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Sahaj Kriyayog Sadhna Adhyatmik Trust

टेलीग्राम चैनल का लोगो rajyogipk — Sahaj Kriyayog Sadhna Adhyatmik Trust S
टेलीग्राम चैनल का लोगो rajyogipk — Sahaj Kriyayog Sadhna Adhyatmik Trust
चैनल का पता: @rajyogipk
श्रेणियाँ: धर्म
भाषा: हिंदी
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नवीनतम संदेश 44

2021-08-12 09:10:41 Pranaam Manish ji
Jab me bimar huaa tha tabse virya sambandhit smsya ye jyada ho gayi thi jese virya adhik patala ho gaya tha or swapn dos jesi smsya rehne lagi thi bahot sari 1 time pe davai khani padti thi sarir me baho hi kamjori aa gayi thi
Par aaj pourus sakti ausadhi ka sevan karke 1 mahina ho gaya hai swapn dos jesi samasya khatam ho gayi hai or virya sambandhit sambandhit samasya jese khatam hi ho gayi hai ye ausadhi itani kargar hai ki virya ko itana bal sali Or ghatha kar deta hai ki itni aasanise nikale ga hi nahi jin sadhko ko lagta hai ki sadhana kal me swapn dos ho jayega ese sadhak jarur se is ausadhi ka sevan kare
.


पौरुष शक्ति - सम्भोग क्रीडा वरदान

शतप्रतिशत आयुर्वेदिक

एक दिव्य चमत्कारी औषधि जिसका निर्माण पुरुषों की आन्तरिक एवं सम्भोग शक्ति की वृद्धि हेतु किया गया है. आज के समय में खान पान में अनियंत्रण साथ ही साथ हस्तमैथुन की आदत के कारण पुरुषों में नाना प्रकार के लिंग सम्बन्धी रोग उत्पन्न हो जाते हैं जिस कारण से उनकी सम्भोग शक्ति कम अथवा समाप्त हो जाती है.

इस समय में हस्तमैथुन एवं अन्य लिंग समबन्धि समस्या के कारण पुरुषों को नाना प्रकार से बेइज्जती का सामना करना पड़ता है सम्भोग के दौरान शीघ्रपतन होना , लिंग में उत्तेजना ही ना आ पाना अथवा लिंग के आकर में विकृति होना (जैसे छोटापन, ठेढ़ापन आदि)

आज से पूर्व सहज आयुर्वेद द्वारा इस समबन्ध में २ औषधि का निर्माण किया गया है जिसमे १ वीर्य स्तम्भन एवं जीवन आनंद संभवतः वीर्य स्तम्भन हु साधक सेवन कर पाते हैं जिनके पास धनराशी उपलब्ध है लेकिन जीवन आनंद सभी साधक सेवन कर सकें इसीलिए उसे न्यूनतम शुल्क में निर्माण किया गया इससे काम काजी साधक टेबलेट की तरह उसका सेवन कर सकें.

इन दोनों औषधि से साधक को अथाह लाभ प्राप्त हुआ है.

संस्था द्वारा यह तीसरी औषधि निर्माण की गयी है इसकी आवश्यकता क्यूँ है वह समझना आवश्यक है कई साधक जिनमे अत्यधिक पुन्सकता की कमी है -

जैसे जिनका

- मन ही नही होता है शर्म के कारण
- लिंग में बिलकुल तनाव नही आता है
- लिंग में कुछ कष्ण के लिए ही तनाव आता है
- शरीर साथ ही देता है थक जाता है
- अत्यधिक शीघ्र पतन जैसे ही योनी में प्रवेश किया २ से ३ बार में ही वीर्य निकल गया
- अत्यधिक स्वप्न दोष
- सोचने मात्र से ही वीर्य का निकल जाना
- हमेशा पानी जैसा पदार्थ मूत्र के साथ आना

इस प्रकार की तीव्र नपुंसकता हेतु इस औषधि का निर्माण किया गया है इसके १ माह सेवन मात्र से ही आपको लाभ प्राप्त होने लगेगा और आप अपने पूरे शरीर में बदलाव प्राप्त करेंगे.

ऐसा नही है जिन्हें उपरलिखित समस्याएं हैं वही इसका सेवन कर सकते हैं जिहने अत्यधिक आनंद की अनुभूति चाहिए सम्भोग में वह भी इसका सेवन कर सकते हैं प्रतिदिन.

यह औषधि कैप्सूल में उपलब्ध है जिसमे १ डिब्बे में ६० कैप्सूल प्राप्त होंगे साधक को जोकि १ माह तक चलेगे प्रतिदिन सुबह शाम १ १ कैप्सूल सेवन करना है.

शुल्क - 3700 + कूरियर शुल्क (निर्धारित धनराशी)

शीघ्र अति शीघ्र धनराशी जमा कर दें आपको आज ही औषधि भेज हो जाएगी.

Paytm - 8377077139

Bank Account

Name - Sahaj Kriyayog Sadhna Adhyatmik Trust
Account number - 38017006730
State Bank Of India
IFSC - SBIN0016167
MICR - 226002088
Branch - Southcity, Lucknow

UPI = SAHAJKY@UPI

संपर्क सूत्र - @Sahajst
985 viewsDewanshu, 06:10
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2021-08-11 16:46:35 ।। रक्तसंचार - सर्वोच्च प्रक्रिया ।।

यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके माध्यम से सम्पूर्ण शरीर पुनः नव जीवन की प्राप्ति करने में सक्षम है जितने साधक इसका नित अभ्यास कर रहे हैं वह इसका लाभ भी प्राप्त कर रहे हैं इस क्रिया को सम्पूर्ण कर चुके साधक अब रक्त संचार भाग 2 का अभ्यास करेंगे जिसे शीघ्र ही संस्था द्वारा सिखाया जाएगा live विडीओ के माध्यम से सिखाया जाएगा लेकिन यह उन्ही साधकों के लिए है जो भाग एक का पूर्ण अभ्यास कर चुके हैं इसलिए सर्वप्रथम चेक किया जाएगा उसके बाद ही भाग 2 हेतु आपको विशेष ग्रूप में जोड़ा जाएगा जहां लिंक दिया जाएगा अभ्यास का।


एक सामान्य निवेदन जिन साधकों को यह स्वयं से पता है की वह तंत्र में गलती केरते हैं जिस कारण से सफल नही हो पा रहे हैं बेहतर है की वह क्रिययोग का पूर्ण अभ्यास करें अन्यथा भविष्य में तंत्र में भी सफल नही हो पाए हैं आप और क्रियायोग में भी नही उस समय आप अत्यधिक असहाय महसूस करेंगे अतः तंत्र में सफलता हेतु अनगिनत नियम हो सकते है लेकिन क्रियायोग हेतु मात्र अभ्यास दोनो हाई पथ एक ही स्थान पर मिलेंगे अंत डोनो का एक ही है अतः अभी भी समय है अभ्यास करना शुरू करें

आने वाले समय में मैं कुछ तंत्र समबंधित सेशन लूँगा जिसके माध्यम से साधक तंत्र की सत्यता को समझ सकें।


भाग 2 के विषय में जानकारी -

भाग 1 का अभ्यास करने वाले साधक यह जानते हैं की इस अभ्यास के माध्यम से उनके दर्द आदि में काफ़ी आराम मिला है जो लम्बे समय तक बैठने की वजह से होता था कमर में घुटने में आदि आदि स्थान पर साथ ही साथ कई साधकों को एकाग्रता की समस्या रहती थी उसमें भी पूर्ण आराम मिला मानसिक अशांति की समस्या में आराम मिला अन्य अभ्यास केरने वाले साधकों को लाभ मिला।

वह साधक जो दर्द के कारण अपनी साधना नही कर पाते थे उन्हें आराम मिला जिसके कारण से वह लम्बे समय तक बैठ के साधना कर पर रहे हैं और सफल हो रहे हैं

रक्तसंचार भाग 1 को इसी अनुसार अभ्यास कराया गया की साधक स्वयं से समझ सकें इन चीज़ों को और इस अभ्यास के माध्यम से योग की शक्ति को अपने अंदर प्रवाहित करें।


भाग 2 के माध्यम से साधक वह जो ध्यान नही कर पाते है अथवा उस स्थिति को प्राप्त नही कर पाते हैं उसे स्वतः प्राप्त कर पाएँगे अर्थात् पूर्ण रूप से शांति का अनुभव साथ ही साथ अपने ध्यान को एक स्थान पर एकाग्र कर पाएँगे ऐसा कर पाने से साधक क्रियायोग ध्यान के समीप आते जाएँगे और कुछ समय में लम्बे समय तक ध्यान की स्थिति को प्राप्त कर पाएँगे।

संतुलित शरीर एवं एकाग्र मस्तिष्क के माध्यम से एक साधक स्वयं के शरीर को यंत्र में परिवर्तित कर लेता है और मेरे द्वारा हमेशा कहा गया है तंत्र तभी सम्भव है जव शरीर यंत्र के समान हो जाए इसके पीछे अनेक रहस्य है जिसे अभी साधकों को समझना शेष है।

यह सिर्फ़ भाग 2 का अग्रिम भाग है जिससे वह साधक जिन्होंने भाग 1 का अच्छे से अभ्यास किया है वह आने वाले समय में क्या प्राप्ति करने वाले हैं इसके विषय में जान सकें।

जिन साधकों ने अभी तक रक्तसंचार की प्रक्रिया को नही शुरू किया है आपसे मेरा निवेदन है की आप शुरू करें इस प्रकिया में माध्यम से आप नाना प्रकार के जीवन में सुख प्राप्त ker पाएँगे।
1.2K viewsDewanshu, 13:46
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2021-08-11 07:39:16 अवश्य पढ़ें

गुरु जी साधना में सफलता क्यों नही मिलती ।


यह सवाल इतने लोगों द्वारा पूछा जाता है कि कोई भी सुनने वाला यही सोचेगा की यह सब व्यर्थ है ।

यह एक हास्य है उसे उसी तरह से लीजिये लेकिन इसके पीछे के रहस्य को समझिये ।

बस कुछ ही पंक्तियों में इसका उत्तर मैं दुंगा , वह है कि साधना में भी आसानी ढूंढने की कोशिश करना यह सबसे बड़ी गलती है।

साधक - मुझे परेशानी बहुत है गुरु जी मैं 5 साल से परेशान हुन कर्ज उत्तर ही नही रह है । मैं सब कुछ करूँगा गुरु जी। मैं हिमालय पर जाके साधना करूँगा शमशान में जाके करूँगा ।

51 दिन की साधना कीजिये ।

साधक - गुरु जी 51 दिन तो बहुत है में व्यावहिक हुन , इतने दिन कैसे रहूंगा । गुरु जी कोई कम दिन की साधना बात दीजिये ।

32 दिन की कीजिये लेकिन उसमे ध्यान करना होगा ।

साधक - नही नही गुरु जी ध्यान नही कर पाऊंगा वह तो बहुत मुश्किल है । कोई शमशान साधना दे डिजिये वो करूँगा में


जी ठीक है । xyz नियंम यह साधना कीजिये ।

साधक - गुरु जी मैं लैश का कफन कैसे उतारू , भस्म कहाँ से उठाऊं , रात में मुझे डर लगेगा दिन में साधना कर सकता हूँ । अनंत बाते । गुरु की कोई 1 दिन की साधना दे डिजिये ।

ठीक है यह कीजिये । लेकिन कठिन है ।

साधक - गुरु जी एक दिन की तो बात है कर ही लूंगा कुछ भी हो जाये ।

साधना मिलने कर बाद ।

साधक - गुरु जी मैं ये नियम न कर पाऊँ ये कर लूं चलेगा , गुरु जी 5 घंटे कैसे बैठूंगा , मैं बीच मे खड़ा हो जाऊं , मैं दीक्षा के बाद सेक्स कर लिया है कोई दिक़्क़त तो नही है ।

ऐसा आपको नही करना चाइए था आप सामग्री दूषित कर चुके हैं ।

साधक - गुरु जी आप ही कर दो मेरे लिए मेरे पास बहुत पैसे आएंगे मैं आपको दूँगा ।


अब देखिये यह अधिकतर साधकों के साथ समस्या है , गलती उनकी नही है लेकिन शरीर पर नियंत्रण न होन ही समस्या है । इसलिए शरीर को पहले नियंत्रित करें फिर साधना शुरू करें।


योगी जी ने मुझे कहा आप आज से 25 मिनट बैठेंगे । मैंने दुबारा नही पूछा कैसे क्यों कब पैर में दर्द ये वो । आँखे बंद करूँ या खुली कौन से आसान में बैठु चेयर पर या ज़मीन पर या आसान पर ।

उन्होंने कहा बैठिए मैं बैठ गया ।

उन्होंने कहा ये साधना आज रात से शुरू कीजिये मैंने कभी नही बोला योगी जी ये कहाँ से लाऊं वो कहाँ से लाऊं रात में 11 बजे तक समान लाने के बाद 1130 से साधना शुरू की और सफलता प्राप्त की ।


ऐसे अनेक बाते हैं जो उन्होंने बोली मैंने बिना सोचे समझे पूरी की ।

गुरु जी कहिए मत , सिर्फ मानिए जो वो कह रहे हैं वर्ना सफलता न मुमकिन है ।

साधना में आसानी नही होती है यह कठिन परिश्रम की क्रिया है सबके बस का होता सबके घर मे एक अप्सरा एक बेताल एक रति एक कर्णपिशाचिनी होती।

इसलिए परिश्रम करके साधक बने न कि निर्भर बने। यह समय ध्यान क्रियायोग करेंगे साधना करेंगे तो जीवन भर यह शारीर यंत्र के भांति कार्य करेगा ।
1.2K viewsAkshay Sharma, 04:39
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2021-08-10 13:12:50 म का अर्थ है , परिवर्तन शील , जैसे बीज से पेड़ , पेड़ से बीज फिर पेड़ , मनुष्य से मनुष्य फिर मनुष्य यह है म का अर्थ ।
राम का ज्ञान था कि शक्ति जो इतनी परिवर्तनशील है उसमे सब एक बराबर है हर स्वरूप में परब्रह्म ही विराजमान है अन्य कोई कुछ नही है इसी ज्ञान को राम का ज्ञान कहा जाता है।

बिमल (विमल) इसे पारदर्शिता से दर्शाया जाता है जिसे वही दर्शा सकता है जो राम है अर्थात् वह जिसे मनुष्य से निरकार की स्थिति का ज्ञान है वही विमल है और उसे मनुष्य एवं ईश्वर रूपी समस्त फल का ज्ञान है और इन 4 फल की स्वस्थ को तुरिय कहते हैं।

तुरिय का अर्थ है 4 अवस्था जागृत स्वप्न ससुप्ति समाधि यह वह 4 फल हैं।


अर्थात् इस चौपाई के माध्यम से गोस्वामी तुलसीदास मनुष्य की तुरिय अवस्था की प्राप्ति के सत्य को सरध्या रहें हैं किस प्रकार से नाड़ियों में प्रवाह होने वाली ऊर्जा जो माया के सम्पर्क में है वह मन है (अहंकार की सुविधा हेतु जिसे जीव भाव कहते हैं मन और बुद्धि का आगमन है) भ्रूमध्या मर स्थित ऊर्जा जिसे शिव त्रिनेत्र भी कहते हैं वही गुरू हैं इसी के प्रचलन में कहा जाता है यदि आपके गुरू नही है तो शिव को अपना गुरू मान लें उसके पीछे का अर्थ यह है। जब तक प्राण ऊर्जा इड़ा एवं पिंगला से होती हुई आगे बड़ती है तब तक साधक स्थिर चेतना की प्राप्ति नही कर पता है लेकिन जब यह डोनो नाड़ी स्थिर एवं इनके स्वर सामान्य रूप से चलायमान होते हैं उस स्थिति में ऊर्जा का प्रवाह सुषुम्ना के माध्यम से होता है इसी स्थिति में साधक पूर्ण रूप से माया रूपी अंधकार से दूर हो जाता है और सामान्य विचार से मुक्ति प्राप्त करता है ऐसा होने के बाद साधक का पूर्ण ऊर्जा केंद्रियकरण मेरुशीर्ष पर होता है जिसे ईश्वर मुख से दर्शया जाता है। इसी स्थिति में रहते रहते साधक स्वयं से निराकार के पथ की प्राप्ति करता है और स्वयं के वास्तविक स्वरूप में परिवर्तित कर जिसके माध्यम से उसकी उत्पत्ति हुई है जिसे तुरिय से दर्शया जाता है।


सहस्त्रार - राम ।


श्रीम - सेवक माता धूमावती
10 अगस्त 2021
1.4K viewsDewanshu, edited  10:12
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2021-08-10 13:12:50 हनुमान चालीसा

गोस्वामी श्री तुलसीदास जी द्वारा यह अति विशिष्ट लेखनी इस संसार को दी गयी जो की अतुल्य ज्ञान से पूर्ण है यदि साधक इसके आध्यात्मिक अर्थ को समझते हैं उस स्थिति में इसका परचा प्रसार कर पाएँगे अन्यथा वह पूर्ण चालीसा को एक आप एक लेखनी मान बैठंगे।

चालीस का समूह चालीसा , चालीस चौपाई का समूह यह हनुमान चालीसा है जिसमें सम्पूर्ण विधान है अष्ट सिद्धि एवं नव निधि का की प्राप्ति की जा सके। श्री तुलसीदास जी द्वारा यह पूर्ण चालीसा अवधि भाषा में लिखी गयी है जिसके आध्यात्मिक एवं सामान्य अर्थ पर आज प्रकाश देना आवश्यक है।

जितने भी लेखनी ऋषियों द्वारा लिखी गयी हैं वह इस प्रकार से लिखी है जिसके सामान्य जीवन एवं आध्यात्मिक अर्थ दोनो निकल सकें जिससे एक सामान्य व्यक्ति भी समझ सके और एक आध्यात्मिक साधक उसके पीछे छुपे गहन अर्थ को समझ सकें।


श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि।
बरनऊं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि।। 


सामाजिक व्याख्या - श्री गुरु महाराज के चरण कमलों की धूलि से अपने मन रूपी दर्पण को पवित्र करके श्री रघुवीर के निर्मल यश का वर्णन करता हूं, जो चारों फल धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष को देने वाला है।

आध्यात्मिक व्याख्या -


इस शरीर को ३ भाग में विभाजित किया गया है

१. कारण शरीर
२. सूक्ष्म शरीर
३. भौतिक शरीर

प्रत्येक शरीर की एक जीवात्मा अथवा चैतन्य शक्ति है उसी के कारण यह शरीर परिवर्तित होते हैं कारण से सूक्ष्म एवं सूक्ष्म से भौतिक में

कारण शरीर की जीवात्मा को हम प्राज्ञ कहते हैं और समस्त शरीर के प्रज्ञा को इश्वर कहते हैं जब यह शक्ति प्राज्ञ व् इश्वर का मिलन होता है इसे ही गोविन्द अथवा विष्णु कहते है.
सूक्ष्म शरीर की चैतन्य शक्ति अथवा जीवात्मा को तेज़स कहते हैं समस्त शरीर के तेज़स को हिरणगर्भ कहते हैं जब तेज़ व् हिरणगर्भ का मिलन होता है इसे ही ब्रह्मा कहते हैं.
भौतिक शरीर की चैतन्य शक्ति अथवा जीवात्मा विश्व कहते हैं समस्त शरीर के विश्व को विराट कहते हैं जब विश्व व् विराट का मिलन होता है इसे ही शिव कहते है. शिव से जो शक्ति प्रकट होती है उसे ही तेज़स कहते हैं जो सूक्ष्म शरीर की चैतन्य शक्ति है.इसी प्रकार से पर्वर्तिकरण होता है जिससे कारण से भौतिक और भौतिक से कारण शरीर में उर्जा का प्रवाह होता है. इसी प्रवाह के कारण शिशु वयस्क होता है जब यह प्रवाह विपरीत स्थती में चलता है तब व्यसक वृद्धावस्था को प्राप्त होता है.

गुरु विश्व की शक्ति को दर्शया गया है जिसके माध्यम से साधक प्राज्ञ की शक्ति से मिलन कर पाया है। आसन शब्दों में भ्रूमध्या पर केंद्रित की जाने वाली ऊर्जा हाई गुरु हैं।

चरण (चरन) चर का अर्थ है पथ (विचरण) ण को आनंद से दर्शाया गया है जिस पथ पर चलने से आनंद की प्राप्ति हो उसे ही चरन रूप से दर्शया जाता है।

सरोज - कमल वह स्थिति है जब व्यक्ति अज्ञानी से गाँवँ होता है किस प्रकार से भूमि से उत्पन्न होता हुआ जल में जीवन की प्राप्ति करता है और सूर्य रूपी प्रकाश से स्वयं के आयाम का विस्तार केरके एक बीज से एक पुष्प में परिवर्तित होता है मनुष्य भी अपनी चेतना को इसी प्रकार से विस्तार केरके स्वयं को ईश्वर में परिवर्तित कर लेता है

रज - रज से दर्शया है अनु को जिसमें परमाणु बन्ने की क्षमता है लेकिन वह मात्र धूल के भाँति अपनी स्थिति में विद्दयमान है जिससे अन्य जीवन जंतु का स्वरूप बना रहे

मन - शरीर के 3 भाग में 24 तत्व है जिनके माध्यम से यह मनुष्य का निर्माण सम्भव हो पाया है जिसमें चित - चित्त - अहंकार - बुद्धि - मन - 10 इंद्रियाँ - 5 तन्मात्रा - 5 भौतिक तत्व सम्मिलित है इसी मन से मनुष्य का निर्माण हुआ है।
मनु का अर्थ है जब मन की यात्रा उर्धमुखी हो अर्थात् उपर की ओर हो रही हो। शरीर में 3 मुख्य नाड़ी है जिसमें से इड़ा पिंगला और सुषुम्ना है इसे इस प्रकार भी समझ सकते हैं की जब प्राण की यात्रा इड़ा और पिंगला में होती है वह प्राणवायु जो इन दोनो नाड़ी में प्रवाहित हो रही है उसे मन का स्वरूप दिया गया है।

मुकर - को दर्पण से दर्शया जाता है जब मन की यात्रा उर्धगामी होती है उस स्थिति में माया अथवा अज्ञान रूपी अंधकार दूर हो जाता है और जो भी इंद्रियायों में असंतुलन होता है वह समाप्त हो जाता है।

रघुवर (राम) -

र - शक्ति (इंद्रियायों की सम्मिलित शक्ति)
अ - त्रिदेव द्वारा शक्ति


शक्ति का अर्थ है ऊर्जा , वह अब किसी भी तरह को ऊर्जा हो । भ्रह्म का अर्थ है रचनाकार , विष्णु का अर्थ है रचियता की रचना को वैसे ही रखना रचियता ने शरीर बनाया तो उसे वैसे ही रखना शिव का अर्थ है परिवर्तन जैसे जीवन फिर नया जीवन फिर नया जीवन ।
जब आदि और अंत एक ही होगा तो अनंत है , निराकार परब्रह्म ही सब कुछ हैं ।

रा का अर्थ हम समझ चुके हैं ।
1.3K viewsDewanshu, 10:12
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2021-08-10 08:24:07 स्वयं मैंने भी की है यह साधना

इस माह साधना सिद्धि का प्रथम ग्रुप मनोहरी योगिनी साधना का बनेगा -

यह साधना कम से कम 5 साधकों द्वारा परीक्षित है और आसान भी इस साधना में हवन आदि की आवश्यकता नही होती है।

मात्र मंत्र जप ही काफी है इसमे सफलता हेतु।

यह एक चमत्कारी योगिनी है किसी भी प्रकार की इक्षा पूरी करती है इसके माध्यम से आप नाना प्रकार के चमत्कार अपने जीवन मे देख पाएंगे।

मनोहारी योगिनी साधना

मन सर्वाधिक शक्तिशाली तत्व है और इसपे अधिकार करना असंभव आ प्रतीत होता है इसी कारण से व्यक्ति नाना प्रकार की मझधार में फंसता है यह साधना उसी से बाहर निकलने की पूर्ण साधना है।

मैं अपने अनुभव तो नही बता सकता अब इस साधना के लेकिन अन्य साधकों ने जो मुझे बताए हैं वह बताने जा रहा हूँ यह साधना संस्था द्वारा 2017 में शुरू की गई साधकों को दिया जाना उसके बाद यह पाया गया इसकी सफलता का दर 70% है अर्थात 10 में से 7 साधक को लाभ मिलता ही है और 7 में से किसी 1 साधक को दर्शन की प्राप्ति भी हो जाती है।

इस साधना से मिलने वाले लाभ -

आर्थिक -


यह साधना व्यक्ति को आत्म निर्भर बनाने हेतु दृढ़ करती है जिससे व्यक्ति अपने जीवन मे नाना प्रकार के सुख प्राप्त करता है और सुखमय जीवन व्यतीत करता है उतनी ही इक्षा पूरी होती है जो आवयश्यक है करोड़पति तक व्यक्ति बन सकता है लेकिन अरब खरबपति नही।

मानसिक -

साधक मानसिक चिंतन से मुक्त रहता है और बिना अनर्गल व्यालाप के जीत है जिससे अधिकः इक्षा नही बनती हैं।

आध्यात्मिक -

तंत्र लाभ मिलते हैं लेकिन सफलता के बाद वह बताने उचित नही उससे अपनी साधना की गुप्तता भंग नही कर सकता।

इस साधना की सिद्धि लगभग 4 से 5 माह के समीप मेरे पास रही लेकिन उसके बाद मैंने अन्य तामसिक साधना करना उचित समझा। इस साधना को मैने सार्वजनिक होने से काफी समय पूर्व ही किया था इसकी अन्य विधि भी है जो ज्यादा शक्तिशाली है लेकिन उसमें हवन होता है इसलिए वह दी जानी उचित नही।

इस साधना

मूलमंत्र -

अगस्त माह के पेड ग्रुप में जुड़ने वालों के लिए इसका ग्रुप निशुल्क है। वहां मंत्र दिया गया है।

माला - श्वेतार्क
जप समय - संध्या बाद से रात्रि दो बजे तक। 
आसन - लाल -रेशमी या ऊनि। 
नियम - ब्रह्मचर्य ।
जप काल में तेल या घी के दीपक जलना आवश्यक है।

दशांश दशांश हवन की आवश्यकता  नहीं।

अगस्त माह के पेड ग्रुप में जुड़ने हेतु -

आज रात्रि 10 बजे तक साधक 501 रुपये जमा करके जुड़ सकते हैं।

इस साधना को आने वाले मुहूर्त से शुरू किया जाएगा जीवन मे समस्या से झूझ रहे साधक इस साधना को अवश्य करें।

इसके सफल साधक आज भी आनंदमय जीवन जी रहे हैं और इसके माध्यम से ही इस तक पहुच हैं।


संपर्क सूत्र - @sahajst
4.4K viewsDewanshu, 05:24
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2021-08-10 08:22:15 क्या पंचक में मृत्यु होने से 5 लोगों की मृत्यु होती है ?

उत्तर - देखिये निधन के अर्थ समझिये, मेडुला में सारी नदियां मिलती हैं तथा जीवन ज्योति की जो ऊर्जा है वहां आती है उसे धन कहते हैं इसलिए मैं यह कहता हूं सर्वाधिक ऊर्जा शरीर की वही व्याप्त है कुछ नए नए बाबा लोगों को अभी यह समझने में कई जन्म लग सकते है क्योंकि किताबी बाते है सब उनके दिमाग मे , जब वह ऊर्जा रुकती है उस समय को निधन कहते हैं ।

मृत्यु के समय हमारे शरीर की वायु शरीर का त्याग करती हैं एक एक करके 5 वायु + 5 उपवायु + 3 मंद वायु । इन्ही समस्त वायु को आत्मा इत्यादि से संबोधित किया जाता है ।

यदि पंचक ऐसी किसी समय पर मृत्यु होती है तो व्यान वायु काफी समय तक शरीर मे व्याप्त रहती है जलने के बाद भी इसलिए लोगों का यह भ्रम है ऐसा करना चाइए जब कि ऐसा न करने से भी कुछ फर्क नही पड़ेगा म
1.3K viewsAkshay Sharma, 05:22
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2021-08-09 10:52:39 शकुनि साधना - शेयर मार्केट जुआ सट्टा से कितना पैसा कमाया प्रत्येक माह इस साधक ने -

यह पूर्ण वीडियो देखें और इस माह के अंत से इस साधना को पुनः करवाया जाएगा उसके लिए अपना नामांकन करवा लें -

इस साधना की धनराशि -

माला (श्वेतार्क) 2450
अथवा कमलगट्टा 1280

यह आपकी इक्षा आप किस माला से साधना करते हैं लेकिन श्वेतार्क सर्वाधिक शक्तिशाली है।

दीक्षा 1300
आसान 1500
ग्रह तंत्र 2800 (स्वैच्छिक)
ग्रह तंत्र धारण करना न करना आपकी इक्षा है।
कूरियर 410







नामांकन हेतु धनराशि जमा करके नामांकन करवाएं - संपर्क सूत्र @sahajst मनीष जी
897 viewsDewanshu, 07:52
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2021-08-08 13:11:15 मनीष जी - @sahajst
1.2K viewsDewanshu, edited  10:11
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2021-08-08 07:09:02 महत्वपूर्ण सूचना - पैशाचिक माला संस्कार

आज रात्रि मालाओं का विशेष पैशाचिक संस्कार किया जाएगा तो यदि आप निकट भविष्य में कोई भी ऐसी साधना करने वाले हैं जिसमें पैशाचिक माला का उपयोग होना है तो आज दिन तक उस माला की धनराशि जमा करके माला संस्कार में अपना नाम सुरक्षित करवा लें ।

पैशाचिक संस्कार एक निश्चित संख्या में ही किया जाता है । जितने साधकों ने पहले से अपना नाम लिखवाया होता है उनका ही संस्कार होता है उनके अलावा 2-3 अतिरिक्त माला का ही संस्कार किया जाता है ।

इसलिए अगर आपको कोई भी ऐसी साधना शुरू करनी है तो आज दिन तक @sahajst पर मनीष जी से बात करके अपना स्थान बुक करवा लें ।

अथवा फिर आपको अगली अमावस्या तक इंतेज़ार करना होगा माला संस्कार का और फिर उसके बाद किसी मुहूर्त पर साधना शुरू कर पाएँगे । इस प्रक्रिया में आपका 1.5 महीना व्यर्थ जाएगा ।
1.3K viewsAkshay Sharma, 04:09
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