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नवीनतम संदेश 28

2021-09-05 05:30:51 इस दिन को भारत के स्कूल कॉलेजों में उत्सव तथा कार्यक्रम देखने को मिलता है। इस दिन स्कूल कॉलेजों में पढ़ाई नहीं होती बल्कि छात्र अपने गुरुओं को उपहार देते हुए उनके पैरों को छूकर उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। ऐसी कई सारी गतिविधियां इस दिन स्कूल कॉलेजों में देखने को मिलती है जहां छात्र और शिक्षक दोनों भाग लेते हैं तथा गुरु और शिष्य की इस परंपरा को हमेशा कायम रखने का संकल्प करते हैं।

भारत में इस दिन को शिक्षक ही नहीं बल्कि विद्यार्थियों के लिए भी महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि इसी दिन उन्हें अपने जीवन को संवारने वाले शिक्षक की सराहना करने का मौका प्राप्त होता है।

अंत में आपसे विदाई लेते लेते हम यह कहना चाहेंगे कि शिक्षक दिवस का महत्व भारत को ही नहीं बल्कि पूरे विश्व के 100 से भी ज्यादा देशों को समझ आ गया है। शिक्षक दिवस पूरे विश्व में 100 से भी अधिक देशों में मनाया जाता है। हालांकि उन देशों के शिक्षक दिवस की तारीख भारत के शिक्षक दिवस से अलग है।

उम्मीद करते हैं दोस्तों हमारे द्वारा दी गई यह जानकारी आप सभी दोस्तों को बेहद पसंद आई होगी अगर जानकारी पसंद आए तो इसे अपने दोस्तों के साथ सोशल मीडिया पर जरूर शेयर करें साथ ही साथ कमेंट बॉक्स में दी गई जानकारी के बारे में अपनी राय जरूर दें क्योंकि दोस्तों कमेंट बॉक्स आपका ही है एक बात हमेशा याद रखें कि.-

गुरु नहीं तो ज्ञान नहीं।
ज्ञान नहीं तो सम्मान नहीं।

सभी शिक्षकों को शिक्षक दिवस के अवसर
पर हमारी हिन्दी साहित्य टीम की तरफ से
हार्दिक शुभकामनाएं
आप यूं ही अपना कर्तव्य निभाते रहें और
अपने विद्यार्थियों के जीवन को सवारते रहे।
यही हाथ जोड़ कर विनती है आपसे
धन्यवाद
1.2K viewsedited  02:30
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2021-09-05 05:30:45 संपूर्ण भारत देश में 5 सितंबर को शिक्षक दिवस बहुत ही उत्साह के साथ मनाया जाता है, क्योंकि हम मानते हैं कि किसी भी इंसान के जीवन में एक शिक्षक या गुरु का महत्वपूर्ण स्थान होता है। जीवन में सफल होने के लिए शिक्षा सबसे ज्यादा जरूरी होती है और यह शिक्षा हमें हमारे शिक्षकों के जरिए प्राप्त होती है। एक शिक्षक देश के भविष्य और युवाओं के जीवन को बनाने और उसे आकार देने के लिए सबसे महत्वपूर्ण भूमिका को निभाते हैं।

हमारे देश का प्राचीन इतिहास भी यही सिखाता है की, गुरुओं से प्राप्त ज्ञान और मार्गदर्शन से ही हम सफलता के शिखर तक पहुंच सकते हैं। हमारे जीवन में गुरु का बड़ा योगदान रहा है। और शायद इसीलिए हमारे भारत देश में गुरु को सर्वश्रेष्ठ दर्जा भी दिया गया है। गुरु को विशेष सम्मान देने हेतु शिक्षक दिवस का आयोजन किया जाता है।

स्वतंत्र भारत के पहले उपराष्ट्रपती तथा दूसरे राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्म दिवस के अवसर पर उनकी स्मृति में सम्पूर्ण भारत में 5 सितंबर को शिक्षक दिवस (Teacher’s Day) मनाया जाता है।

डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन एक शिक्षक के साथ-साथ एक महान Philosopher [दार्शनिक] भी थे। उन्हें शिक्षा से काफी लगाव था। उनके जन्मदिन के अवसर पर मनाया जाने वाला शिक्षक दिवस - शिक्षकों को विशेष सम्मान देने हेतु मनाया जाता है। इसीलिए भारत सरकार द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले शिक्षकों को इस दिन पुरस्कार दिया जाता है ऐसा कहा जाता है कि शिक्षक के बिना कोई भी विद्यार्थी सही रास्ते पर नहीं चल सकता। जब शिक्षक मार्गदर्शन करते हैं तभी एक छात्र एक सफल और अच्छा इंसान बन पाता है। इसीलिए यह कहना बिल्कुल भी गलत नहीं होगा कि हमारे जन्मदाता से बढ़कर हमारे जीवन में सबसे ज्यादा महत्व शिक्षक का होता है क्योंकि ज्ञान ही इंसान को जीने योग्य एक अच्छा व्यक्ति बनाती है।

आखिर क्यों शिक्षक दिवस 5 सितंबर को ही मनाया जाता है?


दोस्तों जैसे कि हमने जाना - डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्म अवसर पर उनकी स्मृति में हम शिक्षक दिवस को मनाते हैं। सर्वपल्ली राधाकृष्णन एक शिक्षक के साथ-साथ एक Philosopher [दार्शनिक] भी थे। उन्हें शिक्षा से बहुत लगाव था। इन्हीं बातों को मध्य नजर रखते हुए। भारत सरकार ने भारत के पहले उपराष्ट्रपति तथा दूसरे राष्ट्रपति डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्म अवसर पर शिक्षकों को विशेष सम्मान देने हेतु शिक्षक दिवस मनाने की प्रथा को जन्म दिया।

राधाकृष्णन शिक्षकों के लिए कहते हैं.-

शिक्षक वह नहीं जो छात्र के दिमाग में तथ्यों को जबरन ठुंसे
बल्कि वास्तविक शिक्षक तो वह है.-
जो उसे आने वाले कल की चुनौतियों के लिए तैयार करें

सीधी सीधी बात में अगर कहा जाए कि, आखिर क्यों शिक्षक दिवस 5 सितंबर को ही मनाया जाता है। तो इसका जवाब है कि, 5 सितंबर को हम डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्म अवसर पर उनकी स्मृति में शिक्षक दिवस बनाते हैं। क्योंकि वह एक महान फिलोसोफर तथा महान शिक्षक के साथ-साथ भारत के पहले उपराष्ट्रपति तथा दूसरे राष्ट्रपति थे। इसी के साथ उन्हें भारत रत्न पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है। जिस बारे में जानकारी प्रदान करने वाले हमारे नीचे दिए गए आर्टिकल को जरूर पढ़ें ताकि आप भारत के महान शिक्षक डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त कर सकें
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2021-09-05 05:30:39
गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः
गुरुर्देवो महेश्वरः ।
गुरुः साक्षात् परब्रह्म
तस्मै श्रीगुरवे नमः ॥
भावार्थ
गुरु ब्रह्मा है, गुरु विष्णु है, गुरु ही शंकर है , गुरु ही साक्षात् परब्रह्म है , उन सद्गुरु को प्रणाम ।
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2021-09-04 07:10:03 हिन्दी भाषा एवं साहित्य
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✦ आज के लिए प्रश्नोत्तर सीरीज़ : 184
✦ टॉप 5 MCQs प्रश्नोतर
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1. उपन्यास और कहानी का मूल अन्तर है, उसका -

आकार-प्रकार
विषय निरूपण
घटना का चयन
पात्रों की विविधता

2. हिन्दी पत्रिका 'कादम्बिनी' के संपादक कौन हैं?

राजेन्द्र अवस्थी
राजेन्द्र यादव
रमेश बक्षी
दुर्गा प्रसाद शुक्ल
राजेन्द्र अवस्थी भारत के प्रसिद्ध साहित्यकार और पत्रकार थे। वे प्रसिद्ध पत्रिका 'कादम्बिनी' के सम्पादक थे। उन्होंने जहाँ एक पत्रकार के रूप में कई मापदण्ड स्थापित किये थे, वहीं अपने साहित्य सृजन में भी अद्भुत सफलता प्राप्त की थी। राजेन्द्र अवस्थी 'नवभारत', 'सारिका', 'नंदन' और 'साप्ताहिक हिन्दुस्तान' के सम्पादक भी रहे थे। उन्होंने कई चर्चित उपन्यासों, कहानियों एवं कविताओं की रचना की। वह 'ऑथर गिल्ड ऑफ़ इंडिया' के अध्यक्ष भी रहे थे।

3. रामधारी सिंह 'दिनकर' किस रस के कवि माने जाते हैं?

रौद्र रस
वीर रस
करुण रस
श्रृंगार रस

4. सूर्यकांत त्रिपाठी निराला को कैसा कवि माना जाता है?

क्रांतिकारी
अवसरवादी
पलायनवादी
भाग्यवादी

5. 'चारु' शब्द की शुद्ध भावात्मक संज्ञा है-

चारुपन
चारुताई
चारुता
चारु
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उत्तर : B A B A C
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2021-09-03 05:55:33 हिन्दी भाषा एवं साहित्य
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✦ आज के लिए प्रश्नोत्तर सीरीज़ : 183
✦ टॉप 5 MCQs प्रश्नोतर
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1. 'सुहाग के नूपुर' के रचयिता हैं-

निराला
अमृतलाल नागर
मोहन राकेश
प्रेमचन्द

2. 'संस्कृति के चार अध्याय' किसकी रचना है?

रामधारी सिंह 'दिनकर'
भगवतीचरण वर्मा
माखनलाल चतुर्वेदी
सुभद्रा कुमारी चौहान
हिन्दी के सुविख्यात कवि रामधारी सिंह दिनकर का जन्म 23 सितंबर, 1908 ई. में सिमरिया, ज़िला मुंगेर (बिहार) में एक सामान्य किसान रवि सिंह तथा उनकी पत्नी मन रूप देवी के पुत्र के रूप में हुआ था। रामधारी सिंह दिनकर एक ओजस्वी राष्ट्रभक्ति से ओतप्रोत कवि के रूप में जाने जाते थे। उनकी कविताओं में छायावादी युग का प्रभाव होने के कारण श्रृंगार के भी प्रमाण मिलते हैं।

3. 'अशोक के फूल' (निबंध संग्रह) के रचनाकार हैं-

कुबेरनाथ राय
गुलाब राय
हज़ारी प्रसाद द्विवेदी
रामचन्द्र शुक्ल

4. 'झरना' (काव्य संग्रह) के रचयिता हैं-

जयशंकर प्रसाद
सोहनलाल द्विवेदी
महादेवी वर्मा
सुभद्रा कुमारी चौहान

5. 'दुरित, दुःख, दैन्य न थे जब ज्ञात, अपरिचित जरा-मरण-भ्रू पात।।' पंक्ति के रचनाकार हैं?

सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला'
जयशंकर प्रसाद
सुमित्रानंदन पंत
महादेवी वर्मा
सुमित्रानंदन पंत हिन्दी साहित्य में छायावादी युग के चार स्तंभों में से एक हैं। सुमित्रानंदन पंत उस नये युग के प्रवर्तक के रूप में आधुनिक हिन्दी साहित्य में उदित हुए। सुमित्रानंदन पंत का जन्म 20 मई 1900 में कौसानी, उत्तराखण्ड, भारत में हुआ था। जन्म के छह घंटे बाद ही माँ को क्रूर मृत्यु ने छीन लिया। शिशु को उसकी दादी ने पाला पोसा। शिशु का नाम रखा गया गुसाई दत्त।
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उत्तर : B A C A C
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2021-09-03 04:42:19
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2021-09-02 10:30:01 हिन्दी भाषा एवं साहित्य
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✦ आज के लिए प्रश्नोत्तर सीरीज़ : 182
✦ टॉप 5 MCQs प्रश्नोतर
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1. बूँदी नरेश महाराज भावसिंह का आश्रित कवि निम्नलिखित में से कौन था?

बिहारी
बोधा
मतिराम
ठाकुर

2. भूषण का निम्नलिखित में से कौन सा लक्षण ग्रंथ है?

शिवराज भूषण
भूषण हज़ारा
शिवा बावनी
छत्रसाल दशक

3. निम्नलिखित में से किस रचना की सर्वाधिक टीकाएँ लिखी गई हैं?

मतिराम सतसई
बिहारी सतसई
वृन्द सतसई
विक्रम सतसई

4. वीरगाथा काल के कवि नहीं हैं-

जगनिक
नामदेव
मधुकर
चन्दबरदाई

5. हिन्दी कविता को छंदों की परिधि से मुक्त कराने वाले थे-

सुमित्रानंदन पंत
जयशंकर प्रसाद
सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला'
महादेवी वर्मा
हिन्दी के छायावादी कवियों में 'सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला' कई दृष्टियों से विशेष महत्त्वपूर्ण हैं। वे एक कवि, उपन्यासकार, निबन्धकार और कहानीकार थे। उन्होंने कई रेखाचित्र भी बनाये। उनका व्यक्तित्व अतिशय विद्रोही और क्रान्तिकारी तत्त्वों से निर्मित हुआ है।
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उत्तर : C A B B C
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2021-09-02 09:23:03
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2021-09-01 11:30:04 वस्तुनिष्ठ प्रश्न : SET 17 [ #Top_5_Details ]
UGC NET PART हिंदी व्याकरण एवं उनसे जुड़े तथ्य

6. भजन कहो ताते भज्यो, भज्यो न एको बार में कौन सा अलंकार है?
(A) श्लेष अलंकार
(B) अनुप्रास अलंकार
(C) रूपक अलंकार
(D) यमक अलंकार

Explanation : भजन कहो ताते भज्यो, भज्यो न एको बार, दूर भजन जासो कयो, सो तू भज्यो गँवार में यमक अलंकार है। जब किसी काव्य पंक्तियों में एक ही शब्द दो या दो से अधिक बार आए और उसका अर्थ हर बार भिन्न भिन्न हीं हो। तो वहां पर यमक अलंकार होता है। दूसरे शब्दों में कहे तो यमक अलंकार में एक शब्द का दो या दो से अधिक बार प्रयोग होता है और प्रत्येक प्रयोग में अर्थ की भिन्नता होती है। यमक अलंकार के दो भेद हैं– अभंग पद यमक और सभंग पद यमक।

7. मंगन को देखि पट देत बार-बार है में कौन सा अलंकार है?
(A) श्लेष अलंकार
(B) अनुप्रास अलंकार
(C) रूपक अलंकार
(D) यमक अलंकार

Explanation : मंगन को देखि पट देत बार-बार है में श्लेष अलंकार है। जब किसी पद में प्रयुक्त एक ही शब्द के अलग-अलग संदर्भ के अनुसार अलग-अलग अर्थ प्रयुक्त हो जाते हैं तो वहां श्लेष अलंकार माना जाता है। श्लेष शब्द ‘शिलष्+अण् (अ)’ के योग से बना है, जिसका शाब्दिक अर्थ होता है- ‘चिपकना’ अर्थात् जहाँ एक ही शब्द से प्रसंगानुसार अनेक अर्थ प्रकट होते हैं, वहाँ श्लेष अलंकार होता है।

8. को घटि ये वृषभानुजा वे हलधर के वीर में कौन सा अलंकार है?
(A) श्लेष अलंकार
(B) अनुप्रास अलंकार
(C) रूपक अलंकार
(D) यमक अलंकार

Explanation : को घटि ये वृषभानुजा वे हलधर के वीर में श्लेष अलंकार है। जब किसी पद में प्रयुक्त एक ही शब्द के अलग-अलग संदर्भ के अनुसार अलग-अलग अर्थ प्रयुक्त हो जाते हैं तो वहां श्लेष अलंकार माना जाता है। श्लेष शब्द ‘शिलष्+अण् (अ)’ के योग से बना है, जिसका शाब्दिक अर्थ होता है- ‘चिपकना’ अर्थात् जहाँ एक ही शब्द से प्रसंगानुसार अनेक अर्थ प्रकट होते हैं, वहाँ श्लेष अलंकार होता है।

9. एक राम घनश्याम हित चातक तुलसीदास में कौन सा अलंकार है?
(A) रूपक अलंकार
(B) अनुप्रास अलंकार
(C) उत्प्रेक्षा अलंकार
(D) यमक अलंकार

Explanation : एक राम घनश्याम हित चातक तुलसीदास में रूपक अलंकार है। जहां किन्हीं दो व्यक्ति या वस्तुओं में इतनी समानता हो कि दोनों में अंतर करना मुश्किल हो जाए वहां रूपक अलंकार होता है। रूपक का अर्थ है – रूप लेना अर्थात जहां उपमेय उपमान का रूप धारण कर ले वहां रूपक अलंकार होता है। सरल शब्दों में कहे तो जहां रूप और गुण की अत्यधिक समानता के कारण उपमेय में उपमान का आरोप कर अभेद स्थापित किया जाए वहां रूपक अलंकार होता है।

10. सपनों के गुब्बारे फोड़ती सुबह में कौन सा अलंकार है?
(A) रूपक अलंकार
(B) अनुप्रास अलंकार
(C) उत्प्रेक्षा अलंकार
(D) यमक अलंकार

Explanation : सपनों के गुब्बारे फोड़ती सुबह में रूपक अलंकार है। जहां किन्हीं दो व्यक्ति या वस्तुओं में इतनी समानता हो कि दोनों में अंतर करना मुश्किल हो जाए वहां रूपक अलंकार होता है। रूपक का अर्थ है – रूप लेना अर्थात जहां उपमेय उपमान का रूप धारण कर ले वहां रूपक अलंकार होता है। सरल शब्दों में कहे तो जहां रूप और गुण की अत्यधिक समानता के कारण उपमेय में उपमान का आरोप कर अभेद स्थापित किया जाए वहां रूपक अलंकार होता है।
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