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नवीनतम संदेश 26

2021-09-14 09:17:28 हिन्दी साहित्य महत्वपूर्ण टॉपिक्स
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2021-09-14 06:42:57 आज हिन्दी दिवस है। किसी भी देश की भाषा उसकी संस्कृति की विरासत की संवाहक होती है। हमारा भारत देश भाषाओं की दृष्टि से अत्यन्त समृद्ध देश है। यहां अनेक भाषाएं प्रयोग में लाई जाती हैं और हमारी सभी भाषाएं साहित्यिक एवं सांस्कृतिक दृष्टि से समृद्ध भी हैं। आज न केवल हिन्दी हमारे देश को एकता के सूत्र में पिरोने वाली भाषा बन चुकी है अपितु विश्व भाषा बनने की ओर भी अग्रसर है। हिन्दी चूंकि सहज एवं सरल भाषा है और इसमें अन्य भाषाओं के शब्दों को अपना लेने की अद्भुत क्षमता विद्यमान है इसलिए यह सर्वग्राह्य है। 14 सितम्बर, 1949 को संविधान समिति की हिन्दी सभा ने एकमत से गहन विचार-विमर्श एवं चिंतन के बाद निर्णय लिया था कि हिन्दी ही भारत की राजभाषा होगी। अतएव 14 सितम्बर, 1949 को भारतीय संविधान में हिन्दी को राजभाषा का दर्जा दिया गया। राष्ट्रभाषा प्रचार समिति वर्धा के अनुरोध पर सन् 1953 से सम्पूर्ण देश एवं विदेशों में स्थित भारतीय दूतावासों, मिशनों में 14 सितम्बर को प्रतिवर्ष ''हिन्दी दिवस'' के रूप में मनाया जाता है। यह बेहद प्रसन्नता का विषय है कि हिमाचल प्रदेश में सरकारी कार्यों एवम् संवाद संम्प्रेषण में आज अधिकाधिक कार्य राजभाषा हिन्दी में किया जा रहा है।

महात्मा गांधी जी ने कहा था कि, ''हिन्दी के बिना राष्ट्र गूंगा है। भाषायी संकीर्णता कभी भी हमारे व्यवहार और विचारों की अभिव्यक्ति में बाधक नहीं होनी चाहिए।'' आजादी के बाद के शुरूआती वर्षों में भले ही दक्षिण भारतीय राज्यों में हिन्दी का विरोध हुआ था लेकिन जैसे-जैसे राष्ट्र आगे बढ़ता गया, सम्पूर्ण देश के युवा सशस्त्र सेनाओं, अर्ध सैन्य बलों एवं केन्द्रीय नौकरियों में शामिल होते गए और हिन्दी फिल्मों की दीवानगी जैसे-जैसे भारवर्ष में बढ़ती गई, इसके साथ ही हिन्दी भाषा का भी न केवल प्रचार-प्रसार हुआ अपितु देश की सीमाओं से निकल यह सारे विश्व में छा गई। हिन्दी के महत्व को समझते हुए संभवत बहुत पहले ही कविराज रविन्द्रनाथ टैगोर ने कहा था कि, ''भारतीय भाषाएं नदियां हैं परन्तु हिन्दी महानदी है। मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि हिन्दी के बिना हमारा काम नहीं चल सकता है।'' आज इन्हीं गुरूदेव की अनूठी रचना भारत का राष्ट्रगान बनकर हिन्दी की गौरव गाथा का गुणगान कर रही है।

स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद से लेकर आज तक हिन्दी ने अपने उत्थान एवं विकास में काफी प्रगति की है। हिन्दी में वार्तालाप करने में लोग अब गर्व महसूस करते हैं। उनमें स्वाभिमान की भावना का संचार होता है। आजादी से पहले एवं बाद में भी समय-समय पर हमारे विद्वानों, मनीषियों, कविओं और लेखकों ने हिन्दी में अद्वितीय रचनाएं प्रस्तुत की हैं और विभिन्न पत्रिकाओं एवं समाचार पत्रों ने हिन्दी के प्रचार-प्रसार में अपनी महत्ती भूमिका निभाई है। मातृभाषियों की संख्या की दृष्टि से संसार की भाषाओं में चीनी भाषा के बाद हिन्दी का दूसरा स्थान है। हिन्दी हमारे स्वाभिमान एवं अस्मिता की भाषा है।
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2021-09-14 06:42:45
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2021-09-14 06:37:01 हिन्दी भाषा एवं साहित्य
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✦ आज के लिए प्रश्नोत्तर सीरीज़ : 194
✦ टॉप 5 MCQs प्रश्नोतर || 14 सितम्बर
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1. निम्नलिखित भाषाओं में से कौन-सी भाषा उत्तर प्रदेश में नहीं बोली जाती?

अवधी भाषा
ब्रजभाषा
मैथिली भाषा
खड़ी बोली
'मैथिली भाषा' हिन्दी प्रदेश की उपभाषा 'बिहारी' की एक बोली है। मैथिली नाम उस क्षेत्र के 'मिथिला' से सम्बद्ध है। मिथिला शब्द भारतीय साहित्य में बहुत पहले से ही विद्यमान है। मैथिली भाषा मुख्य रूप से भारत में उत्तरी बिहार और नेपाल के तराई के ईलाक़ों में बोली जाने वाली भाषा है।

2. भक्ति को रस रूप में प्रतिष्ठित करने वाले आचार्य कौन हैं?

मधुसूदन सरस्वती
जीव गोस्वामी
वल्लभाचार्य
रूप गोस्वामी
श्री वल्लभाचार्य जी विष्णुस्वामी संप्रदाय की परंपरा में एक स्वतंत्र भक्तिपंथ के प्रतिष्ठाता, शुद्धाद्वैत दार्शनिक सिद्धांत के समर्थक, प्रचारक और भगवत-अनुग्रह प्रधान एवं भक्ति सेवा समन्वित 'पुष्टिमार्ग' के प्रवर्त्तक थे। वे जिस काल में उत्पन्न हुए थे, वह राजनीतिक, धार्मिक और सामाजिक सभी दृष्टियों से बड़े संकट का समय था।

3. हृदय की वह कौन-सी स्थायी दशा है, जो सदाचार को प्रेरित करती है?

प्रेम दशा
ज्ञान दशा
शील दशा
भक्ति दशा

4. प्रयोगवाद को 'बैठे ठाले का धन्धा' किस आलोचक ने कहा?

नन्द दुलारे वाजपेयी
रामविलास शर्मा
शिवदानसिंह चौहान
नामवर सिंह

5. चंदबरदाई किसके दरबारी कवि थे?

महाराणा प्रताप के
महाराज बीसलदेव के
पृथ्वीराज चौहान के
महाराज हम्मीर के
कन्नौज के शासक जयचंद्र की पुत्री संयोगिता पृथ्वीराज चौहान से प्रेम करती थी, और पृथ्वीराज उसे भगा ले गए थे। इस घटना के कारण जयचंद्र क्रोध से भर गया था। पर अब अनेक इतिहासकार इस कथन को स्वीकार नहीं करते। यह कहानी बहुत बाद में कवि चंदबरदाई ने लिखी, जो कि पृथ्वीराज चौहान के दरबार के राजकवि थे। यथार्थ में इन दोनों राजाओं के बीच पुरानी दुश्मनी थी और इसी कारण से जयचंद्र ने मुहम्मद ग़ोरी के विरुद्ध पृथ्वीराज का साथ नहीं दिया।
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उत्तर : C C C A C
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2021-09-14 05:36:14
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2021-09-13 16:31:57 Q. अलंकार क्या है ?


शब्द और अर्थ की शोभा बढ़ाने वाले धर्म को अलंकार कहते है .

अलंकार दो प्रकार के होते है .
1-शब्दालंकार 2- अर्थालंकार

1- शब्दालंकार –
जहा पर केवल शब्दों के द्वारा चमत्कार उत्पन्न होता है वहा शब्दालंकार होता है .
शब्दालंकार के भेद – (अ) अनुप्रास , (स) यमक , (ब) श्लेष

(अ). अनुप्रास अलंकर – जहा एक वर्ण या अक्षर कई बार आये अनुप्रास अलंकर होता है .
जैसे – चन्दन ने चमेली को चम्मच से चटनी चटाई .
यहाँ पर च अक्षर कई बार आया है इस लिए यह अनुप्रास अलंकर हुआ

अनुप्रास पाच प्रकार का होता है-
(a). छेकानुप्रास –
जहा एक वर्ण या अक्षर दो बार आये
जैसे – चौदहवी का चाँद हो या आफ़ताब हो
जो भी हो तुम खुदा की कसम लाजवाब हो .
यहाँ च अक्षर दो बार आया है
(b). वृत्यानुप्रास – जहा एक वर्ण या अक्षर दो से अधिक बार आये
चन्दन ने चमेली को चम्मच से चाकलेट चटाई .
(c). लाटानुप्रास – एक शब्द कई बार आये , पर उसका अर्थ एक ही हो पर वाक्य का अर्थ बदल जाये वहा लाटानुप्रास होता है .
जैसे – धीरे धीरे से मेरी जिंदगी में आना धीरे धीरे से दिल को चुराना .
यहाँ पर धीरे-धीरे दो बार आया है लेकिन दोनों का अर्थ अलग अलग है
(d). अन्त्यानुप्रास – पक्ति के अंत के वर्ण समान हो वहा पर अन्त्यानुप्रास होता है .
जैसे – तुझे देखा तो ए जाना सनम ,
प्यार होता है दीवाना सनम .
यहाँ पक्ति के अंतिम शब्द समान है .
(e). श्रुत्यानुप्रास – वर्णमाला के किसी एक वर्ण के वर्ण कई बार आये वहा शुत्यानुप्रस होता है .
जैसे – लड़की को देखा तो ऐसा लगा जैसे खिलता गुलाब जैसे शायर का ख्वाब .

(ब). यमक अलंकार – जहा एक शब्द कई बार आये और उनका अर्थ अलग अलग हो .
नोट – अधिकतर शब्द अगल – बगल होते है .
जैसे – कुर्बान मेरी जान (लाइफ ) , जान (गर्लफ्रेंड ) तुझ पर कुर्बान हो .

(ब). श्लेष अलंकर – एक शब्द एक बार ही आता है
जैसे - रहिमन पानी राखिये , बिन पानी सब सुन .
पानी गये न ऊबरे मोती , मानस चुन .
यहा पानी शब्द के तीन अर्थ है - चमक , प्रतिस्था और जल

अर्थालंकार – जहा पर अर्थगत चमत्कार उत्पन्न होता है वहा अर्थालंकार होता है .

उपमा अलंकर – जहा एक वस्तु या व्यक्ति की तुलना किसी अन्य व्यक्ति या वस्तु से हो उपमा अलंकर होता है . इसमें चार अंग है .

उपमेय – जिस व्यक्ति या वस्तु की तुलना की जा रही है
उपमान – जिस व्यक्ति या वस्तु से तुलना की जा रही है .
सामान्य धर्म – वह गुण जिसमे दोनों व्यक्ति या वस्तु की जाय
वाचक शब्द – वह शब्द जो तुलना करने के लिए उपयोग हो ,
जैसे- सा , सी , से , सरिस , ते अदि
जैसे – मुन्नी के गाल शीला जैसे गोरे है .
उपमेय – मुन्नी , उपमान – शीला , वाचक शब्द – जैसे , सामान्य धर्म – गोरे

रूपक अलंकर – जहा किन्ही दो व्यक्ति या वस्तु में इतनी समानता हो की दोनों में अंतर करना मुश्किल हो वहा रूपक अलंकर होता है .
या
जहा उपमेय , उपमान का रूप धारण कर लेता हो
जैसे – ये रेशमी जुल्फे , ये शरबती आखे ,
इन्हें देखकर जी रहे है सभी .

उत्प्रेक्षा अलंकर – जहा एक व्यक्ति या वस्तु के समान (एक जैसे ) होने की संभावना या कल्पना व्यक्त की जाय वहा उत्प्रेक्षा अलंकर होता है . इसमे वाचक शब्द जैसे – मन , मानो , जनु ,जानो , मानहु , जानहु अदि शब्दों ला प्रयोग होता है .
कल पार्टी में शीला बहुत खुबसूरत लग रही थी मानो सनी लेओनी आ गयी हो .
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2021-09-13 06:45:03 हिन्दी भाषा एवं साहित्य
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✦ आज के लिए प्रश्नोत्तर सीरीज़ : 193
✦ टॉप 5 MCQs प्रश्नोतर || 13 सितम्बर
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1. 'शिवा बावनी' के रचनाकार कौन हैं?

पद्माकर
भूषण
केशवदास
जयशंकर प्रसाद
वीर रस के कवि भूषण का जन्म कानपुर ज़िले के 'तिकँवापुर गाँव' में हुआ था। भूषण 1627 ई. से 1680 ई. तक महाराजा शिवाजी के आश्रय में रहे। इनके 'छत्रसाल बुंदेला' के आश्रय में रहने का भी उल्लेख मिलता है। 'शिवराज भूषण', 'शिवा बावनी', और 'छ्त्रसाल दशक' नामक तीन ग्रंथ ही इनके लिखे छह ग्रथों में से उपलब्ध हैं।

2. निम्न में से प्रेमचंद के अधूरे उपन्यास का नाम क्या है?

गबन
रंगभूमि
मंगलसूत्र
सेवा सदन

3. हिन्दी के प्रथम गद्यकार हैं-

राजा शिवप्रसाद 'सितारेहिन्द'
लल्लूलाल
भारतेन्दु हरिश्चन्द्र
बालकृष्ण भट्ट

4. निम्नलिखित में से कौन-सी बोली पूर्वी हिन्दी की नहीं है?

अवधी बोली
बघेली बोली
मालवी बोली
छत्तीसगढ़ी बोली

5. 'जब-जब होय धर्म की हानी, बाढ़ै असुर अधम अभिमानी', पंक्ति के रचनाकार कौन हैं?

तुलसीदास
रसखान
बिहारी
कबीर
→ अपने जीवनकाल में तुलसीदास जी ने 12 ग्रन्थ लिखे और उन्हें संस्कृत विद्वान होने के साथ ही हिन्दी भाषा के प्रसिद्ध और सर्वश्रेष्ठ कवियों में एक माना जाता है। तुलसीदास जी को महर्षि वाल्मीकि का भी अवतार माना जाता है, जो मूल आदिकाव्य रामायण के रचयिता थे।
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उत्तर : B C B C A
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2021-09-13 05:43:15
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2021-09-12 12:30:02 हिन्दी भाषा एवं साहित्य
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✦ आज के लिए प्रश्नोत्तर सीरीज़ : 192
✦ टॉप 5 MCQs प्रश्नोतर || 12 सितम्बर
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1. हिन्दी भाषा का जन्म हुआ है-

लौकिक संस्कृत से
पाली प्राकृत से
मागधी से
वैदिक संस्कृत से
पालि प्राचीन भारत की एक भाषा थी। यह हिन्द-यूरोपीय भाषा-परिवार की एक बोली या प्राकृत है। प्राकृत भाषा भारतीय आर्यभाषा का एक प्राचीन रूप है। इसके प्रयोग का समय 500 ई.पू. से 1000 ई. सन् तक माना जाता है। धार्मिक कारणों से जब संस्कृत का महत्त्व कम होने लगा तो प्राकृत भाषा अधिक व्यवहार में आने लगी। इसके चार रूप विशेषत: उल्लेखनीय हैं।

पालि भाषा थेरवादी बौद्ध धर्मशास्त्र की पवित्र भाषा है। उत्तर भारतीय मूल की मध्य भारतीय-आर्य भाषा है। पालि भाषा का इतिहास बुद्धकाल से शुरू होता है। बुद्ध अपनी शिक्षाओं के माध्यम के लिए विद्वानों की भाषा संस्कृत के विरुद्ध थे, और अपने अनुयायियों को स्थानीय बोलियों के प्रयोग के लिए प्रोत्साहित करते थे, इसलिए बौद्ध धर्म में शास्त्रीय भाषा के रूप में पालि भाषा का उपयोग शुरू हुआ।

2. 'ग्रियर्सन' ने किसे 'देशी हिन्दुस्तानी' कहा है?

खड़ी बोली
दक्खिनी हिन्दी
अवधी
इनमें से कोई नहीं

3. स्वयंभू ने किस भाषा को 'देसी भाषा' कहा है?

संस्कृत
प्राकृत
अपभ्रंश
पालि
सातवीं शताब्दी के कवि 'दंडी' ने 'आभीर' जैसी काव्यात्मक भाषाओं को अपभ्रंश कहा है। इस तरह इस निष्कर्ष पर पहुँचा जा सकता है, कि तीसरी शताब्दी में निश्चित रूप से अपभ्रंश के नाम से ज्ञात बोलियाँ थीं, जो क्रमशः साहित्यिक स्तर तक विकसित हुईं। छठी शताब्दी में 'भामह' ने कविता को संस्कृत, प्राकृत तथा अपभ्रंश भाषा के रूप में वर्गीकृत किया।

4. किस पुस्तक में हिन्दी का सर्वप्रथम उल्लेख हुआ?

महाभारत
रामचरितमानस
ऋग्वेद
अवेस्ता
'रामचरितमानस' तुलसीदास की सबसे प्रमुख कृति है। इसकी रचना संवत 1631 ई. की रामनवमी को अयोध्या में प्रारम्भ हुई थी, किन्तु इसका कुछ अंश काशी (वाराणसी) में भी निर्मित हुआ था। यह इसके किष्किन्धा काण्ड के प्रारम्भ में आने वाले एक सोरठे से निकलती है, उसमें काशी सेवन का उल्लेख है।

5. शौरसेनी, पैशाची, महाराष्ट्री, अर्द्धमागधी और मागधी, ये निम्न में से किस भाषा के पाँच भेद हैं?

पालि
प्राकृत
मागधी
संस्कृत
प्राकृत भाषा भारतीय आर्यभाषा का एक प्राचीन रूप है। इसके प्रयोग का समय 500 ई.पू. से 1000 ई. सन् तक माना जाता है। धार्मिक कारणों से जब संस्कृत का महत्त्व कम होने लगा, तो प्राकृत भाषा अधिक व्यवहार में आने लगी। इसके चार रूप विशेषत: उल्लेखनीय हैं।
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उत्तर : B A C B B
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2021-09-12 11:30:10
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