2022-03-02 07:47:55
मांसाहार क्या सामान्य जीवन में भी मांसाहार आवश्यक है ? इसको समझने से पूर्व यह समझना आवश्यक है की निरोग्य आहार क्या है – वह आहार जिसके माध्यम से साधक आजीवन निरोगी रहे अथवा किसी अन्य मनुष्य से अच्छा स्वस्थ जीवन यापन करें वही निरोग्य आहार है.
आहार का अर्थ – आहार में अ २ बार आया है हार का अर्थ है इसका अर्थ है अ का पुष्टि , अ का अर्थ है ब्रह्मा विष्णु एवं शिव की शक्ति जिसे हमने पूर्व हनुमान चालीसा के विडियो में समझा है शीघ्र ही इसे हम पुस्तक में माध्यम से भी समझ सकेंगे. हार का अर्थ है जिससे आपकी शोभा बढ़े जैसे जब किसी को सुशोभित किया जाता है तो उसे हार पहनाया जाता है जिससे उसका सम्मान एवं शोभा में वृद्धि होती रहती है. यही सर्वाधिक लाभदायक है. सुशोभित होने की वह प्रक्रिया जिसके माध्यम से सृजन संरक्षण एवं परिवर्तन की शक्ति की प्राप्ति हो वह ही आहार है यही त्रिदेव की शक्तियां है जो ३ प्रकार के शरीर कारण सूक्ष्म एवं भौतिक से प्राप्त होती हैं. सर्वाधिक आवश्यक आहार वही है जिससे इन तीनो शरीर को लाभ मिले
इसीलिए आयुर्वेद एवं योग के अनुसार वह आहार जिसका जीवन पूर्ण हो गया है और वर्तमान समय में उसका जीवन सुसुप्त अवस्था में है लेकिन प्रकृति के संपर्क में आने से वह नया जीवन प्राप्त कर सकता है वही मनुष्य का सर्वोत्तम आहार है. जैसे काला चना वह हरा से काला हुआ लेकिन पानी एवं भूमि के संपर्क में आते ही वह पूर्ण एक नया जीवन प्राप्त कर लेगा ऐसी स्थिति में वह पूर्णआहार है जो स्वयं से नया जीवन प्राप्त करने में सक्षम है उसका सेवन की आपके जीवन में वृद्धि दे सकता है, लेकिन फिर भी हम हरी सब्जी आदि खा के ८० से १०० वर्ष जीवन जी लेते हैं यदि पूर्ण आहार का सेवन करेंगे तो प्रकृति द्वारा प्राप्त इस जीवन को १२० वर्ष का चक्र अवश्य पूर्ण करेंगे.
निरोग्य एवं पूर्ण आहार के विषय में हम भविष्य में समझेंगे लेकिन आज हमे यह समझना आवश्यक है की क्या हम मांसाहार का सेवन कर सकते हैं या नहीं. कई व्यक्तियों का मत है की मांस में कुछ ऐसे एमिनो एसिड्स पाए जाते हैं जो शाकाहारी अथवा दलहन फल आदि में नहीं पाए जाता उसका मूल कारण है पूर्ण आहार का सेवन ना करना अथवा जिस प्रकार से आहार प्रकृति द्वारा दिया जा रहा है उसमे तोड़ फोड़ करना जैसे दाल के छिलके उतार देना, चावल का कन उतार के उसे सफ़ेद बना देना, फल एवं सब्जी को पूर्ण होने से पहले ही खा लेना. अब इन सभी के कारण नाना प्रकार का आवश्यक पोषण हमे प्राप्त नहीं हो पाता है. भविष्य में निरोग्य आहार पर एक विस्तृत जानकारी आप सबके समक्ष प्रस्तुत अवश्य की जाएगी जिससे आप सभी उसके विषय में समझ सकें.
मांसाहार – मांस सभी में उपलब्ध है लेकिन हमने कुछ सीमित जानवर के मांस में ही सारा पोषण मिलता है ऐसा निर्धारित करके उन्हें मार के छोटे छोटे टुकड़े में काट के मिर्च मसला आदि लगा के खाना शुरू कर दिया और यह मान लिया की यह हमारे लिए उचित है, जबकि मांसाहार किसी भी प्रकार से मनुष्य के लिए उचित नहीं है यह सार है अब हम इसके कारण को समझेंगे.
सर्व प्रथम हम मनुष्य के शरीर को एक माँसाहारी जानवर के शरीर से जोड़ते हैं और देखते हैं –
१. माँसाहारी जानवर के हाथ एवं पैर में नोकीले नाखून होते हैं जिनसे वह शिकार करते हैं अथवा उसे चीर फाड़ करते हैं.
२. उनके दांत नोकीले होते हैं जिससे वह शिकार को मारने में सक्षम रहते हैं , उनका मुह सिर्फ उपर नीचे खुलता है जब की मनुष्य का मुख उपर नीचे के साथ साथ दायें बाएँ भी घूमता है जिससे वह काटने के साथ साथ खरल भी कर सकें
३. माँसाहारी जनवर मांस को सिर्फ फाड़ के निगल जाते हैं उसे चबाते नहीं है लेकिन मनुष्य भोजन को चबा चबा के खाते हैं
४. माँसाहारी जानवर की स्वांस लेने की प्रक्रिया मुह खोल के जल्दी जल्दी स्वास लेने की होती है जबकि मनुष्य ऐसा नहीं करता है
५. मांसाहारी जानवर के शरीर में बाल एवं त्वचा से पसीने का रिसाव मनुष्य से बहुत अलग है
६. जानवर के जबड़े की शक्ति एवं मनुष्य के जबड़े की शक्ति में काफी अंतर है
७. माँसाहारी जानवर पानी चाट चाट के पीते हैं जब की मनुष्य पानी मुह में भर के पीते हैं
ऐसे अनेक और उदाहरण हैं जिनके माध्यम से आप माँसाहारी जानवर एवं मनुष्य में भेद कर सकते हैं .
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1.0K viewsDewanshu, 04:47