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हिन्दी भाषा एवं साहित्य ▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬ ✦ आज के लिए प्रश्न | हिंदी साहित्य / Hindi Sahitya 🌟

हिन्दी भाषा एवं साहित्य
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✦ आज के लिए प्रश्नोत्तर सीरीज़ : 175
✦ टॉप 5 MCQs प्रश्नोतर
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1. चीनी-तिब्बती भाषा समूह की भाषाओं के बोलने वालों को कहा जाता है-

किरात
निषाद
द्रविड़
आर्य
'निषाद' एक अत्यन्त प्राचीन शूद्र जाति थी। इस जाति के लोग समुद्र के मध्य दूर सुदूर क्षेत्र में रहते थे। निषाद मत्स्य जीवी थे। यह प्राचीन जाति पर्वत, घाटियों और वनांचलों तथा नदियों के तटों पर भी निवास करती थी। निषादों को क्षत्रियों की भार्याओं से उत्पन्न 'शूद्र' पुत्र माना गया। फिर वनवासी जातियों के मिश्रण से निषाद पैदा होते रहे। अयोध्या के राजा दशरथ के पुत्र राम को वन जाते समय निषादों ने ही नदी पार कराई थी। महाभारत में भी निषादों का कई स्थानों पर उल्लेख हुआ है।

2. अपभ्रंश के योग से राजस्थानी भाषा का जो साहित्यिक रूप बना, उसे क्या कहा जाता है?

पिंगल भाषा
डिंगल भाषा
मेवाड़ी बोली
बाँगरू भाषा
'डिंगल' राजस्थानी की प्रमुख बोली 'मारवाड़ी' का साहित्यिक रूप है। कुछ लोग डिंगल को मारवाड़ी से भिन्न चरणों की एक अलग भाषा बतलाते हैं, किंतु ऐसा मानना निराधार है। डिंगल को 'भाटभाषा' भी कहा गया है। मारवाड़ी के साहित्यिक रूप का नाम डिंगल क्यों पड़ा, इस प्रश्न पर बहुत मत-वैभिन्न्य है। डॉ. श्यामसुन्दर दास के अनुसार- "पिंगल के सादृश्य पर यह एक गढ़ा हुआ शब्द है।" चन्द्रधर शर्मा गुलेरी के अनुसार- "डिंगल यादृच्छात्मक अनुकरण शब्द है।" साहित्य में डिंगल का प्रयोग 13वीं सदी के मध्य से लेकर आज तक मिलता है। डॉ. तेस्सितोरी ने 'डिंगल' के प्राचीन और अर्वाचीन दो भेद किए हैं।

3. 'एक नार पिया को भानी। तन वाको सगरा ज्यों पानी।' यह पंक्ति किस भाषा की है?

ब्रजभाषा
खड़ी बोली
अपभ्रंश भाषा
कन्नौजी भाषा
'ब्रजभाषा' मूलत: ब्रजक्षेत्र की बोली है। विक्रम की 13वीं शताब्दी से लेकर 20वीं शताब्दी तक भारत में साहित्यिक भाषा रहने के कारण ब्रज की इस जनपदीय बोली ने अपने विकास के साथ भाषा नाम प्राप्त किया और 'ब्रजभाषा' नाम से जानी जाने लगी। शुद्ध रूप में यह आज भी मथुरा, आगरा, धौलपुर और अलीगढ़ ज़िलों में बोली जाती है। इसे हम 'केंद्रीय ब्रजभाषा' भी कह सकते हैं। आधुनिक ब्रजभाषा 1 करोड़ 23 लाख जनता के द्वारा बोली जाती है और लगभग 38,000 वर्गमील के क्षेत्र में फैली हुई है।

4. निम्नलिखित में से 'छायावाद' के प्रवर्तक का नाम क्या है?

सुमित्रानंदन पंत
श्रीधर
श्यामसुन्दर दास
जयशंकर प्रसाद
'जयशंकर प्रसाद' कविता, नाटक, कहानी और उपन्यास, इन सभी क्षेत्रों में एक नवीन 'स्कूल' और नवीन 'जीवन-दर्शन' की स्थापना करने में सफल हुये हैं। वे 'छायावाद' के संस्थापकों और उन्नायकों में से एक हैं। वैसे सर्वप्रथम कविता के क्षेत्र में इस नव-अनुभूति के वाहक जयशंकर प्रसाद ही रहे हैं, और प्रथम विरोध भी उन्हीं को सहना पड़ा है। भाषा-शैली और शब्द-विन्यास के निर्माण के लिये जितना संघर्ष प्रसाद जी को करना पड़ा है, उतना दूसरों को नहीं। कथा साहित्य के क्षेत्र में जयशंकर प्रसाद की देन महत्त्वपूर्ण है। भावना-प्रधान कहानी लिखने वालों में जयशंकर प्रसाद अनुपम माने जाते थे।

5. अमीर ख़ुसरो ने जिन मुकरियों, पहेलियों और दो सुखनों की रचना की है, उसकी मुख्य भाषा कौन-सी है?

दक्खिनी
खड़ी बोली
बुन्देली
बघेली
भाषाशास्त्र की दृष्टि से खड़ी बोली शब्द का प्रयोग दिल्ली, मेरठ के समीपस्थ ग्रामीण समुदाय की ग्रामीण बोली के लिए होता है। ग्रियर्सन ने इसे 'वर्नाक्यूलर हिन्दुस्तानी' तथा सुनीति कुमार चटर्जी ने 'जनपदीय हिन्दुस्तानी' कहा है। खड़ी बोली नागरी लिपि में ही लिखी जाती है। खड़ी बोली नाम सर्वप्रथम हिंदी या हिंदुस्तानी की उस शैली के लिए दिया गया, जो उर्दू की अपेक्षा अधिक शुद्ध हिंदी (भारतीय) थी और जिसका प्रयोग संस्कृत परम्परा अथवा भारतीय परम्परा से सम्बंधित लोग अधिक करते थे। अधिकांशत: वह नागरी लिपि में लिखी जाती थी। गिलक्राइस्ट के अनुसार 1805 ई. से हिंदी, हिंदुस्तानी और उर्दू शब्द समानार्थक थे, अत: इनसे अलगाव सिद्ध करने के लिए 'शुद्ध' विशेषण जोड़ने की आवश्यकता पड़ी तथा 'खड़ी बोली' नाम सार्थक हुआ।
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उत्तर : B B A D B
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