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नवीनतम संदेश 3

2022-01-10 08:03:38
“बजरंगी भाईजान” की मुन्नी हर्षाली मल्होत्रा को मिला 12th भारतरत्न डॉ. अम्बेडकर अवार्डस 2022”
आज महाराष्ट्र के राज्यपाल श्री भगत सिंह कोश्यारी ने किया मुंबई के राजभावन में सम्मानित !
आयोजक: कैलाश मासूम निदेशक बुद्धांजलि
159 viewsBahujan Update Official, 05:03
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2022-01-09 06:34:17
172 viewsKK Sagar, 03:34
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2022-01-09 06:34:16 *शिक्षिका फातिमा शेख के जन्मदिन की ढेरों बधाइयाँ एवं नमन*

भारत का पहला कन्या स्कूल खोलने में फ़ातिमा शेख़ ने माता सावित्रीबाई फुले की मदद की थी लेकिन फ़ातिमा शेख़ आज गुमनाम हैं और उनके नाम का उल्लेख कम ही मिलता है.

फ़ातिमा शेख़ एक भारतीय शिक्षिका थीं जो सामाजिक सुधारकों, महात्मा ज्योतिबा फुले और सावित्रीबाई फुले की सहयोगी थीं. फ़ातिमा शेख़ मियां उस्मान शेख की बहन थीं, जिनके घर में ज्योतिबा फूल और सावित्रीबाई फुले ने निवास किया था जब महात्मा फुले के पिता ने समस्त मूलनिवासियों और विशेषकर महिलाओं के उत्थान के लिए किए जा रहे उनके कामों की वजह से उनके परिवार को घर से निकाल दिया था.
फ़ातिमा शेख़ और उस्मान शेख़ ने ज्योतिबा फुले और सावित्रीबाई को उस मुश्किल समय में बेहद अहम सहयोग दिया था लेकिन अब बहुत कम ही लोग उस्मान शेख़ और फ़ातिमा शेख़ के बारे में जानते हैं.
वह आधुनिक भारत की पहली मुस्लिम महिला शिक्षकों में से एक थीं जिसने फुले स्कूल में मूलनिवासी बच्चों को शिक्षित करना शुरू किया. जब सावित्रीबाई फुले ने महिलाओं और उत्पीड़ित जातियों के लोगों को शिक्षा देना शुरू किया तो स्थानीय लोगों द्वारा उन्हें धमकी दी गई तथा उनके परिवार के सदस्यों को भी निशाना बनाया गया. जब फूले दम्पत्ती को उनकी जाति और न ही उनके परिवार और सामुदायिक सदस्यों ने उन्हें उनके इस काम में साथ दिया तब उस्मान शेख ने फुले दंपत्ति के जोड़ी को अपने घर की पेशकश की और परिसर में एक स्कूल चलाने पर सहमति जताया. 1848 में, उस्मान शेख और उनकी बहन फातिमा शेख के घर में एक स्कूल खोला गया था. यह कोई आश्चर्य नहीं था कि पूना की ऊँची जाति के लगभग सभी लोग फ़ातिमा और सावित्रीबाई फुले के खिलाफ थे और सामाजिक अपमान के कारण उन्हें रोकने की भी कोशिश थी. यह फातिमा शेख थीं जिन्होंने हर संभव तरीके से सावित्रीबाई का समर्थन किया. फातिमा शेख के भाई उस्मान शेख भी ज्योतिबा और सावित्रीबाई फुले के आंदोलन से प्रेरित थे. उस अवधि के अभिलेखागारों के अनुसार, यह उस्मान शेख था जिन्होंने अपनी बहन फातिमा को समाज में शिक्षा का प्रसार करने के लिए प्रोत्साहित किया. जब फातिमा शेख और सावित्रीबाई ने राष्ट्रपिता ज्योतिबाफुले द्वारा स्थापित स्कूलों में जाना शुरू कर दिया तो पुणे के लोग स्त्रीशिक्षा अकल्पनीय मानकर उनके ऊपर कभी-कभी गाय का गोबर फैंका करते थे. ऐसे समय में जब देश में सांप्रदायिक ताक़तें हिंदुओं-मुसलमानों को बांटने में सक्रिय हों, फ़ातिमा शेख़ के काम का उल्लेख ज़रूरी हो जाता है.

उस समय फ़ातिमा शेख़ के काम को मुस्लिम समाज में कितना समर्थन मिला, ये कहना मुश्किल है लेकिन हालात के मद्देनज़र ये कहा जा सकता है कि उन्हें भी विरोध का ही सामना करना पड़ा होगा. लेकिन महात्मा बुद्ध, कबीर और ज्योतिबा फूले को अपना गुरु मानती थीं. दरअसल फातिमा सभी समतामूलक विचारों से अत्यधिक प्रभावित थीं. ज्योतिबा और सावित्रीबाई फूले के योगदान को तो इतिहास ने दर्ज किया है लेकिन शुरुआती लड़ाई में उनकी सहयोगी रहीं फ़ातिमा शेख़ और उस्मान शेख़ का उल्लेख न हो पाना दुखद है. नारी शिक्षा और धर्मनिरपेक्षता के सवाल पर सरोकार रखने वाले लोगों के लिए ये बहुत बड़ी चुनौती है कि वे फ़ातिमा शेख़ और उस्मान शेख़ के योगदान की खोजबीन करें. स्त्रीमुक्ति आंदोलन की अहम किरदार रहीं फ़ातिमा पर शोध की ज़रूरत है, इतिहास में बहुत कुछ मौन और दबा हुआ हैं.
179 viewsKK Sagar, 03:34
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2022-01-08 19:47:05
#हम_बलात्कारी_बनेंगे, #आविष्कारी_नहीं!

#एक नग्न नारी मूर्ती फ्रान्स में प्रदर्शित हुई. लोगो ने तारीफ़ की और निर्माता के हाथ तक चूमे। वही मूर्ती ज़ब एशिया के महान देश में प्रदर्शित हुई तो लोग भड़क गए, उसे चकनाचूर कर दिए।
अगर मूर्ति में वासना होती तो वो फ्रान्स में ही टूट जाती। वासना एशियायी मन में है.
जिस देश के नर के मन में नग्न स्त्री वसती हो वह देश कभी रचनात्मक नही हो सकता है. वह बालात्कार ही करेगा आविस्कार नहीं।
हमारे यहाँ नर के लिये मादा एक वस्तु है, महज भोग की वस्तु। नर के जीवित रहने के लिये स्त्री से ज्यादा जरूरी हवा-पानी है। यहां के दिमाग में हवा-पानी की जगह नग्न स्त्री है.
हम बाहर से सेक्स के नाम पर बिदकते हैं, भीतर हर पल सेक्स के लिए सुलगते हैं. बेटी, बहन, मां तक को नहीं बख्शते हैं.
हम प्रेमशून्य हैं सो प्रेम के शत्रु हैं. वर्ना हम प्रेम को सहजता से लेते. सोचते-- दो लोगों का आपसी मामला है हमे क्या?
120 viewsKK Sagar, 16:47
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2022-01-08 11:54:38
218 viewsBahujan Update Official, 08:54
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2022-01-08 11:54:37 * 8 जनवरी,1880 बौद्ध जगत में विशेष महत्व का दिन है क्योंकि इसी दिन ” धम्म ध्वज ” की स्थापना हुई थी। यह धम्म ध्वज सम्पूर्ण विश्व को शांति, प्रगति मानवतावाद और समाज कल्याण की सदैव प्रेरणा देता है ।*
* धम्म का प्रचार और प्रसार के लिए सम्पूर्ण विश्व में बौद्ध धम्म का एक ही प्रतीक होना चाहिए इसी विचार के साथ श्रीलंका के मे बौद्ध ध्वज की रचना की गयी। बौद्ध ध्वज के रचना की बात की जाए तो, उसमे नीला, पीला, लाल, सफ़ेद और केसरी इन रंगों का प्रयोग किया गया।*
* विश्व बौद्ध ध्वज पहली बार 1885 में श्रीलंका में फहराया गया था। बौद्ध ध्वज बौद्ध धम्म का प्रतिनिधित्व करता है और यह दुनिया भर में आस्था और शांति का प्रतीक है।*
* बौद्ध ध्वज के जनक और पहले अमेरिकी बुद्धिस्ट, सेवानिवृत्त कर्नल हेनरी स्टील ओलकोट थे । बौद्ध ध्वज या पंचशील ध्वज के निर्माण मे इनका महत्वपूर्ण योगदान रहा है। श्रीलंका मे इन्होने बौद्ध धम्म के पुनरुत्थान का काम किया है। साथ ही श्रीलंका में करीब 400 बौद्ध स्कूलों और कॉलेजों की स्थापना की। इसलिए हेनरी स्टील ओलकोट को श्रीलंका मे धार्मिक, राष्ट्रीय पुनरुत्थान के लिए आज भी नायक के रूप मे जाना जाता है।*
* 1880 मे हेनरी स्टील ओलकोट श्रीलंका गए थे। वहा उन्होने बौद्ध धम्म स्वीकार किया। सन 1885 मे बौद्ध ध्वज के निर्मिति के लिए बनाई गयी समिति मे एक सलाहकार के रूप मे काम किया। उनके द्वारा डिज़ाइन किया गए बौद्ध ध्वज को वैश्विक तौर पर बुद्धिस्ट देशो मे मान्यता मिली और स्वीकार भी किया गया। झंडे को मूल रूप से कोलंबो समिति, श्रीलंका ने 1885 मे डिजाइन किया गया था। इस समिति में हिक्कादुवे सुमंगला थेरा (अध्यक्ष), मिगेट्टूवट्टे गुनानंद थेरा, डॉन कैरोलिस हेवेविथराना, एंड्रिस पेरेरा धर्मगुणवर्धना, चार्ल्स ए डी सिल्वा, पीटर डे एब्रेव, विलियम डे एब्रेव, एच विलियम फर्नांडो, एन.एस. फर्नांडो और कैरोलिस पूजिथा गुणवर्धना (सचिव) आदि लोग थे।*
* बौद्ध ध्वज को सर्वप्रथम 28 मई 1885 मे वैशाख पुर्णिमा के दिन सार्वजनिक रूप से लहराया गया था।1952 मे जो बौद्ध वैश्विक परिषद मे अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध ध्वज के रूप मे स्वीकृत किया।*
* नीला रंग — यह रंग शांति, दयालु स्वभाव एवं प्रेम का प्रतिक है।*
* पीला रंग — यह रंग तेज और उत्साह का प्रतिक है। यह रंग मध्यम मार्ग को प्रदर्शित करता है। बुद्ध के आत्मज्ञान से मिलने वाला प्रकाश का प्रतिनिधित्व करता है।*
* लाल रंग — यह रंग ज्ञान, सदाचार, गरिमा और साहस का प्रतिक है।*
* सफेद रंग — शुद्धता और निर्मलता का प्रतिक है, यह वास्तविक जीवन को प्रदर्शित करता है।*
* केसरी रंग — त्याग और करुना का प्रतिक है, यह रंग बुद्ध के ज्ञान की शक्ति और धर्म के समृद्ध अर्थ और उसकी चमक को प्रदर्शित करता है।*

*क्षैतिज को समांतर पट्टिया सद्भाव, शांति और खुशी में दुनिया के लोगों का प्रतिनिधित्व करती हैं और 5 वर्णक्रम के संयोजन से बनी छटवी पट्टी बौद्ध समुदाय के निरंतर शांति को दर्शाती हैं।इस पट्टी पर 5 रंगो का एक संयोजन बना है, वर्णक्रम बुद्ध की शिक्षाओं के सार्वभौमिक सत्य का प्रतिनिधित्व करता है।*
220 viewsBahujan Update Official, 08:54
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2022-01-08 06:44:30 ये वो सवाल हैं जो आपको, हमको और हर तर्कशील व वैज्ञानिक सोच वाले इंसान को इस रूढ़िवादी समाज से पूछना चाहिए। मुझे ये लिखना पड़ रहा है क्योंकि सरस्वती को शिक्षण संस्थानों में जबरदस्ती थोपा जा रहा है।

जो शिक्षण संस्थान सरस्वती के बारे में कुछ नहीं जानते उन बच्चों को गलत और अवैज्ञानिक बातें सीखा कर यह रूढ़िवादी समाज देश के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहा है।

यदि हमें अपने बच्चों को अंधभक्त और रूढ़िवादी बनने की जगह तर्कशील और वैज्ञानिक सोच वाला बनने में सहयोग करना है, तो ये सवाल आप आज से ही पूछना शुरू कीजिये।

· क्या सरस्वती गाने गाती थी? क्या ऊसका गाना हिट हुआ था?

· सरस्वती ने कितनी और कौन सी किताबे लिखी?

· सरस्वती का शिक्षा के क्षेत्र में योगदान क्या है?

· सरस्वती ने कितने लोगो को कब और कैसे शिक्षित किया?

· सरस्वती को ज्ञान (मतलब विद्द्या या जो भी आप समझते है) कहाँ से प्राप्त हुआ?

· क्या ब्रह्मा को ज्ञान सरस्वती ने दिया? अगर नहीं तो ब्रह्मा को ज्ञान कहाँ से मिला? या सरस्वती से पहले ब्रह्मा के पास कोई ज्ञान नहीं था?

· सरस्वती ने कपड़े (मतलब साड़ी) पहनना किस साल शुरू किया?

· क्या गैर ब्राह्मणों को शिक्षा के अधिकार से सरस्वती ने वंचित किया?

· अगर नहीं तो फिर किसने किया?

· क्या सरस्वती सिर्फ प्राइवेट स्कुल में ही शिक्षा बांटती है या सरकारी स्कुल भी सरस्वती के प्रभाव क्षेत्र में है?

· जिन शिक्षण संस्थानों में सरस्वती की पूजा नहीं होती वहीँ से ही सबसे अधिक होनहार छात्र क्यों निकलते है?

· सरस्वती अगर शिक्षा (विद्द्या) देती है तो आखिर किस तरह?

· सरस्वती कौन कौन से क्षेत्र में शिक्षा देती है? (जैसे कि विज्ञान, संगीत, चिकित्सा या पुरातत्व आदि)।

· सरस्वती शिक्षा (ज्ञान/ बुद्धि जो भी आप बेहतर समझे) क्या जाति, धर्म या रंग देखकर देती है?

· आखिर सरस्वती और बाकियों को पुजवाने से फायदा किसको हुआ?

(वेदों में सरस्वती के समकालीन और सरस्वती से पूर्व भी कई लोगो का जिक्र हुआ है। ये सभी लोग आपस में एक दूसरे को देव और देवी शब्द से संबोधित करते थे।

ऋग्वेद में यज्ञो में परोसी जाने वाली मदिरा का जिक्र है और यज्ञो के बाद पैदा होने वाले देवी देवताओ का जिक्र है। लोगो की हत्याओ के प्रयोजन के लिए होने का जिक्र भी मिलेगा।)

सवाल आसान है। उम्मीद तो नहीं है कि किसी पण्डे/ महंत/ पुजारी/ मठाधीश (ज्ञान का ठेका इन्ही लोगो के पास जो है) में इतनी बुद्धि होगी फिर भी जवाब दे सके तो दे जरूर।

बाकी अभी तक सरस्वती ब्रह्मा के रिश्तों पर कोई सवाल नहीं किया है तो गाली ज्ञान वाले सरस्वती ब्रह्मा की संतान लोग कृपया गाली ज्ञान का प्रदर्शन न ही करें। शांति पूर्वक विदा ले।

आज शिक्षा के नाम पर सब कुछ विदेशों से आयात किया ही पढ़ रहे है। आज तक एक भी डॉक्टर, इंजीनियर या वैज्ञानिक नहीं देखा सुना जिसने सिर्फ वेदों के अध्ययन से शिक्षा प्राप्त की हो। यहाँ तक कि खुद को कट्टर ब्राह्मण कहने मानने वालों तक के बच्चे अंग्रेजी स्कुलो में पढ़ रहे है।

विचार को सभी लोगो तक पहुंचाए ताकि अन्धविश्वास और ब्राह्मणवाद के काले बादल इस देश से हट जाए।

– प्रणव एस. माली


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41 viewsBahujan Update Official, 03:44
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2022-01-07 09:59:21 * बहुजन अपडेट|Bahujan Update *

*B|U Social Media की आपसे अपील :*
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175 viewsvineet raj, 06:59
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