जिस वाक्य में उपमेय और उपमान भिन्न होने पर भी समानता का भाव उत्पन्न करता है वहां उत्प्रेक्षा अलंकार माना जाता है। जहां रूप गुण आदि समान प्रतीत होने के कारण उपमेय में उपमान की संभावना या कल्पना की जाए और उसे व्यक्त करने के लिए मनु, मानो, जानो, जनु, ज्यों आदि वाचक शब्दों का प्रयोग किया जाए, वहां उत्प्रेक्षा अलंकार माना जाता है।
●●●●●»●●●●●»●●●●●»●●●●»●●●●
835 views12:05
ओपन / कमेंट
2021-08-27 09:00:05 हिन्दी भाषा एवं साहित्य
▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬
✦ आज के लिए प्रश्नोत्तर सीरीज़ : 176
✦ टॉप 5 MCQs प्रश्नोतर
▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬
1. इनमें किस इतिहासकार ने सर्वप्रथम रीतिकालीन कवियों के सर्वाधिक परिचयात्मक विवरण दिए हैं?

डॉ. विश्वनाथ प्रसाद मिश्र
डॉ. नगेन्द्र
डॉ.रामशंकर शुक्ल 'रसाल'
मिश्रबन्धु

2. 'हिन्दी साहित्य का अतीत: भाग- एक' के लेखक का नाम है?

आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी
डॉ. विश्वनाथ प्रसाद मिश्र
डॉ. माताप्रसाद गुप्त
डॉ. विद्यानिवास मिश्र

3. प्रेम लक्षणा भक्ति को किस भक्ति शाखा ने अपनी साधना का मुख्य आधार बनाया है?

रामभक्ति शाखा
ज्ञानाश्रयी शाखा
कृष्णभक्ति शाखा
प्रेममार्गी शाखा

4. मनुष्यत्व की सामान्य भावना को आगे करके निम्न श्रेणी की जनता में आत्म-गौरव का भाव जगाने वाले सर्वश्रेष्ठ कवि थे?

तुलसीदास
कबीर
जायसी
सूरदास
महात्मा कबीरदास के जन्म के समय में भारत की राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक एवं धार्मिक दशा शोचनीय थी। एक तरफ मुसलमान शासकों की धर्मान्धता से जनता परेशान थी और दूसरी तरफ हिन्दू धर्म के कर्मकांड, विधान और पाखंड से धर्म का ह्रास हो रहा था। जनता में भक्ति-भावनाओं का सर्वथा अभाव था। पंडितों के पाखंडपूर्ण वचन समाज में फैले थे। ऐसे संघर्ष के समय में, कबीरदास का प्रार्दुभाव हुआ।

5. 'हंस जवाहिर' रचना किस सूफ़ी कवि द्वारा रची गई थी?

मंझन
कुतुबन
उसमान
क़ासिमशाह
▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬
उत्तर : D B C B D
▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬
अपने मित्रों के साथ अवश्य साझा करें।
900 views06:00
ओपन / कमेंट
2021-08-26 07:30:07 हिन्दी भाषा एवं साहित्य
▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬
✦ आज के लिए प्रश्नोत्तर सीरीज़ : 175
✦ टॉप 5 MCQs प्रश्नोतर
▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬
1. चीनी-तिब्बती भाषा समूह की भाषाओं के बोलने वालों को कहा जाता है-

किरात
निषाद
द्रविड़
आर्य
'निषाद' एक अत्यन्त प्राचीन शूद्र जाति थी। इस जाति के लोग समुद्र के मध्य दूर सुदूर क्षेत्र में रहते थे। निषाद मत्स्य जीवी थे। यह प्राचीन जाति पर्वत, घाटियों और वनांचलों तथा नदियों के तटों पर भी निवास करती थी। निषादों को क्षत्रियों की भार्याओं से उत्पन्न 'शूद्र' पुत्र माना गया। फिर वनवासी जातियों के मिश्रण से निषाद पैदा होते रहे। अयोध्या के राजा दशरथ के पुत्र राम को वन जाते समय निषादों ने ही नदी पार कराई थी। महाभारत में भी निषादों का कई स्थानों पर उल्लेख हुआ है।

2. अपभ्रंश के योग से राजस्थानी भाषा का जो साहित्यिक रूप बना, उसे क्या कहा जाता है?

पिंगल भाषा
डिंगल भाषा
मेवाड़ी बोली
बाँगरू भाषा
'डिंगल' राजस्थानी की प्रमुख बोली 'मारवाड़ी' का साहित्यिक रूप है। कुछ लोग डिंगल को मारवाड़ी से भिन्न चरणों की एक अलग भाषा बतलाते हैं, किंतु ऐसा मानना निराधार है। डिंगल को 'भाटभाषा' भी कहा गया है। मारवाड़ी के साहित्यिक रूप का नाम डिंगल क्यों पड़ा, इस प्रश्न पर बहुत मत-वैभिन्न्य है। डॉ. श्यामसुन्दर दास के अनुसार- "पिंगल के सादृश्य पर यह एक गढ़ा हुआ शब्द है।" चन्द्रधर शर्मा गुलेरी के अनुसार- "डिंगल यादृच्छात्मक अनुकरण शब्द है।" साहित्य में डिंगल का प्रयोग 13वीं सदी के मध्य से लेकर आज तक मिलता है। डॉ. तेस्सितोरी ने 'डिंगल' के प्राचीन और अर्वाचीन दो भेद किए हैं।

3. 'एक नार पिया को भानी। तन वाको सगरा ज्यों पानी।' यह पंक्ति किस भाषा की है?

ब्रजभाषा
खड़ी बोली
अपभ्रंश भाषा
कन्नौजी भाषा
'ब्रजभाषा' मूलत: ब्रजक्षेत्र की बोली है। विक्रम की 13वीं शताब्दी से लेकर 20वीं शताब्दी तक भारत में साहित्यिक भाषा रहने के कारण ब्रज की इस जनपदीय बोली ने अपने विकास के साथ भाषा नाम प्राप्त किया और 'ब्रजभाषा' नाम से जानी जाने लगी। शुद्ध रूप में यह आज भी मथुरा, आगरा, धौलपुर और अलीगढ़ ज़िलों में बोली जाती है। इसे हम 'केंद्रीय ब्रजभाषा' भी कह सकते हैं। आधुनिक ब्रजभाषा 1 करोड़ 23 लाख जनता के द्वारा बोली जाती है और लगभग 38,000 वर्गमील के क्षेत्र में फैली हुई है।

4. निम्नलिखित में से 'छायावाद' के प्रवर्तक का नाम क्या है?

सुमित्रानंदन पंत
श्रीधर
श्यामसुन्दर दास
जयशंकर प्रसाद
'जयशंकर प्रसाद' कविता, नाटक, कहानी और उपन्यास, इन सभी क्षेत्रों में एक नवीन 'स्कूल' और नवीन 'जीवन-दर्शन' की स्थापना करने में सफल हुये हैं। वे 'छायावाद' के संस्थापकों और उन्नायकों में से एक हैं। वैसे सर्वप्रथम कविता के क्षेत्र में इस नव-अनुभूति के वाहक जयशंकर प्रसाद ही रहे हैं, और प्रथम विरोध भी उन्हीं को सहना पड़ा है। भाषा-शैली और शब्द-विन्यास के निर्माण के लिये जितना संघर्ष प्रसाद जी को करना पड़ा है, उतना दूसरों को नहीं। कथा साहित्य के क्षेत्र में जयशंकर प्रसाद की देन महत्त्वपूर्ण है। भावना-प्रधान कहानी लिखने वालों में जयशंकर प्रसाद अनुपम माने जाते थे।

5. अमीर ख़ुसरो ने जिन मुकरियों, पहेलियों और दो सुखनों की रचना की है, उसकी मुख्य भाषा कौन-सी है?

दक्खिनी
खड़ी बोली
बुन्देली
बघेली
भाषाशास्त्र की दृष्टि से खड़ी बोली शब्द का प्रयोग दिल्ली, मेरठ के समीपस्थ ग्रामीण समुदाय की ग्रामीण बोली के लिए होता है। ग्रियर्सन ने इसे 'वर्नाक्यूलर हिन्दुस्तानी' तथा सुनीति कुमार चटर्जी ने 'जनपदीय हिन्दुस्तानी' कहा है। खड़ी बोली नागरी लिपि में ही लिखी जाती है। खड़ी बोली नाम सर्वप्रथम हिंदी या हिंदुस्तानी की उस शैली के लिए दिया गया, जो उर्दू की अपेक्षा अधिक शुद्ध हिंदी (भारतीय) थी और जिसका प्रयोग संस्कृत परम्परा अथवा भारतीय परम्परा से सम्बंधित लोग अधिक करते थे। अधिकांशत: वह नागरी लिपि में लिखी जाती थी। गिलक्राइस्ट के अनुसार 1805 ई. से हिंदी, हिंदुस्तानी और उर्दू शब्द समानार्थक थे, अत: इनसे अलगाव सिद्ध करने के लिए 'शुद्ध' विशेषण जोड़ने की आवश्यकता पड़ी तथा 'खड़ी बोली' नाम सार्थक हुआ।
▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬
उत्तर : B B A D B
▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬
अपने मित्रों के साथ अवश्य साझा करें।
1.4K views04:30
ओपन / कमेंट
2021-08-25 09:52:23 वस्तुनिष्ठ प्रश्न : SET 16 [ #Top_5_Details ]
UGC NET
PART हिंदी व्याकरण एवं उनसे जुड़े तथ्य

6. फिल्म ‘रजनीगंधा’ लेखिका मन्नू भंडारी की किस रचना पर आधारित है?
(A) एक इंच मुस्कान
(B) आँखों देखा झूठ
(C) यही सच है
(D) महाभोज

Explanation : फिल्म 'रजनीगंधा' लेखिका मन्नू भंडारी की 'यही सच है' रचना पर आधारित है। इस फ़िल्म को 1974 की सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म का पुरस्कार प्राप्त हुआ। श्रीमती मन्नू भंडारी को हिंदी अकादमी दिल्ली का 'शिखर सम्मान', राजस्थान संगीत नाटक अकादमी 'व्यास सम्मान' से विभूषित किया गया तथा उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा पुरस्कृत किया गया। मन्नू भंडारी हिन्दी की लोकप्रिय कथाकारों में से हैं। नौकरशाही में व्याप्त भ्रष्टाचार के बीच आम आदमी की पीड़ा और दर्द की गहराई को उद्घाटित करने वाले उनके उपन्यास महाभोज (1979) पर आधारित नाटक अत्यधिक लोकप्रिय हुआ था।

7. मन्नू भंडारी का जन्म कब हुआ था?
(A) डॉ विजय सोनकर शास्त्री
(B) गणेश शंकर विद्या​र्थी
(C) 3 अप्रैल 1931
(D) धर्मवीर भारती

Explanation : मन्नू भंडारी का जन्म 3 अप्रैल 1931 को मध्य प्रदेश में मंडसौर जिले के भानपुरा नामक ग्राम में हुआ था। इनका बचपन का नाम महेंद्र कुमारी था। इनकी प्रारंभिक शिक्षा अजमेर में हुई। काशी हिंदु विश्वविद्यालय से आपने हिंदी में एम.ए. करने के बाद यह कलकता में अध्यापन कार्य करने लगी। कुछ समय बाद आपकी नियुक्ति दिल्ली विश्वविद्यालय में प्राध्यापिका के पद पर हो गई। इनकी प्रमुख रचनाएँ हैं–'एक प्लेट सैलाब', 'मैं हार गई', 'तीन निगाहों की एक तस्वीर', 'यही सच है', 'त्रिशंकु', 'आँखों देखा झूठ'-कहानी संग्रह; 'आपका बंटी', 'एक इंच मुसकान', 'महाभोज'-उपन्यास तथा 'बिना दीवारों का घर'-नाटक हैं।

8. एक इंच मुस्कान किसकी रचना है?
(A) डॉ विजय सोनकर शास्त्री
(B) गणेश शंकर विद्या​र्थी
(C) श्रीमती मन्नू भंडारी
(D) धर्मवीर भारती

Explanation : एक इंच मुस्कान श्रीमती मन्नू भंडारी की रचना है। इनकी प्रमुख रचनाऐं हैं– 'एक प्लेट सैलाब', 'मैं हार गई', 'तीन निगाहों की एक तस्वीर', 'यही सच है', 'त्रिशंकु', 'आँखों देखा झूठ'-कहानी संग्रह; 'आपका बंटी', 'महाभोज'- पन्यास और 'बिना दीवारों का घर'-नाटक। मन्नू भंडारी का जन्म 3 अप्रैल, 1931 ई. को मध्य प्रदेश में मंडसौर जिले के भानपुरा नामक ग्राम में हुआ। इनका बचपन का नाम महेंद्र कुमारी था।

9. शिक्षा का उद्देश्य निबंध के लेखक कौन है?
(A) डॉ विजय सोनकर शास्त्री
(B) गणेश शंकर विद्या​र्थी
(C) डॉ. संपूर्णानंद
(D) धर्मवीर भारती

Explanation : शिक्षा का उद्देश्य निबंध के लेखक डॉ. संपूर्णानंद है। इनका जन्म 1890 ई. में काशी के एक संभ्रात कायस्थ परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम विजयानंद था। संपूर्णानंद ने वाराणसी से बी.एस-सी. तथा इलाहाबाद से एल.टी. की परीक्षाएं उत्तीर्ण कीं। इन्होंने सर्वप्रथम प्रेम विद्यालय, वृन्दावन में अध्यापक तथा बाद में डूंगर कॉलेज, डूंगर में प्रधानाचार्य के पद पर कार्य किया। सन् 1921 ई. में ये राष्ट्रीय आंदोलन से प्रेरित होकर काशी में ‘ज्ञानमंडल’ में कार्य करने लगे। इन्होंने हिंदी की ‘मर्यादा’ मासिक पत्रिका तथा ‘टुडे’ अंग्रेजी दैनिक का संपादन किया और काशी नागरी प्रचारिणी सभा के अध्यक्ष तथा संरक्षक भी रहे। वाराणसी में स्थित सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय इनकी ही देन है।

10. लट लटकनि मनु मत्त मधुप गन मादक मधुहिं पिए में कौन सा अलंकार है?
(A) यमक अलंकार
(B) श्लेष अलंकार
(C) उत्प्रेक्षा अलंकार
(D) मानवीकरण अलंकार

Explanation : लट लटकनि मनु मत्त मधुप गन मादक मधुहिं पिए में उत्प्रेक्षा अलंकार है। इस पंक्ति में लट-लटकनि उपमेय और मधुपगन उपमान है। उत्प्रेक्षा का शाब्दिक अर्थ है ‘देखने की उत्कट इच्छा’। जिस वाक्य में उपमेय और उपमान भिन्न होने पर भी समानता का भाव उत्पन्न करता है वहां उत्प्रेक्षा अलंकार माना जाता है। जहां रूप गुण आदि समान प्रतीत होने के कारण उपमेय में उपमान की संभावना या कल्पना की जाए और उसे व्यक्त करने के लिए मनु, मानो, जानो, जनु, ज्यों आदि वाचक शब्दों का प्रयोग किया जाए, वहां उत्प्रेक्षा अलंकार माना जाता है.
●●●●●»●●●●●»●●●●●»●●●●»●●●●
1.5K views06:52
ओपन / कमेंट