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स्वयं निर्माण योजना

टेलीग्राम चैनल का लोगो yny24 — स्वयं निर्माण योजना
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नवीनतम संदेश 51

2021-10-26 13:57:31
505 viewsRajendra Maheshwari, 10:57
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2021-10-26 13:53:46 अद्भुत कारनामा...
402 viewsRajendra Maheshwari, edited  10:53
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2021-10-26 13:50:46
386 viewsRajendra Maheshwari, 10:50
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2021-10-26 13:48:26
410 viewsRajendra Maheshwari, 10:48
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2021-10-26 13:44:29
347 viewsRajendra Maheshwari, 10:44
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2021-10-26 13:37:32 *भोजन करने का सबसे उचित समय...*
~सद्गुरु जग्गी वासुदेव जी महाराज
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346 viewsRajendra Maheshwari, edited  10:37
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2021-10-26 13:36:52 तुमने देखा, छोटा बच्चा पैदा होता है। इस बच्चे को कुछ भी पता नहीं है कि श्वास कैसे ली जाए। इसने कभी श्वास ली नहीं है अब तक! नौ महीने मां के पेट में मां की ही श्वास से काम चलाता था। पहले दो—चार क्षण, जब बच्चा पैदा होता है तो बड़ी चिंता के होते हैं— उनके लिए जो चारों तरफ इकट्ठे हैं— पिता है, मां है, डाक्टर है— बड़े चिंतित रहते हैंकि दो—चार क्षण में सब तय हो जाएगा: बच्चा श्वास लेगा कि नहीं लेगा? चिल्लाएगा कि नहीं? रोएगा कि नहीं? अगर बच्चा रो देता है तो सारे लोग प्रसन्न हो जाते हैं। बच्चा अगर नहीं रोता तो घबड़ा जाते हैं। क्योंकि रोने के द्वारा ही वह श्वास लेना शुरू कर देता है। रोने का और क्या कारण है? रोने के द्वारा वह गले को साफ कर लेता है। उसके फेफड़े एक झटके से खुल जाते हैं। वह जोर की जो आवाज निकलती है उसमें उसके बंद फेफड़े, जिन्होंने कभी काम नहीं किया, अचानक काम करने लगते हैं। मगर इसने कभी श्वास ली नहीं थी, कैसे सीखा? किसने सिखाया? जीने की आकांक्षा थी जरूर भीतर, नहीं तो श्वास लेना संभव नहीं होता। और बच्चे को भूख लगती है। और वह मां का स्तन खोजने लगता है। भूख है तो स्तन भी होगा। और बच्चे ने इसके पहले कभी दूध नहीं पीया और वह मां का स्तन अपने मुंह में ले लेता है और चूसने लगता है। यह चमत्कार है, क्योंकि इसकी कोई शिक्षण व्यवस्था नहीं है। और शिक्षण व्यवस्था होती तो बड़ी मुश्किल हो जाती; दो—चार—पांच साल लग जाते, किंडर गार्डन स्कूल में भेजते, सीखता, तब तक मर ही जाता। कुछ अनसीखा लेकर आया है— एक भरोसा है कि मां होगी। हालांकि इतना स्पष्ट भी नहीं है बच्चे के मन में शब्दों की तरह कि मां होगी; मगर एक श्रद्धा है कि होगी; कि ये ओंठ तड़फते हैं, कि यह कंठ प्यासा है, कि ये प्राण भूखे हैं— तो कहीं कोई जलधार होगी, कहीं कोई दूध होगा, कहीं कोई पोषण होगा। बस श्रद्धा यही है कि तुम्हारे भीतर अगर परमात्मा की आकांक्षा है तो परमात्मा होना ही चाहिए; नहीं तो आकांक्षा कैसे होती! बच्चा प्रमाण नहीं मांगता कि मुझे स्तन का पहले प्रमाण दो; कि दूध का प्रमाण दो; कि दूध पौष्टिक है, इसका प्रमाण दो— बस दूध पीने लगता है और दूध पौष्टिक है। और प्रमाण मिल जाते हैं अपने आप। तर्क कहता है: पहले प्रमाण, फिर अनुभव। श्रद्धा कहती है: पहले अनुभव, फिर प्रमाण। और मजा यह है कि श्रद्धा सभी लेकर पैदा होते हैं। तर्क यहां सीखते हैं; श्रद्धा परमात्मा से लेकर आते हैं। श्रद्धा को सिखाना नहीं पड़ता; तर्क सिखाना पड़ता है। तर्क का शास्त्र है; श्रद्धा का कोई शास्त्र नहीं है। और तर्क के लिए विश्वविद्यालय हैं; श्रद्धा के लिए कोई विश्वविद्यालय नहीं। श्रद्धा सिखानी नहीं होती; श्रद्धा तुम लेकर ही आए हो। लेकिन तुम भूल गए हो, कैसे उसका उपयोग करें! तुम तर्क इतना सीख गए हो कि उसी के कारण बाधा पड़ रही है। तर्क को जरा अनसीखा करो। जरा तर्क को हाथ से जाने दो। कभी—कभी तर्क को एक तरफ हटा कर रख दो। कभी—कभी खोल दो द्वार, आने दो सूरज को और ताजी हवाओं को। देखो चांदत्तारों को। कभी—कभी पृथ्वी को भूल जाओ। यही जो क्षुद्र तुम्हें चारों तरफ घेरे है—दुकान है, बाजार है, व्यवसाय—थोड़ी देर को इसे भूल जाओ। यही प्रार्थना है। यही ध्यान है। थोड़ी देर को झरोखा खोलो। थोड़ी देर को बंद कमरे की मुर्दा हवा के बाहर आओ; या कम से कम बाहर की हवा को भीतर आने दो। थोड़ी देर तर्क को उठा कर रख दो। थोड़ी देर के लिए भोले हो जाओ। इस भोलेपन में ही तुम्हारे जीवन की सर्वाधिक महत्वपूर्ण अनुभूतियां उतरनी शुरू होंगी। यहीं से आता प्रेम। यहीं से आता सौंदर्य। यहीं से आता सत्य। और यहीं से एक दिन तुम पाओगे कि परमात्मा का भी आगमन होता है। तुम्हारे श्रद्धा के द्वार से ही परमात्मा प्रवेश करता है।
https://t.me/yny24
~ ओशो...
310 viewsRajendra Maheshwari, 10:36
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2021-10-26 13:25:46 अमृतवाणी हिंदी भाग 1 परम पूज्य गुरुदेव पं श्रीराम शर्मा आचार्य Amritvani Hindi Part 1 Gurudev Pt. Shriram Sharma Acharya.pdf
346 viewsRajendra Maheshwari, 10:25
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2021-10-26 13:25:39 In The Angelic Light Of Rishi Thoughts.pdf
317 viewsRajendra Maheshwari, 10:25
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2021-10-26 13:25:32 प्रज्ञा गीत भजन (भाग 1).pdf
343 viewsRajendra Maheshwari, 10:25
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