#हम_बलात्कारी_बनेंगे, #आविष्कारी_नहीं!
#एक नग्न नारी मूर्ती फ्रान्स में प्रदर्शित हुई. लोगो ने तारीफ़ की और निर्माता के हाथ तक चूमे। वही मूर्ती ज़ब एशिया के महान देश में प्रदर्शित हुई तो लोग भड़क गए, उसे चकनाचूर कर दिए।
अगर मूर्ति में वासना होती तो वो फ्रान्स में ही टूट जाती। वासना एशियायी मन में है.
जिस देश के नर के मन में नग्न स्त्री वसती हो वह देश कभी रचनात्मक नही हो सकता है. वह बालात्कार ही करेगा आविस्कार नहीं।
हमारे यहाँ नर के लिये मादा एक वस्तु है, महज भोग की वस्तु। नर के जीवित रहने के लिये स्त्री से ज्यादा जरूरी हवा-पानी है। यहां के दिमाग में हवा-पानी की जगह नग्न स्त्री है.
हम बाहर से सेक्स के नाम पर बिदकते हैं, भीतर हर पल सेक्स के लिए सुलगते हैं. बेटी, बहन, मां तक को नहीं बख्शते हैं.
हम प्रेमशून्य हैं सो प्रेम के शत्रु हैं. वर्ना हम प्रेम को सहजता से लेते. सोचते-- दो लोगों का आपसी मामला है हमे क्या?