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टेलीग्राम चैनल का लोगो prashasaksamitiofficial — प्रशासक समिति हिन्दी चैनल
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चैनल का पता: @prashasaksamitiofficial
श्रेणियाँ: धर्म
भाषा: हिंदी
ग्राहकों: 11.99K
चैनल से विवरण

उद्देश्य : हिन्दुओं को जगाना, उनमें राष्ट्रीयता, हिन्दुत्व की भावना भरना है। बौद्धिक रूप व ह्रदय से हिन्दूवादी, देशभक्त बनाना है, जिससे विधर्मियो का प्रतिकार कर सकें व देशविरोधी ताकतो से लड़ सकें।
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नवीनतम संदेश 10

2023-05-12 11:25:10 प्रशासक समिति (Reg. E&SWS)

आज का कू:- ज्येष्ठ कृष्ण सप्तमी २०८०

ओवैसी साहब का सीधा संदेश, वो चाहते हैं की उनकी कम्यूनिटी के बच्चे कांस्टीट्यूशन लॉयर बनें और सुप्रीम कोर्ट में बैठें

खैर इस कदम को वो संविधान की रक्षा का कदम बता रहे हैं, बाकी तो लोगों के समझने पर है

खुद देखिए वीडियो और आप क्या समझ रहे हैं वो कमेंट में लिखकर बताएं तथा रिकू करें

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2023-05-12 11:16:16 प्रशासक समिति (Reg. E&SWS)

ISIS का समर्थन कर रहा मुस्लिम संगठन?

Tweet :- ज्येष्ठ कृष्ण ०७, २०८०

डायरेक्टर की आंख के बदले 21 लाख
हक-ए-हिंदुस्तान मोर्चा के अध्यक्ष तमन्ना हाशमी का ऐलान

क्या ये मामला
#HateSpeech में आएगा और @bihar_police सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार स्वतः संज्ञान लेते हुए कार्यवाही करेगी?

@HMOIndia @NIA_India

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2023-05-12 09:21:02 आगे आ. मानसिक स्तर का धर्माभिमान दर्शानेवाले हिन्दुत्वनिष्ठ, हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के लिए अपात्र !
सोर्स :-
https://www.hindujagruti.org/hindi/hindu-rashtra/importance-of-spiritual-practice

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2023-05-12 09:21:01 प्रशासक समिति (Reg. E&SWS)

हिन्दू राष्ट्र - 17

हिन्दु राष्ट्र की स्थापना हेतु साधना करने का महत्त्व !

१. हिन्दू राष्ट्र की स्थापना करने हेतु आज के अधिकतर धर्मनिरपेक्ष नेता अयोग्य क्यों हैं?

अ. धर्मनिरपेक्ष नेता स्वयं धर्म को नहीं मानते। इसलिए वे हिन्दू राष्ट्र की विचारधारा को भी नहीं मानेंगे। उनकी दृष्टि में धर्म से अधिक महत्त्वपूर्ण है, अल्पसंख्यक आधारित राजनीति। ऐसे विचारों के लोग हिन्दू राष्ट्र के लिए अपात्र हैं; क्योंकि हिन्दू राष्ट्र की विचारधारा सनातन धर्म पर आधारित है।

आ. हिन्दू राष्ट्र की स्थापना, अर्थात राष्ट्ररचना, एक शास्त्रीय क्रिया है, जिसमें केवल सत्य के लिए स्थान हैं। आजकल के अधिकतर नेता असत्य के रूप हैं। इनमें भ्रष्टाचार, स्वार्थ, अनैतिकता, स्वेच्छाचार जैसे दुर्गुण कूट-कूट कर भरे हैं। इसलिए ऐसे नेताआें से राष्ट्ररचना होना सर्वथा असम्भव है।

इ. नेताआें को असीम सत्ता चाहिए। वृद्ध होने पर भी पद और तिष्ठा की उनकी लालसा समाप्त नहीं होती।इसके विपरीत, राष्ट्ररचना के लिए निःस्वार्थता, सिद्धि की कामना न रहना, त्याग जैसे गुणों की आवश्यकता होती है। ये गुण ईश्‍वर की भक्ति तथा निस्वार्थभाव से राष्ट्र और धर्म का कार्य करनेवाले धर्माचरणी हिन्दुआें में ही होते हैं।

ई. सत्य के पक्ष में रहनेवाले धर्माचरणी राजनीतिज्ञ भी हिन्दू राष्ट्र की स्थापना में सम्मिलित होंगे। (२३.४.२०१२)
२. धर्माचरणी हिन्दू ही हिन्दू राष्ट्र स्थापित कर सकते हैं!
राष्ट्ररचना करने के इच्छुक नेता और उनके अनुयायियों में नैतिक (आध्यात्मिक) प्रेरणा होना आवश्यक हैं। धर्माचरणी हिन्दुआें में ही खरी नैतिक प्रेरणा जागृत होती है। इसलिए वे हिन्दू राष्ट्र की स्थापना में प्रत्यक्ष भाग ले सकेंगे। (२४.५.२०१२)
अ. हिन्दुत्वनिष्ठ कार्यकर्ताआें की वर्तमान स्थिति
धर्मरक्षा हेतु संगठित लोग हिन्दुत्वनिष्ठ विचारधारा के हों, तब भी त्येक की वृत्ति एवं सोच भिन्न होती हैं। हिन्दुत्वनिष्ठ कार्यकर्ताआें में कुछ तो व्यसनी होते हैं और कुछ वाममार्गी। संक्षेप में, जिस प्रकार का आचरण अनेक राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता करते हैं, उसी प्रकार का आचरण हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों के कार्यकर्ता करते दिखाई देते हैं। हिन्दुत्वनिष्ठ कार्यकर्ताआें की वर्तमान स्थिति के विषय में विचार करें, तो निम्नांकित बातें ध्यान में आती हैं।
अ १. धर्म का अध्ययन न होना :-  यद्यपि सभी लोग हिन्दू धर्म और हिन्दूराष्ट्र के लिए ही कार्य करते हैं, तथापि सनातन धर्म का अध्ययन न होनेके कारण अनेक लोगों को यह पता ही नहीं रहता कि हिन्दू धर्म में ज्ञान का कितना भव्य अक्षय भण्डार है तथा अन्य धर्मों में इसका लाखवां अंश भी नहीं हैं।

अ २. साधना न करना :- अनेक लोग साधना नहीं करते। इसलिए उन्हें पता नहीं होता कि हिन्दू धर्म व्यक्ति को सर्वोच्च स्तर की अनुभूति दान करता है तथा अन्त में अद्वैततक पहुंचाता हैं।
अ ३. हिन्दू धर्म के ति कृतज्ञता न लगना :-  व्यवहार में यदि कोई हमारी सहायता करता है, तो हमें उसके प्रति कृतज्ञता लगती हैं। हिन्दू धर्म जन्म- मृत्यु के चक्र से सदा के लिए मुक्ति दिलाता है; परन्तु यह ज्ञात न होने के कारण हिन्दू धर्म में जन्म होने पर भी अनेक लोगों को उसके प्रति कृतज्ञता नहीं लगती।
अ ४. खरे धर्माभिमान के अभाववश धर्मद्रोही कार्य होना : कुछ लोग केवल मानसिक स्तर पर धर्म के प्रति अभिमान रखते हैं, इसलिए कभी-कभी वे धर्मद्रो ही कार्य भी कर जाते हैं। उदाहरण के लिए, श्रीलंका में तमिल हिन्दुआें पर अत्याचार हुआ। उस समय बंगाल की मुख्यमन्त्री ममता बनर्जी ने केन्द्र के तत्कालीन कांग्रेस शासन की तटस्थ भूमिका का समर्थन किया। उनका विरोध करने के लिए तमिल हिन्दुआें ने बंगाली मूल के महर्षि अरविंद के पुदुचेरी स्थित आश्रम पर आक्रमण किया। सन्त जाति, प्रान्त, भाषा एवं अस्मिता से परे होते हैं। महर्षि अरविन्द ने देश-विदेश में हिन्दू धर्म का सार किया था। उनके प्रति अखिल हिन्दू समाज को कृतज्ञ रहना चाहिए। तमिल वंश के हिन्दुआें की रक्षा हेतु यास करना धर्मकार्य था, परन्तु सन्त के आश्रम पर आक्रमण करना धर्मद्रोह था। साधना करने पर ही सन्तों का महत्त्व ज्ञात होता हैं।
अ ५. प्रतिष्ठा के लोभ में धर्मरक्षा के कार्य करना : - कुछ लोग पद-प्रतिष्ठा पाने के लिए अथवा राजनीतिक स्वार्थ साधने के लिए धर्मरक्षा का कार्य करते हैं। वास्तव में धर्म को, अर्थात ईश्‍वर को धर्म की रक्षा के लिए किसी की आवश्यकता नहीं होती। धर्मग्लानि होने पर ईश्‍वर स्वयं अवतार लेते हैं अथवा किसी के माध्यम से वह कार्य करते हैं। इसमें अपनी साधना के रूप में हमें सम्मिलित होनाचाहिए।
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2023-05-12 04:45:06
श्रीमद्भागवत गीता श्रवणामृत (सांख्य योग ‘ज्ञानयोग’)

अध्याय - ०२ ; श्लोक - ५८

शुक्रवार, १२/०५/२०२३, ज्येष्ठ, कृष्णपक्ष, सप्तमी

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2023-05-12 02:30:23 प्रशासक समिति (Reg. E&SWS)

रामायण एवं वेद पाठन

श्रीमद् वाल्मीकि रामायणम्

बालकाण्ड:
॥ त्रिसप्ततितमः सर्गः (सर्ग ७३) ॥

इत्युक्त्वा प्राक्षिपद् राजा मन्त्रपूतं जलं तदा ।
साधुसाध्विति देवानामृषीणां वदतां तदा ॥ २८ ॥

भावार्थ :यह कहकर राजाने श्रीरामके हाथमें मन्त्रसे पवित्र हुआ संकल्पका जल छोड़ दिया। उस समय देवताओं और ऋषियोंके मुखसे जनकके लिये साधुवाद सुनायी देने लगा ॥ २८ ॥

देवदुन्दुभिनिर्घोषः पुष्पवर्षो महानभूत् ।
एवं दत्त्वा सुतां सीतां मन्त्रोदकपुरस्कृताम्॥ २९ ॥
अब्रवीज्जनको राजा हर्षेणाभिपरिप्लुतः ।
लक्ष्मणागच्छ भद्रं ते ऊर्मिलामुद्यतां मया ॥ ३० ॥
प्रतीच्छ पाणिं गृह्णीष्व मा भूत् कालस्य पर्ययः ।

भावार्थ : देवताओंके नगाड़े बजने लगे और आकाशसे फूलोंकी बड़ी भारी वर्षा हुई। इस प्रकार मन्त्र और संकल्पके जलके साथ अपनी पुत्री सीताका दान करके हर्षमग्र हुए राजा जनकने लक्ष्मणसे कहा- 'लक्ष्मण! तुम्हारा कल्याण हो । आओ, मैं ऊर्मिलाको तुम्हारी सेवामें दे रहा हूँ। इसे स्वीकार करो। इसका हाथ अपने हाथमें लो। इसमें विलम्ब नहीं होना चाहिये ' ॥ २९-३०½ ॥

क्रमशः.....


अहिंसा परमोधर्मः धर्म हिंसातथैव च:

अहिंसा मनुष्य का परम धर्म है, और धर्म की रक्षा के लिए हिंसा करना उससे भी श्रेष्ठ है..!!

जब जब धर्म (सत्य) पर संकट आये तब तब तुम शस्त्र उठाना
         
       जय श्री राम

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2023-05-12 02:30:18 प्रशासक समिति

जय सत्य सनातन

आज की हिंदी तिथि

युगाब्द-५१२५
विक्रम संवत-२०८०
तिथि - सप्तमी सुबह 09:06 तक तत्पश्चात अष्टमी
https://www.prashasaksamiti.com/2023/05/blog-post_33.html

दिनांक - 12 मई 2023
दिन - शुक्रवार
शक संवत् - 1945
अयन - उत्तरायण
ऋतु - ग्रीष्म
मास - ज्येष्ठ
पक्ष - कृष्ण
नक्षत्र - श्रवण दोपहर 01:03 तक तत्पश्चात धनिष्ठा
योग - शुक्ल दोपहर 12:18 तक तत्पश्चात ब्रह्म
राहु काल - सुबह 10:57 से 12:36 तक
सूर्योदय - 06:00
सूर्यास्त - 07:12
दिशा शूल - पश्चिम दिशा में
ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:34 से 05:17 तक
निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:14 से 12:58 तक
व्रत पर्व विवरण -
विशेष - सप्तमी को ताड़ का फल खाया जाय तो वह रोग बढ़ानेवाला तथा शरीर का नाशक होता है । अष्टमी को नारियल का फल खाने से बुद्धि का नाश होता है ।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)

ब्रह्मचर्य-पालन के नियम

(ब्रह्मलीन ब्रह्मनिष्ठ स्वामी श्री लीलाशाहजी महाराज के प्रवचन से)

ऋषियों का कथन है कि ब्रह्मचर्य ब्रह्म-परमात्मा के दर्शन का द्वार है, उसका पालन करना अत्यंत आवश्यक है । इसलिए यहाँ हम ब्रह्मचर्य-पालन के कुछ सरल नियमों एवं उपायों की चर्चा करेंगेः

1. ब्रह्मचर्य तन से अधिक मन पर आधारित है । इसलिए मन को नियंत्रण में रखो और अपने सामने ऊँचे आदर्श रखो ।

2. आँख और कान मन के मुख्यमंत्री हैं । इसलिए गंदे चित्र व भद्दे दृश्य देखने तथा अभद्र बातें सुनने से सावधानी पूर्वक बचो ।

3. मन को सदैव कुछ-न-कुछ चाहिए । अवकाश में मन प्रायः मलिन हो जाता है । अतः शुभ कर्म करने में तत्पर रहो व भगवन्नाम-जप में लगे रहो ।

4. 'जैसा खाये अन्न, वैसा बने मन ।' - यह कहावत एकदम सत्य है । गरम मसाले, चटनियाँ, अधिक गरम भोजन तथा मांस, मछली, अंडे, चाय कॉफी, फास्टफूड आदि का सेवन बिल्कुल न करो ।

5. भोजन हल्का व चिकना स्निग्ध हो । रात का खाना सोने से कम-से-कम दो घंटे पहले खाओ ।

6. दूध भी एक प्रकार का भोजन है । भोजन और दूध के बीच में तीन घंटे का अंतर होना चाहिए ।

7. वेश का प्रभाव तन तथा मन दोनों पर पड़ता है । इसलिए सादे, साफ और सूती वस्त्र पहनो । खादी के वस्त्र पहनो तो और भी अच्छा है । सिंथेटिक वस्त्र मत पहनो । खादी, सूती, ऊनी वस्त्रों से जीवनीशक्ति की रक्षा होती है व सिंथेटिक आदि अन्य प्रकार के वस्त्रों से उनका ह्रास होता है ।

8. लँगोटी बाँधना अत्यंत लाभदायक है । सीधे, रीढ़ के सहारे तो कभी न सोओ, हमेशा करवट लेकर ही सोओ । यदि चारपाई पर सोते हो तो वह सख्त होनी चाहिए ।

9. प्रातः जल्दी उठो । प्रभात में कदापि न सोओ । वीर्यपात प्रायः रात के अंतिम प्रहर में होता है ।

10. पान मसाला, गुटखा, सिगरेट, शराब, चरस, अफीम, भाँग आदि सभी मादक (नशीली) चीजें धातु क्षीण करती हैं । इनसे दूर रहो ।

11. लसीली (चिपचिपी) चीजें जैसे – भिंडी, लसौड़े आदि खानी चाहिए । ग्रीष्म ऋतु में ब्राह्मी बूटी का सेवन लाभदायक है । भीगे हुए बेदाने और मिश्री के शरबत के साथ इसबगोल लेना हितकारी है ।

12. कटिस्नान करना चाहिए । ठंडे पानी से भरे पीपे में शरीर का बीच का भाग पेटसहित डालकर तौलिये से पेट को रगड़ना एक आजमायी हुई चिकित्सा है । इस प्रकार 15-20 मिनट बैठना चाहिए । आवश्यकतानुसार सप्ताह में एक-दो बार ऐसा करो ।

13. प्रतिदिन रात को सोने से ठंडा पानी पेट पर डालना बहुत लाभदायक है ।

14. बदहज्मी व कब्ज से अपने को बचाओ ।

15. सेंट, लवेंडर, परफ्यूम आदि से दूर रहो । इन्द्रियों को भड़काने वाली किताबें न पढ़ो, न ही ऐसी फिल्में और नाटक देखो ।

16. विवाहित हो तो भी अलग बिछौने पर सोओ ।

17. हर रोज प्रातः और सायं व्यायाम, आसन और प्राणायाम करने का नियम रखो ।

जय श्री राम
  हिन्दू राष्ट्र भारत

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2023-05-11 19:45:11 समलैंगिक विवाह का खेल बड़ा है, अंतरराष्ट्रीय साजिश है भारतीय संस्कृति को बर्बाद करने की..

अब TATA की हुई एंट्री, लोगों ने उठाई TATA STARBUCKS के बॉयकॉट की आवाज





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प्रशासक समिति
_(एकात्मिता सोशल वेलफेयर सोसाइटी)_
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2023-05-11 18:07:10
गायक कन्हैया मित्तल ने हर मंगलवार चंडीगढ़ की झुग्गी झोपड़ियों में बाबा का कीर्तन और जागरूकता अभियान शुरू किया।

"धर्मांतरण जितना आसानी से कमजोर वर्ग का होता है उतना कही नहीं" : कन्हैया मित्तल

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2023-05-11 17:40:42 प्रशासक समिति (Reg. E&SWS)

धर्म परिवर्तन नहीं किया तो कट्टरपंथी ने हिंदू पत्नी को मौत के घाट उतार दिया..ये प्यार है? क्या ये लव जेहाद नहीं?

https://www.prashasaksamiti.com/2023/05/blog-post_37.html

आखिर कितने साक्ष्य चाहिए लव जिहाद के? नित नए किस्से सामने आ रहे हैं कि कैसे कट्टरपंथी हिंदू लड़कियों को अपने जाल में फंसाते हैं और फिर उन्हें प्रताड़ित करते हैं या फिर उनकी हत्या कर देते हैं। इतना सब होते देखने के बाद भी कुछ लोग लव जिहाद को झूठ बताते हैं।

इकबाल ने खुद को हिंदू और अपना नाम डॉ. राजू शर्मा बताते हुए निशा को प्यार के जाल में फँसाया था। इसके बाद दोनों ने साल 2012 में शादी कर ली। शादी के बाद निशा को इकबाल की सच्चाई का पता। इसके बाद वह निशा पर इस्लाम कबूलने का दवाब बनाने लगा।

लेकिन निशा ने धर्म नहीं बदला था। वह हिन्दू तौर-तरीकों से ही रह रही थी। इकबाल को इससे आपत्ति थी। बाद में यह बात भी सामने आई कि निशा से इकबाल ने दूसरी शादी की थी। जब लगातार दबाव के बाद भी निशा ने इस्लाम नहीं कबूला तो इकबाल अपने जीजा और एक अन्य साथी के साथ मिलकर उसकी गला घोंट कर हत्या कर दी।

जो नेता जनता द्वारा चुने जाते हैं वही सत्ता में आने के बाद उसी जनता का दमन करते हैं। लेकिन इसका भी दोष तो जनता को ही है जो, खुदगर्जी में आकर ऐसे नेताओं को सत्ता में बिठाते हैं, और कुछ तो इतने गैरजिम्मेदार होते हैं की वोट देने ही नहीं जाते।


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